रिसर्च रिपोर्ट्स में यह बार-बार साबित किया गया है कि जिन लोगों को मसूड़ों के रोग होते हैं (इसे पीरियोडोंटल रोग भी कहते हैं) उनमें दिल का दौरा (Heart attack), पक्षाघात (Paralysis) या अन्य गंभीर कार्डियोवैस्कुलर रोग (Cardiovascular Disease) की संभावना ज्यादा होती है। ओरल प्रॉब्लम ओरल हाइजीन मेंटेन ना करने की वजह से होती है और ऐसे में मसूड़ों (Gum) में प्लाक जमने लगता है, जो एक तरह का चिपचिपा पदार्थ होता है। आपने मसूड़ों के प्लाक के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आपने धमनियों में भी मौजूद प्लाक के बारे में सुना है? दांतों में मौजूद प्लाक और धमनियों में मौजूद प्लाक का आपस में संबंध क्या है संबंध यानी डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम (Dental problem and Heart problem) का आपस में क्या संबंध ये जानकारी साझा करेंगे।
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साल 2014 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार उन लोगों से बात की गई और जांच की गई, जिन्हें डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम दोनों हो। इस रिसर्च में यह बात सामने आई की जिन लोगों को ओरल प्रॉब्लम थी, लेकिन ओरल हाइजीन (Oral Hygiene) का ध्यान रखकर उन लोगों ने कार्डियोवैस्कुलर ट्रीटमेंट में 10 से 40 प्रतिशत तक कम खर्च करना पड़ा। वहीं अगर कोई व्यक्ति मसूड़ों की बीमारी से पीड़ित है, तो उनमें 20 प्रतिशत तक हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन (American Dental Association) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने मसूडों के रोग और ह्रदय रोग के बीच संबंध होने को स्वीकार किया है, क्योंकि मसूड़ों में जन्में बैड बैक्टीरिया के कारण ही दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
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क्या है डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम में आपस में संबंध?
डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम में तीन प्रकार का संभावित संबंध हो सकता है, जो इस प्रकार हैं-
1. मुंह में मौजूद बैड बैक्टीरिया मसूड़ों को संक्रमित करते हैं और जिंजिवाइटिस (मसूड़ों में सूजन [Gingivitis]) और पेरियोडोंटाइटिस का कारण बनते हैं। इसके साथ ही अन्य शारीरिक अंगों यानी रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) में भी ये बैक्टीरिया पहुंच सकते हैं। मुंह में मौजूद बैक्टीरिया के अवशेषों का मुंह से काफी दूर एथेरोस्क्लेरोटिक रक्त वाहिकाओं में पाए जाने का निष्कर्ष इस आइडिया का समर्थन करता है। लेकिन वहीं, एंटीबायोटिक उपचार कार्डियोवैस्कुलर खतरे को कम करने में प्रभावी साबित नहीं हुआ है।
2. बैड बैक्टीरिया का शरीर में फैलने की वजह से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune power) कम करने लगती है, जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बैड बैक्टीरिया डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम या यूं कहें कि डेंटल प्रॉब्लम से हार्ट की परेशानियों को बढ़ाने का काम करता है।
3. हो सकता है कि मसूड़ों की बीमारी और कार्डियोवैस्कुलर रोगों (डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम ) में कोई संबंध ना हो। इन दोनों के एक साथ घटित होने का कारण यह है कि यहां एक तीसरा कारक है, (जैसे कि धूम्रपान करना) जो दोनों ही स्थिति के लिए खतरे का कारण बन सकती है। अन्य संभावित हैरान करने वाले कारणों में शामिल हैं अनहेल्दी लाइफ स्टाइल और वर्कआउट की कमी। इसलिए डेंटल प्रॉब्लम और हार्ट प्रॉब्लम से बचने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल और नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है।
इन ऊपर बताई गई बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है, तभी तो पीरियोडोंटाइटिस और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से बचा जा सकता है। विश्व की जनसंख्या के 40% से 50% लोगों में ओरल प्रॉब्लम एवं नॉन-कॉनिकेबल डिजीज (एनसीडी) है। वहीं इस बात के सबूत मौजूद हैं कि मुंह में मौजूद बैक्टीरिया खून के प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और रोजमर्रा की गतिविधियों और इसके साथ ही इंटरवेंशन बैक्टीरिया का कारण बन सकते हैं और यह महत्वपूर्ण रूप से उन लोगों में प्रकट होता है, जिन्हें पेरियोडोंटल (Periodontal) बीमारी होती है। दिल की बीमारी से बचने के लिए मुंह से जुड़ी परेशानियों से खुद को बचाएं।
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क्या हैं मसूड़ों की बीमारी के लक्षण?
निम्नलिखित परेशानी मसूड़ों से जुड़ी परेशानियों के ओर इशारा करते हैं। जैसे:
- मसूड़ों का सूजन, लाल होना या अत्यधिक सॉफ्ट होना।
- मसूड़ों से खून आना।
- दांतों और मसूड़ों के बीच पस (मवाद) आना।
- सांसों से बदबू आना।
- मसूड़ों पर भूरे रंग की परत जमना।
- समय से पहले दांतों का टूटना।
- दांतों के बीच की दूरी (गैप) बढ़ना।
- डेंटल अप्लायंस में बदलाव आना।
अगर आप ऊपर बताये लक्षण महसूस कर रहें हैं, तो इन्हें इग्नोर ना करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें। ये छोटी सी परेशानी आपके दिल को बीमार बनाने के लिए काफी है।
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डेंटल प्रॉब्लम से बचने के लिए रोकथाम
मुंह की अच्छी साफ-सफाई बनाए रखने और मसूड़ों और ह्रदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि स्वस्थ जीवनशैली की आदतों को अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल करें। जिन लोगों को ह्रदय संबंधी रोग है, उन्हें पता होगा कि मसूड़ों की बीमारी एक दीर्घकालीन स्थिति है, जो उनके ह्रदय की स्थिति को और बिगाड़ सकती है। इसलिए ओरल केयर करें और दिल को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- रोजाना दांतों को ब्रश करने और फ्लॉसिंग (धागे से दांत साफ करना) जिंजिवाइटिस (Gingivitis) नामक मसूड़ों के रोग की आरंभिक स्थिति को रोका जा सकता है। अगर आपको जिंजिवाइटिस की समस्या है, तो डेंटिस्ट के संपर्क में रहें और उनके द्वारा दी गई सलाहों का पालन करें।
- धूम्रपान और तंबाकू, दोनों का सेवन ना करें।
- पीने के लिए फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करें।
- आहार में का सब्जियां, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ, कम शक्कर वाले फल एवं प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस बनाये रखें।
नोट- ब्रश करने और फ्लॉसिंग करने का सही तरीका समझें।
इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि मसूड़ों का उपचार करने से कार्डियोवास्कुलर बीमारी या इसकी समस्याओं की रोकथाम होगी। इससे जुड़ा कोई सबूत मौजूद नहीं है, लेकिन इसका संबंध इतना गहरा है कि डेंटिस्ट और कई डॉक्टर्स कहते हैं कि मसूड़ों की बीमारी शुरुआत में ही रोकने हेतु सतर्क रहने के लिए यह एक और कारण है।
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