हार्ट यानी कि दिल हमारे शरीर का अहम हिस्सा होता है। सभी व्यक्तियों के दिल की धड़कन एक जैसी नहीं होती है यानी कि कुछ व्यक्तियों का दिल थोड़ा तेज धड़कता है, वहीं कुछ व्यक्तियों का दिल थोड़ा धीमे धड़कता है। वयस्कों के लिए हार्ट रेट 60 से 100 बिट्स पर मिनिट होती है। लेकिन अगर आपको ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) की समस्या है, तो यह हार्टबीट 60 बीपीएम से धीमी गति से धड़कता है। इस कारण से मस्तिष्क के साथ ही शरीर के अन्य भागों में ब्लड का सर्कुलेशन कम हो जाता है। इस कारण से व्यक्ति को बेहोशी के साथ ही विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं। ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के कुछ प्रकार भी हो सकते हैं और यह विभिन्न कारणों से हो सकता है। इसे मंदनाड़ी भी कहा जाता है। इस समस्या के लक्षण हल्के से लेकर इमरजेंसी तक पहुंच सकते हैं। एक बार इस समस्या का निदान हो जाने के बाद इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के साथ ही लोगों को लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की भी सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) कितने प्रकार हो सकते हैं और इसका ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है।
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ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के प्रकार क्या हैं?
ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। पहला प्रकार होता है साइनस नोड डिंस्फंक्शन (sinus node dysfunction) और दूसरा है एट्रियोवेंट्रिकुलर (एवी) ब्लॉक है। जानिए इसके बारे में खास जानकारी।
साइनस नोड डिंस्फंक्शन (sinus node dysfunction) क्या है?
हार्ट के अपर राइट चैंबर (right atria) में साइनस नोड की कोशिकाओं यानी सेल्स का एक समूह होता है। ये हार्ट की नैचुरल पेसमेकर का काम करता है और साथ ही हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को कंट्रोल करने का काम भी करता है और हार्ट रिदम को नियंत्रित करने का काम करता है। बीमारी के कारण सिक साइन सिंड्रोम की समस्या हो जाती है और इस कारण से साइनस नोड फेल हो जाता है।इस कारण से हार्ट रेट धीमा पड़ जाता है और हार्टबीट भी अनियमित हो जाती है।
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एट्रियोवेंट्रिकुलर (एवी) ब्लॉक क्या है?
एवी नोड कोशिकाओं का एक समूह है जो हृदय के ऊपरी और निचले कक्षों के बीच इलेक्ट्रिकल रिले स्टेशन के रूप में काम करता है। ये हार्ट की गति को नियंत्रित करने का भी काम करता है। जब हार्ट की गति को कंट्रोल करने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल ब्लॉक हो जाते हैं, तो हार्ट रेट कम होने लगता है और साथ ही हार्ट ब्लॉक की समस्या भी पैदा हो सकती है। एट्रियोवेंट्रिकुलर (एवी) ब्लॉक कई प्रकार से हो सकता है।
फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉक (First degree heart block) की समस्या के दौरान इलेक्ट्रिकल इम्पल्स नॉर्मल से कुछ स्लो एवी नोड के एट्रिया से वेंट्रिकल की ओर होता है। वहीं सेकंड डिग्री हार्ट ब्लॉक (Second degree heart block) में इम्पल्स इतनी कम हो जाती है कि हार्ट की बीट स्किप हो सकती है।या कुछ इम्पल्स कभी भी वेंट्रिकल्स तक नहीं पहुंचते हैं और एक एरिथमिया डेवलप हो जाती है। थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक (Third degree heart block) में एट्रिया से इम्पल्स पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाते हैं, जिससे वेंट्रिकल अपने आप धड़कने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप धीमी, अनियमित धड़कन होती है। इस कारण से शरीर के विभिन्न हिस्सों की ब्लड की डिमांड पूरी नहीं हो पाती है।
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ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के कारण क्या हैं?
आपके मन में यह प्रश्न जरूर आ रहा होगा कि आखिरकार ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) क्यों होती है। उम्र बढ़ने के साथ ही हार्ट संबंधी बीमारियों के खतरे भी बढ़ जाते हैं। साथ ही हार्ट इलेक्ट्रिकल सिस्टम में भी समस्या होने लगती है। मंदनाड़ी या ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के लिए कुछ अन्य रिस्कफैक्टर भी जिम्मेदार हो सकते हैं। इसमें दिल से संबंधित सूजन (heart inflammation) की स्थिति या इंफेक्शन की समस्या, हार्ट सर्जरी से उबरना, हाय ब्लड प्रेशर (high blood pressure) से उबरने के लिए ली जाने वाली मेडिसिंस आदि भी बीमारी का कारण बन सकती हैं।। वहीं अन्य कुछ भी कारण हैं, जिनके बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है। इनहेरिटेड कंडीशन के संबंध में अभी भी जानकारी मिलना बाकी है। कोविड-19 से लोगों में हार्ट संबंधी समस्याओं से संबंधित खतरा बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। उन लोगों में भी मंदनाड़ी की समस्या देखने को मिली है। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के लक्षण क्या हैं?
इस बीमारी के लक्षण हल्के से अधिक भी हो सकते हैं। आमतौर पर लक्षण है ऐसे होते हैं, जो कुछ लोगों को समझ में नहीं आते हैं। अगर आप उन पर ध्यान देंगे, तो यकीनन आपको लक्षण के बारे में जानकारी मिल जाएगी। जानिए ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के लक्षणों के बारे में।
- चक्कर आना (dizziness)
- बेहोशी
- थकान (fatigue)
- कभी-कभी सांस लेने में परेशानी
- एक्सरसाइज इंटॉलरेंस (Exercise intolerance)
- अचानक कमजोरी
- सीने में दर्द या बेचैनी
मंदनाड़ी (Bradyarrhythmia) का कैसे किया जाता है डायग्नोसिस?
हृदय की धड़कन घट जाती है या बढ़ जाती है तो शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं। हार्टबीट को नापने के लिए ईसीजी (An electrocardiogram ) की जरूरत पड़ती है। वहीं होल्टर मॉनिटर (Holter monitor) छोटा डिवाइस होता है, जिससे 24 घंटे से अधिक हार्ट बीट की निगरानी की जाती है। वहीं इवेंट मॉनिटर (event monitor) का काम तभी शुरू होता है, जब हार्टरिदम में परिवर्तन शुरू होता है। इसे 24 घंटे पहनना पड़ता है, जिससे की हार्टरिदम संबंधी जानकारी मिलती है। इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (implantable loop recorder) चेस्ट में लगाया जाने वाला एक उपकरण है, जो लगातार दिल की निगरानी करता है और डॉक्टर के ऑफिस समय-समय पर रिपोर्ट भेजता है। जब एरिथमिया एपिसोड्स कम हो जाते हैं, तो इसका इस्तेमाल किया जाता है।
मंदनाड़ी (Bradyarrhythmia) का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?
अगर आपको ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) की समस्या हो जाती है, तो उसके लक्षण आपको तुरंत दिखना शुरू हो जाएंगे। आपको ऐसे लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए और तुरंत ही डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि आपको क्या समाधान करना चाहिए। अगर आप इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं तो अचानक से हृदय गति भी रुक सकती है। ऐसे में छाती में पेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है। पेसमेकर दिल की धड़कन को सामान्य करता है और दिल को फिर से धड़कने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेज सकता है।ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के इलाज के लिए बड़ी संख्या में पेसमेकर का इस्तेमाल किया जाता है।
डॉक्टर इसे लगाने के साथ ही कुछ मेडिसिंस लेने की भी सलाह देते हैं। जिन लोगों को पेसमेकर की जरूरत नहीं पड़ती है, उनको डॉक्टर मेडिसिंस की हेल्प से बीमारी को ठीक करने की सलाह दे सकते हैं। ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए दवा दी जाती है। अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो डॉक्टर आपको कुछ दवाई लेने की सलाह देंगे ताकि इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सके।
बीमारी के ट्रीटमेंट के साथी आपको अपनी जीवन शैली में भी बदलाव करना होगा। इसमें स्मोकिंग को छोड़ना, पर्याप्त मात्रा में नींद लेना, एरोबिक एक्सरसाइज करना, वेट को मेंटेन करना, खाने में हेल्दी फूड्स को शामिल करना आदि बातों का ध्यान रखना होगा। उम्र बढ़ने के साथ ही हेल्थ का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो जाता है। कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको ब्रैडीएरिथमिया (Bradyarrhythmia) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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