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वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) क्या है? जानें इसके प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज के बारे में

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) क्या है? जानें इसके प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज के बारे में

जब से कोरोना वायरस को लेकर ये बात सामने आई है कि वो हवा द्वारा फैलने वाले रोगों में से एक है। तब से हर कोई जानना चाहता है कि भला हवा से फैलने वाली बीमारियां भी होती हैं क्या? जी हां! ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं, जो वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) होती हैं। इसे जानकर ज्यादातर लोग पैनिक हो जाते हैं या घबरा जाते हैं कि जब सांस लेने वाली हवा से ही बीमारियां फैलने लगे तो कैसे जिया जाए? आइए जानते हैं कि एयरबॉर्न इन्फेक्शन से आप किस तरह से बच सकते हैं, क्योंकि सावधानी ही आपका बचाव हो सकती है। साथ ही इस आर्टिकल में आप और भी कई हवा से फैलने वाली बीमारियों के बारे में जानेंगे। 

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वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) क्या है?

एयरबॉर्न रोग रोगजनक रोगाणुओं (Pathogenic Microbes) के कारण होते हैं। ये पैथोजन किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने, हंसने, बोलने आदि करने पर हमारे मुंह और नाक से जो ड्रॉपलेट्स निकलते हैं, उनसे हवा में वो पैथोजन फैल सकते हैं। ड्रॉपलेट्स में निकले हुए पैथोजंस धूल के कणों के रूप में हवा में फैल जाते हैं और जब हम सांस लेते हैं तो वह हमारे नाक के द्वारा शरीर में प्रवेश कर के बीमार करते हैं। इन्हें ही वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) कहते हैंसोशल डिस्टेंसिंग और सांस लेने के लिए किसी बैरियर का इस्तेमाल करने से हवा से फैलने वाली बीमीरियों को रोका या कम किया जा सकता है। 

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पैथोजन्स (Pathogens) क्या होते हैं?

पैथोजन्स प्रकृति में पाए जाने वाले बहुत छोटे-छोटे कण के रूप में माइक्रोब्स होते हैं, जिन्हें हिंदी में रोगाणु कहा जाता है। ये पैथोजन हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाते हैं या हमारे शरीर में अपने लिए रहने की जगह बनाते हैं (जैसे- फंगस और पैरासाइट्स)। पैथोजन हमारे पूरे शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा कर सकते हैं। सभी प्रकार के पैथोजन को सर्वाइव करने के लिए एक होस्ट की जरूरत होती है। जिसके शरीर में रह कर वे बीमारी को फैलाते हैं। लेकिन, हमारा इम्यून सिस्टम पूरा प्रयास करता है कि वो पैथोजन्स से लड़कर उन्हें शरीर में फैलने ना दे। लेकिन जब ये पैथोजन्स हमारे इम्यून सिस्टन पर हावी हो जाते हैं, तब ही हम बीमार पड़ते हैं। 

ये पैथोजन्स कई तरीके से अपने संक्रमण को बढ़ाते हैं :

पैथोजन्स मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं :

  • वायरस (Virus)
  • बैक्टीरिया (Bacteria)
  • फंफूद (Fungi)
  • परजीवी (Parasite)

उपरोक्त सभी पैथोजन इंसानों में बीमारी फैलाते हैं, लेकिन सभी वायुजनित रोग नहीं फैलाते हैं। वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) अक्सर बैक्टीरिया और वायरस फैलाते हैं।

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वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) कितने प्रकार के होते हैं?

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) कई प्रकार के होते हैं, जिनके लक्षण, कारण और इलाज निम्न प्रकार से हैं :

कोरोनावायरस और कोविड-19

2020 में पूरी दुनिया में महामारी के रूप में फैला कोरोनावायरस हमारे फेफड़ों के साथ ही दिल और पाचन तंत्र पर भी अटैक कर रहा है। फिलहाल में ही वैज्ञानिकों के एक समूह ने कोरोनावायरस को हवा से फैलने वाली बीमारी बताई है। इस बीमारी को फैलाने के लिए कोरोना वायरस, SARS-CoV-2 को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसे पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों को बीमार किया है और लाखों लोगों की जान भी ली है। यूं तो कोरोनावायरस को वायुजनित नहीं माना जाता है, लेकिन कुछ मामालों में कोविड-19 वायुजनित रोग की तरह काम करता है। जब किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींका, खांसा या बोला जाता है तो मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स सामने वाले व्यक्ति के मुंह, नाक और आंख पर आ जाते हैं। किससे कोरोनावायरस आसानी से दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। 

कोविड-19 के लक्षण क्या हैं?

कोविड-19 के लक्षण निम्न हैं :

  • बुखार
  • सर्दी-जुकाम
  • छींक आना
  • खांसी आना
  • सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी महसूस होना
  • कमजोरी लगना
  • सांस लेने में समस्या होना
  • डायरिया होना
  • उल्टी होना
  • जी मचलाना

कोविड-19 होने का कारण क्या है?

कोविड-19 होने के लिए सार्स परिवार का वायरस कोरोनावायरस जिम्मेदार होता है। जो इंसानों के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर हमला करता है। 

कोविड-19 का इलाज क्या है?

फिलहाल अभी कोविड-19 का कोई सटीक इलाज नहीं है। वैज्ञानिक कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन और दवा ढूंढने में लगे हुए हैं। तब तक इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर के कोविड-19 के संक्रमण को रोका जा सकता है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क, फेस शील्ड, सैनिटाइजर और हाथों को धुल कर कोविड-19 से बचा जा सकता है।

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कॉमन कोल्ड या सामान्य जुकाम

कॉमन कोल्ड एक वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है। जो गले और नाक में इंफेक्शन के कारण होता है। यूं तो एक सामान्य व्यक्ति को साल भर में दो से तीन बार कॉमन कोल्ड या सामान्य जुकाम हो ही जाता है। लेकिन इसमें आने वाली छींक से ये संक्रमित समस्या बन जाती है। कॉमन कोल्ड छोटे बच्चों में बहुत ज्यादा होता है। जिससे वे काफी परेशान हो जाते हैं। 

कॉमन कोल्ड के लक्षण क्या हैं?

कॉमन कोल्ड के लक्षण निम्न हैं :

कॉमन कोल्ड होने का कारण क्या है?

कॉमन कोल्ड कई तरह के वायरस के कारण होने वाली समस्या है। लेकिन सबसे ज्यादा मामले रहाइनोवायरस (rhinovirus) के कारण होती है। कॉमन कोल्ड वायरस के हवा में फैलने के कारण एक से दूसरे में फैलता है। छींकने, खांसने के कारण यह वायरस हवा में फैल जाता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में चला जाता है।

कॉमन कोल्ड का इलाज क्या है?

कॉमन कोल्ड का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता हैबुखार, सिरदर्द और गले में खराश के लिए एसिटामिनोफेन जैसा पेनकिलर दिया जाता है। वहीं, खांसी के लिए डॉक्टर के द्वारा कफ सिरप दिया जाता है। 

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इंफ्लूएंजा

इंफ्लूएंजा को फ्लू भी कहते हैं। इंफ्लूएंजा एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। इंफ्लूएंजा एक वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है। जो कॉमन कोल्ड की तरह ही लगती है। इंफ्लूएंजा की वजह से ही रेस्पिरेटरी सिस्टम में इंफेक्शन हो जाता है। शुरुआत में अगर इंफ्लूएंजा का इलाज नहीं किया गया तो लंग्स में इंफेक्शन हो सकता है। लंग में इंफेक्शन होने के बाद ये स्थिति कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकती है। 

इंफ्लूएंजा के लक्षण क्या हैं?

इंफ्लूएंजा लक्षण निम्न हैं :

इंफ्लूएंजा होने का कारण क्या है?

इंफ्लूएंजा फ्लू वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक वायरस को A, B और C टाइप में बांटा गया है। इंफ्लूएंजा टाइप-ए फ्लू वायरस के कारण होता है। 

इंफ्लूएंजा का इलाज क्या है?

इंफ्लूएंजा का इलाज है कि इससे पीड़ित व्यक्ति कितना ज्यादा आराम करता है। इस दौरान हैवी खाना नहीं चाहिए, ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों के सेवन करें, फ्रूट जूस और गर्म पानी पिएं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपना कर खुद को आराम से ठीक किया जा सकता है और लोगों के संपर्क में कम आने से फ्लू के संक्रमण से भी और लोगों को बचाया जा सकता है।

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खसरा (Measles)

खसरा रेस्पायरेटरी सिस्टम से जुड़ा हुआ एक वायरल इंफेक्शन है। जो एक वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है। खसरा से संक्रमित व्यक्ति के लार और फेफड़ाें से निकलने वाले बलगम के संपर्क में आने पर संक्रमण फैल जाता है। खसरा से संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से वायरस ड्रॉपलेट्स के रूप में हवा में फैल जाता है। दूसरे व्यक्ति के द्वारा उस ड्रॉपलेट्स को सांस के द्वारा अंदर लेने से वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। खसरा भी कुछ-कुछ कोरोनावायरस की तरह ही मिलता-जुलता सा है। खसरा का वायरस भी किसी सतह पर जा कर बैठ जाता है और उस सतह को दूसरे किसी के द्वारा छूने के बाद अपने चेहरे, नाका, मुंह, आंख आदि छूने से व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने खसरा को एक महामारी घोषित किया है। 

खसरा का वायरस वातावरण में कई घंटों तक जिंदा रह सकता है। खसरा से संक्रमित व्यक्ति के जूठे गिलास से पानी पीने या जूठी चीजें खाने से भी खसरा के संक्रमण का रिस्क रहता है। हालांकि, बिना इलाज के खसरा 7 से 10 दिनों के भीतर ठीक भी हो सकता है। खसरे का मात देने के लिए कोरोना की तरह इसमें भी इम्यूनिटी पावर विकसित करना बहुत जरूरी है। एक बार जब खसरा हो जाता है, तो शरीर में बनी हुई एंटीबॉडी दोबारा खसरा होने की संभावना को कम कर देती हैं। 2018 में खसरा से 1,40,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। खसरा से मरने वालों मे  ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे शामिल थे। 

खसरा का लक्षण क्या है?

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) खसरा के लक्षण संक्रमण होने के 14 दिनों के अंदर दिखाई देते हैं, खसरा के लक्षण निम्न हैं :

  • बुखार
  • खांसी
  • आंखों का लाल होना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • गले में खराश
  • नाक बहना
  • मुंह के भीतर सफेद धब्बे होना
  • त्वचा पर रैशेज होना

खसरा होने का कारण क्या है?

खसरा पैरामाइक्सोवायरस (paramyxovirus) के कारण होता है। खसरा का वायरस व्यक्ति के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को इंफेक्ट करता है। जिसके बाद खसरा के लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।

खसरा का इलाज क्या है?

खसरा के इलाज के लिए कोई भी मुख्य दवा उपलब्ध नहीं है। हालांकि अब खसरा का टीका मौजूद है। जिसे एमएमआर वैक्सीन (MMR Vaccine) कहते है, जिसका पूरा नाम मिजेल्स-मम्प्स-रुबेला वैक्सीन कहा जाता है। इसके अलावा दो से तीन हफ्तों के बाद खसरा अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन फिर भी डॉक्टर लक्षणों के आधार पर भी इलाज करते हैं :

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मम्प्स या गलसुआ

मम्प्स को हिंदी में गलसुआ कहते हैं। गलसुआ इसलिए कहते हैं, क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति के गालों में सूजन आ जाता है। गलसुआ एक संक्रामक रोग है जो वायरस के कारण होता है। मम्प्स वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में लार के द्वारा फैल सकता है। इस वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) के संक्रमण होने के बाद मुंह में मौजूद लार ग्रंथि, जिसे पैरोटिड ग्लैंड कहते हैं, ये प्रभावित होती हैं। इस लार ग्रंथि के तीन समूह होते हैं जो मुंह के तीनों तरफ कानों के पीछे और नीचे पाए जाते हैं। यूं तो मम्प्स कोई गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन फिर भी इसमें कुछ लक्षण इस समस्या को गंभीर बनाते हैं, जैसे- स्थाई रूप से सुनाई ना देना, टेस्टिस में सूजन, महिलाओं के ओवरी में सूजन आदि।

मम्प्स के लक्षण क्या हैं?

मम्प्स के लक्षण वायरस के संक्रमण होने के दो हफ्ते के भीतर सामने आ जाते हैं। मम्प्स के लक्षण निम्न हैं :

मम्प्स होना का कारण क्या है? 

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) छींकने, बोलने और खांसने से फैलता है, मम्प्स का वायरस हवा में फैल जाता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। मम्प्स के लिए जीनस रुबेला नामक वायरस जिम्मेदार होता है। 

मम्प्स का इलाज क्या है?

मम्प्स के लिए भी वही टीका लगता है, जो खसरा में लगता है। एमएमआर वैक्सीन (MMR Vaccine) को मम्प्स के संक्रमण से बचाने के लिए दिया जाता है। इसके अलावा लक्षणों के आधार पर भी डॉक्टर इलाज करते हैं। बुखार को कम करने के लिए इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसे पेनकिलर डॉक्टर दे सकते हैं। 

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चिकनपॉक्स

चिकनपॉक्स को वेरिसेला या चेचक भी कहा जाता है। ये एक वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है। चिकनपॉक्स में पूरे शरीर और चेहरे पर दाने हो जाते हैं। चिकनपॉक्स के लिए वायरस जिम्मेदार होता है। जो सामान्य हर्पिस वायरस होता है, जिसे हम वेरिसेला जोस्टर वायरस भी कहते हैं। हालांकि, चिकनपॉक्स किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। लेकिन ये  ज्यादातर 15 साल से कम आयु के बच्चों में देखा जाता है। वहीं, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है वो इस बीमारी से जल्दी संक्रमित होते हैं। 

चिकनपॉक्स के लक्षण क्या हैं?

चिकनपॉक्स के लक्षण संक्रमण होने के सामान्यतः 7 से 21 दिन भीतर दिखाई देते हैं, जो निम्न होते हैं :

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • हल्की खांसी
  • थकान 
  • भूख न लगना 
  • शरीर पर खुजली वाले लाल दाने निकलना 
  • त्वचा पर रैशेज होना 
  • मुंह, कान और आंखों में छाले होना

चिकनपॉक्स होने का कारण क्या है?

चिकनपॉक्स होने का कारण वेरिसेला-जोस्टर हर्पिस वायरस है। जो खांसने, थूंकने, छींकने से हवा में फैलता है। जिससे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण होता है। 

चिकनपॉक्स का इलाज क्या है?

चिकनपॉक्स से बचाव के लिए 12 से 15 महीने के बच्चों वेरिसेला वैक्सीन लगाई जाती है। जो उन्हें चिकनपॉक्स के संक्रमण से बचाती है। इसके अलावा लक्षणों के आधार पर इलाज को लिए एसिटामिनोफेन जैसे नॉन-एस्पिरिन दवाएं बुखार को कम करने के लिए दी जाती हैं। वहीं, खुजली से राहत के लिए एंटीथिस्टेमाइंस, कैलेमाइन लोशन और ओटमील बाथ दिया जाता है। 

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काली खांसी या व्हुपिंग कफ

काली खांसी (Whooping cough) को पर्टुसिस (Pertussis) भी कहते हैं। इसे हिंदी में कुकुर खांसी भी कहते हैं। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो नाक और गले में हो जाता है। काली खांसी का बैक्टीरियल इंफेक्शन रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में होता है। काली खांसी ज्यादातर बच्चों या कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को होती है। 

काली खांसी के लक्षण क्या हैं?

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) काली खांसी के लक्षण बैक्टीरिया के द्वारा संक्रमण के बाद लगभग 5 से 10 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। काली खांसी के मुख्य लक्षण निम्न हो सकते हैं :

काली खांसी होने का कारण क्या है?

काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया के होने वाला वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) है। ये बैक्टीरिया रेस्पिरेटरी की लाइनिंग को संक्रमित करता है। जैसे ही खांसने, छींकने या बोलने से ये बैक्टीरिया हवा में फैलता है, वैसे ही ये दूसरे व्यक्ति में भी अपना संक्रमण फैला देता है। बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया एयर ट्रैक्ट की लाइनिंग के संपर्क में आता है तो यह तुरंत विकास करना शुरी कर देता है और बलगम को बनाने लगता है। यही बलगम खांसी का कारण बनता है। बोर्डेटेला पर्टुसिस के कारण एयर ट्रैक्ट में सूजन आ जाती है।

काली खांसी का इलाज क्या है?

काली खांसी से ज्यादातर कम उम्र के बच्चे संक्रमित होते हैं। इसलिए बच्चों को DTaP और Tdap वैक्सीन दी जाती है। इसके अलावा काली खांसी के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है। 

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वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) को कैसे रोका जा सकता है?

वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) के रोकने के लिए आपको सबसे पहले संक्रमित व्यक्ति से एक निश्चित दूरी बनाए रखने की जरूरत है। इस दौरान आप खुद के चेहरे को पूरी तरह से आंखों, नाक और मुंह को मास्क, चश्मे आदि से ढक कर रखें। जिससे वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) के पैथोजन्स आपके शरीर के अंदर ना जा सके। इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए आप अपने बच्चों का टीकाकरण सही समय पर कराएं। इसके बाद अगर वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) हो भी जाता है तो पानी और तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। साथ ही साफ-सफाई का भी ध्यान पूरी तरह से रखें। किसी भी समस्या के लक्षण सामने आने के बाद तुरंत डॉक्टर से मिल कर मेडिकल हेल्प जरूर लें। 

इस तरह से आपने जाना कि वायुजनित रोग (एयरबॉर्न डिजीज) क्या है और इसके प्रकार के बारे में सभी पहलुओं की जानकारी आपको मिल गए होंगे। उम्मीद करते हैं कि ये आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस विषय की अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

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Current Version

10/07/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Shikha Patel


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/07/2020

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