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हायपरलिपोप्रोटीनेमिया : हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल की इस कंडिशन के बारे में क्या यह सब जानते हैं आप?

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया : हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल की इस कंडिशन के बारे में क्या यह सब जानते हैं आप?

    हाय कोलेस्ट्रॉल आजकल के मॉडर्न युग की कॉमन समस्या है। कोलेस्ट्रॉल एक मोम के जैसा फैट या लिपिड होता है, जो हमारे ब्लड में पूरे शरीर में घूमता रहता है। जब बात की जाए लिपिड की, तो यह वो सब्सटांस है जो पानी में नहीं घुलता। वैसे तो हमारा शरीर कोलेस्ट्रॉल बनाता है, लेकिन इसे हम अपने आहार से भी प्राप्त कर सकते हैं। शरीर में हाय कोलेस्ट्रॉल होना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हाय कोलेस्ट्रॉल को हायपरलिपिडेमिया (Hyperlipidemia) या हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) भी कहा जाता है। जानिए हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के बारे में विस्तार से।

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया क्या है?(Hyperlipoproteinemia)

    जैसा की पहले ही कहा गया है कि हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) को हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol) या हायपरलिपिडेमिया (Hyperlipidemia) भी कहा जाता है। यह समस्या बेहद सामान्य है। यह टर्म कई विकारों को कवर करती है और इनके परिणामस्वरूप रोगी के खून में अतिरिक्त वसा जमा हो सकती है, जिसे लिपिड कहा जाता है। इसके कुछ कारणों को नियंत्रित किया जा सकता है; लेकिन सभी को कंट्रोल करना आसान नहीं है। इस समस्या का उपचार भी संभव है, लेकिन यह एक लॉन्ग टर्म समस्या है। इसके लिए आपको अपने खानपान का ध्यान रखना होगा और साथ में अपनी जीवनशैली में हेल्दी परिवर्तन भी करने होंगे।

    इसके साथ ही, यह समस्या होने पर रोगी के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार मेडिकेशन्स लेना भी जरूरी है। इसके उपचार का उद्देश्य हार्मफुल कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करना है। ऐसा करने से हार्ट डिजीज (Heart Disease), हार्ट अटैक (Heart Attack), स्ट्रोक (Stroke) और अन्य समस्याओं का जोखिम कम हो सकता है। हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के कारणों के बारे में जानें।

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    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया के कारण क्या हैं? (Causes of Hyperlipoproteinemia)

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) एक प्रायमरी या सेकेंडरी स्थिति हो सकती है। प्रायमरी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Primary Hyperlipoproteinemia) आमतौर पर एक जेनेटिक समस्या है। यह लिपोप्रोटीन में डिफेक्ट या म्युटेशन का परिणाम है। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप आपके शरीर में लिपिड जमा होने में समस्या होती है। सेकेंडरी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Secondary Hyperlipoproteinemia) अन्य हेल्थ कंडिशंस के परिणामस्वरूप होती है। जिसके कारण शरीर में लिपिड्स का लेवल बढ़ जाता है। यह हेल्थ कंडिशंस इस तरह से हैं:

    इसके साथ ही इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

    1.चीज (Cheese)

    2. एग योल्क (Egg yolks)

    3. तला हुआ और प्रोसेस्ड फूड्स (Fried and processed foods)

    4. आइस क्रीम (Ice cream)

    5. पेस्ट्रीज (Pastries)

    6. रेड मीट (Red meat)

    रोजाना पर्याप्त व्यायाम नहीं करने से भी अतिरिक्त वजन बढ़ सकता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) में बढ़ोतरी हो सकती है। उम्र के बढ़ने के साथ भी कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है। हायपरलिपिडेमिया (Hyperlipidemia) का एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है। यानी, आपके परिवार में किसी को यह समस्या है तो यह समस्या आपको होने की संभावना अधिक हो जाती है। अब जानिए, प्रायमरी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Primary Hyperlipoproteinemia) के प्रकारों के बारे में।

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    प्रायमरी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया के प्रकार (Types of primary hyperlipoproteinemia)

    प्रायमरी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के पांच प्रकार हैं, जो इस तरह हैं:

    • टाइप 1 (Type 1) : यह एक इनहेरिटेड कंडीशन है। यह स्थिति रोगी के शरीर में वसा के नार्मल ब्रेकडाउन का कारण बनती है। जिसके परिणामस्वरूप खून में बड़ी मात्रा में वसा का निर्माण होता है।
    • टाइप 2 (Type 2): यह समस्या फैमिलीज में चलती है। यह सर्कुलटिंग कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का परिणाम है। इन्हें “बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol)” माना जाता है।
    • टाइप 3 (Type 3): यह एक इनहेरिटेड डिसऑर्डर है जिसमें इंटरमीडिएट- डेंसिटी लिपोप्रोटींस (Intermediate-density lipoproteins) रोगी के खून में जमा हो जाते हैं। इस डिसऑर्डर के परिणामस्वरूप कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) दोनों के हाय प्लाज्मा लेवल होते हैं।
    • टाइप 4 (Type 4): यह एक डोमिनेंटली इनहेरिटेड डिसऑर्डर (Dominantly inherited disorder) है।
    • टाइप 5 (Type 5): यह समस्या भी फैमिली में चलती है। इसमें अकेले या वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (Very low density lipoprotein) के साथ लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (low-density lipoprotein) का हाय लेवल शामिल है। अब जानिए क्या हैं हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के लक्षण?

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    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Hyperlipoproteinemia)

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) का मुख्य लक्षण है, लिपिड डिपोसिट (Lipid Depisit) DEPOSIT । लिपिड डिपॉजिट्स की लोकेशन से इसके प्रकार के बारे में पता चल सकता है। इस रोग से पीड़ित अधिकतर लोग इसका कोई भी लक्षण अनुभव नहीं करते हैं। उन्हें इसके बारे में तब पता चलता है, जब उनमें कोई हार्ट डिजीज विकसित होती है। हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    • अग्नाशयशोथ (Pancreatitis)
    • पेट में दर्द (Abdominal pain)
    • लिवर या स्प्लीन का एंलार्ज होना (Enlarged liver or spleen)
    • लिपिड डिपॉजिट्स (Lipid deposits)
    • हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री होना (Family history of heart disease)
    • डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री (Family history of diabetes)
    • हार्ट अटैक (Heart attack)
    • स्ट्रोक (Stroke)

    अब जानिए किस तरह से संभव है इस समस्या का निदान?

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    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया का निदान (Diagnosis of Hyperlipoproteinemia)

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के निदान के लिए नियमित रूप से लिपिड लेवल्स (Lipid Levels) की जांच आवश्यक है। यह एक ब्लड टेस्ट है, जिसे लिपोप्रोटीन पेनल (lipoprotein panel) कहा जाता है। इस टेस्ट के परिणाम से इन चीज़ों के लेवल का पता चलता है:

    • लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (Low-density lipoprotein cholesterol): लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) कहा जाता है। जो रोगी की आर्टरीज के अंदर बिल्ड-अप होता है।
    • हाय-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (High-density lipoprotein cholesterol): हाय-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholestrol) कहा जाता है। जो हार्ट डिजीज के जोखिम को लो करता है।
    • ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides): यह ब्लड में अन्य प्रकार का फैट होता है।
    • कुल कोलेस्ट्रॉल (Total cholesterol)

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार बीस साल से अधिक उम्र के वयस्कों को हर चार से छे सालों में कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए। रोगी में सामान्य कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए, इसके बारे में निर्धारित करने के लिए डॉक्टर कई चीजों को ध्यान में रखते हैं जैसे रोगी की उम्र, स्मोकिंग की आदत, हार्ट प्रॉब्लम की फैमिली हिस्ट्री होना आदि।

    • 19 साल और उससे कम उम्र के लोगों में कुल कोलेस्ट्रॉल 170 mg/dL से कम होता है।
    • 20 साल और उससे अधिक उम्र के पुरुषों में कुल कोलेस्ट्रॉल 125 mg/dL से 200 mg/dL तक होता है।
    • 20 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में कुल कोलेस्ट्रॉल 125 mg/dL से 200 mg/dL तक होता है।

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के निदान के लिए ब्लड टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। इसके साथ ही अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट भी रोगी में थायरॉइड फंक्शन, ग्लूकोज, यूरिन में प्रोटीन, लिवर फंक्शन और यूरिक एसिड की जांच करने में मदद कर सकते हैं। अब जानिए किस तरह से हो सकता है इसका उपचार?

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    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया का उपचार (Treatment of Hyperlipoproteinemia)

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी में इस समस्या का कौन सा प्रकार है। जब यह स्थिति हायपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism), डायबिटीज (Diabetes), या अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) का परिणाम हो, तो उपचार के समय अंडरलायिंग कंडिशंस को ध्यान में रखा जाएगा। इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर रोगी को कुछ दवाईयों और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं।

    लाइफस्टाइल में परिवर्तन (Change in Lifestyle)

    लाइफस्टाइल में बदलाव से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होने में मदद मिलती है। इसलिए रोगी के लिए सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव के लिए कहा जाता है। यह परिवर्तन इस प्रकार हैं:

    सही आहार का सेवन (Eat Healthy food): अगर आप हायपरलिपिडेमिया (Hyperlipidemia) या हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) से पीड़ित हैं, तो आपके आहार का सही होना बेहद जरूरी है। इसके लिए लो ट्रांस फैट्स (Low Trans fats) और लो सैचुरेटेड फैट्स (Low Saturated fats) युक्त आहार का सेवन करें। आपने आहार में फाइबर युक्त फूड्स को अधिक शामिल करें जैसे ओट्स, सेब, केले, सोयाबीन, दालें, फल और सब्जियां आदि। सप्ताह में दो बार मछली का सेवन करें। इसके साथ ही अधिक मीठी और प्रोसेस्ड चीजों को खाने से बचें। अधिक मसालेदार और तले-भुने आहार का सेवन करने से भी परहेज करें।

    एल्कोहॉल से बचें (Avoid Alcohol): अगर आप हार्ट डिजीज से बचना चाहते हैं, तो कम से कम एल्कोहॉल का सेवन करें। एल्कोहॉल का सेवन हार्ट डिजीज (Heart Disease) के लिए हानिकारक माना जाता है।

    व्यायाम करें (Exercise): व्यायाम करने से न केवल आप हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) बल्कि कई अन्य हार्ट डिजीज से भी बच सकते हैं। इसलिए दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें। इसके साथ ही अपने वजन को सही रखना भी जरूरी है और रोजाना सात से आठ घंटों की नींद लेना भी आवश्यक है।

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    दवाईयां (Medications)

    हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) से पीड़ित कुछ लोगों को डायट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल में अधिक फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में, रोगी को डॉक्टर अन्य दवाईयों की सलाह दे सकते हैं, जैसे:

    • जो दवाईयां आपके लिवर को कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकती हैं उन्हें स्टेटिंस (Statins) कहा जाता है। खून में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए यह सबसे लोकप्रिय दवाईयां हैं।
    • नयी ड्रग्स जो कोलेस्ट्रॉल को ब्लॉक करती हैं, उन्हें कोलेस्ट्रॉल एब्जोर्प्शन इन्हिबिटर्स (Cholesterol absorption inhibitors) कहा जाता है। इन्हें स्टेटिंस के साथ कम्बाइन करके भी दिया जा सकता है। इस ड्रग का उदाहरण है एजेटीमाइब (Ezetimibe)।
    • निकोटिनिक एसिड (Nicotinic Acid) भी जिस तरह से लिवर फैट्स बनाता है, उस तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। इससे LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) लो होता है और HDL कोलेस्ट्रॉल (HDL cholesterol) बढ़ता है।
    • फायब्रेट्स (Fibrates) अन्य तरह की ड्रग है, जो लिवर पर काम करती है। यह दवाईयां ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) को लो करती है और HDL कोलेस्ट्रॉल (HDL cholesterol) को बढ़ाती हैं। लेकिन, इन दवाईयों को LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) को लो करने के लिए सही नहीं माना जाता है।
    • रेजिन्स (Resins) अन्य तरह की दवाईयां हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखने में मदद करती हैं।

    अगर आपको डॉक्टर ने कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने के लिए दवाईयों की सलाह दी है, तो नियमित रूप से इनका सेवन करना और कोलेस्ट्रॉल लेवल को जांचना जरूरी है।

    Quiz : क्यों बढ़ती जा रही है कोलेस्ट्रॉल की समस्या?

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    यह तो थी हायपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के बारे में पूरी जानकारी। यह एक सामान्य समस्या है, लेकिन गंभीर साबित हो सकती है। इसके उपचार के लिए इसका निदान जरूरी है और निदान के लिए नियमित कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच भी आवश्यक है। अगर आपके दिमाग में इस समस्या से संबंधित कोई भी सवाल या चिंता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

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