व्यक्ति को एक सेहतमंद जिंदगी जीने के लिए अपने हार्ट हेल्थ का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। दिल एक ऐसा अंग माना जाता है, जो पूरे शरीर के कार्य के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए दिल को स्वस्थ बनाए रखना हमारे लिए जरूरी हो जाता है। कई बार शरीर में हो रही समस्याओं के चलते दिल की स्थिति बिगड़ सकती है और हार्ट हेल्थ से जुड़े कॉम्प्लिकेशन दिखाई दे सकते हैं। आज हम हार्ट से संबंधित एक ऐसी ही समस्या के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका नाम है बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस। बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस एक ऐसी समस्या है, जो दिल से जुड़ी हुई होती है और इसकी वजह से हार्ट हेल्थ (Heart Health) को काफी नुकसान पहुंचता है। कई बार यह समस्या व्यक्ति के लिए जान का जोखिम लेकर भी आती है। यही वजह है कि बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) से जुड़ी जानकारी आपको इस समस्या से बचने में मदद कर सकती है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के बारे में जरूरी बातें।
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कैसे होती है बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या?
पेरिकार्डियम (Pericardium) एक ऐसी पतली मेंब्रेन होती है, जो दिल के आसपास फैली होती है। इस मेंब्रेन की मदद से हार्ट में किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता, ना ही हार्ट जरूरत से ज्यादा फैलता है। कई बार शारीरिक समस्याएं इस मेंब्रेन में सूजन का कारण बनती है। जब पेरिकार्डियम में सूजन की समस्या होती है, तो इस स्थिति को बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) माना जाता है। व्यक्ति में पेरिकार्डाइटिस कुछ खास तरह के इंफेक्शन की वजह से होता है, इसमें वायरस, बैक्टीरिया, फंगल इन्फेक्शन, पैरासिटिक इंफेक्शन, सर्जरी आदि समस्याओं का समावेश होता है। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के बारे में आइए जानते हैं। बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस से ग्रसित होने पर व्यक्ति में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, आइए जानते हैं।
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क्या हैं बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के लक्षण? (Symptoms of Bacterial Pericarditis)
बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस से जुड़े लक्षण की समस्या इसकी सक्रियता पर निर्भर करती है। यदि बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की वजह से आपकी स्थिति काफी बिगड़ गई है, तो इससे जुड़े लक्षण अलग हो सकते हैं। वहीं यदि बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की स्थिति की शुरुआत हुई है, तो इसके लक्षण अलग तरह के होते हैं। बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की स्थिति में आमतौर पर व्यक्ति को छाती में तेज और अचानक उसने वाला दर्द होता है, जिसे प्ल्यूराइटिस (Pleuritis) कहा जाता है। यह दर्द समय के साथ शरीर के बाकी भागों में भी फैलता है, जिसमें कंधे और गर्दन का भी समावेश होता है। इसके अलावा बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं-
- सांस लेने के दौरान दर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- बुखार
- सूखा कफ
- कमजोरी
- अक्सर बीमार महसूस करना
- पसीना आना
- पसलियों में दर्द
- पेट और पैर में सूजन होना
यह सभी लक्षण बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की ओर इशारा करते हैं। जब आपको यह लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपकी समस्या का निदान करके जरूरी दवाएं शुरू कर सकते हैं। साथ ही साथ आपको बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या में कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। इन बातों को जानने से पहले आइए जानते हैं बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या के पीछे क्या कारण हो सकते हैं।
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बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के क्या कारण हो सकते हैं? (Causes of Bacterial Pericarditis)
बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या आम तौर पर बैक्टीरिया की वजह से होती है। जब बैक्टीरिया पेरिकार्डियम में जाकर इंफेक्शन पैदा करते हैं, तब व्यक्ति बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या से ग्रसित हो सकता है। आमतौर पर बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) पैदा करने वाले बैक्टीरिया होते हैं स्टैफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस और न्यूमोकोकस (Staphylococcus, Streptococcus, Pneumococcus)। बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की स्थिति में बैक्टीरिया शरीर के कई भागों से पेरिकार्डियम तक पहुंच सकते हैं, जैसे-
- रक्त के द्वारा
- हार्ट के अन्य हिस्सों के द्वारा
- सर्जरी के दौरान
- कैथेटर के जरिए
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जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन लोगों में बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की स्थिति जल्दी हो सकती है। यह लोग आसानी से इंफेक्शन से नहीं लड़ सकते, यही वजह है कि इन लोगों में हार्ट से जुड़ी समस्याएं आसानी से हो सकती हैं। इसके अलावा बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की स्थिति के साथ-साथ व्यक्ति को यह कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं-
- इम्यून डिफिशिएंसी कंडीशन
- डायबिटीज
- एल्कोहॉल एब्यूज
- वैस्कुलर डिजीज
- यूरिमिया
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आपको बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या को सामान्य बनाए रखना बेहद जरूरी माना जाता है। लेकिन बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या का निदान किस तरह किया जा सकता है, यह जानना भी आपके लिए जरूरी है। आइए जानते हैं बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस के निदान से जुड़ी जरूरी बातें।
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कैसे किया जाता है बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) का निदान?
बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के तरीके अपना सकते हैं। इसमें सबसे पहले व्यक्ति का फिजिकल एग्जामिनेशन होता है, जिसमें बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) के लक्षणों पर ध्यान देकर इसका निदान किया जाता है। स्थेटेसस्कोप की मदद से चेस्ट में पैदा होने वाली आवाजों पर ध्यान दिया जाता है। यदि आपको बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या है, तो एग्जामिनेशन से पेरिकार्डिटिस रब को पहचाना जा सकता है। यह एक तरह की आवाज होती है, जिसमें इन्फेक्टेड पेरिकार्डियम एक दूसरे से टकराते हैं। इसके अलावा डॉक्टर इन समस्याओं की भी जांच कर सकते हैं।
- सेप्सिस
- पेरिकार्डियल इफ्यूजन
- प्ल्यूरल इफ्यूजन
- निमोनिया
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बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या को पहचानने के लिए कुछ टेस्ट भी मौजूद हैं, जिसका इस्तेमाल आपकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर कर सकते हैं। इन टेस्ट्स में –
- चेस्ट का सिटी स्कैन
- चेस्ट की एमआरआई
- चेस्ट का एक्सरे
- इकोकार्डियोग्राम
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
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इसके अलावा बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या की कौन से बैक्टीरिया की वजह से हो रहा है, यह जांचने के लिए भी डॉक्टर कुछ टेस्ट करवा सकते हैं, जिसमें –
- ब्लड कल्चर
- कंप्लीट ब्लड काउंट
- पेरिकार्डियल फ्लूइड
यह सभी टेस्ट बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पहचानने के लिए किया जाता है। बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या का निदान होने के बाद आपको अलग-अलग तरह के ट्रीटमेंट दिए जा सकते हैं। आइए जानते हैं इन ट्रीटमेंट के बारे में।
बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या में क्या हो सकता है ट्रीटमेंट? (Treatment for Bacterial Pericarditis)
बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या होने पर ट्रीटमेंट कई तरह के दिए जा सकते हैं। इन सभी ट्रीटमेंट का काम होता है बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस इंफेक्शन को ठीक करना। इस दौरान आपको बेड रेस्ट की सलाह दी जा सकती है। इसके साथ ही आपको सिर ऊंचा करके सोने की सलाह दी जा सकती है, जिससे हार्ट पर कम दबाव पड़े। इसके लिए कई तरह के ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, जिसमें मेडिकेशन और सर्जरी का समावेश होता है।
मेडिकेशन के तौर पर डॉक्टर आपको यह दवाएं प्रिस्क्राइब कर सकते हैं –
- इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड
- डाइयूरेटिक
- ओवर द काउंटर पेन किलर्स
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इसके अलावा डॉक्टर अलग-अलग तरह की सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। यदि बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या जरूरत से ज्यादा बढ़ गई है, तो आपको सर्जरी के द्वारा इसे ठीक करना पड़ता है। कई लोगों में क्रॉनिक बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या हो जाती है। यह समस्या तब होती है, जब व्यक्ति 6 महीने से ज्यादा बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या से ग्रसित हो और बार-बार यह समस्या पलट कर आ रही हो। ऐसी स्थिति में यदि किसी तरह का ट्रीटमेंट आपके शरीर पर काम ना कर रहा हो, तो डॉक्टर पेरिकार्डियम को शरीर से रिमूव कर सकते हैं। यही वजह है कि बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए गंभीर साबित हो सकती है। यदि समय पर इसका इलाज न कराया जाए, तो यह आपकी जान के लिए भी खतरा बन सकती हैं।
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बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या के बारे में समय पर पता लगाने के लिए आपको इसके लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। यदि आप लंबे समय तक इन लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं, तो बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस (Bacterial Pericarditis) की समस्या क्रॉनिक बन सकती है और यह आपकी जान के जोखिम को बढ़ा सकती है। इसलिए समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान दें और डॉक्टर से संपर्क करना ना भूलें। दिल से जुड़े किसी भी इन्फेक्शन में अपने मर्ज़ी से दवाइयां ना लें, क्योंकि यह दवाइयां आपकी हार्ट हेल्थ के लिए समस्या पैदा कर सकती है। इसलिए पूरी तरह से निदान करने के बाद ही बैक्टीरियल पेरिकार्डिटिस की समस्या से जुड़ी दवाईयां लें और समय-समय पर चेकअप जारी रखें।
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