हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को मेडिकल टर्म में आइसोलेटेड सिस्टोलिक हायपरटेंशन (Isolated Systolic Hypertension [ISH]) भी कहा जाता है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो जब ब्लड प्रेशर चेक किया जाता है, तो आर्टरीज के साथ हार्ट बीट पर कितना प्रेशर पड़ता है उसकी जानकारी मिलती है। इस दौरान दो अलग-अलग मेजरमेंट आते हैं जो सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure) और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Diastolic blood pressure) के नंबर को दर्शाता है। ब्लड प्रेशर चेकअप के दौरान अगर नॉर्मल से ज्यादा ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड किया जाता है, तो ऐसी स्थिति नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक (Heart attack) और स्ट्रोक (Stroke) की संभावनाओं को व्यक्त करते हैं। वहीं अगर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर हाय हो और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर सामान्य हो, तो ऐसी स्थिति ही आइसोलेटेड सिस्टोलिक हायपरटेंशन ISH की ओर इशारा करते हैं और स्थिति चिंता का कारण बन सकती है।
मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में आईएसएच (ISH) हाय ब्लड प्रेशर का कॉमन टाइप है। वहीं अमेरिकल कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (American College of Cardiology) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार आईएसएच (ISH) की वजह यंग एडल्ट्स में हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है। अगर इन दोनों रिपोर्ट्स पर गौर करें तो हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर यंग एज एवं के लोगों के साथ-साथ ओल्ड एज लोगों में हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के कारण को समझना जरूरी है।
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हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के कारण क्या हैं? (Cause of High Systolic Blood Pressure)
हाय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के कारण इस प्रकार हैं-
- आर्टरी स्टिफनेस (Artery stiffness)
- ओवर एक्टिव थायरॉइड (Overactive Thyroid [Hyperthyroidism])
- डायबिटीज (Diabetes)
- हार्ट वॉल्व में समस्या (Heart valve problems)
- मोटापा (Obesity)