इसलिए नहीं करनी चाहिए खून के रिश्तों में शादी
देखा गया है कि हिन्दू समाज में ब्लड रिलेशन में शादी न करने की मनाही है लेकिन, मुस्लिम समाज में शादी के बारे में ऐसा कोई नियम नहीं है। इस बारे में अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. ईमॉन शेरीडेन और उनके सहयोगियों द्वारा ब्रैडफोर्ड (यूके का एक छोटा-सा हिस्सा) में किए गए एक शोध में पाया कि वहां लगभग 16 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी पाकिस्तानी मुस्लिमों की बसी हुई है। इस साथ ही लगभग 75 प्रतिशत शादियां चाचा-मामा के बच्चों के साथ हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तानी समुदाय के शिशु में मृत्यु दर और जन्मजात असामान्यताएं में उच्चतर दर की एक अहम वजह ब्लड रिलेशन में शादी करना ही है। स्वास्थ्य के लिहाज से खून के रिश्ते में शादी नहीं करनी चाहिए। इससे कुछ नुकसान हो सकते हैं जैसे-
- ऐसे कपल जिनकी शादी ब्लड रिलेशन में हुई है उनसे जन्मे शिशु में विकलांगता हो सकती है।
- आमतौर पर एक शिशु को सभी गुण दोष उसके पेरेंट्स से ही मिलते हैं। मानें यदि माता और पिता में एक जैसे दोष होंगे, तो शिशु में उसके प्रभाव के गुण बढ़ सकते हैं। इस वजह से शिशु के घुटनों में दर्द रहना, जल्दी एलर्जी होना जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा सकती हैं।
ब्लड रिलेशन (blood relation) में विवाह न करना कई मायनों में अच्छा भी हो सकता है। वैज्ञानिक तथ्यों की मानें तो व्यक्ति को अपनी नस्ल में सुधार के लिए एक नए जीन की आवश्यकता होती है। यदि खून के रिश्ते में ही शादी होगी तो ऐसे दम्पति की संतान में वही पुराने जीन्स ही पाए जाएंगे। लेकिन, अगर यही शिशु दो अलग-अलग जीन के लोगों के जरिए जन्म लेता है, तो उसकी बॉडी में दोनों के ही जीन्स के गुण मौजूद होंगे। इसके साथ ही, शिशु मानसिक और शारीरिक रूप से भी हेल्दी हो सकता है। रिसर्च की मानें तो चचेरे भाई-बहन के बीच शादी जन्मजात समस्याओं के साथ पैदा होने वाले शिशु के जोखिम को दोगुना कर देता है। साथ ही पाकिस्तानी मूल के बच्चों में जन्म दोषों का करीबन एक तिहाई लोगों ने ब्लड रिलेशन में शादी की है।
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