ध्यान रखें कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स (Anabolic steroids) नहीं है जो कि स्टेरॉइड का एक प्रकार है और जिसका उपयोग बॉडी बिल्डर्स अवैध रूप से मसल्स को बिल्ड करने के लिए करते हैं। चलिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज के कनेक्शन को विस्तार से जान लेते हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes)
बता दें कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग इंफ्लामेशन को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। जिसमें रयूमेटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), अस्थमा (Asthma), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis), ल्यूपस (Lupus), एडिसन्स डिजीज (Addison’s disease) जैसी हेल्थ कंडिशन्स शामिल हैं। इनके साइड इफेक्ट्स में एक ये है कि यह ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा देते हैं, जो कि टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।
टिपिकली ब्लड ग्लूकोज लेवल्स स्टेरॉइड्स को लेना बंद करने के बाद नॉर्मल रेंज पर आ जाता है, लेकिन कुछ मामलों में खासकर यदि आपके अंदर पहले से डायबिटीज टाइप 2 के रिस्क फैक्टर्स हैं, तो टाइप 2 डायबिटीज डायग्नोस हो सकती है। तीन महीने से ज्यादा समय के लिए स्टेरॉइड्स का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा सकता है। एनसीबीआई में छपी एक स्टडी के कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) के कनेक्शन के बारे में कहती हैं कि यह ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल को डिस्टर्ब करने का कारण बन सकता है, लेकिन अगर सही डायट के साथ इनका उपयोग किया जाए तो इनके फायदे भी हो सकते हैं। इनका उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
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कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) : इन बातों को जान लें
कॉर्टिकोस्टेरॉइड और डायबिटीज (Corticosteroid and Diabetes) के संबंध के बारे में जानने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप कॉर्टिकोस्टेरॉइड का सेवन कर रहे हैं तो आपका ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है। खासकर इनका उपयोग ओरली करने पर। इसलिए ब्लड ग्लूकोज लेवल को घर पर मॉनिटर करें। अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर ब्लड ग्लूकोज का टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं। अगर ब्लड ग्लूाकोज लेवल हाय है तो आपको डायबिटीज मेडिकेशन को बढ़ाने या चेंज करने की जरूरत महसूस हो सकती है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड से डायबिटीज होने का रिस्क कब बढ़ जाता है? (When do corticosteroids increase the risk of developing diabetes?)
कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंड्यूस्ड टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क तब बढ़ जाता है जब व्यक्ति लंबे समय से स्टेरॉइड्स का अधिक मात्रा में उपयोग कर रहा हो। टाइप 2 डायबिटीज के दूसरे रिस्क फैक्टर्स में निम्न शामिल हैं।