हायपरटेंशन की समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। हायपरटेंशन एक ऐसी तकलीफ है, जो किसी भी जेंडर के और किसी भी एज ग्रुप के व्यक्ति को हो सकती है, इसलिए हायपरटेंशन अपने आप में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक मानी जाती है। हायपरटेंशन तब और भी गंभीर साबित होता है, जब कोई महिला गर्भवती हो। गर्भवती महिलाओं को होने वाले हायपरटेंशन को जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) कहा जाता है। ऐसे में जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) फोलो करना जरूरी है। जेस्टेशनल हायपरटेंशन न सिर्फ मां के लिए, बल्कि शिशु के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन की स्थिति में मां को खुद का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। जेस्टेशनल हायपरटेंशन को कई तरह से ठीक किया जा सकता है, जिसमें से एक फैक्टर है उनका आहार। जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के जरिए गर्भावस्था में महिला अपना बेहतर रूप से ध्यान रख सकती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट के बारे में, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि जेस्टेशनल हायपरटेंशन की स्थिति क्या होती है।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) की स्थिति कैसे होती है?
जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) बेहद जरूरी मानी जाती है, लेकिन जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) क्यों होता है, यह जानना भी आपके लिए जरूरी हो जाता है। गर्भावस्था में महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिसकी वजह से उसके स्वास्थ्य पर गलत असर हो सकता है। इन्हीं समस्याओं में से एक हायपरटेंशन माना जाता है। गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने पर मां और शिशु दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। कई बार महिला को इसकी वजह से टॉक्सेमिया का खतरा भी होता है, इससे उसके मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि गर्भावस्था में हायपरटेंशन की समस्या को कंट्रोल करना जरूरी माना जाता है। इसके लिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट मदद कर सकती है। लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी लेने से पहले जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) के कारणों को जानना भी जरूरी है।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन के क्या कारण हो सकते हैं? (Causes of Gestational hypertension)
जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) कई कारणों की वजह से हो सकता है। इसमें कई कारण आपकी लाइफ स्टाइल से संबंधित होते हैं, वहीं कुछ कारण आपकी उम्र और जेंडर पर भी निर्भर करते हैं। आइए जानते हैं जेस्टेशनल हायपरटेंशन किन कारणों से आपको हो सकता है –
- गर्भावस्था में अधिक वजन
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी
- धूम्रपान
- एल्कोहॉल का सेवन
- फैमिली में हायपरटेंशन की हिस्ट्री
- मल्टीपल प्रेगनेंसी
- 35 साल से ज्यादा की उम्र में प्रेगनेंसी
- आईवीएफ के दौरान प्रेगनेंसी
- डायबिटीज
- अन्य ऑटोइम्यून डिजीज
यह सभी फैक्टर्स जेस्टेशनल हायपरटेंशन का कारण बन सकते हैं। जिसे कंट्रोल करने के लिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) की मदद ली जा सकती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि सही लाइफस्टाइल और सही आहार के बूते आप जेस्टेशनल हायपरटेंशन की स्थिति को सामान्य बनाए रख सकते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ आपको डॉक्टर से लगातार संपर्क में बने रहना चाहिए। डॉक्टर अलग-अलग तरीकों से आपके और गर्भ में पल रहे शिशु पर हो रहे हायपरटेंशन के प्रभाव को समझ सकते हैं। जिसके मुताबिक आपको अलग-अलग ट्रीटमेंट दिया जा सकता है। इसलिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) की स्थिति में डॉक्टर की सलाह बेहद जरूरी मानी जाती है। आइए अब जानते हैं जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट के बारे में।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : क्यों है जरूरी? (Gestational hypertension diet)
जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट लाइफस्टाइल में बदलाव के अंतर्गत आती है। हायपरटेंशन की स्थिति में सही आहार लेने से आपके शरीर को ठीक तरह से पोषण मिलता है। कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के तौर पर लिए जा सकते हैं। यह खाद्य पदार्थ हायपरटेंशन की समस्या में आपको आराम पहुंचाते हैं, इसलिए इनका सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। आमतौर पर डायट एक्सपर्ट जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट के अंतर्गत आपको डैश डायट का पालन करने की सलाह देते हैं। डीएएसएच (DASH) डायट में मुख्य रूप से आपको हेल्दी बीजों, सबुत अनाज, रंगीन फल, सब्जियां और हेल्दी फैट खाने की सलाह दी जाती है। इनमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनॉयड होता है, जो आपको जेस्टेशनल हायपरटेंशन की स्थिति में आराम पहुंचा सकते है। इसके अलावा इस डायट के अंतर्गत आपको सोडियम के कंसप्शन पर खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। यदि आप जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) से ग्रसित हैं, तो आपको प्रतिदिन केवल 2 से 3 मिलीग्राम नमक का ही इस्तेमाल करना चाहिए। जरूरत से ज्यादा नमक आपकी गर्भावस्था के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यही वजह है कि जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट अपने आप में एक बेहतरीन ऑक्शन साबित होता है। आइए अब जानते जानते हैं जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट के अंतर्गत आप किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : फॉक्स्टेल बाजरा (Foxtail Millet)
फॉक्सटेल बाजरा, बाजरे की एक ऐसे क़िस्म मानी जाती है, जो जेस्टेशनल हायपरटेंशन(Gestational hypertension) में काफी मददगार साबित होती है। यह आपके हाय ब्लड प्रेशर को बहुत हद तक नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसलिए एक सीमित मात्रा में आपको आहार में बाजरा शामिल करना चाहिए। आप बाजरे को अलग-अलग तरह से खा सकते हैं, जिसमें बाजरे की रोटी, दाल, इडली, खिचड़ी इत्यादि का समावेश होता है। जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के अंतर्गत बाजरे का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद माना जा सकता है।
जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : हरी सब्जियां (Green vegetables)
हरी सब्जियां आमतौर पर भी व्यक्ति के शरीर में पॉजिटिव प्रभाव डालती है। इसलिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के अंतर्गत इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट, कैरोटीनॉइड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों में आप पालक, पुदीना, ड्रमस्टिक के पत्ते इत्यादि का खास तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और नाइट्रेट के बेहतरीन स्रोत माने जाते हैं, जो जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) में आपकी मदद कर सकते हैं। गर्भावस्था में हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से पहले आपको इन्हें अच्छी तरह से पका कर खाना चाहिए, क्योंकि इन हरी पत्तेदार सब्जियों के कच्चे रूप में ऑक्सलेट और सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो आपके लिए नुकसानदेह हो सकती है।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : रंगीन फल (Colorful fruit)
जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के अंतर्गत रंगीन फलों का एक अहम रोल माना जाता है। इसमें विशेष रूप से संतरा, जामुन और आम जैसे फलों का समावेश होता है। यह सभी फल पोटेशियम, विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं, जो जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) की स्थिति में आपकी मदद करते हैं। रोजाना इन फलों को अपने आहार में शामिल करके आप हाय ब्लड प्रेशर की समस्या को सामान्य बनाए रख सकते हैं। साथ ही साथ यह पोटेशियम का अच्छा स्त्रोत माने जाते हैं, जो सोडियम के स्तर को सामान्य बनाए रखते हैं। यदि आपको जेस्टेशनल हायपरटेंशन के साथ-साथ डायबिटीज की भी समस्या हो, तो आपको इन फलों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद करना चाहिए। इन फलों में नैचुरल शुगर पाई जाती है, जो डायबिटीज की समस्या में आपके ब्लड ग्लूकोज को बढ़ा सकती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद इन फलों को सीमित मात्रा में अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : फिश और लीन चिकन (Fish and Lean Chicken)
यदि आप नॉन वेजिटेरियन हैं, तो आपको मछली और लीन चिकन का इस्तेमाल करना चाहिए। मछली में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपके जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) को कंट्रोल में रखते हैं। इसके साथ-साथ ओमेगा 3 फैटी एसिड शरीर में हो रहे इन्फ्लेमेशन को भी कम करने में मदद करते हैं। वहीं चिकन, प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है, जो आपको वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। इसके साथ-साथ यह अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है, जो गर्भावस्था में आपकी स्थिति को बेहतर बना सकता है। इसलिए जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के अंतर्गत नॉनवेज डायट में आप इन दोनों का समावेश कर सकते हैं।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट : अलसी के बीज (Flax seeds)
अलसी के बीज, जिन्हें फ्लैक्सीड का नाम दिया गया है, जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) की स्थिति में खाए जा सकते हैं। इन्हें सुखा कर, भून कर या इसका चूर्ण बनाकर भी इस का सेवन कर सकते हैं। यदि आप जेस्टेशनल हायपरटेंशन की स्थिति से गुजर रही हैं, तो आपके लिए अलसी के बीज फायदेमंद साबित हो सकते हैं। लेकिन कई बार अलसी के बीज नमक के साथ भूने जाते हैं, ऐसे भुने हुए बीजों को खाने से हायपरटेंशन की स्थिति और भी बिगड़ सकती है। इसलिए बिना नमक के इन अलसी के बीजों का सेवन करना चाहिए। जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) के अंतर्गत अलसी के बीजों का सेवन सोच समझ कर करना चाहिए और इसे सीमित मात्रा में ही लिया जाना चाहिए, जिससे आपके शरीर पर इसका पॉजिटिव प्रभाव हो।
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जेस्टेशनल हायपरटेंशन (Gestational hypertension) में डायट का ख्याल रखना बेहद जरूरी माना जाता है। यह ना सिर्फ हाय ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है, बल्कि आपके शरीर को पूरा पोषण देने के लिए भी जाना जाता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में किसी भी नई तरह की डायट फॉलो करने से पहले आपको डॉक्टर या डायटिशियन से सलाह जरूर लेनी चाहिए। ऐसा ना करने पर आपकी सेहत और शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए समय पर डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की हुई दवाओं के साथ-साथ जेस्टेशनल हायपरटेंशन डायट (Gestational hypertension diet) को फॉलो करना चाहिए। जिससे आपका स्वास्थ्य बेहतर हो और शिशु को कोई नुकसान ना पहुंचे।
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