यह तो आप जानते ही होंगे कि स्ट्रेस कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है। अगर आप बहुत अधिक स्ट्रेस लेते हैं, तो यह हार्ट के लिए भी बुरा है। अगर आप अक्सर स्ट्रेस में रहते हैं और इसे मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, तो यह हार्ट डिजीज (Heart disease), हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), चेस्ट पेन और इरेगुलर हार्टबीट्स का कारण बन सकता है। स्ट्रेस खुद में एक बहुत बड़ी समस्या है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि स्ट्रेस से ब्लड क्लॉट्स में बदलाव हो सकते हैं जिससे हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ सकता है। आज हम बात करने वाले हैं स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बारे में। आइए जानें स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच के कनेक्शन के बारे में। सबसे पहले स्ट्रेस के बारे में जानते हैं।
स्ट्रेस: क्या है यह बीमारी?
स्ट्रेस वो नार्मल ह्यूमन रिएक्शन है, जिससे हर व्यक्ति गुजरता है। यही नहीं , ह्यूमन बॉडी स्ट्रेस का अनुभव करने और इसके प्रति रिएक्ट करने के लिए बनी होती है। जब हम बदलाव या चैलेंजेज का अनुभव करते हैं, तो शरीर फिजिकल और मेंटल रिस्पांस प्रोड्यूज करता है। इसी को स्ट्रेस कहा जाता है। स्ट्रेस रिस्पॉन्स से हमारे शरीर को नई सिच्युएशन्स में एडजस्ट होने में मदद मिलती है। स्ट्रेस पॉजिटिव हो सकता है, जिससे हमें खतरे से बचने के लिए सर्तक और तैयार रहने में मदद मिलती है। जैसे अगर आपका कोई जरूरी टेस्ट है, तो स्ट्रेस रिस्पांस से शरीर को अधिक मेहनत करने और जागने में मदद मिलती है लेकिन, स्ट्रेस समस्या बन सकता है, जब तनाव बिना किसी रिलीफ या रिलेक्सेशन पीरियड के जारी रहता है।
आप स्ट्रेस को कैसे हैंडल करते हैं, यह भी मैटर करता है। अगर आप अनहेल्दी तरीके से इसके प्रति रिस्पॉन्ड करते हैं जैसे स्मोकिंग या एक्सरसाइज न करना आदि, तो इससे आपकी स्थिति बदतर हो सकती है। लेकिन, अगर आप पॉजिटिव तरीकों से इसे हैंडल करते हैं जैसे व्यायम करना, लोगों के साथ इंटरैक्ट करना, योगा आदि, तो इससे आपके शरीर और इमोशंस पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। यह तो थी जानकारी स्ट्रेस के बारे में। अब जानिए स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच के कनेक्शन के बारे में।
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स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच में क्या है कनेक्शन ?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि मेंटल हेल्थ पॉजिटिवली और नगेटिवली आपकी फिजिकल हेल्थ पर प्रभाव ड़ाल सकता है। स्ट्रेस और हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के जोखिम इस प्रकार हैं:
- स्मोकिंग
- फिजिकल एक्टिविटी में कमी
- अनहेल्दी डायट
- वजन का अधिक होना
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा न लेना
इसके साथ ही हमारा शरीर स्ट्रेस के प्रति इस तरह से रिस्पॉन्ड कर सकता है:
- सिरदर्द
- बैक स्ट्रेन
- स्टमक पेन
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इसके कारण आपकी एनर्जी कम हो सकती है, नींद में समस्या आ सकती है, आप चिड़चिड़े हो सकते हैं या हमेशा क्रोध महसूस करते हैं। स्ट्रेसफुल सिचुएशन कई इवेंट्स में बाधा बन सकती है। हमारा शरीर एड्रेनालाईन नामक एक हार्मोन रिलीज करता है जो अस्थायी रूप से सांस और हार्ट रेट को तेज करता है और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बारे में यह जानना भी जरूर है कि स्ट्रेस से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ सकती है, जो बदले में उन फैक्टर्स से लिंक होता है जिनसे हार्ट को नुकसान हो सकता है जैसे हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और गुड कोलेस्ट्रॉल (Good cholesterol) को कम करना आदि।
क्रॉनिक स्ट्रेस से हार्ट इनडायरेक्ट तरह से प्रभावित होता है। जब हम परेशान होते हैं, तो हमें नींद नहीं आती। अगर आपका लाइफस्टाइल अनहेल्दी है, तो इससे आपके दिल के स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है। क्रॉनिक स्ट्रेस की समस्या तब होती है, जब स्ट्रेस कांस्टेंट होती है और आपका शरीर एक हफ्ते या दिनों तक इससे प्रभावित रहता है। क्रॉनिक स्ट्रेस से हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की संभावना रहती ,है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। यह तो थी जानकारी स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बीच के लिंक के बारे में। अब जानिए कि क्या स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज कम या दूर हो सकती हैं?
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स्ट्रेस को मैनेज करने से हार्ट डिजीज (Heart disease) का जोखिम कम हो सकता है?
जैसा कि आप जान ही गए होंगे कि स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) में गहरा सम्बन्ध है। स्ट्रेस को मैनेज करना हमारी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। नेगटिव मेंटल हेल्थ को हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। लेकिन, पॉजिटिव साइकोलॉजिकल हेल्थ भी लो हार्ट डिजीज से सम्बन्धित है। नेगटिव मेंटल हेल्थ कंडिशंस में यह सब शामिल है:
- डिप्रेशन (Depression)
- क्रॉनिक स्ट्रेस (Chronic stress)
- एंग्जायटी (Anxiety)
- गुस्सा (Anger)
- जीवन से असंतुष्टि (Dissatisfaction with life)
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यह स्थितियां शरीर शरीर में संभावित हानिकारक रिस्पॉन्सेस से जुड़ी हैं जैसे:
- इरेगुलर हार्ट रेट और रिदम
- डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का बढ़ना
- ब्लड प्रेशर का बढ़ना
- इंफ्लेमेशन
- हार्ट तक ब्लड फ्लो का कम होना
पॉजिटिव मेंटल हेल्थ कैरेक्टरिस्टिकस में हैप्पीनेस, ग्रॅटीट्यूट, जीवन से संतुष्टि, माइंडफुलनेस आदि शामिल है। हेल्थ कंडिशंस के पॉजिटिव होने से कई समस्याओं से राहत मिल सकती है। अब जानते हैं कि स्ट्रेस को कैसे मैनेज किया जा सकता है?
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स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health): स्ट्रेस को कैसे करें मैनेज?
स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) का गहरा सम्बन्ध ही नहीं है, बल्कि इसे सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहने में भी मदद मिल सकती है। ऐसे में इसे मैनेज करना बेहद जरूरी है। इन्हें इस तरह से मैनेज किया जा सकता है:
- नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे स्ट्रेस (Stress), टेंशन (Tension), एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) से राहत मिल सकती है। दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें। योगा (Yoga) और मेडिटेशन करें।
- दोस्तों और परिवार के लिए समय निकालें। सोशल कनेक्शन बनाने और अपने भरोसे के लोगों के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है।
- पर्याप्त नींद लें। वयस्कों को रोजाना आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए।
- अपने व्यवहार को पॉजिटिव रखें।
- ऐसे काम करें, जो आपको पसंद हों। इससे आपको नेगेटिव विचारों और चिंताओं से दूर रहने में मदद मिलती है।
- सही आहार लें। सही आहार लेने से आपका शरीर और दिमाग दोनों सही रहेंगे। इसमें आप डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं। स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress management) और रिलेक्सेशन क्लासेस (Relaxation classes) से भी आपको मदद मिल सकती है।
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उम्मीद है कि स्ट्रेस और हार्ट हेल्थ (Stress and heart health) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। कुछ लोग स्ट्रेस से बहुत अधिक परेशान होते हैं, ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है क्योंकि स्ट्रेस (Stress) का इलाज संभव है। स्ट्रेस शार्ट-टर्म प्रॉब्लम्स से लेकर लॉन्ग-टर्म प्रॉब्लम हो सकती है। नियमित रूप से स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स से आपको स्ट्रेस के फिजिकल, इमोशनल और बिहेवियरल सिम्पटम्स लक्षणों से बचाव में मदद मिलेगी। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से बात करना न भूलें।
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