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कानों के रोग को न समझें मामूली, पहचानें क्या हैं इनके लक्षण!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/03/2021

    कानों के रोग को न समझें मामूली, पहचानें क्या हैं इनके लक्षण!

    हमारे शरीर के हर अंग का अपना खास महत्व और काम है जैसे हमारी आंखें देखने, मुंह बोलने और कान सुनने के काम आते हैं। जब बात कानों की आती है तो क्या आप जानते हैं कि हमारे कान के तीन भाग हैं। कान का सबसे बाहरी हिस्सा वो है, जिसे हम देख सकते हैं। सामने दिखने वाली ईयर कैनाल (Ear Canal) ईयर ड्रम तक जाती है। मिडिल ईयर बाहरी कान से अलग होता है और इसमें छोटी हड्डियां होती हैं। तीसरा और आखिरी भाग है हमारा आंतरिक कान, जहां ध्वनियों का अनुवाद इलेक्ट्रिकल इम्पल्स में किया जाता है और मस्तिष्क को भेजा जाता है। जैसे शरीर के हर अंग में समस्या होना सामान्य है, वैसे ही कानों के रोग (Ear Conditions) कभी भी किसी को भी परेशान कर सकते हैं। आइए जानते हैं कानों के रोग (Ear Conditions) के बारे में विस्तार से:

    कौन-कौन से कानों के रोग हमें परेशान कर सकते हैं (Types of Ear Conditions) 

    कानों के रोग (Ear Conditions) यानी समस्याएं कई तरह की हो सकती है। इसका उपचार कानों के रोग (Ear Conditions)  के प्रकार, कारण और लक्षणों पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से कानों के रोग हमारी परेशानी की वजह बन सकते हैं:

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    • कान में दर्द (Earache) : कान में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे चोट लगना, इंफेक्शन या अन्य। कानों की यह समस्या गंभीर भी हो सकती है या सामान्य भी। जब भी आप कानों में दर्द महसूस करें, डॉक्टर से अवश्य जांच कराएं।
    • ओटाइटस मीडिया (Otitis media): ओटाइटिस मीडिया को मिडिल ईयर इन्फ्लेमेशन भी कहा जाता है। मिडिल ईयर में सूजन या इंफेक्शन इसके कारण हैं।
    • स्विमर’स ईयर (Swimmer’s ear): इसका अर्थ है कान के बाहरी हिस्से में सूजन और इन्फेक्शन होना। स्विमर’स ईयर त्वचा से जुड़ी स्थिति है।
    • टिनिटस (Tinnitus) : इस कानों के रोग (Ear Conditions) में एक या दोनों कानों में आवाज गूंजती है। आमतौर पर यह रोग अधिक शोर में रहने या उम्र बढ़ने के कारण होता है।
    • सेरुमेन डिप्रेशन (Cerumen impaction) : इस कानों के रोग (Ear Conditions) के होने पर कानों में जमने वाले वैक्स के कारण ईयर कैनाल (Ear Canal) ब्लॉक हो जाता है। जिससे ईयर ड्रम्स को नुकसान हो सकता है। 

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    • रप्चर्ड  ईयरड्रम (Ruptured eardrum) : बहुत अधिक आवाज, एयर प्रेशर में अचानक बदलाव आदि के कारण ईयर ड्रम्स को नुकसान हो सकता है। हालांकि, यह छोटे होल कुछ ही हफ़्तों में ठीक हो सकते हैं।
    • एकॉस्टिक न्यूरोमा (Acoustic neuroma): यह एक नॉन-कैंसरस ट्यूमर है, जो कान से मस्तिष्क तक जाने वाली तंत्रिका पर ग्रो करता है। इसके लक्षण सुनने में परेशानी, वर्टिगो या टिन्निटस आदि हो सकते हैं।
    • मास्टोइडाइटिस (Mastoiditis) यह कान के पीछे, मास्टॉयड (Mastoid) की हड्डी का संक्रमण है। मास्टोइडाइटिस मिडिल ईयर इंजेक्शन का उपचार न होने से हुए संक्रमण के परिणामस्वरूप हो सकता है।
    • कोलेस्टेटोमा (Cholesteatoma) यह एक बिनाइन (benign) स्थिति है। यह मिडिल ईयर और आसपास की हड्डियों के भीतर होने वाला त्वचा का असामान्य निर्माण है। इसमें अक्सर सुनने की समस्या के साथ दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज भी होता है। इस कानों के रोग (Ear Conditions) में सुनने की समस्या को कम करने के लिए आमतौर पर सर्जरी की आवश्यकता होती है।

    कानों के रोग

    कानों के रोग के कारण और रिस्क फैक्टर क्या हो सकते हैं? (Causes and Risk Factors of Ear Conditions)

    कानों के रोग (Ear Conditions) कई कारणों से हो सकते हैं। लेकिन, इसके कुछ कारण जोखिम भरे भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत लक्षणों को पहचानना और उपचार कराना जरूरी है। इसके कारण और रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    • अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस (Upper Respiratory tract Infections)
    • अचानक एयर प्रेशर में बदलाव (Sudden Changes in Air Pressure)
    • एवरेज यूस्टेशियन ट्यूब का सामान्य से छोटा होना या ब्लॉक होना (Small or Blocked Eustachian Tubes)
    • क्लेफ्ट पेलेट (Cleft Palate)
    • कम उम्र (Young Age) : छोटे बच्चों को इंफेक्शन होने कि संभावना अधिक होती है 
    • गंदे पानी में स्विमिंग (Swimming in Polluted Water)
    • कान की अत्यधिक सफाई (Overzealous Cleaning of the Ears)

    कानों के रोग के लक्षण (Symptoms of Ear Conditions)

    कानों के रोग (Ear Conditions) के लक्षण  इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। इसके कुछ लक्षण हल्के हो सकते हैं तो कुछ गंभीर। कानों की समस्याओं के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

    • कान में दर्द (Earache)
    • सुनने में हलकी समस्या (Mild Deafness) 
    • कान से डिस्चार्ज (Ear Discharge)
    • बुखार (Fever)
    • सिरदर्द (Headache)
    • भूख में कमी (Loss of Appetite)
    • बाहरी कान में खुजली (Itchiness of the Outer Ear)
    • बाहरी कान पर या एअर कैनाल के साथ फफोले (Blisters on the Outer Ear or along the Ear Canal)
    • वर्टिगो (Vertigo) 

    यह भी पढ़ें: जानिए क्या हैं कान से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

    कान के रोग का निदान (Diagnosis of Ear Conditions)

    कान के रोग के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे लक्षण के बारे में जानेंगे और उसके बाद आपके कान की जांच करेंगे। इस समस्या के निदान के लिए आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है।

  • ईयर एग्जाम (Ear Exam): कान की समस्या का सबसे पहला टेस्ट है कान की जांच। इसमें डॉक्टर एक ऑटोस्कोप की मदद से ईयर कैनाल (Ear Canal) की जांच कर सकते हैं। ईयर एग्जाम से वो इसके कारण का अंदाजा लगा सकते हैं।
  • ऑडिटरी टेस्टिंग (Auditory Testing): इसमें ऑडियोलॉजिस्ट अलग-अलग वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी की ध्वनियों का उपयोग करते हुए, प्रत्येक कान में रोगी की हियरिंग की औपचारिक रूप से जांच करते हैं।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन (CT scan): सिटी स्कैन में एक्स रे का प्रयोग किया जाता है, ताकि रोगी के कान और उसके आसपास के हिस्से की साफ छवि बनाई जा सके और समस्या को पहचाना जा सके। 
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) : इसमें रेडियो वेव्स का प्रयोग किया जाता है। ताकि कानों और आसपास के हिस्से की हाय रेसोल्यूशन छवि को बनाया जा सके और समस्या का निदान हो।
  • कानों के रोग

    कानों के रोग का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Ear Conditions) 

    कानों के रोग (Ear Conditions) कई बार गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में उनका सही समय पर निदान जरूरी है। इसका उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है। यह तरीके इसके प्रकार और लक्षणों आदि पर निर्भर करते हैं। जानिए, कैसे करें कानों के रोग का उपचार (Treatment of Ear Conditions)

    • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): अगर कान में बैक्टीरिया के कारण समस्या है, तो एंटीबायोटिक्स का प्रयोग किया जा सकता है।
    • सेरेमोनोलिटिक्स (एअर वैक्स ड्रॉप्स) Cerumenolytics (ear-wax drops): मिनरल आयल, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पानी और अन्य प्रेपराशंस के सलूशन का प्रयोग करने से प्रभावित वैक्स को ढीला किया जा सकता है।
    • इरीगेशन (Irrigation) : साल्ट वाटर और डायल्यूटेड हाइड्रोजन पेरोक्साइड के साथ ईयर कैनाल (Ear Canal) की जेंटल इरीगेशन कानों के रोग सरूमेन इम्पेक्शन (Cerumen Impaction) का इलाज कर सकती है।
    • एंटीहिस्टामिन (Antihistamine) : इनके प्रयोग से कान में शांत प्रभाव पड़ता है, जिससे कई समस्याओं जैसे चक्कर आना आदि से छुटकारा मिल सकता है।
    • सर्जरी (Surgery): एकॉस्टिक न्यूरोमा (Acoustic Neuroma) को हटाने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है। जिन बच्चों को बार-बार कान का संक्रमण होता है। इनमें ड्रेनेज ट्यूब  (Drainage Tube) लगाने के लिए सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है।
    • पोजिशनल एक्सरसाइज (Positional Exercise): कुछ एक्सरसाइज रेजीमेंन्स बिनाइन प्रोक्सिमल पोजिशनल वर्टिगो (Benign Paroxysmal Positional Vertigo) लक्षणों में सुधार कर सकती हैं। इन तरीकों के अलावा भी अन्य तरीके अपनाएं जा सकते हैं। 

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    कानों के रोग से बचाव के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव जरूरी है? (Lifestyle changes of Ear Conditions) 

    कानों के रोग (Ear Conditions) बैचैन और दर्द भरे हो सकते हैं। हालांकि, इन समस्याओं से पूरी तरह से बचाव तो संभव नहीं है लेकिन अपने जीवन में थोड़े से परिवर्तन करके आप कुछ हद तक इनसे राहत पा सकते हैं। जानिए, कानों के रोगों (Ear Conditions) से बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए:

    धूमपान छोड़ दें (Quit Smoking)

    ऐसा माना जाता है कि जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें कानों के रोग (Ear Conditions) या इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। यही नहीं सेकंड हैंड स्मोक से भी आपको ईयर इंफेक्शन हो सकता है। अगर आप कानों के रोगों (Ear Conditions) के जोखिम को कम करना चाहते हैं तो स्मोकिंग छोड़ दें। अपने बच्चों को खासतौर पर सेकंडहैंड स्मोक से बचाएं क्योंकि बच्चों में कानों के रोग (Ear Conditions) अधिक देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही धुएं आदि से भी बचें।

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    खाने का तरीका बदलें (Eat Healthy)

    अगर आप कानों के रोग (Ear Conditions) से बचना चाहते हैं तो अपने खाने के तरीके को बदल दें। यानी, आप तला-भुना, बसा युक्त या मिर्च-मसाले वाले आहार का सेवन न करें। इसके साथ ही कैफीन युक्त पेय भी न पीएं। अपने आहार में सादे भोजन, फल-सब्जियों, साबुत अनाज आदि को जगह दें

    तेज आवाज वाली जगहों पर जाने से बचे (Avoid Loud Noises)

    ऐसा माना जाता है कि जो लोग सुनने में समस्या महसूस करते हैं, उसका अधिकतर कारण अधिक आवाज यानी शोर में रहना है  ऐसे में ऐसी जगहों पर जानें से बचे। अगर ऐसी जगह पर जाना हो तो अपने कानों को अधिक आवाज और शोर से बचाएं।

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    व्यायाम करें (Exercise)

    व्यायाम करना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, जिसमें कान भी शामिल हैं। इसलिए अगर आप शारीरिक और मानसिक किसी भी समस्या से बचना चाहते हैं तो व्यायाम करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें क्योंकि ईयर इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण हो सकता है

    यह भी पढ़ें :जानिए क्या हैं कान से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

    कानों के रोग (Ear Conditions) खासतौर पर ईयर इंफेक्शन की संभावना वयस्कों की तुलना में बच्चों को अधिक होती है। ऐसे में बच्चों में कानों के रोग (Ear Conditions) के लक्षणों को नोटिस करना भी जरूरी है। अगर आप किसी ईयर कंडीशंस से बार-बार पीड़ित हो रहे हैं, तो यह किसी गंभीर समस्या की तरह इशारा भी हो सकता है। ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें और सही उपचार कराएं।

    डिस्क्लेमर

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