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टूथ एब्सेस (Tooth abscess)
टूथ एब्सेस पस पॉकेट को कहते हैं, जो दांतों में बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से पैदा होता है। दांतों में विभिन्न कारणों से पस जमा हो सकता है। पेरियापिकल टूथ एब्सेस (Periapical abscess) दांतों की जड़ के किनारे मसूड़ों में होता है। जब डेंटल कैविटी का इलाज नहीं कराया जाता है, तो पेरियापिकल टूथ एब्सेस की संभावना बढ़ जाती है। डॉक्टर रूट कैनाल के जरिए दांत को ठीक करने की कोशिश करते हैं। बैक्टीरिया इंफेक्शन को खत्म करने के लिए ये प्रोसेस जरूरी होती है। अगर टूथ एब्सेस का इलाज न कराया जाए, तो ये जिंदगी भर के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
टूथ एब्सेस होने पर दांत, जबड़े, कान और गर्दन में दर्द हो सकता है। ठंडा या फिर गर्म खाने पर दांतों में सेंसिटीविटी की समस्या हो सकती है। ऐसा खाने के दौरान भी महसूस हो सकता है। चेहरे आ गालों में सूजन, मुंह से बदबू आना (Bad smell), खट्टी डकारें आना आदि टूथ एब्सेस ( Tooth abscess) के लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको इन लक्षणों का आभास हो, तो डेंटिस्ट से चेकअप कराना चाहिए। दातों की रोजाना सफाई रखने से आप डेंटल प्रॉब्लम से बच सकते हैं। अगर फिर भी कोई परेशानी हो, तो जांच जरूर कराएं। अगर टूथ एब्सेस की समस्या है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं। ये जैल, ओरल टैबलेट या कैप्सूल के रूप में लिया जाता है। टॉपिकल एंटीबायोटिक जैल सर्जिकल प्रोसेस के बाद लगाने की सलाह दी जाती है।
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इम्पैक्टेड टीथ (impacted teeth)
इम्पैक्टेड टूथ (Impacted teeth) उन दांतों को कहते हैं, जो गम से टूट गए हो। कभी-कभी दांत आंशिक रूप से ही प्रभावित होते हैं। आंशिक रूप से टूटे दांत भी समस्या पैदा कर सकते हैं। एक्स-रे की हेल्प से इम्पैक्टेड टूथ के बारे में आसानी से पता चल जाता है। वैसे तो इम्पैक्टेड टूथ के कारण किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन कुछ केसेज में गम से ब्लीडिंग होना, सांसों से बदबू आना (Bad breath), खाने में स्वाद अच्छा न लगना, मुंह खोलने में दिक्कत लगना (Difficulty opening your mouth) आदि लक्षण दिख सकते हैं। जब मुंह में दांतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है, तो इम्पैक्टेड टूथ की समस्या हो सकती है। इम्पैक्टेड टूथ की समस्या जेनेटिक या फिर ऑर्थोडॉन्टिंक ट्रीटमेंट (Orthodontic treatment) के कारण भी हो सकता है। विसडम टीथ (Wisdom teeth) के इम्पैक्टेड होने के चांसेज अधिक होते हैं।
मैलोक्लूजन टीथ (Malocclusion of the Teeth)
आपने देखा होगा कि कुछ बच्चों या वयस्कों के दांत टेढ़े होते हैं। मैलोक्लूजन टीथ के कारण दाढ़ एक दूसरे में सही से फिट नहीं होती है और साथ ही दांतों से संबंधित समस्याएं भी पैदा होती हैं। ऑर्थोडोन्टिस्ट टेढ़े-मेढ़े दांतों को एक सीध में लाने के लिए ब्रेसेस (Braces) का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। दांतों की रिशेपिंग की मदद से भी दातों को एक सीध में लाने की कोशिश की जाती है। अगर किसी को साधारण मैलोक्लूजन की समस्या है, तो उसे ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। अधिक टेढ़े-मेढ़े दांत मुंह में घाव का कारण बन सकते हैं। जबड़े का आकार ठीक करना आसान नहीं होता है, इसलिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। डॉक्टर एक्स-रे के माध्यम से तय करते हैं कि पेशेंट को कैसा ट्रीटमेंट देना है।
टूथ इंज्युरी (Tooth injuries)