backup og meta

रूस ने कोरोना वायरस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया पूरा, भारत में कोरोना की दवा लॉन्च करने की तैयारी

रूस ने कोरोना वायरस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया पूरा, भारत में कोरोना की दवा लॉन्च करने की तैयारी

पूरी दुनिया में कोरोना के कारण जन जीवन अस्त व्यस्त हुआ है। वहीं, रूस से एक राहत भरी खबर सामने आ रही है। रूस ने कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल पूरा कर लिया है। जिसके बाद रूस की एक समाचार एजेंसी ने इस बात का खुलासा किया था। हालांकि, इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है कि अभी तक ये कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के बाद कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाएगी या नहीं। आइए जानते हैं कि किस तरह से रूस ने कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल कैसे किया?

और पढ़ें : कोरोना से तो जीत ली जंग, लेकिन समाज में फैले भेदभाव से कैसे लड़ें?

रूस ने कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा किया

कोरोनावायरस ने पिछले सात महीने से पूरी दुनिया को अपनी आगोश में ले रखा है। इसी बीच रूस ने दावा किया है कि रूस के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है। रूस की समाचार एजेंसी स्पुतनिक के मुताबिक, इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने ही इस बात की पुष्टि की है। वादिम तरासोव ने न्यूज एजेंसी के हवाले से कहा है कि दुनिया की पहली कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में सफल रही है। मॉस्को के सेचेनोफ स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Sechenov State medical University) ने 18 जून, 2020 को रूस के गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के द्वारा बनाई गई कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के लिए शामिल किया गया था। जिसके बाद सभी ट्रायल को पूरा करते हुए कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल भी सफलतापूर्वक कर ली है। 

[mc4wp_form id=’183492″]

कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल कैसे हुआ?

रूस ने कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल को जून के मध्य से शुरू किया था, जिसमें वालंटियर्स को दो ग्रुप में बांटा गया। पहले ग्रुप में 18 वालंटियर्स को शामिल किया गया और दूसरे ग्रुप में 23 वालंटियर्स को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 18 से 65 साल थी। गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के द्वारा बनाई गई कोरोनावायरस वैक्सीन के पहले डोज को वालंटियर्स में इंजेक्ट किया गया। जिसके बाद उन्हें 28 दिनों तक आइसोलेशन में रखा गया। इसके बाद अब उन पर ह्यूमन ट्रायल सफल रहने के बाद उन्हें 15 जुलाई से 20 जुलाई के बीच में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इसके बाद 6 महीने तक उन वालंटियर्स पर नजर बनाए रखी जाएगी। जिससे उनके सेहत में अगर कोई साइड इफेक्ट हो तो पता चल सके। हालांकि, ह्यूमन ट्रायल के दौरान अभी तक वालंटियर्स में सिर्फ हल्के-फुल्के या नाम मात्र के साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। रूस के वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे ही इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि ये वैक्सीन पूरी तरह से सफल है और सरकारी मान्यता मिलते ही इसे लॉन्च कर दिया जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा है कि 12 से 14 अगस्त तक वैक्सीन के सभी रिजल्ट के बारे में पता चल जाएगा और सितंबर के शुरुआत तक इस वैक्सीन को लॉन्च करने की उम्मीद है।

और पढ़ें : वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) क्या है? जानें इसके प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज के बारे में

कोरोनावायरस की दवा लॉन्च करने की तैयारी कर रही है भारत की फार्मेसी कंपनी

भारत की फार्माच्यूटिकल कंपनी बायोकॉन ने कोरोना की दवा लॉन्च करने का दावा किया है। बायोकॉन के अनुसार बायोलॉजिकल ड्रग इटोलिजुमाब (Itolizumab) इंजेक्शन को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। इस इटोलिजुमाब इंजेक्शन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंजूरी दे दी है। फिलहाल बायोकॉन दावा कर रही है कि इटोलिजुमाब के 25 मिलीलीटर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना से पीड़ित किसी गंभीर व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे गंभीर कोरोना मरीज भी आसानी से रिकवर हो सकते हैं। इटोलिजुमाब का इस्तेमाल साइटोकाइन सिंड्रोम (सांस लेने में समस्या) में किया जाता है। इसके साथ ही इस इंजेक्शन का इस्तेमाल सोरायसिस में भी किया जाता है। 

और पढ़ें : कोरोना वायरस एयरबॉर्न : WHO कोविड-19 वायु जनित बीमारी होने पर कर रही विचार

इटोलिजुमाब को कोरोना में क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है?

इटोलिजुमाब को बायोलॉजिकल थेरिपी की तरह कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिन मरीजों में कोरोना के गंभीर मामले पाए जा रहे हैं, ये दवा उन मरीजों में पॉजिटिव रिकवरी को दिखा रही है। इटोलिजुमाब का इस्तेमाल ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में गंभीर कोरोना मरीजों को बचाने के लिए किया जा रहा है। कोरोना से ग्रसित व्यक्ति को सांस लेने की समस्या होती है, जिसे साइटोकाइन सिंड्रोम कहते हैं। साइटोकाइन सिंड्रोम किसी व्यक्ति में तब होता है, जब उसका इम्यून सिस्टम उसके खिलाफ ही रिएक्ट करने लगता है। ब्लड से होकर साइटोकाइन फेफड़े तक पहुंचते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस स्थिति में फेफड़े से सांस लेने में मरीज को परेशानी होने लगती है। 

कोरोनावायरस की दवा की कीमत क्या होगी?

कोरोनावायरस की दवा इटोलिजुमाब की कीमत लगभग 8,000 रुपए होगी। इटोलिजुमाब की एक बॉटल में 5 मिलीलीटर ही दवा होगी। वहीं, गंभीर मामालों में कोरोना के मरीजों के लिए इस दवा का 25 मिलीलीटर का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह से इस पूरी बायोलॉजिकल थेरिपी की कीमत 32,000 रुपए हो जाएगी। 

और पढ़ें : कोरोना वायरस लेटेस्ट अपडेट्स : कोरोना संक्रमण के मामलों में तीसरे स्थान पर पहुंचा भारत

कोरोनावायरस वैक्सीन मिलने तक बरतें सावधानियां

जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दिन बदिन कोरोना के बढ़ते हुए मामले को लेकर के चिंतित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ. टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने यहां तक कह दिया है कि अगर अब भी नहीं सम्भलें तो कोरोना और ज्यादा बदतर स्थिति में हो जाएगा। वहीं, अभी तक कोरोनावायरस वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल हो या कोरोना की दवा का कोई सकारात्मक प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। इसलिए हमें कोरोना वायरस से बचने के लिए खुद से हर संभव प्रयास करना होगा। 

  • कोरोना से बचने के लिए आपको सबसे जरूरी चीज सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना है। इसके लिए आप अगर कहीं भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाएं तो आप अन्य व्यक्तियों से दो गज की दूरी बना कर रखें। 
  • इसके साथ ही घर में या घर से बाहर जाते समय फेस मास्क, ग्लव्स, फेस शील्ड, आईग्लासेस आदि का इस्तेमाल करें।
  • बाहर से आने के बाद हाथों को 20 सेकेंड तक अच्छी तरह से साबुन से धुलें।
  • अगर बाहर रहने पर पानी और साबुन ना मिले तो आप अपने हाथों को सैनिटाइज करते रहें। 
  • सार्वजनिक स्थान पर किसी भी चीज को बिना जरूरत के ना छुएं।
  • किसी भी सतह को हाथों से छूने के बाद चेहरे, नाक, मुंह और आंखों को ना छुएं।
  • अगर आपके घर में या आसपास कोई बीमार है, उन्हें सर्दी-जुकाम, बुखार आदि जैसी समस्या है तो आपको उनकी देखभाल दूर से करनी चाहिए, उनके करीब ना जाएं। 
  • अगर आपको अपनी तबियत ठीक नहीं लगे तो घर पर अलग कमरे में रहें।

जब तक वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस की दवा और वैक्सीन नहीं मिल जाती है, तब तक आप अपने आपको कोरोना से इस तरह से बचाते रहें। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। 

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

cytokine storm https://www.cancer.gov/publications/dictionaries/cancer-terms/def/cytokine-storm Accessed on 14/7/2020

Cytokine Storm Syndrome & COVID-19 https://www.aacc.org/education-and-career/all-webinars/webinars/2020/may/cytokine-storm-syndrome-and-covid-19 Accessed on 14/7/2020

Russia’s Sechenov University Successfully Completes Trials of World’s 1st COVID-19 Vaccine https://sputniknews.com/russia/202007121079860277-russias-sechenov-university-successfully-completes-trials-of-worlds-1st-covid-19-vaccine/ Accessed on 14/7/2020

Russia in India Twitter handle https://twitter.com/RusEmbIndia/status/1282308768387043329 Accessed on 14/7/2020

Itolizumab in Psoriasis https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5527725/ Accessed on 14/7/2020

Is Biocon’s Itolizumab Good News? Hard to Tell, Thanks to the Bad Science. https://science.thewire.in/the-sciences/biocon-itolizumab-covid-19-clinical-trials-alpha-errors/ Accessed on 14/7/2020

Current Version

14/08/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

कोरोना वायरस एयरबॉर्न : WHO कोविड-19 वायु जनित बीमारी होने पर कर रही विचार

कोरोना से तो जीत ली जंग, लेकिन समाज में फैले भेदभाव से कैसे लड़ें?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/08/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement