ईयर कैंडलिंग के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है?

कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो ईयर कैंडलिंग (Ear Candling) यदि सही तरीके से की जाए तो इसके कई फायदे हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो ईयर कॉनिंग थेरेपी से ना सिर्फ कान का मैल साफ करने में मदद मिलती है बल्कि यह सिर दर्द (Headache) व चक्कर आने जैसी स्थितियों को ठीक करने में मददगार होता है। आयुर्वेद के विशेषज्ञों के अनुसार यह लिम्फैटिक सर्कुलेशन (Lymphatic circulation) के सुचारू रूप से काम करने लिए भी कारगर हो सकता है।
ईयर कैंडलिंग के बारे में रिसर्च क्या कहती है?
आयुर्वेद के इतर यदि हम विज्ञान के विशेषज्ञों की बात करें तो इसका कोई प्रमाण नहीं है कि ईयर कैंडलिंग से किसी प्रकार की मदद मिलती है। रिसर्चर्स का मानना है कि ईयर कॉनिंग (ear coning) फायदे के बजाए आपको नुकसान ज्यादा पहुंचा सकता है।
1996 में नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में पब्लिश की गई एक स्टडी के अनुसार 8 लोगों पर ईयर कॉनिंग का उपयोग किया गया। इनमें से एक के भी कान का मैल नहीं निकला। वहीं कान के विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर यह बात सामने आई कि ईयर वैक्सिंग (Ear Waxing) के कारण कान की इंज्युरी का सामना लोगों को करना पड़ा।
द फूड एंड डग एडमिनिस्टेशन (FDA) ने भी लोगों को खुद को ईयर कैंडलिंग से दूर रहने की सलाह दी है। एफडीए का मानना है कि कान की मोमबत्तियों से जुड़ी चोटों की घटनाओं के बारे में कम जानकारी पाई जाती है। एफडीए ने उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े पेशेवरों को एफडीए के मेडवाच एडवांस इवेंट रिपोर्टिंग प्रोग्राम में ऐसी अनहोनियों की रिपोर्ट करने की सलाह दी है।
हेल्थ कनाडा की बात मानें तो उनके परीक्षण में सामने आया कि यह कान में कोई सकारात्मक असर नहीं करती है और ना ही इसका कोई चिकित्सीय मूल्य है।
मेडिकल जर्नल लैरींगोस्कोप के एक सर्वे में बताया गया कि कान के जलने के 13 मामले, 7 मामलों में मोम के कारण कान में ब्लॉकेज और एक में ईयर ड्रम के पंक्चरड होने का मामले सामने आए। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कान की मोमबत्तियों ने कान के एक मॉडल पर भी कोई भी औसत दर्जे का वैक्यूम दबाव नहीं बनाया। ईयर कॉनिंग से मोम व्यक्तियों के कान में भर गई।