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साइनोफोबिया: क्या आपको भी लगता है कुत्तों से डर, हो सकती है यह बीमारी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/11/2020

    साइनोफोबिया: क्या आपको भी लगता है कुत्तों से डर, हो सकती है यह बीमारी

    क्या आपको कुत्तों से डर लगता है? कुत्तों से लगने वाले डर को साइनोफोबिया कहा जाता है। लाखों लोगों को कुत्तों का भय है। वे कई कारणों से कुत्तों से डरते हैं, शायद एक कुत्ते ने उन्हें कभी दौड़ा दिया हो या हो सकता है कि वे किसी ऐसे को जानते हो जिसे कभी कुत्ते ने काट लिया हो। जो भी कारण हो, लेकिन कुत्तों से इंसान डरता है और ये डर उनकी जीवन शैली को भी प्रभावित कर सकता है। जिसमें उन्हें दोस्तों के घरों पर जाने से रोकता है जिसके घर में कुत्ते हो।

    यह समझना कि यह डर कहां से उपजा है और इसके क्या उपचार हो सकते हैं लोगों को कुत्तों के सबसे बड़े डर से दूर करने में मदद कर सकता है। डर के खत्म होने से मनुष्य के सबसे अच्छे दोस्त (कुत्ते) के प्रति मित्रता महसूस करना इंसान शुरू कर सकता है।

    साइनोफोबिया (कुत्ते से डरना) कैसे शुरू होता है?

    न्यूयॉर्क के एमिटीविले में नॉर्थवेल हेल्थ के साउथ ओक्स अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, लॉरी विटाग्लियानो कहते हैं, ‘बहुत से लोगों को बहुत कम उम्र में ही कुत्तों का डर हो जाता है। कुत्ते के प्रति डर में आपके वातावरण और अनुभव का भी हाथ हो सकता है। हर डर को आप अनुवांशिक नजरिए से नहीं तौल सकते हैं।’

    आपको साइनोफोबिया (कुत्ते से डरना) है या नहीं इस बात का हल सिर्फ एक प्रश्न से हो सकता है। अपने आप से पूछिए कि क्या आप कुत्तों के डर से अपना रास्ता बदल देते हैं? क्या कुत्तों का डर आपके दैनिक कामकाज में बाधा डालता है? क्या आपको ऐसा लगता है कि जब आप कुत्ते को देखते हैं तो आपको पैनिक अटैक होता है? अगर इन सवालों का जवाब हां है तो आपको साइनोफोबिया है।

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    साइनोफोबिया के लक्षण

    कुत्ते से हद से ज्यादा डरना एक मानसिक बीमारी हो सकती है। सिनोफोबिया के लक्षण व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं। कुछ व्यक्तियों में लक्षण तब भी दिखाई देने लगते हैं जब वे किसी कुत्ते के बारे केवल सोच रहे हों। जबकि किसी अन्य व्यक्ति में लक्षण तब दिखाई देते है जब वह कुत्तों के संर्पक में आता है। आमतौर पर, एक कुत्ते के संपर्क में आने पर सिनोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को भय, चिंता का अनुभव होने लगता है। वे किसी भी स्थिति से बचने की कोशिश करेंगे, जिसमें वे एक कुत्ते के आसपास हो सकते हैं। कुछ संकेत तो साफ दिखाई देते हैं जैसे-

    • दिल की धड़कन का तेज हो जाना
    • जी मिचलाना
    • पसीना आना
    • सांसों की कमी
    • कंपन
    • रोना या चिल्लाना

    भावनात्मक लक्षणों में शामिल हैं:

    • घबराहट या चिंता
    • नियंत्रण खोना
    • महसूस करना कि आप मर सकते हैं
    • डर के आगे खुद को शक्तिहीन महसूस करना

    बच्चों में साइनोफोबिया (Cynophobia) के विशिष्ट लक्षण भी होते हैं। जैसे-

    • बाहर जाने में टेंट्रम करना
    • बाहर जाने पर केयर टेकर से हमेशा चिपके रहना
    • रोना

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    साइनोफोबिया (Cynophobia) के कारण क्या हैं?

    साइनोफोबिया के ज्यादातर मामले बचपन में विकसित होते हैं। इसका कारण आपकी किसी समय कुत्ते के साथ एक अप्रिय मुठभेड़ हो सकती है। हो सकता है कि कभी कुत्ते ने काट लिया हो या पीछा किया हो। ये कारण भी आपके अंदर कुत्ते के डर को पैदा कर सकते हैं।

    बचपन में किसी दूसरे व्यक्ति को कुत्ते का शिकार होते हुए देखने या किसी करीबी के नकारात्मक अनुभव सुनने से भी यह डर पनपता है। जैसे अगर किसी दोस्त या रिश्तेदार पर कुत्ते ने हमला किया, या माता-पिता ने बचपन में बच्चों को डराने के लिए कुतों के डर का सहारा लिया, तो यह साइनोफोबिया के विकास के खतरे को बढ़ाता है। इसके आलावा साइनोफोबिया जेनेटिक भी होता है। आपको ये डर अपने माता-पिता से भी मिल सकता हो जो कुत्तों से डरते हो।

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    साइनोफोबिया के लिए उपचार क्या हैं?

    साइनोफोबिया का सामना कर रहे लोग जानते हैं कि बेवजह कुत्ते उन्हें नहीं काटेंगे, लेकिन फिर भी वे अपने आप पर काबू नहीं रख पाते। ऐसे में मनोविज्ञानिक कई तरह की टेक्निक्स का इस्तेमाल करके उनके डर को दूर करने की कोशिश करते है। जैसे-

    कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी

    संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी (सीबीटी) साइनोफोबिया के इलाज में बहुत प्रभावी है। इस उपचार के दौरान व्यक्ति को कुत्ता पालने की कल्पना करने को कहा जाता है जिसे कुत्तों का डर है। ये इस इलाज का प्रथम चरण होता है।

    कुत्ते के फोबिया वाले व्यक्ति के लिए, एक चिकित्सक एक तस्वीर या एक कुत्ते के वीडियो दिखाकर उपचार  शुरू कर सकता है और फिर धीरे-धीरे समय के साथ, एक कुत्ते का खिलौना फिर एक वास्तविक कुत्ते को उस इंसान के करीब लाने की कोशिश की जाती है।

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    साइनोफोबिया का एक इलाज एक्सपोजर थेरिपी

    एक्सपोजर थेरिपी के साथ सीबीटी साइनोफोबिया के साथ बहुत प्रभावी है। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी में, चिकित्सक कुत्तों से जुड़े नकारात्मक विचारों को तर्कसंगत विचारों के साथ बदलने की कोशिश करते हैं। एक चिकित्सक साइनोफोबिया के इलाज के लिए प्रणालीगत डिसेन्सिटाइजेशन का उपयोग कर सकता है। जहां हम अपने डर का सामना उस चीज से करते हैं जिससे हम कम से कम डरते हैं और फिर उस चीज से करते हैं जिससे हम सबसे ज्यादा डरते हैं।

    संज्ञानात्मक रीफ्रैमिंग के साथ, एक व्यक्ति कुत्तों को देखने के तरीके को बदलना सीख सकता है। इस तकनीक में इंसान को कुत्तों को घृणित और खतरनाक न समझने के बारे में बताया जाता है। इस तकनीक के बाद एक व्यक्ति कुत्तों को देखने की अपनी प्रतिक्रिया बदल सकता है।

    इसके आलावा कुत्तों के फोबिया को दूर करने के लिए आप अपने घर में छोटा पपी रख सकते हैं। इससे मन में दबा डर और नकरात्मक विचार अपने आप धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे।

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    कुत्तों के डर को कैसे दूर किया जाए

    साइनोफोबिया के विकास के जोखिम को कम करने का एक तरीका कुत्ते के साथ घुलना-मिलना भी है। आप कुत्तों को देखिए, उनके बारे में पढ़िए और जानिए कि वे खतरनाक से ज्यादा वफादार मित्र होते हैं। डर पर काबू हो तो कुत्तों के साथ बाहर घूमने जाएं। उनके साथ खेलें और हाथ मिलाएं। ये छोटे-छोटे कदम आपको कुत्तों के करीब लाएंगे और आपके डर को छूमंतर कर देंगे।

    उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपके के लिए फायदेमंद साबित होगा। अगर आपके कोई सुझाव या सवाल हैं तो कमेंट्स के जरिए हमसे शेयर कर सकते हैं।

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