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कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग बन सकता है डायबिटीज का कारण, ऐसे में इस तरह करें कंडिशन को मैनेज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/12/2021

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग बन सकता है डायबिटीज का कारण, ऐसे में इस तरह करें कंडिशन को मैनेज

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) इन दोनों का संबंध शायद आप नहीं जानते होंगे। कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroid) का सेवन ब्लड ग्लूकोज का लेवल बढ़ा सकता है और अगर इनका उपयोग लंबे समय तक किया जाता है तो यह टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के डेवलप होने का कारण भी बन सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग ओरली, इनहेलर्स के रूप में, इंजेक्शन के जरिए या लोशन या क्रीम्स के रूप में किया जाता है।कॉर्टिकोस्टेरॉइड वे दवाएं होती हैं जिनमें कॉर्टिसोल (Cortisol) का सिंथेटिक वर्जन पाया जाता है। यह एक हॉर्मोन है जिसे एड्रेनल ग्लैंड (Adrenal gland) प्रोड्यूस करती है।

    ध्यान रखें कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स (Anabolic steroids) नहीं है जो कि स्टेरॉइड का एक प्रकार है और जिसका उपयोग बॉडी बिल्डर्स अवैध रूप से मसल्स को बिल्ड करने के लिए करते हैं। चलिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज के कनेक्शन को विस्तार से जान लेते हैं।

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes)

    बता दें कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग इंफ्लामेशन को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। जिसमें रयूमेटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), अस्थमा (Asthma), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis), ल्यूपस (Lupus), एडिसन्स डिजीज (Addison’s disease) जैसी हेल्थ कंडिशन्स शामिल हैं।  इनके साइड इफेक्ट्स में एक ये है कि यह ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा देते हैं, जो कि टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।

    टिपिकली ब्लड ग्लूकोज लेवल्स स्टेरॉइड्स को लेना बंद करने के बाद नॉर्मल रेंज पर आ जाता है, लेकिन कुछ मामलों में खासकर यदि आपके अंदर पहले से डायबिटीज टाइप 2 के रिस्क फैक्टर्स हैं, तो टाइप 2 डायबिटीज डायग्नोस हो सकती है। तीन महीने से ज्यादा समय के लिए स्टेरॉइड्स का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा सकता है। एनसीबीआई में छपी एक स्टडी के कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) के कनेक्शन के बारे में कहती हैं कि यह ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल को डिस्टर्ब करने का कारण बन सकता है, लेकिन अगर सही डायट के साथ इनका उपयोग किया जाए तो इनके फायदे भी हो सकते हैं। इनका उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

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    काेर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes)

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) : इन बातों को जान लें

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) के संबंध के बारे में जानने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप कॉर्टिकोस्टेरॉइड का सेवन कर रहे हैं तो आपका ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है। खासकर इनका उपयोग ओरली करने पर। इसलिए ब्लड ग्लूकोज लेवल को घर पर मॉनिटर करें। अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर ब्लड ग्लूकोज का टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं। अगर ब्लड ग्लूाकोज लेवल हाय है तो आपको डायबिटीज मेडिकेशन को बढ़ाने या चेंज करने की जरूरत महसूस हो सकती है।

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड से डायबिटीज होने का रिस्क कब बढ़ जाता है? (When do corticosteroids increase the risk of developing diabetes?)

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंड्यूस्ड टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क तब बढ़ जाता है जब व्यक्ति लंबे समय से स्टेरॉइड्स का अधिक मात्रा में उपयोग कर रहा हो। टाइप 2 डायबिटीज के दूसरे रिस्क फैक्टर्स में निम्न शामिल हैं।

    • उम्र 45 साल से ज्यादा होना
    • वजन अधिक होना
    • टाइप 2 डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री
    • जेस्टेशनल डायबिटीज की हिस्ट्री

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    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज :  स्टेरॉइड से होने वाली डायबिटीज (Steroid induced diabetes) के लक्षण क्या हैं?

    स्टेरॉइड्स इंड्यूस्ड डायबिटीज के लक्षण (Steroid induced diabetes symptoms) टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज के समान ही हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    कुछ लोग में बिना कोई लक्षण के हाय ब्लड शुगर के लेवल का अनुभव कर सकते हैं। इस कारण से, लोगों को स्टेरॉयड का कोर्स शुरू करने के बाद नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करनी चाहिए।

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) : स्टेरॉइड से होने वाली डायबिटीज का इलाज कैसे करें

    डायबिटीज के अन्य प्रकारों की तरह व्यक्ति को कॉर्टिकोस्टेरॉइड के उपयोग से होने वाली डायबिटीज का इलाज भी लाइफस्टाइल चेंजेस के जरिए करना होगा। जिसमें ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कंट्रोल करना शामिल है। जिसके लिए बैलेंस्ड डायट (Balanced diet) और रेगलुर एक्सरसाइज करना जरूरी है। जब स्टेरॉइड डायबिटीज को ट्रिगर करते हैं, ब्लड शुगर लेवल ट्रीटमेंट शुरू होने के एक से दो दिन में ही हाय हो जाता है। अगर कोई स्टेरॉइड को सुबह लेता है तो ब्लड शुगर लेवल दोपहर या शाम को बढ़ेगा। ऐसे में ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना और ओरल मेडिकेशन या इंसुलिन का उपयोग करना जरूरी हो सकता है।

    और पढ़ें: डायबिटीज और एम्प्यूटेशन: क्या आप जानते हैं डायबिटीज की इस कॉम्लिकेशन के बारे में?

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज : डायबिटीज में स्टेरॉइड (Steroid in diabetes) ले रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

    कुछ स्थितियों में लोगों के लिए स्टेरॉइड का सेवन टालना मुमकिन नहीं होता है। क्योंकि ये दर्द को कम करने में मदद करते हैं। भले ही उनको डायबिटीज क्यों ना हो। डायबिटीज में कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग करने से पहले निम्न फॉलो करना चाहिए।

    डॉक्टर को अपने डायबिटीज डायग्नोसिस के बारे में जरूर बताएं। हो सकता है कि डॉक्टर कोई अलग दवा को प्रिस्क्राइब करें जो ब्लड शुगर लेवल में इंटरफेयर ना करें। अगर ऐसा संभव नहीं होगा तो वे प्रिस्क्राइब किए गए डोज में कुछ बदलाव या एडजस्टमेंट कर सकते हैं ताकि ब्लड शुगर लेवल टार्गेट रेंज में रहे। साथ ही निम्न स्टेप को फॉलो करें।

    • अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य से ज्यादा मॉनिटर करें। एक्सपर्ट दिन में 4 बार ब्लड शुगर लेवल चेक करना रिकमंड करते हैं।
    • ब्लड शुगर लेवल के आधार पर और डॉक्टर की सलाह से इंसुलिन या ओरल मेडिकेशन का डोज बढ़ा दें।
    • यूरिन और ब्लड कीटोन्स को मॉनिटर करें।
    • स्टेरॉइड लेने के बाद अगर अचानक ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत बढ़ गया है, और इंसुलिन लेने या ओरल मेडिकेशन के डोज से शुगर लेवल कम नहीं हो रहा है, तो इस बारे में डॉक्टर को तुरंत बताएं।

    चूंकि एक व्यक्ति धीरे-धीरे स्टेरॉयड के डोज को कम कर देता है, इसलिए उन्हें इंसुलिन या ओरल मेडिकेशन की डोज को भी ओरिजनल डोज पहुंचने तक धीरे-धीरे कम करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि अचानक स्टेरॉयड लेना बंद न करें क्योंकि इससे गंभीर बीमारी हो सकती है।

    कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज: कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साइड इफेक्ट्स (Side effects of corticosteroids)

    ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग कम समय के लिए करने पर निम्न साइड इफेक्ट्स दिखाई दे सकते हैं।

    ओरल स्टेरॉइड के लंबे समय तक उपयोग के साथ, दुष्प्रभाव में शामिल हो सकते हैं:

    • मांसपेशियों में कमजोरी
    • उच्च रक्तचाप (Hypertension)
    • कुशिंग सिंड्रोम
    • ऑस्टियोपरोसिस (Osteoporosis)
    • आंख का रोग
    • मोतियाबिंद (Cataracts)

    नॉन ओरल स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव कम होते हैं। स्टेरॉयड इंजेक्शन से इंजेक्शन साइट पर दर्द और सूजन शामिल हो सकती है। इनहेल्ड स्टेरॉयड जो अस्थमा के लिए उपयोग किए जाते हैं उनसे ओरल थ्रश हो सकता है।

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    उम्मीद करते हैं कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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