हमारे हार्ट यानी दिल का सही तरीके से काम करना बेहद जरूरी है, ताकि पूरे शरीर में ब्लड पंप करने में आसानी हो। लेकिन, कुछ हार्ट डिजीज जान के लिए जोखिम भरी हो सकती हैं जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack) और स्ट्रोक (Stroke) आदि। दिल संबंधी कई समस्याओं के उपचार में दवाईयां, सर्जरी, जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल है। इनके लिए कुछ डिवाइसेस का भी प्रयोग किया जाता है। इन्हीं डिवाइसेस में शामिल हैं वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices)। आइए जानते हैं वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) के बारे में विस्तार से।
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस क्या है? (Ventricular assist devices)
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) या VADs को मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट डिवाइस (Mechanical circulatory support) भी कहा जाता है। यह एक इम्प्लांटेबल मैकेनिकल पंप (Implantable mechanical pump) है, जो हार्ट के लोअर चैम्बर से शरीर के अन्य हिस्सों तक ब्लड पंप करने में मदद करता है। इन डिवाइसेस का प्रयोग उन लोगों में किया जाता है, जिनका हार्ट कमजोर होता या जिन्हें हार्ट फेलियर की समस्या होती है। इस डिवाइस को हार्ट के लेफ्ट, राइट या दोनों वेंट्रिकल्स में प्लेस किया जाता है। जब इसे लेफ्ट वेंट्रिकल में लगाया जाता है तो इसे लेफ्ट वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइस (Left ventricular assist device) कहा जाता है।
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) को इम्प्लांट करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery) की आवश्यकता होती है और इसके कई गंभीर जोखिम भी हो सकते हैं। लेकिन, अगर आपको गंभीर हार्ट फेलियर (Heart Failure) की समस्या है, तो यह डिवाइस आपके लिए लाइफसेविंग हो सकते हैं। जानिए, वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) के पार्ट्स कौन से हैं?
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वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस के पार्ट्स के बारे में जानें (Parts of Ventricular assist devices)
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) या VADs के बारे में अन्य जानकारी से पहले इसके पार्ट्स के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इस डिवाइस के तीन पार्ट होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- पंप (Pump): इस डिवाइस में एक पंप लगा होता है, जिसका वजन आधा किलोग्राम से लेकर एक किलोग्राम तक हो सकता है। इस पंप को पेट के अंदर या बाहर लगाया जा सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर (Electronic controller): यह कंट्रोलर एक छोटे कंप्यूटर की तरह होता है, जो पंप के काम को कंट्रोल करता है।
- बैटरीज या अन्य पावर सोर्स (Batteries or another power source): यह बैटरीज पंप से कनेक्टेड होती है। जिससे पंप को काम करने में मदद मिलती है।
अगर किसी रोगी में इस डिवाइस को प्लेस किया जाता है, तो उसे जनरल एनेस्थीसिया (General Anaesthesia) दिया जाता है। जिससे उसे नींद आती है और प्रोसीजर के दौरान दर्द नहीं होता। जानिए, किन स्थितियों में डॉक्टर रोगी को इन डिवाइसेस की सलाह देते हैं?
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वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस का इस्तेमाल कब किया जाता है?
जैसा की आप जानते ही हैं कि वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) या VADs, एक मैकेनिकल डिवाइस हैं जो लोअर लेफ्ट हार्ट चैम्बर (Lower Left Heart Chamber), लोअर राइट हार्ट चैम्बर (Lower Right Heart Chamber) और दोनों लोअर लेफ्ट हार्ट चैम्बर्स को सपोर्ट देते हैं। किन्हीं खास कंडिशंस में इस डिवाइस के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। यह खास स्थितियां इस प्रकार हैं:
अगर आपका हार्ट ट्रांसप्लांट होने वाला है
अगर किसी व्यक्ति का हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) होना हो, लेकिन डोनर हार्ट न मिल पाने की वजह से ऐसा संभव न हो पा रहा हो। तो जब तक डोनर हार्ट नहीं मिल जाता, तब तक अस्थायी रूप से इस डिवाइस को इंसर्ट किया जा सकता है। जब रोगी को नया हार्ट मिल जाता है, तो इस डिवाइस को रिमूव कर दिया जाता है वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) के अस्थायी प्रयोग को ब्रिज थेरेपी (Bridge Therapy) कहा जाता है।
अगर रोगी हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक अच्छे कैंडिडेट नहीं हैं
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) एक लॉन्ग टर्म सोलुशन है, जो हार्ट को उस दौरान सही से काम करने में मदद करते हैं, जब दवाईयां प्रभावी नहीं होती है। लेकिन,अगर आप हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एलिजिबल नहीं हैं। तो इस मामले में, वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) को स्थायी रूप से इम्प्लांटेड किया जाएगा। इस उपचार को डेस्टिनेशन थेरेपी (Destination Therapy ) के रूप में जाना जाता है। यह रोगी के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।
अगर आपका हार्ट फिर से सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दे
अगर आप किसी हार्ट सर्जरी, हार्ट अटैक (Heart Attack) या अन्य बीमारी से रिकवर हो रहे हैं, जिसके कारण हार्ट अस्थायी रूप से कमजोर होता है, तो वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) आपके हार्ट को रेस्ट करने में तब तक मदद कर सकते हैं। जब तक यह खुद से ब्लड पंप करने में सक्षम नहीं हो जाता। इस स्थिति में आपको कुछ हफ़्तों या महीनों तक इस डिवाइस की आवश्यकता हो सकती है। एक बार जब आप बेहतर महसूस करना शुरू कर देंगे, तब इस डिवाइस को रिमूव कर दिया जाता है।
यह तो थी जानकारी उन स्थितियों के बारे में, जिनमें वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) का प्रयोग किया जाता है। लेकिन, इनका प्रयोग करना जोखिम भरा भी हो सकता है। इसका प्रयोग करने के बाद आप हार्ट में या सर्जरी वाले हिस्से में ब्लीडिंग या इंफेक्शन और स्ट्रोक का जोखिम आदि का अनुभव कर सकते हैं। अब जान लेते हैं कि इस डिवाइस को कैसे इम्प्लांट किया जाता है? लेकिन, इससे पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, यह भी जानिए।
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वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस के इम्प्लांटेशन से पहले की तैयारी
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) इम्प्लांटेशन के लिए सर्जरी से पहले डॉक्टर रोगी को इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे। इस सर्जरी से पहले भी रोगी को कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना होगा। इस डिवाइस की इम्प्लांटेशन रोगी के लिए सही है या नहीं? यह निर्धारित करने के लिए डॉक्टर कई फैक्टर्स को ध्यान में रखते हैं, जैसे
- रोगी में हार्ट फेलियर की गंभीरता
- रोगी में अन्य गंभीर मेडिकेशन कंडीशंस, जो उसके स्वास्थ्य या उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं
- डॉक्टर इस बात को भी सुनिश्चित करेंगे कि रोगी को लेफ्ट वेंट्रिकल (Left Ventricle), राइट वेंट्रिकल (Right Ventricle) या दोनों को सपोर्ट की जरूरत है?
- यह बात भी जानी जाएगी कि रोगी लंबे समय तक ब्लड थिनिंग मेडिकेशन (Blood Thinning Medications) को लेने में सक्षम है या नहीं?
- इसके साथ ही डॉक्टर यह भी जानेंगे कि क्या रोगी इसके लिए मेंटली और इमोशनली रूप से तैयार हैं? अब जानिए कैसे की जाती है यह सर्जरी?
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इन डिवाइसेस को कैसे इम्प्लांट किया जाता है? (Implantation of Ventricular assist devices)
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) या VADs को इम्प्लांट करने से पहले रोगी को कई टेस्ट्स से गुजरना होगा। जिससे हार्ट फंक्शन के बारे में पता चल सके। इन टेस्ट्स में एक्स रे (Chest x-ray), इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram), ब्लड टेस्ट (Blood tests) या कार्डिएक कैथेटेराइजेशन (Cardiac catheterization)आदि शामिल हैं। इस डिवाइस को इंस्टॉल करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery) को किया जाता है। जिसमें जनरल एनेस्थीसिया (General anesthesia) का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद रोगी को कुछ भी महसूस नहीं होगा और प्रोसीजर के दौरान वो सोये रहते हैं।
इस सर्जरी में चार से छे घंटे लगते हैं। सर्जरी से डिवाइस को इंस्टॉल कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद रोगी को इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में शिफ्ट कर दिया जाता है। जब तक रोगी को होश नहीं आ जाता और वो खुद से सांस लेने में सक्षम नहीं हो जाता, तब तक रोगी के लिए रेस्पिरेटर या ब्रीदिंग मशीन (Breathing Machine) का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर रोगी और रोगी के केयरगिवर को इस डिवाइस के बारे में पूरी जानकारी देंगे। ताकि, आप इस डिवाइस का अच्छे से प्रयोग कर सकें। डॉक्टर आपको यह भी सिखाएंगे कि एमरजेंसी की स्थिति में आपको क्या करना है। अब जानिए इस डिवाइस से जुड़े जोखिमों के बारे में।
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वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस की रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of Ventricular assist devices)
हर सर्जरी से कोई न कोई रिस्क जुड़ा होता है। इस डिवाइस को इंसर्ट करने से पहके आपके लिए डॉक्टर से इस बारे में जानना बेहद जरूरी है। ऐसा हो सकता है कि इस डिवाइस को लगाने के बाद रोगी कुछ समस्याओं का अनुभव महसूस करें। हालांकि, ऐसा होना जरूरी नहीं है। लेकिन, इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- इंफेक्शन (Infection)
- ब्लड क्लॉट्स और स्ट्रोक (Blood clots and stroke)
- ब्लीडिंग (Bleeding)
- राइट हार्ट फेलियर (Right heart failure)
- किडनी इंजरी (Kidney injury)
- वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस मॉलफंक्शन (VAD malfunction)
इन रिस्क्स को कम करने के लिए कुछ खास सावधानियों को बतरना जरूरी है। इस प्रोसीजर से पहले ही आप अपने डॉक्टर से यह जान लें कि वो आपको इस प्रोसीजर की सलाह क्यों दे रहे हैं और इससे जुड़े रिस्क्स क्या हैं? यही नहीं इस प्रोसीजर के बाद आपको नियमित रूप से फॉलोअप के लिए डॉक्टर के पास जाना होगा। शुरुआत में आपको कुछ हफ़्तों तक हर सप्ताह डॉक्टर की अपॉइंटमेंट की जरूरत होगी। यह इसलिए भी जरूरी हैं ताकि आप यह सुनिश्चत कर पाएं कि यह डिवाइस सही से काम कर रहा है या नहीं। जानिए, कैसे हो सकती है इस सर्जरी के बाद रोगी की रिकवरी?
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रिकवरी
वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) को इंसर्ट करने में बाद जब रोगी को डिस्चार्ज किया जाता है तो उसे खास देखभाल की जरूरत होती है। जैसे रोगी को रोजाना इस चीज की जांच करनी होगी कि यह डिवाइस सही से काम कर रहा है या नहीं? हालांकि इस जांच के लिए केवल कुछ ही सेकंड लगते हैं। सेल्फ टेस्ट के लिए रोगी को केवल एक बटन को ही प्रेस करना है। इसके साथ ही रोगी के केयरगिवर को रोगी की ड्रेसिंग करने भी करने की जरूरत होती है, जिसमें पंद्रह से बीस मिनट लगते हैं। इस डिवाइस के प्रकार के अनुसार रोगी को ब्लड थिनर मेडिकेशन (Blood thinner Medications) की जरूरत भी हो सकती है।
इस सर्जरी के बाद रोगी को नहाने की सलाह नहीं दी जाती है। लेकिन, जब इस डिवाइस की साइट ठीक हो जाती है, उसके बाद वो शावर ले सकते हैं। अगर आपको इस सर्जरी के बाद कोई भी समस्या होती है, तो आपको तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) के इम्प्लांटेशन के कुछ दिनों के बाद रोगी को डॉक्टर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। लेकिन, रोगी को कितनी जल्दी डिस्चार्ज करना है, यह बात उसकी रिकवरी रेट और मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करती है। रोगी को घर पर हर चीज का खास तरह से ध्यान रखना चाहिए। जल्दी रिकवर होने के लिए उन्हें अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव भी करने चाहिए। यह बदलाव इस प्रकार हैं:
- तंबाकू का सेवन करने से बचें। इसके लिए डॉक्टर भी आपकी मदद कर सकते हैं।
- हेल्दी डायट लें। इसके बारे में भी आप अपने डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह ले सकते हैं ।
- अगर आप एल्कोहॉल का सेवन करते हैं तो उसे पूरी तरह से बंद कर दें ।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- अपने वजन को सही रखें और पर्याप्त नींद लें।
- तनाव से बचें।
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अगर आपको अपने जीवनशैली में बलदाव करने में कोई भी समस्या हो रही है, तो मदद के लिए अपने डॉक्टर से बात की जा सकती है। यह तो थी वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) या VADs के बारे में जानकारी। वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) वो डिवाइस है, जो हार्ट को ऑक्सिजनेटेड ब्लड को प्रभावी रूप से पंप करने में मदद करते हैं। इन डिवाइसेस को इम्प्लांट करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत होती है। कई कंडिशंस में डॉक्टर इस डिवाइस को इम्प्लीमेंट करने की सलाह देते हैं।
हालांकि, वेंट्रिक्युलर असिस्ट डिवाइसेस (Ventricular assist devices) के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े हुए हैं, जो जानलेवा भी हो सकते हैं। इसलिए, जो भी व्यक्ति इस डिवाइस को इम्प्लीमेंट कर रहा हो, उसके लिए डॉक्टर की इंस्ट्रक्शंस का पूरी तरह से पालन करना जरूरी है। इस सर्जरी से घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि, सर्जरी से रिकवर करने के बाद रोगी अपनी सामान्य रोजाना की एक्टिविटीज को करने में सक्षम होता है जैसे ट्रेवलिंग और व्यायाम आदि। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की राय अवश्य लें। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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