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होमोफोबिया, बायफोबिया और ट्रांसफोबिया क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/05/2021

    होमोफोबिया, बायफोबिया और ट्रांसफोबिया क्या है?

    फोबिया (Phobia) ग्रीक शब्द फोबोस (Phobos) से लिया गया है। जिसका मतलब है डर। फोबिया का मतलब किसी ऑब्जेक्ट, एक्टिविटी या सिचुएशन से डर होना है। ऐसे में लोग उस स्थिति को अवॉयड करते हैं जो डर का कारण बनती है। अक्सर लोगों को ऊंचाई, सांप, अंधेरे आदि से डर लगता है, लेकिन हम यहां ऐसे फोबियाज (Phobias) के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसमें एक इंसान दूसरे इंसान से ही डरने और नफरत करने लगता है। जिसका कारण जेंडर का अलग होना है। यहां हम होमोफोबिया, बायफोबिया और ट्रांसफोबिया (Homophobia, Biphobia and Transphobia) के बारे में बात कर रहे हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

    होमोफोबिया (Homophobia) क्या है?

    होमोफोबिया यानी होमोसेक्शुअल्स (homosexuals) से डर। होमोसेक्शुअल्स उन्हें कहा जाता है जो सेम जेंडर के लोगों के साथ रिलेशन रखते हैं। यानी गे मेन (Gay) और लेस्बियन (Lesbian) विमेन अपने ही जेंडर के लोगों के साथ रोमेंटिक, सेक्शुअल और इमोशनल रिलेशनशिप में होते हैं। जो लोग होमोफोबिक (Homophobic) होते हैं, उन्हें होमोसेक्शुअल्स से डर लगता है और वे उन्हें अवॉयड करना चाहते हैं। साइकोलॉजी के अनुसार इस डर के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें किसी लेस्बियन या गे का अप्रोच करना, खुद में होमोसेक्शुअल टेंडेंसीज (Homosexual Tendencies) का होना या फिर कोई अनजाना डर हो सकता है।

    इसके अलावा कुछ गे और लेस्बियन्स इंटर्नालाइज्ड होमोफोबिया (Internalized homophobia) का अनुभव करते हैं। जिसमें वे खुद होमोफोबिक होते हैं, लेकिन सेम सेक्स ओरिएंटशन के प्रति अट्रैक्शन का अनुभव करते हैं। ऐसे में खुद को गलत, बुरा और दूसरों से कमतर समझते हैं। वे अपने सेक्स ओरिएंटेशन को स्वीकार नहीं करते और अपने बारे में ही निगेटिव विचार रखने लगते हैं। कई बार ऐसे लोग खुद को स्ट्रेट साबित करने के लिए स्टेरियोटिपिकल बर्ताव (Stereotypical behavior) करते हैं। यहां तक कि वे ऐसे लोगों को बुली करना और उनके साथ भेदभाव करने जैसा व्यवहार भी करते हैं।

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    ट्रांसफोबिया/ Transphobia

    होमोफोबिया (Homophobia) या होमोफोबिक हैरेसमेंट को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

    किसी को भी किसी दूसरे इंसान के साथ भेदभाव करने या उसे बुली करने, फिजिकली या इमोशनली हर्ट करने का अधिकार नहीं है। कुछ बातों का ध्यान रखकर होमोफोबिया को रोका जा सकता है।

    • एलजीबीटीक्यू के लोगों के लिए ओफेंसिव लेंग्वेज (Offensive language) का उपयोग ना करें। गे जैसे शब्दों का संबोधन उन्हें हर्ट कर सकता है।
    • ऐसे लोगों से दोस्ती करके देखें और उन्हें जानने और समझने की कोशिश करें।
    • LGBTQ लोगों के डिसीजन का सम्मान करें। उन्हें गलत ना समझें।
    • अगर आपके सामने कोई LGBTQ का मजाक उड़ा रहा है या उनके बारे में अपमानजक बातें कर रहा है तो उन्हें समझाएं।

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    बायफोबिया (Biphobia) क्या है?

    बायफोबिया, बायसेक्शुअल्स (Bisexuals) से लगने वाला डर है। बायसेक्शुअल यानी ऐसा इंसान जो फिजिकली, इमोशनली और सेक्शुअली महिला और पुरुष दोनों से अट्रैक्ट होता है। बायसेक्शुअल्स का पता कई बार इसलिए नहीं चल पाता क्योंकि वे अक्सर अपोजिट जेंडर (Opposite Gender) के साथ ज्यादा रहते हैं।अगर वे किसी सेम जेंडर के व्यक्ति के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो उन्हें होमोसेक्शुअल्स (Homosexual) कहा जाता है। जो लोग बायफोबिक (Biphobic) होते हैं उन्हें बायसेक्शुअल्स से डर लगता है और उनके बारे में पता लगने पर वे उन्हें अवॉइड करते हैं।

    बायफोबिया (Biphobia) के शिकार लोगों का मानना होता है कि सभी रिलेशनशिप अपोजिट सेक्स के साथ ही होनी चाहिए। उनके अनुसार पुरुषों का महिलाओं के साथ और महिलाओं का पुरुषों के साथ ही सेक्शुअल रिलेशन होना चाहिए। यहां तक कि एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) के कुछ लोगों का भी यही मानना होता है कि किसी व्यक्ति का एक जेंडर के साथ ही रोमेंटिक और सेक्शुअल रिलेशनशिप होना चाहिए। उनका मानना होता है कि ऐसा संभव नहीं है एक इंसान दो जेंडर के लोगों की तरफ अट्रैक्ट हो।

    • उनका मानना होता है कि सभी लोग अपोजिट और सेम सेक्स के प्रति अट्रैक्शन का अनुभव करते हैं, लेकिन दोनों के लिए नहीं।
    • वे बायसेक्शुअल्स को लालची और नॉर्मल नहीं मानते।
    • हर इंसान महिला या पुरुष के साथ सेटल होता है। यानि या तो वह होमोसेक्शुअल होगा या स्ट्रेट। वह बायसेक्शुअल नहीं हो सकता।

    इंटर्नालाइज्ड बायफोबिया (Internalized biphobia)

    इंटर्नालाइज्ड होमोफोबिया की तरह ही इंटर्नालाइज्ड बायफोबिया (Internalized biphobia) भी होता है। जिसमें बायसेक्शुअल लोग अपनी सेक्शुअल आइडेंटिटी के बारे में निगेटिव सोचने लगते हैं। इंटर्नालाइज्ड बायफोबिया (Internalized biphobia) होने पर ऐसे विचार आ सकते हैं:

    • अपने सेक्शुअल ओरिएंटेशन के चलते वे थोड़े दिन में या तो पूरी तरह से गे बन जाएंगे या फिर स्ट्रेट।
    • बायसेक्शुअल सेक्शुअल ओरिएंटेशन नॉर्मल नहीं है।
    • अपने सेक्शुअल ओरिएंटेशन के चलते वे मोनोगेमस रिलेशनशिप्स (monogamous relationships) को मैंटेन नहीं रख सकते। साथ ही वे अपने पार्टनर के साथ चीट कर रहे हैं।

    बायफोबिया (Biphobia) को कैसे रोक सकते हैं?

    • बायसेक्शुअल लोगों के लिए सही टर्म यूज करें। उन्हें स्ट्रेट, लेस्बियन या गे जैसे शब्दों से संबोधित न करें।
    • यह समझने और दूसरों को समझाने की कोशिश करें कि बायसेक्शुआलिटी एक फेज नहीं है यह आइडेंटिटी है।
    • इस बात को भी समझें कि बायसेक्शुअल लोग कंफ्यूज, डिसीजन ना ले सकने वाले और झूठ बोलने वाले नहीं होते हैं।
    • इस बात को भी समझें कि ये लोग अपने पार्टनर के साथ चीट नहीं करते। उनके लिए भी रिश्तों की उतनी ही अहमियत होती है।

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    ट्रांसफोबिया (Transphobia) क्या है?

    ट्रांसफोबिया यानी कि ट्रांसजेंडर्स के प्रति डर, नफरत और अविश्वास होना है। ट्रांसफोबिया के कारण ट्रासंजेंडर्स स्वंतत्रापूर्वक नहीं जी पाते। ट्रांसफोबिया को ट्रांसप्रिज्यूडिस (transprejudice) भी कहा जाता है। यानी कि ट्रांसजेंडर्स के प्रति लोगों के पूर्वाग्रह। ट्रांसजेंडर एक एम्ब्रेला टर्म है, जिसमें वे सभी लोग आते हैं जो अपने बर्थ जेंडर के साथ सहज नहीं है और खुद को बर्थ जेंडर से अलग जेंडर में प्रस्तुत करते हैं। ट्रांसफोबिया में ट्रांससेक्शुअल्स भी शामिल हैं। जैसे कि क्वीर (Queer), ये ऐसे लोग होते हैं जिन्हें पुरुष या महिला के रूप में पहचाना नहीं जा सकता। ट्रांससेक्शुअल्स अपनी बॉडीज को हॉर्मोनली या सर्जिकली अपने इनर जेंडर सेंस के अनुरूप बदलना चाहते हैं। ट्रांसफोबिया के कई प्रकार हो सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    • ट्रांसजेंडर्स के प्रति नकारात्मक व्यवहार और विश्वास
    • ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ विरोध और पूर्वाग्रह
    • तर्कहीन भय और गलतफहमी
    • अपमानजनक भाषा और उन्हें गलत नामों से बुलाना
    • बुली करना, दुर्व्यवहार और यहां तक कि ऐसे लोगों के साथ हिंसा

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    ट्रांसफोबिया भेदभाव का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए जो लोग ट्रांसजेंडर है या बनने का सोच रहे होते हैं उन्हें जॉब्स, हेल्थ केयर जैसी सेवाओं से वंचित कर दिया जाता है। कई लोग जो ट्रांसफोबिक होते हैं, वे दूसरों को भी इससे प्रभावित करते हैं। कुछ माता-पिता और परिवार के लोग ऐसे नकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करते हैं। क्योंकि वे ट्रांसजेंडर्स को अनैतिक मानते हैं। वहीं कुछ लोग इसलिए ट्रासंफोबिक होते है क्योंकि उन्हें ट्रांस आइडेंटिटीज के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। वे ट्रांसजेंडर लोगों ट्रांस मुद्दे के बारे में जागरूक नहीं होते हैं। वे व्यक्तिगत रूप से किसी ट्रांस व्यक्ति को भी नहीं जानते। कई बार यह बुरा बर्ताव ट्रांसजेंडर्स के लिए डिप्रेशन, डर, आइसोलेशन, निराशा, अकेलापन यहां तक कि सुइसाइड का कारण भी बन जाता है।

    ट्रांसफोबिया (Transphobia) को रोकने के लिए क्या करें?

    ट्रांसफोबिया को रोकने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं। आप खुद भी ऐसा करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

    • ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति अपमानजन भाषा का उपयोग ना करें
    • ट्रांसजेंडर्स से उनके जेनिटल्स, सर्जरी और सेक्स लाइफ आदि के बारे में पर्सनल सवाल ना पूछें।
    • उनके लिए ऐसे कॉम्प्लिमेंट्स का यूज ना करें जो उन्हें इंसल्टिंग लगे। जैसे कि तुम एकदम लड़की की तरह दिख रही हो या मुझे तो कभी पता ही नहीं चला कि तुम ट्रांसजेंडर हो आदि।
    • ट्रांसजेंडर्स के बारे में गलत धारणाएं ना पालें
    • आपकी जेंडर आइडेंटिडी जो भी हो, ट्रांसजेंडर कम्युनिटी का सपोर्ट करें
    • ट्रांसजेंडर्स से जुड़े मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करें और दूसरों को भी इनके बारे में एजुकेट करें
    • याद रखें कि ट्रांसजेंडर होना किसी की लाइफ का एक हिस्सा है।

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    होमोफोबिया, ट्रांसफोबिया और बायफोबिया या सेक्स ओरिएंटेशन से जुडी अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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