सायकोलॉजिकल थेरेपीज (Psychological Therapies) के जरिए आप ना सिर्फ़ मानसिक समस्याओं में राहत पा सकते हैं, साथ ही आप अपने मन को बेहतर रूप से ट्रेन कर सकते हैं। जो आपके पर्सनल गोल हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही एक खास थेरेपी की, जिसे न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) का नाम दिया गया है। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) अपने आप में एक खास थेरेपी मानी जाती है, जो आपके बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए और बेहतर बिहेवियर पैटर्न को बनाने का काम करती है।
जिंदगी को बेहतर रूप से जीने के लिए हमें जिस प्रकार अपने शरीर का ध्यान रखने की जरूरत होती है, उसी प्रकार आपके मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान आपको रखना पड़ता है। कई बार सायकोलॉजिकल समस्याओं (Psychological problems) के चलते आपको कई तरह की मानसिक तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जिससे रोजमर्रा के कामों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। मन को शांत और को एकाग्र बनाने के लिए आपको काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में आपके लिए सायकोलॉजिकल अप्रोच आजमाना बेहतर माना जाता है।
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क्या है न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी? (Neuro-Linguistic Programming)
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) एक साइकोलॉजिकल अप्रोच है, जिसमें व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एनालाइजिंग स्ट्रैटेजीस (Analyzing Strategies) का इस्तेमाल किया जाता है। यह थेरेपी आपके विचारों, भाषा, बिहेवियर (Thoughts, language, behavior) इत्यादि से जुड़ी होती है। आपके एक्सपीरियंस का इस्तेमाल करते हुए इस सायकोथेरेपी को बनाया जाता है। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी के अंतर्गत यह माना जाता है कि आपके द्वारा किया गया हर काम पॉजिटिव है। यही वजह है कि यदि आप इसके बने प्लान में सफलता हासिल नहीं कर पाते, तो आपको बुरा महसूस नहीं होता है। इससे आप सिर्फ जरूरी जानकारी और एक्सपीरियंस लेते हैं, जो आपको भविष्य में मदद कर सकते हैं। यही वजह है कि व्यक्ति को न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) से परेशानी नहीं होती।
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न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी की कब हुई शुरुआत? (History of Neuro-Linguistic Programming)
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) 1970 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैंटाक्रूज में डेवलप की गई थी। इसके फाउंडर थे जॉन ग्रीडेन, जो एक लिग्विस्ट थे। इस थेरेपी को डेवलप करने के लिए उनका साथ दिया था रिचर्ड बैंडलर ने, जो इंफॉर्मेशन साइंटिस्ट और मैथमेटिशियन थे। ग्रीडेन ने न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी के बारे में सबसे पहले अपनी पहली बुक स्ट्रक्चर ऑफ मैजिक: अ बुक अबाउट लैंग्वेज ऑफ थेरेपी (Book Structure of Magic: A Book About Language of Therapy) में लिखा था, जो 1975 में पब्लिश की गई।
इस थेरेपी के अंतर्गत उन्होंने कम्युनिकेशन के कुछ खास पैटर्न के बारे में बात की थी, जो साइकोलॉजिकल समस्याओं में बेहद कारगर मानी गई। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी को अलग-अलग तरह के मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल और रिसर्चर (Mental health professional and researcher) ने अपनाया, जिसके बाद न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) एक मेटामॉडल और टेक्निक के रूप में सामने आई, जिसमें लैंग्वेज पेटर्न का इस्तेमाल होता था। इसका इस्तेमाल 1970 के बाद किया जाने लगा। इस लैंग्वेज थेरेपी के जरिए लोग सफलता हासिल करने की कोशिश करने लगे। यदि वर्तमान की बात करें, तो न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी अब अलग-अलग फील्ड में इस्तेमाल की जाती है। जिसके अंतर्गत काउंसलिंग, मेडिसिन, बिजनेस, लॉ, परफॉर्मिंग आर्ट्स, मिलिट्री, एजुकेशन (Counseling, Medicine, Business, Law, Performing Arts, Military, Education) इत्यादि फील्ड का समावेश होता है।
जाहिर है न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी अपने आप में एक शानदार टेक्निक साबित होती है। आइए अब जानते हैं न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी किस तरह काम करती है।
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कैसे काम करती है न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी? (Neuro-Linguistic Programming)
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) के अंतर्गत कुछ की खास एलिमेंट का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें मॉडलिंग, एक्शन और इफेक्टिव कम्युनिकेशन (Modelling, Action and Effective Communication) का सामवेश होता है। इस मॉडल के अंतर्गत व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति को समझना होता है, जो इस थेरेपी के जरिए बेहतरीन रूप से अपने काम पूर कर सकता है। व्यक्ति अपने कामों को करने के अगले व्यक्ति के तरीके को दोहरा सकता है और इसके बारे में बात करके खुद के काम पूरे करने की कोशिश कर सकता है।
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी के अंतर्गत हर व्यक्ति अपने लिए वास्तविकता का पर्सनल मैप बनाना होता है। साथ ही जो लोग न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) अपनाते हैं, उनके कामों को एनालाइज कर के अपने पर्सनल मैप (Personal map) में बदलाव करने होते हैं। इसका मतलब है कि एक ही सिचुएशन को दो अलग-अलग तरह से किस तरह किया जा सकता है, इसका एनालिसिस किया जाता है। इसमें अलग-अलग तरह की प्रैक्टिस पर ध्यान दिया जाता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको दी जाती है।
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न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) के अंतर्गत के माना जाता है कि शरीर और मन एक दूसरे को इनफ्लुएंस कर सकते हैं, यही वजह है कि इस थेरेपी में एक्सपेरिमेंटल अप्रोच ली जाती है। इस थेरेपी के अंतर्गत व्यक्ति को यह समझना होता है कि एक ही काम को अलग-अलग और बेहतर रूप से किस तरह किया जा सकता है। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) के अंतर्गत आप अलग-अलग लॉजिकल लेवल पर अपने अंदर बदलाव ला सकते हैं।
- पर्पस और स्पिरिचुअलिटी : इस भाग में आप किसी भी रिलीजन, व्यक्ति और बिलीफ सिस्टम को अपना सकते हैं। जिसे ध्यान में रख कर आप खुद में आसानी से बदलाव ला सकते हैं।
- आईडेंटिटी : इस भाग में आपको खुद को पहचानना होता है कि जिंदगी में आप क्या बेहतर कर सकते हैं और आपकी रेस्पॉन्सिबिलिटी और रोल क्या हैं।
- बिलीफ और वैल्यू : इस भाग में आप अपने पर्सनल बिलीफ सिस्टम (Personal belief system) का इस्तेमाल करके खुद में बदलाव ला सकते हैं। आपको इस भाग में अपने स्किल पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है, जिससे आप यह पहचान सकें कि आपकी एबिलिटीज क्या-क्या हैं।
- बिहेवियर : अपने बिहेवियर (Behaviour) के प्रति सजग बनकर आप खुद के द्वारा किए जाने वाले कामों पर नजर रख सकते हैं।
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यह सभी लॉजिकल लेवल आपको बेहतर रूप से काम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह जानकारी देते हैं कि आप कामों को और बेहतर रूप से कैसे कर सकते हैं। जब आप इन भागों को ध्यान में रखते हुए अपने अंदर बदलाव लाने की शुरुआत करते हैं, तो आप अच्छा महसूस करते हैं।
क्या है न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी? (Neuro-Linguistic Programming)
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) के अंतर्गत आपको कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती हैं, जिसमें विजुअलाइजेशन एक महत्वपूर्ण टेक्निक होती है। इसमें आपको एक मेंटल इमेज बनानी होती है, जो आप भविष्य में अचीव करना चाहते हैं। इसे विजुअल काइनेस्थेटिक डिसोसिएशन (Visual-kinesthetic dissociation) का नाम दिया गया है। इससे सालों के ट्रॉमा से बाहर निकलने में व्यक्ति को मदद मिलती है और व्यक्ति खुद को बेहतर स्थिति में पाता है। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी के अंतर्गत थैरेपिस्ट पॉजिटिव भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जिससे आप नेगेटिव थिंकिंग और क्वॉलिटी कम्युनिकेशन (Negative thinking and quality communication) को बेहतर बना कर पॉजिटिव कम्युनिकेशन की ओर बढ़ सकते हैं। न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म थेरेपी होती है। यह थैरेपी आप अपनी जरूरत के अनुसार ले सकते हैं।
न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) देने वाले थैरेपिस्ट कई तरह के हो सकते हैं, जिसमें लाइसेंस्ड मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल, सोशल वर्कर, थैरेपिस्ट और एनएलपी थेरेपिस्ट भी शामिल होते हैं। आप न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) की वर्कशॉप और मेंटरशिप प्रोग्राम में हिस्सा ले सकते हैं।
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न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (NLP) अपने आप में एक ऐसी थेरेपी है, जो आप को बेहतर बनाने का काम करती है। यही वजह है कि आप इसका इस्तेमाल अपने भविष्य को बेहतर रूप से डिजाइन करने के लिए कर सकते हैं। यदि आप सायकोलॉजिकल परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी (Neuro-Linguistic Programming) आपके लिए कारगर साबित होती है। डॉक्टर से सलाह लेकर आप न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग थेरिपी अपनी जरूरत के मुताबिक ले सकते हैं।