भारत के शहरी क्षेत्र में 25 से 30 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 20 प्रतिशत लोग हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या से परेशान हैं। ये आंकड़े नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन द्वारा हाल ही में पब्लिश की गई है। कोलेस्ट्रॉल की समस्या यानी धीरे-धीरे कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) का खतरा बढ़ना। इसलिए आज इस आर्टिकल में कोलेस्ट्रॉल स्तर (Cholesterol Levels) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ शेयर करेंगे, जिससे आप अपने दिल का ख्याल आसानी से रख सकते है।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल स्तर कितना होना चाहिए है?
कोलेस्ट्रॉल स्तर जांच कब करवाना चाहिए?
कोलेस्ट्रॉल लेवल किन कारणों से बिगड़ सकता है?
डॉक्टर से कब संपर्क करना जरूरी है?
चलिए अब कोलेस्ट्रॉल से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार शरीर में कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ने से ब्लड वेसेल्स में इकट्ठा होने लगता है। ऐसी स्थिति में ब्लॉकेज की समस्या शुरू हो सकती है। वहीं इसका ब्लड फ्लो (Blood flow) पर भी निगेटिव प्रभाव पड़ता है। जब बॉडी में हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol) की स्थिति शुरू हो जाती है, तो इसका सबसे पहले नेगेटिव असर हार्ट (Heart) पर पड़ता है और फिर किडनी (Kidney) पर और धीरे-धीरे शरीर के निचले हिस्से (Lower body organ) पर पड़ता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) को बैलेंस में रखा नहीं जा सकता, इसके लिए हेल्दी डायट (Healthy diet) और फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) से इस समस्या से दूर रहा जा सकता है। वहीं कोलेस्ट्रॉल स्तर (Cholesterol Levels) को भी समझना जरूरी है, जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल को बैलेंस रखने में मदद मिल सकती है।
कोलेस्ट्रॉल स्तर (Cholesterol Levels) कितना होना चाहिए?
यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस (U.S. Department of Health and Human Services) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार कोलेस्ट्रॉल स्तर (Cholesterol Levels) निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
19 वर्ष या इससे कम उम्र होने पर कोलेस्ट्रॉल स्तर-
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार हेल्दी लेवल
टोटल कोलेस्ट्रॉल 170mg/dL से कम
नॉन-एचडीएल 120mg/dL से कम
एलडीएल 100mg/dL से कम
एचडीएल 45mg/dL से ज्यादा
पुरुषों की उम्र 20 वर्ष या इससे ज्यादा होने पर कोलेस्ट्रॉल स्तर-
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार हेल्दी लेवल
टोटल कोलेस्ट्रॉल 125 to 200mg/dL
नॉन-एचडीएल 130mg/dL से कम
एलडीएल 100mg/dL से कम
एचडीएल 45mg/dL से ज्यादा
महिला की उम्र 20 वर्ष या इससे ज्यादा होने पर कोलेस्ट्रॉल स्तर-
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार हेल्दी लेवल
टोटल कोलेस्ट्रॉल 125 to 200mg/dL
नॉन-एचडीएल 130mg/dL से कम
एलडीएल 100mg/dL से कम
एचडीएल 50mg/dL से ज्यादा
नोट: ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) कोलेस्ट्रॉल का प्रकार नहीं है, लेकिन यह लिपोप्रोटीन (Lipoprotein) का हिस्सा है, जिससे कोलेस्ट्रॉल स्तर की जानकारी मिलती है। नॉर्मल ट्राइग्लिसराइड लेवल 150 mg/dL से कम होना चाहिए। अगर ट्राइग्लिसराइड लेवल 150 से 199 mg/dL होने का अर्थ है कोलेस्ट्रॉल स्तर बॉर्डर लाइन पर है। वहीं 200 mg/dL से ज्यादा हाय कोलेस्ट्रॉल स्तर (High Cholesterol Levels) की ओर दर्शाता है। कोलेस्ट्रॉल स्तर अगर बढ़ने लगे तो ऐसे में सतर्क रहना जरूरी है और कोलेस्ट्रॉल स्तर की जांच भी करते रहना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol Levels) किन कारणों से बिगड़ सकता है?
कोलेस्ट्रॉल लेवल निम्नलिखित कारणों से बिगड़ सकता है। जैसे:
डायट (Diet)- सैचुरेटेड फैट एवं खाद्य पदार्थों में मौजूद कोलेस्ट्रॉल ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाने में सक्षम होते हैं। इसलिए सैचुरेटेड फैट एवं कोलेस्ट्रॉल रिच फूड का सेवन नहीं करें। ध्यान रखें ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Blood Cholesterol Levels) बैलेंस में रखने के लिए मीट, डेयरी प्रॉडक्ट्स, चॉकलेट, बेक किये हुए खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड फूड या तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
वजन (Weight)-शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ना हार्ट डिजीज (Heart disease) की संभावनाओं को बढ़ाता है। इसके साथ ही इससे ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बढ़ने का खतरा बना रहता है। इसलिए वजन संतुलित रखने से बैड कोलेस्ट्रॉल (Low-density lipoprotein) को कम करने में और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (High-density lipoprotein) को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity)- किसी तरह की शारीरिक श्रम ना करना भी शारीरिक परेशानियों को बढ़ाने का काम करती है। ऐसी स्थिति में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) की संभावना बढ़ जाती है और ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बढ़ने का खतरा बना रहता है। इसलिए रोजाना फिजिकल एक्टिविटी में हिस्सा लेने के साथ-साथ तकरीबन आधे घंटे के लिए एक्सरसाइज, योगासन या टहलने को अपने दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
स्मोकिंग (Smoking)- स्मोकिंग करने से ब्लड में अच्छे कोलेस्ट्रॉल स्तर कम होने लगते हैं और हाय-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High-density lipoprotein) को आर्टरीज से हटाने का काम करते हैं, जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने लगता है। इसलिए स्मोकिंग की लत को दूर करें।
उम्र एवं सेक्स (Age and Sex)- महिला हों या पुरुष उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल स्तर भी बढ़ने लगता है। महिलाओं में मेनोपॉज के पड़ाव में पहुंचते-पहुंचते टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल पुरुषों की तुलना में ज्यादा बढ़ने की संभावना बनी रहती है। वहीं मेनोपॉज (Menopause) के बाद बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा भी बना रहता है।
हेरिडिटरी (Heredity)- परिवार में हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर भी कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी परेशानियों का खतरा बना रहता है।
इन्हीं अलग-अलग कारणों की वजह से कोलेस्ट्रॉल लेवल में बदलाव देखे जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि इस बीमारी से बचा नहीं जा सकता है।
अगर आप हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन जल्द से जल्द करें। ध्यान रखें कि कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की समस्या होने पर लापरवाही ना बरतें। आपकी छोटी सी लापरवाही आपको गंभीर बीमारियों का शिकार भी बना सकती हैं। इसलिए अगर आपको हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्टेशन करें, वॉक (Walk) करें, योग (Yoga) करें और पौष्टिक आहार (Healthy diet)शामिल करें। एक्सरसाइज एवं डायट के बारे में समझने के लिय डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूर करें। अगर आप कोलेस्ट्रॉल स्तर या हार्ट डिजीज (Cholesterol and Heart Disease) से जुड़े किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
स्वस्थ्य रहने के लिए हेल्दी फूड का सेवन जरूरी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं हेल्दी खाने के लिए टाइम टेबल मैनेज करना भी बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिय इस वीडियो पर क्लिक करें और एक्सपर्ट से जानिए कब और क्या खाएं।
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