डेविएटेड सेप्टम की समस्या जन्म से हो सकती है। किसी इंजुरी के कारण भी नेजल सेप्टम अपनी पुजिशन से हट सकता है। डेविएटेड सेप्टम से बचाव के लिए नाक की चोट से बचना होगा। ड्राइविंग करते समय हैलमेट पहनें। फुलटबॉल या वॉलीबॉल खेलते समय भी प्रोटक्शन का ध्यान रखें। वेहिकल चलाते समय सीट बेल्ट जरूर लगाएं। डॉक्टर मेडिकेशन की हेल्प से नाक की सूजन को कम करते हैं। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जा सकती है। नाक बंद होने पर आप डॉक्टर से संपर्क करें और बीमारी का ट्रीटमेंट कराएं वरना आपको गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
ईएनटी डिसऑर्डर: नेजल पॉलिप्स ( Nasal Polyp)
नेजल पैसेज में सॉफ्ट, पेनलेस और नॉनकैंसरस ग्रोथ को नेजल पॉलिप्स कहते हैं। ये टीयरड्रॉप या ग्रैप्स जैसी लटकी हुई दिखाई पड़ती हैं। इनका निर्माण अस्थमा क्रॉनिक इफ्लामेशन, इन्फेक्शन, एलर्जी, ड्रग सेंसिटीविटी या किसी इम्यून डिसऑर्डर के कारण हो सकता है। छोटी नेजल पॉलिप्स किसी तरह के लक्षण को जन्म नहीं देती हैं, वहीं बड़ी पॉलिप्स नेजल पैसेज को ब्लॉक करने का काम कर सकती है। इस कारण से गंध सूंघने की क्षमता खो सकती है और इन्फेक्शन की संभावना भी बड़ जाती है।नेजल पॉलिप्स होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।
- बहती नाक
- नाक में भरापन
- पोस्टनेजल ड्रिप
- गंध की कमी
- स्वाद न पता चलना
- चेहरे में दर्द
- सिरदर्द
- ऊपरी दांतों में दर्द
- चेहरे पर दबाव का एहसास
- खर्राटे
- बार-बार नाक बहना
अगर आपको उपरोक्त लक्षण 10 दिनों से ज्यादा दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नेजल पॉलिप्स की जांच करने के बाद डॉक्टर आपको मेडिसिन देंगे। अगर पॉलिप्स बड़े हैं, तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं। सर्जरी के बाद भी नेजल पॉलिप्स के दोबारा आने की संभावना बनी रहती है। उस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श करें।
नॉन एलर्जिक रायनाइटिस (Nonallergic rhinitis)
नॉनएलर्जिक रायनाइटिस (vasomotor rhinitis) एक ऐसी स्थिति है, जो क्रॉनिक स्नीजिंग या नाक बहने का कारण बनती है। ये लक्षण एलर्जिक रायनाइटिस (hay fever)से मिलते हैं। ये एलर्जिक रायनाइटिस से अलग है, क्योंकि इसमे इम्यून सिस्टम इंवॉल्व नहीं है। वायु प्रदूषक या गंध, खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ, कुछ दवाएं, मौसम में परिवर्तन या क्रॉनिक हेल्थ प्रॉब्लम्स नॉन एलर्जिक रायनाइटिस के लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं। नॉन एलर्जिक रायनाइटिस होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।
- बंद नाक (Stuffy nose
- बहती नाक (Runny nose)
- छींक आना (Sneezing)
- पोस्टनेजल ड्रिप(Postnasal drip)
नॉन एलर्जिक रायनाइटिस का एक्यूट डायग्नोसिस जरूरी है ताकि समस्या को दूर किया जा सके। नॉन एलर्जिक राइनाइटिस होने पर एलर्जिक रायनाइटिस की जांच भी की जा सकती है क्योंकि दोनों में ही कुछ लक्षण कॉमन होते हैं। नॉन एलर्जिक रायनाइटिस को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन ट्रीगर को अवॉयड करके समस्या से बचा जा सकता है। डॉक्टर नमकीन पानी से गरारा करने की सलाह दे सकते हैं। ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन दवाओं का उपयोग करके राहत पाई जा सकती है।
और पढ़ें : Throat cancer: गले (थ्रोट) का कैंसर क्या होता है? जानें इसके कारण, लक्षण व बचाव
जानिए थ्रोट कंडिशन्स (Throat condition) के कारण और उनसे बचने के उपाय
गला शरीर का उपयोगी अंग माना जाता है। थ्रोट एक ट्यूब है, जो खाने को ईसोफेगस में और वायु को विंडपाइट और लेरिक्स में ले जाती है। थ्रोट का टेक्निकल नेम फेरिनिक्स है। थ्रोट प्रॉब्लम कॉमन होती है। अक्सर लोगों को गले में खराश की समस्या रहती है। हम आपको यहां कुछ थ्रोट कंडीशन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जानिए गले में खराश की समस्या के बारे में।
गले में खराश (Sore throat) के हो सकते हैं बहुत से कारण

कोल्ड और फ्लू के कारण सोर थ्रोट की समस्या हो जाती है। अन्य कारणों की वजह से भी गले में खराश की समस्या होती है। कुछ कारण जैसे कि एलर्जी,मोनोन्यूक्लिओसिस, धूम्रपान, स्ट्रेप थ्रोट, टॉन्सिलाइटिस आदि गले में खराश का कारण बन सकते हैं। जानिए गले में खराश के मुख्य कारणों के बारे में।
टॉन्सिलाइटिस (Tonsilitis) टॉन्सिल्स की सूजन है। थ्रोट के पीछे दो ओवल शेप पैड टॉन्सिल्स कहलाते हैं। इस कारण से गले में खराश की समस्या हो जाती है। टॉन्सिलाइटिस की समस्या अपने आप भी दूर हो सकती है। डॉक्टर इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए मेडिसिन्स लेने की सलाह भी दे सकते हैं।
फेरिंजाइटिस (Pharyngitis)- भी गले में खराश का कारण हो सकता है। इस कारण गले के पिछले भाग में सूजन आ जाती है और फीवर भी हो सकता है। नाक बहना, कफ आना, सिरदर्द, खाना निगलने में दिक्कत आदि लक्षण दिख सकते हैं। ये वायरल इन्फेक्शन तीन से चार दिनों तक रहता है।
लेरिन्जाइटिस (Laringitis) के कारण गले में सूजन आ जाती है। ऐसा वाइस बॉक्स में इन्फेक्शन के कारण होता है। इस कारण से गले में खराश हो जाती है।लेरिन्जाइटिस के लक्षण दो से तीन सप्ताह तक दिख सकते हैं।
एप्लीगोटाइटिस(Epligotitis) का मुख्य कारण विंडपाइट को कवर करने वाली स्मॉल कार्टिलेज लिड में सूजन आना है। ये लंग्स में आने वाली एयर को ब्लॉक करने का कारण बनती हैं।
गले में खराश के लिए ट्रीटमेंट
गले में खराश का ट्रीटमेंट बीमारी के कारण पर निर्भर करता है। डॉक्टर गले में खराश का डायग्नोज करने के बाद इन्फेक्शन को कम करने के लिए मेडिसिन्स दे सकते हैं। साथ ही आपको अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। ओवर-द-काउंटर पेन किलर भी मदद कर सकती हैं। अगर बच्चे को गले में खराश की समस्या है, तो बिना डॉक्टर से परामर्श किए उसे एस्पिरिन या अन्य कोई दवा न दें। गले में खराश के दौरान लॉजेंजस चूसना और आराम पहुंचाता है। साथ ही गुनगुना पानी भी गले को राहत देता है। आप चाहे तो गले की हल्की सिकाई भी कर सकते हैं।
ईएनटी डिसऑर्डर: बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat)
स्ट्रेप थ्रोट (strep throat) बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो गले में सूजन और दर्द का कारण बनता है। स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (Streptococcus bacteria) के कारण स्ट्रेप थ्रोट की समस्या होती है। स्ट्रेप थ्रोट की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों में भी हो सकती है। पांच से 15 साल के बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट की समस्या कॉमन होती है। छींकने और खांसने के दौरान बैक्टीरिया हवा में फैल जाता है और अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। जानिए स्ट्रेप थ्रोट के कारण कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
- अचानक से तेज बुखार
- गले में खराश
- सिरदर्द
- ठंड लगना
- भूख न लगना
- गर्दन के लिम्फ नोड्स में सूजन
- निगलने में परेशानी होना
स्ट्रेप थ्रोट (strep throat) का ट्रीटमेंट
डॉक्टर आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेंगे। स्ट्रेप थ्रोट के कारण थ्रोट में सफेद पैच दिखने लगते हैं। साथ ही टॉन्सिल में रेड स्पॉट भी दिखाई देते हैं। पेशेंट को सांस लेने में समस्या होती है और खाने में भी दिक्कत होती है। ऐसे में डॉक्टर रैपिड स्ट्रेप टेस्ट करते हैं। ऐसा करने से इन्फेक्शन का कारण पता चल जाता है। डॉक्टर इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स देंगे। डॉक्टर ने आपको जितनी भी एंटीबायोटिक्स खाने की सलाह दी हो, उसे लें। मेडिसिन्स को अधूरा न छोड़ें वरना इन्फेक्शन दोबारा आ सकता है। डॉक्टर पेनिसिलिन और एमोक्सिसिलिन (Penicillin and amoxicillin ) खाने की सलाह देंगे।अगर आपको इन दवाओं से एलर्जी हो रही है, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
और पढ़ें : Diphtheria : डिप्थीरिया (गलाघोंटू) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
खाने या पीने के दौरान हो सकती है चोकिंग (Choking)

जब फूड, लिक्विड या फिर अन्य पदार्थों के कारण थ्रोट ब्लॉक हो जाता है, तो चोकिंग की समस्या हो जाती है। बच्चों में अक्सर किसी भी पदार्थ को मुंह में डालने के कारण चोकिंग की समस्या होती है। वहीं वयस्कों में खाना या पानी को तेजी से पीने के कारण चोकिंग की समस्या होती है। ज्यादातर लोगों को अपने जीवन में एक बार चोकिंग की समस्या जरूर होती है। वैसे तो चोकिंग की समस्या कुछ समय तक ही रहती है और कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक भी हो जाती है लेकिन कुछ मामलें गंभीर हो सकते हैं। चोकिंग के कारण लगातार खांसी आ सकती है। चोकिंग के कारण निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं।
- खांसी आना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- बोल न पाना
- कफ आना
बच्चों में चोकिंग के निम्न कारण हो सकते हैं।
- पॉपकॉर्न खाने के दौरान
- कैंडी
- पेंसिल इरेजर
- गाजर
- च्यूइंगगम
- मूंगफली
- चेरी टमैटो
- अंगूर
- फलों के बड़े टुकड़े
- सब्जियों के बड़े टुकड़े
चोकिंग (Choking) होने पर करें ये उपाय
अगर खाते समय किसी व्यक्ति को चोकिंग की समस्या हो गई है, तो आप एक मैथड का इस्तेमाल कर सकते हैं। हैंड हील से व्यक्ति की पीठ में पांच बार हिट करें। आप इसके बाद हेइम्लीच मेन्योअर (Heimlich maneuver) को पांच बार कर सकते हैं। इसमे आपको व्यक्ति को पीछे खड़े हो जाना है और फिर अपनी आर्म से व्यक्ति की छाती को पकड़ना है। अब दबाव की सहायता से व्यक्ति को आगे की ओर धकेले। हाथों को एब्डॉमन में अपवर्ड पुजिशन में प्रेस करें। इसे करीब पांच बार करें। ऐसा करने से थ्रोट में फंसा पदार्थ बाहर आ जाएगा। अगर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो रही है या परेशानी ज्यादा हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
डिस्फेजिया (Dysphagia)
खाना निगलने की समस्या को डिस्फेजिया (Dysphagia) कहते हैं। मुंह से खाना निगलने के दौरान अधिक प्रयास करना पड़ता है। ऐसा नर्व या मसल्स प्रॉब्लम के कारण होता है। बच्चों और बुजुर्गों में डिस्फेजिया की समस्या आम होती है। जानिए डिस्फेजिया के मुख्य कारणों के बारे में।
ओरल डिस्फेजिया (Oral dysphagia) – ये मुंह की समस्या के कारण होता है। जब स्ट्रोक के कारण जीभ कमजोर हो जाती है, तो खाना निगलने में दिक्कत होती है।
फरिंजियल डिस्फेजिया ( Pharyngeal dysphagia) – ये प्रॉब्लम थ्रोट के कारण होती है। गले में न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम नर्व को प्रभावित करती हैं।
एसोफैगल डिस्पैजिया ( Esophageal dysphagia) – इसोफेगस में प्रॉब्लम के कारण एसोफैगल डिस्पैगिया होता है। सर्जरी के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है।
- भोजन करते समय चोकिंग
- निगलने पर खांसी
- स्टमक एसिड गले में आना
- हार्टबर्न
- आवाज बैठना
- भोजन का वापस आना
डिस्पैजिया न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है। डॉक्टर के लिए डिस्पैजिया का ट्रीटमेंट चैलेंजिंग होता है। डॉक्टर स्वैलिंग थेरिपी (Swallowing therapy), लिक्विंड और कुछ फूड के कॉम्बिनेशन को लेने की सलाह, ट्यूब की हेल्प से फीडिंग, डायलेशन आदि ट्रीटमेंट कर सकते हैं। डॉक्टर पेशेंट को बैलेंस्ड डायट चार्ट भी बनाकर देते हैं, ताकि खानपान के पेशेंट कुपोषण का शिकार न हो।