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ट्रांसफोबिया (Transphobia) क्या है?
ट्रांसफोबिया यानी कि ट्रांसजेंडर्स के प्रति डर, नफरत और अविश्वास होना है। ट्रांसफोबिया के कारण ट्रासंजेंडर्स स्वंतत्रापूर्वक नहीं जी पाते। ट्रांसफोबिया को ट्रांसप्रिज्यूडिस (transprejudice) भी कहा जाता है। यानी कि ट्रांसजेंडर्स के प्रति लोगों के पूर्वाग्रह। ट्रांसजेंडर एक एम्ब्रेला टर्म है, जिसमें वे सभी लोग आते हैं जो अपने बर्थ जेंडर के साथ सहज नहीं है और खुद को बर्थ जेंडर से अलग जेंडर में प्रस्तुत करते हैं। ट्रांसफोबिया में ट्रांससेक्शुअल्स भी शामिल हैं। जैसे कि क्वीर (Queer), ये ऐसे लोग होते हैं जिन्हें पुरुष या महिला के रूप में पहचाना नहीं जा सकता। ट्रांससेक्शुअल्स अपनी बॉडीज को हॉर्मोनली या सर्जिकली अपने इनर जेंडर सेंस के अनुरूप बदलना चाहते हैं। ट्रांसफोबिया के कई प्रकार हो सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- ट्रांसजेंडर्स के प्रति नकारात्मक व्यवहार और विश्वास
- ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ विरोध और पूर्वाग्रह
- तर्कहीन भय और गलतफहमी
- अपमानजनक भाषा और उन्हें गलत नामों से बुलाना
- बुली करना, दुर्व्यवहार और यहां तक कि ऐसे लोगों के साथ हिंसा
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ट्रांसफोबिया भेदभाव का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए जो लोग ट्रांसजेंडर है या बनने का सोच रहे होते हैं उन्हें जॉब्स, हेल्थ केयर जैसी सेवाओं से वंचित कर दिया जाता है। कई लोग जो ट्रांसफोबिक होते हैं, वे दूसरों को भी इससे प्रभावित करते हैं। कुछ माता-पिता और परिवार के लोग ऐसे नकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करते हैं। क्योंकि वे ट्रांसजेंडर्स को अनैतिक मानते हैं। वहीं कुछ लोग इसलिए ट्रासंफोबिक होते है क्योंकि उन्हें ट्रांस आइडेंटिटीज के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। वे ट्रांसजेंडर लोगों ट्रांस मुद्दे के बारे में जागरूक नहीं होते हैं। वे व्यक्तिगत रूप से किसी ट्रांस व्यक्ति को भी नहीं जानते। कई बार यह बुरा बर्ताव ट्रांसजेंडर्स के लिए डिप्रेशन, डर, आइसोलेशन, निराशा, अकेलापन यहां तक कि सुइसाइड का कारण भी बन जाता है।
ट्रांसफोबिया (Transphobia) को रोकने के लिए क्या करें?