लाइफस्टाइल डिजीज की लिस्ट में शामिल हाय ब्लड प्रेशर की समस्या से हर 8 में से 1 व्यक्ति शिकार हैं। दरअसल साल 2017 में दि नैशनल फेमली हेल्थ सर्वे (The National Family Health Survey) द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार 207 मिलियन लोग हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या से पीड़ित हैं। सर यही नहीं सर्वे रिपोर्ट में प्रिमैच्योर डेथ का कारण भी भी बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को बताया गया है। वहीं ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी हुई समस्या है हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure)। आज इस आर्टिकल में हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है?
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के कारण क्या हैं?
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के रिस्क फेक्टर क्या हैं?
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का इलाज क्या है?
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से बचाव कैसे संभव है?
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure) से जुड़े इन सवालों का जवाब एक-एक कर समझते हैं।
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को मेडिकल टर्म में आइसोलेटेड सिस्टोलिक हायपरटेंशन (Isolated Systolic Hypertension [ISH]) भी कहा जाता है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो जब ब्लड प्रेशर चेक किया जाता है, तो आर्टरीज के साथ हार्ट बीट पर कितना प्रेशर पड़ता है उसकी जानकारी मिलती है। इस दौरान दो अलग-अलग मेजरमेंट आते हैं जो सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure) और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Diastolic blood pressure) के नंबर को दर्शाता है। ब्लड प्रेशर चेकअप के दौरान अगर नॉर्मल से ज्यादा ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड किया जाता है, तो ऐसी स्थिति नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक (Heart attack) और स्ट्रोक (Stroke) की संभावनाओं को व्यक्त करते हैं। वहीं अगर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर हाय हो और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर सामान्य हो, तो ऐसी स्थिति ही आइसोलेटेड सिस्टोलिक हायपरटेंशन ISH की ओर इशारा करते हैं और स्थिति चिंता का कारण बन सकती है।
मायोफाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में आईएसएच (ISH) हाय ब्लड प्रेशर का कॉमन टाइप है। वहीं अमेरिकल कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (American College of Cardiology) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार आईएसएच (ISH) की वजह यंग एडल्ट्स में हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है। अगर इन दोनों रिपोर्ट्स पर गौर करें तो हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर यंग एज एवं के लोगों के साथ-साथ ओल्ड एज लोगों में हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के कारण को समझना जरूरी है।
मेयो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार ये कारण हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure) की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं। इसलिए ऊपर बताए किसी भी बीमारी से आप पीड़ित हैं, मेडिकल ट्रीटमेंट और कंसल्टेशन दोनों मरीज के लिए आवश्यक हो जाता है, क्योंकि इन बीमारियों को इग्नोर किया जाए हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) की संभावना बढ़ जाती है। वहीं हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure) की समस्या होने पर आप अनजाने में कई गंभीर रोग को दावत दे रहें। इसलिए हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का इलाज जरूर करवाएं।
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का इलाज क्या है? (Treatment for High Systolic Blood Pressure)
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए डॉक्टर निम्नलिखित दवाएं प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। जैसे:
कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers)- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स के सेवन से ब्लड वेसल्स के ब्लॉकेज (Blockage) को कम करने में मदद मिल सकती है।
थाईजेड-लाइक डाइयुरेटिक्स (Thiazide-like diuretics)- इस दवा के सेवन से ब्लड वॉल्यूम को कम कर किडनी (Kidney) में सोडियम (Sodium) एवं वॉटर (Water) को मेंटेन करने में सहायक होता है।
ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors)- ब्लड वेसल्स में वैसे इन्जाइम्स को नष्ट किया जाता है, जिससे ब्लड वेसल्स पतला हो।
एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin receptor blockers [ARBs])- एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स भी ब्लड वेल्स को इन्जाइम्स की वजह से पतला होने से बचाने में लाभकारी होता है।
नोट : इनमें से किसी भी दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें और डॉक्टर द्वारा बताये डोज को ही फॉलो करें, क्योंकि जरूरत से ज्यादा दवाओं का सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure) से जुड़ी बातों को ध्यानपूर्वक समझें और सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें।
डॉक्टर से कब संपर्क करना आवश्यक है? (Consult Doctor)
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करें। जैसे:
परिवार में हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या होना।
शरीर का वजन (Weight) जरूरत से ज्यादा होना।
गर्भवती (Pregnancy) होना और हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या होना।
इन स्थितियों के साथ-साथ अगर शरीर में कोई नेगेटिव बदलाव होने पर डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) के मेडिकेशन को फॉलो करें और हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (High Systolic Blood Pressure) से जुड़ी जानकारी रखना भी जरूरी है। हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने से आप जल्द ब्लड प्रेशर लेवल को इम्बैलेंस होने से रोक सकते हैं और हेल्दी रह सकते हैं।
स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर जानिए हेल्दी रहने के लिए कब और क्या खाना जरूरी है।
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