दांतों के स्वास्थ्य के सही परीक्षण के लिए डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) की आवश्यकता पड़ती है। इससे डेंटिस्ट दांतों की उन समस्याओं को आसानी से जान लेता है, जिन्हें वह सामान्य परीक्षण में नहीं देख पाता। डेंटिस्ट कई अलग-अलग प्रकार के डेंटल एक्स-रे का उपयोग करते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वे दांतों के किस भाग का टेस्ट करना चाहते हैं? डेंटल एक्स-रे कई प्रकार के होते हैं। यहां हम आपको पांच मुख्य डेंटल एक्स-रे के बारे में बताएंगे।
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डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) के प्रकार
1. बिट-विंग (Bitewing) डेंटल एक्स-रे:
बिट-विंग एक्स-रे के अंतर्गत मुंह के एक विशेष क्षेत्र के ऊपरी और निचले दांतों का निरीक्षण किया जाता है। इसमें एक दांत के ऊपरी हिस्से से लेकर उसकी सहायक हड्डी के स्तर तक की जांच होती है। यह डेंटल एक्स-रे आमतौर पर दांतों के बीच की कैविटी की जांच करने के लिए उपयोग किया जाता है।
2. पेरिआपिकल डेंटल एक्स-रे (Periapical X-rays):
एक पेरिऑपिकल एक्स-रे बिट-विंग के समान ही दिखता है। इसमें एक साथ दो दांतों की जांच ऊपरी सतह से लेकर जड़ तक की जाती है। दांत के आसपास की जड़ संरचना और हड्डी की संरचना में आई कोई भी गड़बड़ी का पता लगाने के लिए पेरिऑपिकल एक्स-रे का उपयोग किया जाता है।
3. ओक्लूजल डेंटल एक्स-रे (Occlusal X-rays):
ओक्लूजल एक्स-रे बड़े होते हैं। इससे डेंटिस्ट को बच्चों में दांतों का पूरा विकास और प्लेसमेंट देखने में मदद मिलती है। इस तरह के एक्स-रे से ऊपरी या निचले जबड़े के दांतों का पता चलता है।
4. पैनोरामिक एक्स-रे (Panoramic X-rays):
पैनोरामिक एक्स-रे आपके पूरे मुंह के परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है। इससे उभरे हुए दांत, उभरते हुए दांत और प्रभावित दांत की स्थिति को देखने में सहायता मिलती है।
5. एक्स्ट्राओरल एक्स-रे (Extraoral X-rays):
एक्स्ट्राओरल एक्स-रे का उपयोग जबड़े और खोपड़ी के परीक्षण के लिए किया जाता है। ये एक्स-रे इंट्रोरल एक्स-रे की तरह ज्यादा डिटेल प्रदान नहीं करते हैं। इसलिए इनका उपयोग कैविटीज का पता लगाने या दांतों की समस्याओं की पहचान करने के लिए नहीं किया जाता है। एक्स्ट्राओरल एक्स-रे का उपयोग दांतों के विकास और प्रभावित दांत से संबंधित जबड़े की स्थिति के परीक्षण में किया जाता है। इसके साथ ही दांतों और जबड़ों के बीच संभावित समस्याओं की पहचान करने के लिए या चेहरे की अन्य हड्डियों की जांच में किया जाता है।
डेंटल एक्स-रे की जरूरत क्यों पड़ती है?
डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) के द्वारा दांतों की उन जगहों में मौजूद सड़न देखी जा सकती है, जिन्हें हम आंखों से नहीं देख सकते जैसे-दांतों के बीच की सड़न। मसूड़े से संबंधित बीमारी, दांतों में इंफेक्शन, रूट कनाल के दौरान हुई परेशानी, ब्रेसेस, डेंचर या अन्य तमाम दांत से जुड़ी समस्याएं भी डेंटल एक्स-रे के द्वारा जानी जा सकती हैं।
डेंटल एक्स-रे कितनी बार करवाना चाहिए?
डेंटल एक्स-रे यह पूरी तरह से दांतों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को प्रत्येक छह माह में डेंटल एक्स-रे करवाना पड़ता है जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं, जो नियमित डेंटिस्ट के पास जाते हैं, उन्हें कभी डेंटल एक्स-रे (Dental X-Ray) की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
डेंटल एक्स-रे के उपयोग से दांतों की स्थिति का सटीक पता लगाने के लिए किया जाता है। वास्तव में डेंटिस्ट इस बात पर जोर देते हैं कि डेंटल एक्स-रे आवश्यक हो तभी कराना चाहिए। छोटी मोटी समस्याओं को बिना एक्स-रे भी निपटाया जा सकता है।
आपको बता दें कि यदि आप डेंटल केयर ठीक से करेंगे तो शायद डेंटल एक्सरे की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यहां हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं जिससे आपके दांत स्वस्थ रहेंगे। जानते हैं उनके बारे में।
दांतों की देखभाल के लिए अपनाएं ये टिप्स
मीठे और एसिडिक खाने को कहें ना
शक्कर मुंह में जाने के बाद एसिडिक हो जाती है, जिसके कारण दांतों को नुकसान पहुंच सकता है। इन एसिडिक तत्वों के कारण दांतों में कैविटीज की समस्या हो सकती है। दांतों की बेहतरी के लिए एसिडिक फल, चाय और कॉफी का इस्तेमाल कुछ हद तक कम कर दें।
फ्लोराइड टूथपेस्ट से करें दांतों की देखभाल
जब टूथपेस्ट चुनने की बात आती है। हम उसकी सफेदी के गुणों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सा टूथपेस्ट इस्तेमाल करते हैं, बस इस बात को ज़ेहन में रखें कि उसमें फ्लूरोइड की अच्छी मात्रा मौजूद हो। फ्लूरोइड दांतों पर सुरक्षित परत चढ़ा देता है जिससे दांतों को खराब होने से बचाया जा सकता है।
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ब्रश करने का सही तरीका पता होना चाहिए
दांतों की देखभाल कर रहे हैं तो जरा सोचें कि आप किस तरह से ब्रश करते हैं। यह भी दांतों की सेहत के लिए बहुत जरुरी है। दरअसल गलत तरीके से ब्रश करना ब्रश न करने के बराबर है। अच्छी तरह समय निकाल कर, ब्रश नरमी से मुंह में सर्कुलर मोशन में करें, ऐसा करने से आपके दांतों पर जमी गंदगी साफ हो जाएगी। लगभग 2 से 3 मिनट तक ब्रश करने के बाद अच्छी तरह कुल्ली कर लें। आपको चाहिए कि हर 2 से 3 महीने के बीच अपना टूथब्रश बदल कर नया खरीदें।
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माउथवाश का उपयोग करना न भूलें
माउथवाश के फायदे सबको मालूम न होने के कारण इसका इस्तेमाल अक्सर लोग नहीं करते। माउथवाश तीन तरह से काम करता है- यह मुंह से एसिडिक तत्वों को कम करता है, उन जगहों को अंदर-बाहर से साफ करता है जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता और दांतों को मिनरल्स पहुंचाता है। यह दांतों के लिए जरुरी तत्वों का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। अपने डेंटिस्ट से सलाह करके अपने लिए सही माउथवाश चुनें।
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दिन में दो बार ब्रश करें
हम सभी बचपन से सुनते आए हैं कि दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए। तब भी, हम में से कई लोग ऐसे लोग हैं जो रात में ब्रश करने को नजरअंदाज कर देते हैं। रात को ब्रश करके सोने से दांतों पर कीटाणुओं का कब्जा नहीं हो पाता और दांत पीलेपन व सड़न से बच जाते हैं। ये दांतों की देखभाल का पहला टिप्स है।
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साल भर में कम से कम 2 बार डेंटिस्ट से मिलें
आपकी रोजमर्रा की कई आदतें आपकी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। दांतों से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिनके कारण डेंटिस्ट से मिलना जरुरी हो जाता है। कम से कम साल भर में 2 से 3 बार डेंटिस्ट से मिल कर दांतों की सफाई और चेकअप करवाना चाहिए। डेंटिस्ट आपके दांतों से कैविटीज़ और हानिकारक तत्वों की सफाई कर सकता है इसके अलावा दांतों की दूसरी समस्याओं जैसे दांत के दर्द और मसूढ़ों से खून बहना अदि के लिए इलाज के तरीके सुझा सकता है। इन सभी बातों पर अमल करके आप अपने दांतों की देखभाल के साथ मसूढ़ों और मुंह की अंदरूनी सेहत को भी बेहतर बना सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि डेंटल एक्स-रे और हाथों की देखभाल पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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