अब्लूटो
फोबिया एक खास प्रकार की बीमारी है। इसमें व्यक्ति को नहाने या फिर पानी से कुछ भी धोने से डर लगता है। यह डर सामान्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। यह बीमारी बच्चों से लेकर बड़ों को हो सकती है। वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी के केस काफी ज्यादा देखने को मिलते हैं। वहीं, पीड़ित अपने डर को सही से बयां तक नहीं कर पाता है। पीड़ित को जिससे
डर लगता है वह उससे बचने की पूरी कोशिश करता है। नहाने से डर और उससे जुड़ी कई अहम बातों के बारे में आइए हम जानने की कोशिश करते हैं। वहीं इस बीमारी के कारणों के साथ लक्षण और बीमारी के ट्रीटमेंट के बारे में भी जानेंगे।
फोबिया (Phobia) का अर्थ है डर
टाटा मेन हॉस्पिटल जमशेदपुर के मनोरोग विभाग के एचओडी डॉक्टर संजय अग्रवाल बताते हैं कि, ‘फोबिया का अर्थ डरना है। यदि जरूरत से ज्यादा कोई भी व्यक्ति किसी चीज व अन्य से डरे तो उसे फोबिया है और उसे मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए, यदि वह न लें तो उसकी स्थिति और बिगड़ सकती है। अब्लूटोफोबिया की बीमारी होने पर व्यक्ति को नहाने से डर लगता है।’
नहाने, धोने और शावर से लगता है डर (ablutophobia)
इस स्थिति में संभावना काफी बढ़ जाती है कि लोगों को सिर्फ पानी से डर ही नहीं बल्कि किसी भी चीज से डर सता सकता है। ब्रिटिश कोलंबिया के एंजाइटी डिसऑर्डर एसोसिएशन के अनुसार सात से 11 वर्ष के बच्चों में नहाने से डर व अब्लूटोफोबिया की बीमारी विकसित हो सकती है। ऐसे में यदि इस उम्र के बच्चों में किसी प्रकार का लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टरी सलाह जरूर लेना चाहिए। बता दें कि इस प्रकार की बीमारी लड़कों व लड़कियों में सामान्य हैं। वहीं जहां युवकों को यह बीमारी सिर्फ पांच फीसदी ही है वहीं किशोर में 16 फीसदी बीमारी के केस देखने को मिलते हैं।
नहाने से डर या अब्लूटोफोबिया के लक्षण (Symptoms of ablutophobia)
- नहाने से डर यानि अब्लूटोफोबिया बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सामान्य लोगों की तुलना में कम पानी के संपर्क में आता है। किसी भी चीज को कम धोता है।
- सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार पानी से नहाने के साथ, बाल, फेस और बार- बार पानी से हाथ धोने की आदत को अपनाकर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
- वहीं ऐसा कर क्रॉनिक डायरिया और जुएं से भी बचा जा सकता है। अमेरिकी लोग ज्यादा नहाने वाले होते हैं। जहां 66 फीसदी लोग रोजाना शॉवर लेना पसंद करते हैं वहीं सात फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो सप्ताह में एक बार ही नहाते हैं।
- नहाने से डर व अब्लूटोफोबिया के लक्षण उन बच्चों से काफी अलग है जो नहाने के नाम से भागते हैं। साथ ही ऐसे युवाओं से भी अलग है जो सजने संवरने को लेकर खुद पर खास ध्यान नहीं देते।
- अब्लूटोफोबिया का सबसे बड़ा लक्षण नहाने से डर है। नहाने पर किसी प्रकार का खतरा न होने के बावजूद पीड़ित को डर लगा रहता है। वह काफी जिद्दी हो जाता है। पीड़ित में ऐसे लक्षण छह महीने से ज्यादा समय तक दिखते हैं।
अब्लूटोफोबिया के अन्य लक्षण (Other Symptoms of ablutophobia)
यह तमाम लक्षण अब्लूटोफोबिया से ग्रसित व्यक्ति के एक्सपीरिएंस के आधार पर हैं। यह बीमारी होने पर व्यक्ति वास्तविक्ता से कटा महसूस करता और वहीं अपने शरीर से खुद को अलग महसूस करता है। वहीं मानसिक संतुलन खोने के साथ बेहोश हो सकता है, शरीर पर कंट्रोल खोने के साथ मृत्यु तक हो सकती है। शरीर में यदि इस प्रकार के लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। व्यक्ति मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए नहाने से डरता है, कुछ भी धोने से डरता है इस कारण शारीरिक समस्या होने के साथ समाज उसे नहीं स्वीकारता, लोग उसे साथ नहीं बैठाते।
अब्लूटोफोबिया के कॉम्प्लिकेशन (Complication of ablutophobia)
नहाने से डर व अब्लूटोफोबिया हकीकत में किसी को भी हो सकता है। कई फोबिया को इग्नोर किया जा सकता है, लेकिन एब्लूटोफोबिया के केस में मरीज अपने दैनिक काम को ही सही प्रकार से नहीं कर पाता है। ठीक से नहीं नहाने के साथ पानी से जुड़े काम नहीं कर पाता है।
यदि इलाज न किया जाए तो मरीज अकेले रहने लगता है। वहीं तनाव भी हो सकता है। कई केस यह बताते हैं व्यक्ति नशे का आदि हो जाता है।
आखिर क्यों होती है बीमारी (Causes of ablutophobia)
एक्सपर्ट इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि आखिरकार यह बीमारी क्यों होती है।
प्राकृतिक कारण: कई एक्सपर्ट का मानना है कि अनुवांशिक कारणों से यह बीमारी हो सकती है। कई बार रहन- सहन के कारण व बच्चा बड़ों को देख वही सीखता है। यदि पेरेंट्स ऐसा करते हैं तो वह भी ऐसा कर सकता है।
इलाज पर नजर
नहाने से डर के मरीजों को ठीक करने के लिए थेरिपी और दवा देकर इलाज किया जाता है। सबसे पहले डॉक्टर मरीज से बात कर बीमारी के होने के कारणों का पता करता है।
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive Behavioral Therapy ) : इसके तहत व्यक्ति को उसकी सोच से हटकर अपने आसपास के बारे में सोचने पर जोर डाला जाता है, वास्तविक्ता में जीने की सलाह दी जाती है। इसमें व्यक्ति अपने इमोशन रिएक्शन को कैसे कंट्रोल करे यह सिखाया जाता है, ताकि बीमारी से जितना जल्दी संभव हो उबर सके। नतीजे यह बताते हैं कि सामान्य तौर पर इस थेरिपी के द्वारा करीब 75 फीसदी पीड़ित लोगों को आराम मिला है।
दवाएं : इस खास प्रकार के फोबिया को ठीक करने के लिए कई बार दवा का सहारा लिया जाता है। ऐसा तभी किया जाता है जब अन्य इलाज की पद्दिति काम नहीं आती है या फिर ऐसे मरीज जिन्हें पहले से मनोरोग संबंधी दिक्कत है उन्हें दवा देकर स्पेशल ट्रीटमेंट किया जाता है। इलाज के लिए एंटी एंजाइटी ड्रग्स जैसे बेंजोडायजेपींस (benzodiazepines) और एंटीडिप्रिसेंट्स (Antidepressants) दवाएं लेकर इलाज किया जाता है।
एक्सपोजर थेरिपी : इस थेरिपी में मरीज का इलाज उसके डर से सामना करवाया जाता है। ऐसा धीरे-धीरे स्टेप वाइज डर से सामना कर किया जाता है। नहाने से डरने वाले व्यक्ति को पूरा कपड़ा पहनाकर शॉवर लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा बार-बार कर उसमें नहाने की आदत विकसित की जाती है।
मैनेजमेंट : मेडिटेशन, एक्सरसाइज, कैफीन का सेवन ना कर पीड़ित नहाने के डर से उबरने की कोशिश करते हैं। डर को कम करने के लिए कुछ और तरीके भी अपनाए जाते हैं, लेकिन पहले ट्रीटमेंट किया जाता है।
कुछ अन्य अजीबोगरीब फोबिया (Some other weird phobias)
- एरोगोफोबिया (erogophopia) की बीमारी होने से व्यक्ति जहां काम करता है उस जगह से डरने लगता है।
- सोमनीफोबिया (somniphobia) की बीमारी होने से व्यक्ति को सोने से डर सताने लगता है।
- किटोफोबिया (chaetophobia) बीमारी में व्यक्ति को लगता है कि उसके बाल गिर रहे हैं, बाल शरीर में है ही नहीं, ऐसी फीलिग आती है।
- ओइकोफोबिया (oikophobia) की बीमारी होने से व्यक्ति को अपने ही घर से डर लगने लगता है।
- पैनफोबिया (panphobia) बीमारी में हर किसी से डर लगता है।
नहाने की बीमारी अब्लूटोफोबिया से निजात पाने के लिए मरीज को पर्सनल हाईजीन मेंटेन करने की सलाह दी जाती है। शरीर में या फिर बालों में लंबे समय तक बैक्टीरिया रहे तो उस स्थिति में कई और बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। यह काफी अहम है कि नहाने के डर और अब्लूटोफोबिया से ग्रसित मरीज का इलाज बेहद जरूरी है। यदि इलाज न किया जाए तो स्थिति बद से बदतर हो जाती है। कई केस से यह पता चला है कि जब तक मरीज खुद बीमारी से निजात के लिए कदम न उठाए तक तब बीमारी से निजात नहीं पाई जा सकती। प्रोफेशनल डॉक्टर या एक्सपर्ट की मदद लेकर बीमारी से निजात पाई जा सकती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और अब्लूटोफोबिया से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।