अर्बोवायरस (Arbovirus) टर्म का उपयोग वायरल इंफेक्शन के ग्रुप के लिए किया जाता है जो इंसेक्ट्स बाइट से होता है। इनको अर्थोपोड्स (Arthropods) कहा जाता है। इस प्रकार के इंफेक्शन में इंसेक्ट के जरिए वायरस ह्यूमन बॉडी में प्रवेश करते हैं और बीमारी का कारण बनते हैं। बता दें कि लगभग 500 अर्बोवायरस के बारे में जानकारी मौजूद है। जिनमें से 80 से ज्यादा ह्यूमन पेथोजेन्स के नाम से जाने जाते हैं। इनसे होने वाला इंफेक्शन माइल्ड से सीवियर तक हो सकता है। कीड़ों से बचना ही इन इंफेक्शंस से बचने का एक तरीका है। कीड़े जो अर्बोवायरस से लोगों को संक्रमित कर चुके हैं उनमें पिस्सू (Fleas), मच्छर (Mosquitoes), टिक (Ticks), गनेट्स (Gnats) शामिल हैं। अर्बोवायरस के कई अन्य प्रकार भी हैं। चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
अर्बोवायरस के प्रकार (Types of arbovirus)
अर्बोवायरस (Arbovirus) के कई प्रकार हैं। तीन प्रकार के अर्बोवायरस हैं जो मुख्य रूप से मनुष्यों में इंफेक्शन का कारण बनते हैं। जो निम्न हैं।
- फ्लाविवायरस (Flavivirus)
- टोगावायरस (Togavirus)
- बुनिया वायरस (Bunyavirus)
ये वायरस निम्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- चिकुनगुनिया फीवर (Chikungunya fever)
- कोलोराडो टिक फीवर (Colorado tick fever)
- यलो फीवर (Yellow fever)
- जीका वायरस डिजीज (Zika virus disease)
- वेस्ट नील वायरस इंफेक्शन (West Nile virus infection)
- जापानीज बी इंसेफ्लाइटिस (Japanese B encephalitis)
- पोवासान वायरस इंफेक्शन (Powassan virus infection)
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अर्बोवायरस का ट्रांसमिशन (Arbovirus Transmission) कैसे होता है?
अर्बोवायरस (Arbovirus) मुख्य रूप से कीड़े के काटने से फैलता है। मच्छर सबसे ज्यादा इन वायरसेस को फैलाते हैं। इनके अलावा टिक्स, पिस्सू, जनेट्स आदि का काटना भी बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा ये वायरस ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion), ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ transplant), सेक्शुअल कॉन्टैक्ट (Sexual contact) के जरिए ट्रांसमिटेड हो सकता है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान मां से बच्चे को भी हो सकता है।
अर्बोवायरस से संक्रमित होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? (Arbovirus infection symptoms)
कई बार इन वायरस से संक्रमित होने पर भी कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अगर लक्षण होते हैं तो वे कीड़े के काटने के बाद तीन दिन से 2 हफ्ते तक दिखाई दे सकते हैं। इंफेक्शन कम होने पर माइल्ड फ्लू की तरह लक्षण दिखाई देते हैं जबकि इंफेक्शन के गंभीर होने पर जानलेवा लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। जैसे इंसेफ्लाइटिस में दिमाग पर सूजन आ जाती है और हेमोरेजिक फीवर्स में ब्लड वेसल्स डैमेज होने के साथ ही ब्लड वेसल्स से ब्लीडिंग और फीवर हो सकता है। दूसरे लक्षणों में निम्न शामिल हैं।
- सिर में दर्द
- उल्टी
- जी मिचलाना
- चक्कर आना
- कमजोरी महसूस होना
- नींद ना आना
- शरीर में दर्द
- दौरे पड़ना
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एर्बोवायरस से संक्रमित होने का रिस्क किन लोगों को अधिक होता है? (Who is at higher risk of getting infected with Arbovirus?)
खून चूसने वाले कीड़े जैसे मच्छर पक्षियों व अन्य जानवरों से वायरस को लेते हैं। यह वायरस इंसेक्ट के अंदर रेप्लिकेट होता है, लेकिन उनकी इलनेस का कारण नहीं बनता। कीड़ा अपने भोजन की तलाश में इधर उधर जाता है और वायरस को कैरी करके रखता है। जब यह आपको काटता है तो आप संक्रमित हो जाते हैं। अधिकांश वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसमिट नहीं होते। डेंगू फीवर और यलो फीवर इसके अपवाद हैं जो इंसेक्ट बाइटिंग की वजह से होते हैं और एक से दूसरे में फैल सकते हैं। किसी का भी एनकाउंटर अर्बोवायरस (Arbovirus) से हो सकता है चाहे वह कहीं भी रहता हो। निम्न मामलों में इसका रिस्क बढ़ जाता है।
- अगर आप ऐसे किसी एरिया में रहते हैं या ट्रेवल करते हैं जहां पर मच्छर, टिक अधिक हो
- अगर यह मच्छरों का सीजन हो।
- इम्यून सिस्टम वीक हो
- अगर उम्र 10 से कम या 60 उम्र से अधिक हो।
अर्बोवायरस से इंफेक्शन का निदान कैसे किया जाता है? (Arbovirus infection diagnosis)
डॉक्टर आपको लक्षणों के बारे में पूछेंगे और फिजिकल एग्जामिनेशन के बाद डिसाइड करेंगे कि आपको किन परीक्षणों को करवाने की जरूरत हो सकती है। अगर आपने कहीं ट्रैवल किया था और अगर आपको किसी कीड़े ने काटा है, तो इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। इस जानकारी से वायरस के प्रकार के बारे में पता चल सकेगा। डॉक्टर वायरस के बारे में पता करने के लिए ब्लड टेस्ट्स कर सकते हैं। अगर आपको एनसेफ्लायटिस के लक्षण हैं तो डॉक्टर हेड की एमआरआई करने को भी कह सकते हैं। इन टेस्ट के आधार पर वे ट्रीटमेंट करेंगे।
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अर्बोवायरस इंफेक्शन का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है? (Arbovirus infection treatment)
आपको अर्बोवायरस (Arbovirus) से छुटकारा दिलाने के लिए कोई विशिष्ट दवाएं या उपचार नहीं है। ट्रीटमेंट का उद्देश्य लक्षणों से राहत दिलाना है। इस दौरान आपको ढेर सारा आराम करने की जरूरत होगी। साथ ही बॉडी को डीहायड्रेशन से राहत दिलाने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना होगा। आपको किस वायरस से संक्रमण हुआ उसके आधार पर डॉक्टर मरीज का ब्लड प्रेशर (Blood pressure), हार्ट रेट (Heart rate), टेम्प्रेचर (Temperature) और रेस्पिरेशन (Respiration) को मॉनिटर कर सकता है। इसके साथ ही वे लक्षणों के आधार पर दवाएं रिकमंड करते हैं। किसी प्रकार के वायरस इंफेक्शन में दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। साथ ही दवा के डोज में किसी प्रकार का बदलाव ना करें।
अर्बोवायरस से बचाव कैसे करें? (How to protect against arbovirus?)
कुछ प्रकार के अर्बोवायरस के लिए इफेक्टिव वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। जिसमें यलो फीवर और जापानीज एनसेफ्लाइटिस शामिल है। सभी अर्बोवायरस (Arbovirus) के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। कुछ वैक्सीन के विकास पर काम चल रहा है। जब तक सभी वायरस के लिए वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक के लिए जरूरी है कि हम इंसेक्ट बाइट से बचें और सेफ रहें। इंसेक्ट बाइट से बचने के लिए निम्न टिप्स को फॉलो करें।
- इंसेक्ट रिपेलेंट का यूज करें।
- आउटडोर एक्टिविटीज के दौरान फुल बांह के कपड़े पहनें।
- सॉक्स जरूर पहनें।
- लाइट कलर के कपड़ें पहनें ताकि इंसेक्ट आसानी से दिखाई दे सकें।
चूंकि मच्छर कई प्रकार के इंफेक्शन का कारण बनते हैं इसलिए घर या घर के बाहर मच्छरों की संख्या कम करने की जरूरत है। आसान प्रयासों की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- मच्छरों को जमा हुआ पानी पसंद होता है। इसलिए घर में या घर के आसपास पानी जमा ना होने दें।
- घर की खिड़कियों में जाली लगवाएं ताकि मच्छर घर में ना आसकें।
- बच्चों के ऐसे खिलौने जिनमें पानी भर सकता है उन पर खास नजर रखें।
टिक से बचने के लिए निम्न टिप्स अपनाएं।
- जिन जानवरों पर टिक हो उनसे दूर रहें।
- लॉन की रोज सफाई करें।
- मुरझा चुकी पौधों की पत्तियों को रोज साफ करें।
- टिक के लिए स्पेशल पेप्टिसाइड्स का यूज करें।
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