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हाय और लो ब्लड प्रेशर के बारे में जानें
दोनों तरह के ब्लड प्रेशर (हाय और लो) को मैनेज करना बेहद जरूरी है। इनमें से अधिकतर लोगों को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। हाय और लो ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर्स भी अलग हो सकते हैं। आइए, जानते हैं इनके बारे में
हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) के रिस्क फैक्टर्स
ऐसा माना जाता है कि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। यही नहीं, कुछ अन्य स्थितियों में भी इसका जोखिम अधिक रहता है जैसे:
इसके साथ ही खराब लाइफस्टाइल भी इसका रिस्क फैक्टर हो सकता है। जैसे अगर आप अधिक फिजिकल एक्टिव नहीं रहते, तनाव में हैं, अधिक ड्रिंक या स्मोकिंग करते हैं, अधिक नमक, चीनी या फैटी आहार का सेवन करते हैं तो इस समस्या का जोखिम आपमें बढ़ सकता है। यही नहीं जब हम सही से ब्रीद नहीं कर पाते हैं, तो हमारा ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है और ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। अब जानते हैं लो ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
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लो ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर्स
अगर आपकी उम्र 65 साल से अधिक है तो आपको ऑर्थोस्टेटिक हायपोटेंशन (Orthostatic hypotension) का जोखिम अधिक होता है। यह वो कंडिशन है जिसमें जब आप बैठ कर उठते हैं, तो ब्लड प्रेशर ड्राप होता है। एंडोक्राइन प्रॉब्लम (Endocrine), न्यूरोलॉजिकल डिजीज, हार्ट प्रॉब्लम, हार्ट फेलियर और एनीमिया भी इसके कारण हो सकते हैं। सिस्टोल और डायस्टोल में अंतर (Difference between Diastole and Systole) के साथ ही यह जानकारी भी जरूरी है। आपको लो ब्लड प्रेशर का जोखिम अधिक होगा, अगर आप डिहायड्रेटेड हों या ऐसा किसी दवा के कारण भी हो सकता है, जैसे:
- हाय ब्लड प्रेशर मेडिकेशन्स (High blood pressure medications)
- डाइयुरेटिक्स (Diuretics)
- नाइट्रेट्स (Nitrates)
- एंग्जायटी या डिप्रेशन मेडिकेशन (Anxiety or depression medications)
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन मेडिकेशन्स (Erectile dysfunction medications)
लो ब्लड प्रेशर कई हार्ट, हार्मोनल और नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम्स की वजह से भी हो सकता है। लो ब्लड प्रेशर का उपचार इसके कारणों के अनुसार किया जाता है। जैसे अगर इसका कारण कोई दवा है, तो डॉक्टर उस दवा को बंद करने या उसकी डोज में परिवर्तन की सलाह दे सकते हैं। अगर इसका कारण कोई बीमारी है तो उसके उपचार की सलाह दी जाती है।
उम्मीद है कि सिस्टोल और डायस्टोल में अंतर (Difference between Diastole and Systole) की जानकारी आपको पसंद आई होगी। सिस्टोल और डायस्टोल, कार्डियक सायकल के दो फेज हैं। यह तब होते हैं जब दिल धड़कता है, ब्लड वेसल्स के एक सिस्टम के माध्यम से रक्त पंप करता है, जो शरीर के हर हिस्से में रक्त ले जाता है। अगर किसी को हाय या लो ब्लड प्रेशर का संदेह है, तो आपको उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिसमें दवाइयां और जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल है। इसके बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो तो तुरंत डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।