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क्या स्टेंट्स से होता है ब्लड क्लॉट्स बनने का खतरा?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/05/2022

    क्या स्टेंट्स से होता है ब्लड क्लॉट्स बनने का खतरा?

    स्टेंट (Stent) एक ट्यूब होती है जो ब्लड वेसल में डाली जाती है। यह आमतौर पर वेसल को चौड़ा करने और ब्लड फ्लो को बढ़ाने के लिए यूज की जाती है। ये आमतौर पर हार्ट की आर्टरीज में उपयोग किए जाते हैं जिन्हें कोरोनरी आर्टरीज (Coronary arteries) भी कहा जाता है। स्टेंट को आमतौर पर एंजियोप्लास्टी के जरिए डाला जाता है। स्टेंट का उपयोग सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कई बार स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) भी हो सकते हैं। चलिए आगे इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

    स्टेंट और ब्लड क्लॉट्स (Stent and blood clots) के बीच क्या है कनेक्शन

    प्लाक के कारण आर्टरीज अवरुद्ध हो जाती है जो कि फैट, कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम से मिलकर बनता है। ये फैटी डिपॉजिट समय के साथ बहुत कठोर हो जाते हैं जिनका आर्टरीज से पास होना मुश्किल होता है। प्लाक के बिल्डअप के बाद हार्ट मसल्स के प्रभावित हिस्से को कम ब्लड और ऑक्सिजन और पोषक तत्वा प्राप्त होते हैं। अगर प्लाक का बिल्डअप बढ़ता जाता है तो इस एरिया में ब्लड क्लॉट्स का डेवलपमेंट बढ़ता जाता है।

    यदि रक्त का थक्का रक्त के प्रवाह को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देता है, तो थक्के से परे सभी हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और दिल का दौरा पड़ सकता है। एंजियोप्लास्टी के बाद पहले से अवरुद्ध धमनियों को खुला रहने में मदद करने के लिए स्टेंट का उपयोग किया जाता है। यह रक्त को कोरोनरी धमनियों में प्रवाहित करने की अनुमति देता है। रक्त को स्वतंत्र रूप से बहने देने से दिल के दौरे को रोकने में मदद मिलती है।

    हालांकि, आपके दिल और धमनियों की नाजुक प्रकृति के कारण, स्टेंट प्लेसमेंट जोखिम से मुक्त नहीं हैं। प्रक्रिया कुछ संभावित समस्याओं के साथ आती है, जिसमें स्टेंट से ब्लड क्लॉट और वेसल रप्चर जैसी परेशानियां होना शामिल है। स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) होने के मामले कम होते हैं लेकिन रिस्क हो सकता है।

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    स्टेंट प्रॉसीजर (Stent procedure)

    स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) का क्या कनेक्शन ये तो आपने जान लिया अब स्टेंट लगाने की प्रक्रिया भी जान लीजिए। एंजियोप्लास्टी तब रिकमंड की जाती है जब हार्ट आर्टरीज पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं। स्टेंट लगाने का प्रॉसीजर निम्न प्रकार रहता है।

    • सर्जन धमनी में टिप के पास एक छोटे गुब्बारे के साथ एक कैथेटर, या ट्यूब इंसर्ट करता है।
    • एक्स-रे मार्गदर्शन के द्वारा सर्जन धीरे से कैथेटर को आर्टरी में रखता है ताकि बैलून सेक्शन ब्लॉकेज के एरिया में रहे।
    • सर्जन तब गुब्बारा फुलाता है, आमतौर पर इसके लिए खारे पानी के घोल या एक्स-रे डाई का उपयोग किया जाता। यह रुकावट को खोलता है और उचित रक्त प्रवाह को फिर से स्थापित करने में मदद करता है।
    • आपकी धमनी को चौड़ा करने के बाद सर्जन कैथेटर को हटा देता है।

    सामान्य तौर पर इस पूरे प्रॉसेज के बाद भी आर्टरीज के फिर से ब्लॉक होने का रिस्क रहता है। स्टेंट्स आर्टरीज को ओपन रखते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार एक तिहाई लोग जिनकी एंजियोप्लास्टी स्टेंट के बिना होती है उनमें प्रॉसीजर के बाद आर्टरीज के संकरी हो जाती हैं। स्टेंट प्रॉसीजर (Percutaneous coronary intervention) की तरह ही होता है।

    बस अंतर ये होता है कि इसमें केथेटर के जरिए स्टेंट डाला जाता है। एक बार स्टेंट के साथ कैथेटर लगाने के बाद, यह गुब्बारे के साथ फैलता है। जैसे-जैसे स्टेंट फैलता है, यह स्थायी रूप से अपनी जगह पर बंद हो जाता है। प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए अधिकांश स्टेंट एक मेश मटेरियल से बने होते हैं। बड़ी धमनियों के लिए, फैब्रिक स्टेंट का उपयोग किया जा सकता है। वैसे तो दिल के मरीज के लिए स्टेंट प्रॉसीजर एक गिफ्ट की तरह है, लेकिन कई बार स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) बनने का खतरा रहता है।

    स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स

    स्टेंट क्यों डाले जाते हैं? (Purpose of a stent procedure)

    स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) बनने का छोटा सा जोखिम भले ही हो स्टेंट लगाने से कई फायदे होते हैं। यह हार्ट को लगातार ब्लड फ्लो प्रदान करने में मदद करता है। जिससे इससे संबंधित लक्षणों में कमी आती है जैसे कि चेस्ट पेन या एंजाइना। एंजाइना की परेशानी तब होती है जब हार्ट मसल्स को उससे अधिक ऑक्सिजन की जरूरत होती है जितनी संकरी आर्टरीज प्रदान करती हैं। स्टेंट निम्न स्थितियों में से कोई या अधिक होने पर मददगार होते हैं।

    वहीं निम्न कंडिशन्स में स्टेंट का उपयोग नहीं किया जाता

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    स्टेंट डालने के प्रॉसीजर के बाद क्या होता है? (What happens after a stent insertion procedure?)

    स्टेंट आम तौर पर प्रभावी होते हैं, लेकिन स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स बनने से लेकर आर्टरीज के क्लोज होने का रिस्क रहता है। ऐसे में दिल के दौरे को रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए। कुछ लोगों को इस समय कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्ट सर्जरी (सीएबीजी) की आवश्यकता होती है। सीएबीजी में शरीर के किसी अन्य क्षेत्र से रक्त वाहिकाओं को लेना या अवरुद्ध धमनी के आसपास रक्त को बायपास करने के लिए सिंथेटिक ब्लड वेसल्स रिप्लेसमेंट करना शामिल है।

    आप स्टेंट से ब्लॉट क्लॉट्स होने के जोखिम को कम कर सकते हैं अगर निम्न बातों को फॉलो किया जाए।

    • स्वस्थ वजन (Healthy weight) बनाए रखना
    • अपने रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित करें
    • कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) मॉनिटर करें
    • नियमित रूप से व्यायाम (Exercise) करें
    • धूम्रपान (Smoking) से परहेज करें

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    स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स बनने का रिस्क क्यों होता है (Why stents carry a risk of blood clots)

    हालांकि स्टेंट का उपयोग कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) के इलाज और इसकी जटिलताओं के इलाज जिनमें क्लॉट्स भी शामिल हैं के लिए किया जाता है। स्टेंट स्वयं भी क्लॉट्स का कारण बन सकते हैं। रक्त के लगातार संपर्क में एक फॉरेन ऑब्जेक्ट की उपस्थिति, जैसे कि एक स्टेंट, कुछ लोगों में ब्लड क्लॉट्स का कारण बन सकता है।

    अधिकांश आधुनिक स्टेंट दवा से ढंके स्टेंट होते हैं, जो क्लॉट्स को रोकने के लिए दवाओं से कोटेड होते हैं। कुछ मामलों में, पारंपरिक मटेरियल के स्टेंट अभी भी उपयोग किए जाते हैं। ये दवाओं से कोटेड नहीं होते हैं जो क्लॉट्स को रोकते हैं। आपका डॉक्टर स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) को रोकने के लिए सर्जरी के बाद लेने के लिए एंटीक्लोटिंग दवाएं भी लिख सकते हैं।

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    उम्मीद करते हैं कि आपको स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) बनने से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में स्टेंट से ब्लड क्लॉट्स (Blood clots from stents) बनने को लेकर अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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