पिछले कुछ समय से माउथवॉश का क्रेज बढ़ा है। अगर आप भी डेंटल हेल्थ केयर के लिए माउथवॉश का उपयोग करते हैं, तो थोड़ा संभल जाएं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस माउथवॉश को आप दांतों के लिए अच्छा समझ रहे हैं। निर्धारित मात्रा से ज्यादा इस्तेमाल करने से यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।दरअसल, माउथवॉश में मौजूद केमिकल्स स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं। इसका ज्यादा प्रयोग मुंह के कैंसर तक की बीमारी को जन्म दे सकता है।
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माउथवॉश में होता क्या है
आमतौर पर माउथवॉश सेटिल्पायरिडिनियम क्लोराइड, फ्लुओराइड, परॉक्साइड, क्लोहेक्सिडिन, मेंथॉल और अन्य केमिकल्स से बनाया जाता है। माउथवॉश का इस्तेमाल दांतों और मुंह में प्लैक और बैक्टिरिया की झिल्ली को बनने से रोकने के लिए किया जाता है। साथ ही मुंह में पनपने वाले बैक्टिरिया को भी बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा माउथवॉश का ओरल केविटी से बचाने और मुंह में पीएच लेवल को मेंटेन रखने में मदद करता है। शरीर में पीएच लेवल का बैलेंस बने रहना भी बहुत जरूरी होता है। शरीर के सभी अंग ठीक से काम कर पाएं इसके लिए इसके लिए शरीर में अम्ल और क्षार का बैलेंस बनाए रखना जरूरी होता है। इसके अलावा लोगों सालों से माउथवॉश की जगह फिटकरी जैसे पद्धार्थों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फिटकरी में माइक्रोबायल एक्टिविटी को रोकने में सझम होती है। यहीं कारण है कि भारत में सालों से लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
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माउथवॉश का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं
माउथवॉश के इस्तेमाल को लेकर लोगों की राय अलग-्अलग हो सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि माउथवॉश का इस्तेमाल हर दिन नहीं करना चाहिए साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि ब्रशिंग और फ्लॉसिंग का विकल्प माउथवॉश नहीं है।
माउथवॉश सांस की बदबू को करता है कम
माउथवॉश में इस्तेमाल किए गए कैमिकल्स सांस की बदबू को कम करने के साथ-साथ मुंह में पनपे बैक्टिरीया को भी खत्म करता है या निष्क्रिय कर देता है। मुंह की बदबू को खत्म करने के लिए माउथवॉश तभी तक कारगर है जब तक कि ओरल केविटी निंयत्रण में है। मुंह की अन्य बीमारियों में केवल माउथवॉश से ही काम नहीं चलेगा ऐसे में आपको डेंटिस्ट की सलाह की जरूरत होगी।
ब्रश से छुटी जगहों की करता है सफाई
हम लोग ब्रशिंग के जरिए मुंह के कोने-कोने की सफाई करने की कोशिश करते हैं। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी ब्रश मुंह के हर कोने तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में माउथवॉश काम आता है। क्योंकि यह लिक्विड होता है, तो ऐसे में दांतो के बीच में अन्य ऐसी जगहों पर जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता वहां छिपे कीटाणुओं को खत्म करता है और केविटी से बचाता है।
दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है माउथवॉश
माउथवॉश का इस्तेमाल मुंह में पनपने वाले बैक्टिरीया को खत्म करने के लिए किया जाता है। साथ ही माउथवॉश दांतों को कमजोर करने वाले कीटाणुओं को मारते हैं। ब्रशिंग से आप पहले से पैदा हो चुके बैक्टिरीया को खत्म कर सकते हैं। वहीं माउथवॉश के इस्तेमाल से आप बैक्टिरीया को पनपने से ही रोक सकते हैं। साथ ही रेगुलर माउथवॉश का इस्तेमाल करने से आप ओरल केविटी को रोकते हैं और ब्रशिंग के समय जो कमी रह गई होती है उसे पूरा करते हैं।
मसूढ़े को भी मजबूत करता है माउथवॉश
ओरल हाइजीन की बात होने पर सभी दांतों की ही बात करते हैं। ऐसे में हम अक्सर मसूढ़ों को अनदेखा कर देते हैं। ऐसे में कीटाणु यहां हमला कर देते हैं, जिससे मसूढ़ों में कई तरह की दिकक्त का सामना करना पड़ता है। इसमें मसूढ़ों में सूजन से लेकर खून निकलना तक शामिल है। साथ ही यह भी याद रखें कि मजबूत दांतों के लिए स्वस्थ्य मसूढ़े बहुत जरूरी हैं। मसूढ़ों की सफाई के लिए सॉफ्ट ब्रिस्टल्स वाले टूथब्रश से धीरे-धीरे ब्रश करने की जरूरत होती है या फिर आपको कीटाणुओं को सफाया करने के लिए माउथवॉश का सहारा लेने की जरूरत पड़ सकती है।
दांतों को भी चमकाता है माउथवॉश
माउथवॉश में हाइड्रोजन परॉक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। यह दांतों को सफेद रखने में मदद कर सकता है। रोजमर्रा की डायट में शामिल कई फूड आयटम्स जैसे कि चाय, कॉफी या रेड वाइन से भी आपके दांतों की सफेदी फीकी पड़ सकती है। इसके अलावा खाने में इस्तेमाल होने वाले कलर या हल्दी से भी दांतों की चमकान कम हो सकती है। ऐसे में माउथवॉश में मौजूद हाइड्रोजन परॉक्साइड दांतों की सफेदी वापस पाने में आपकी मदद कर सकता है।
माउथवॉश के नेगेटिव असर की बात की जाए, माउथवॉश में सोडियम होता है, जो हाइपरटेंशन के लिए खतरा बन सकता है। कई बार हम गलती से माउथवॉश को निगल भी जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बेहतर यही होगा कि अपने डेंटिस्ट से मिलकर अपनी जरूरत के लिहाज से सही माउथवॉश का चयन करें। उनसे यह भी जान लें कि ब्रशिंग-फ्लॉसिंग के साथ इसका कितनी देर के बाद और दिन में कितनी बार इस्तेमाल करना है।
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माउथवॉश (Mouthwash) में होते हैं केमिकल्स
माउथवॉश में कई तरह के केमिकल्स का प्रयोग किया जाता हैं, जो निगले जाने पर शरीर के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकते हैं। कुल्ला करते समय कभी-कभी ये विषाक्त पदार्थ शरीर के अंदर भी चले जाते हैं। माउथवॉश में प्रयोग किए जाने वाले कुछ केमिकल्स जैसे क्लोर्हेक्सिडाइन ग्लूकोनेट (chlorhexidine gluconate), इथेनॉल (ethyl alcohol) और मिथाइल सैलिसिलेट निगले जाने पर सेहत के लिए काफी जहरीले हो सकते हैं। इथेनॉल और एल्कोहॉल जैसे रसायन ही ओरल कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।
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माउथवॉश (Mouthwash) के हो सकती हैं ये समस्याएं
मुंह को शुष्क बनाता है:
अत्यधिक मात्रा में एल्कोहॉल युक्त माउशवॉश का इस्तेमाल करने से मुंह सूख जाता है, जिससे कैविटी के साथ सांस से बदबू आने की समस्या हो सकती है।
मुंह में जलन हो सकती है:
मुंह में यदि घाव या छाले हों, तो माउथवाश के प्रयोग से जलन महसूस हो सकती है। माउथवॉश में एल्कोहॉल की मात्रा होने की वजह से मुंह के अंदर के टिश्यूज में दर्द हो सकता है इसलिए एल्कोहॉल बेस्ड माउशवॉश का इस्तेमाल ज्यादा न करें।
कैंसर की भी आशंका बढ़ती है:
दिन में कई बार माउथवॉश का उपयोग करना मुंह के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है। इसका इस्तेमाल करने में कोई नुकसान नहीं है, लेकिन जरूरत से ज्यादा यह नुकसान ही पहुंचाता है। यदि कोई समस्या है, तो पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। उनके द्वारा बताएं गए माउथवॉश का ही प्रयोग करें।
कई बार बिना सलाह के ही लोग माउथवॉश का इस्तेमाल करने लगते हैं इससे मुंह और दांतों दोनों को नुकसान पहुंचता है।
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