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वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस को कैसे कर सकते मैनेज

वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस को कैसे कर सकते मैनेज

वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) नाम सुनकर शायद आप सब आश्चर्य में पड़ जायेंगे। यह तो सभी को पता है कि सुबह हो या शाम वॉक करना सेहत के लिए अच्छा होता है। इससे न सिर्फ बॉडी शेप में रहता है बल्कि तनाव और अवसाद से भी मन शांत रहता है। और मेडिटेशन को ध्यान लगाना कहते हैं यह तो आप जानते ही हैं। ध्यान न सिर्फ मन को एकाग्र करने में मदद करता है बल्कि शरीर और मन का तालमेल भी सही रखता है। लेकिन वॉकिंग मेडिटेशन है क्या? मेडिटेशन तो अक्सर बैठकर किया जाता है लेकिन वॉकिंग मेडिटेशन चलते हुए करते हैं। बौद्ध धर्म में इस मेडिटेशन का उल्लेख मिलता है। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस को कैसे मैनेज कर सकते हैं? आजकल तो स्ट्रेस एक क्रॉनिक डिजीज का रूप धारण कर चुका है। इस बीमारी से निजात पाने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट एक नैचुरल तरीका है जो बिना किसी साइड इफेक्ट से स्ट्रेस से राहत दिला सकता है।वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट किया जा सकता है।  

जैसा कि पहले ही बताया गया है कि वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) का उल्लेख बौद्ध धर्म में मिलता है। उदाहरणस्वरूप यह तीन तरह का होता है- थेड़ावड़ा (Theravada), किनहिन (Kinhin) और विपासना (Vipassana)। इसको हिन्दी में चलना ध्यान भी कहते हैं। नाम से जैसे पता चल रहा है कि चलते हुए ध्यान करना या ध्यान रखना। आम तौर पर चलते समय हम एक सीध में नहीं चलते हैं कदम इधर-उधर पड़ने लगता है। लेकिन वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) में एक सीध में चलने का प्रयास करना पड़ता है। सीधे चलने के लिए आपको अपनी गति भी धीमी करनी पड़ेगी और मन को एकाग्र करना पड़ेगा। यही है इस मेडिटेशन का मूल मंत्र। चलना ध्यान, बैठकर ध्यान करने के बीच में करना चाहिए। लंबे समय तक चलने के बाद कुछ देर बैठकर मेडिटेशन करने के बाद फिर चलना शुरू करना चाहिए। इस मेडिटेशन से बहुत तरह से मन और शरीर को फायदा पहुँचता है। साथ ही कई आम बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर को शक्ति भी मिलती है, जिससे शरीर को स्वस्थ और निरोगता के तरफ कदम बढ़ाने में मदद मिलती है।

वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) करने के तरीका

वॉकिंग

इस मेडिटेशन को करने के लिए मन को एकाग्र करके एक ही सीध में चलने का प्रयास करना चाहिएचलते समय मन को भटकने नहीं देना है उसको एकाग्र करके प्रकृति के सौन्दर्य का आनंद लेते हुए चलने का अभ्यास करना पड़ता है। अपने साँस के चलने की प्रक्रिया, मन की संवेदना, सुबह की ताजी हवा की भीनी-भीनी खुशबू पर ही अपने को एकाग्र करना चाहिए। इसमें साँस लेने की गति के साथ चलने की गति का सामंजस्य रहने पर वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) में मदद मिलती है। 

1- वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) को करते समय आपको शांत जगह का चयन करना चाहिए जिससे कि आपका मन शांत रहे। इसके लिए आप बाहर पार्क, बगीचा का चुनाव कर सकते हैं या घर पर ऐसे जगह को चुन सकते हैं जो खुला-खुला हो और जहां से आप प्रकृति से संपर्क स्थापित कर सके। क्योंकि जितनी आप प्रकृति के करीब होंगे उतना ही वह दिल और मन के करीब होगा और आपको वॉकिंग और सिटिंग दोनों मेडिटेशन करने में मदद मिलेगी।

2- वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) करते वक्त प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित होना बहुत जरूरी होता है। सुबह हो या शाम या रात जब भी हो एक निश्चित समय का चयन कर लें और उसको अपना अभ्यास बना लें।

3-वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) की सबसे विशेष बात यह होती है आपकी गति एक समान होनी चाहिए। धीरे-धीरे ही वॉक करना चाहिए। और थकान महसूस होने पर सिटिंग मेडिटेशन कर लेना चाहिए

4- चलते समय अपने मन को एकाग्र करके उसका ध्यान शरीर पर लाना चाहिए। इससे आप अपने शरीर को अच्छी तरह समझ पायेंगे। कैसे चलने पर आपको अच्छा लगता है या कैसे चलने पर आपके पेट, कमर और पैर पर दबाव पड़ता है आदि। इससे आप अपने चाल को उसी तरह से नियंत्रण कर पायेंगे। 5-वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस को मैनेज करने में इसलिए आसानी होती है क्योंकि इसका सीधा संबंध मन से होता है। जितना आप मन को एकाग्र और शांत कर पायेंगे उतना ही बाहर के तनाव से दूर रख पायेंगे। चलिये अब जानते हैं कि वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस को कम कर सकते हैं जिससे जिंदगी खुशहाल बन सके-

1-प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस को करें मैनेज

चलना ध्यान करते वक्त जब हम पार्क, गार्डेन में चलते हैं तो प्रकृति की ठंडी-ठंडी हवा, सुंदर-सुंदर फूल, उनकी खुशबू से हमारा तालमेल बनता है। जिससे मन को एक अजीब शांति का एहसास होता है जो माइंड को अलग स्फूर्ति से भर देता है। और हम जीवन को एक ही नए ही पहलु से समझने की कोशिश करने लगते हैं। जिंदगी के सारे उलझन सुलझने लगते हैं। इससे जिंदगी के उलझनों से जो स्ट्रेस हमारी नींद उड़ाते रहती है उसको आसानी से मैनेज कर पाते हैं।

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2-  वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस से कैसे पाए राहत

वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट आसान तरीका साबित हो सकता है। आजकल के प्रतियोगितामूलक जीवन का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट स्ट्रेस या तनाव होता है , स्ट्रेस या तनाव या चिंता। लोग हमेशा खुद को दूसरों के सामने बेहतर साबित करने के दौड़ के कारण या वर्कलोड को कम करने के बोझ से हमेशा तनाव में ही जीते हैं। चिंता जिंदगी का एक अंग बन गया है।  जिसका असर हमारे पूरे शरीर को भुगतना पड़ता है। चलना ध्यान करने से मन शांत होता है और शरीर के तंत्रिकाओं को आराम मिलता है। जिसका सीधा असर मन पर पड़ता है और अशांत, बेचैन मन को शांति मिलती है।

3- वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) से स्ट्रेस के अलावा डिप्रेशन से पाये राहत

अवसाद अब एक उम्र के हद तक सीमित नहीं रह गया है। इस बीमारी से बच्चे से लेकर युवा, वयस्क और बूढ़े सभी ग्रस्त हैं। बच्चों को परीक्षा में सही रिजल्ट न मिलने का डिप्रेशन हैं तो वयस्को को लाइफ में सही तरह से सेट्ल नहीं होने का गम है और बुजुर्गों को अकेलेपन की चिंता है। अध्ययन से यह पता चला है कि बुद्धिस्ट वॉकिंग मेडिटेशन को 12 हफ्तों तक हफ्ते में तीन बार करने से मन से अवसाद की स्थिति से राहत मिली है। लोगों का फिटनेस लेवल बेहतर होने के कारण उनको बेहतर महसूस होने लगता है।

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4-  स्ट्रेस को कम करके मन की एकाग्रता बढ़ायें

वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट के साथ ही एकाग्रता भी बढ़ती है।  चलना ध्यान करने का सबसे बड़ा असर मन पर ही पड़ता है। वॉक करने के समय जब मन को एकाग्र करके धीरे-धीरे चलते हैं उससे कन्सन्ट्रेशन करने का लेवल बढ़ता है। इससे काम को करने में मन भी लगता है और वह सही तरह से भी होता है। बस फिर क्या अच्छा रिजल्ट, काम में प्रोमोशन, नए-नए काम के आइडियाज और क्या चाहिए। जिंदगी एक नया रूख ले लेती है।

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5- कार्यकुशलता में होती है बढ़ोत्तरी

वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट के साथ ही कार्यकुशलता में होती है बढ़ोत्तरी होती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि क्यों वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) करने से आपके काम में क्रियेटिविटी बढ़ती है और आप हर काम एक नए तरीके से कर पाते हैं। मन और शरीर शांत हो तो हमारा काम भी आसान हो जाता है। स्ट्रेस जिंदगी से जितना दूर होगा उतना ही मन काम में लगेगा और काम के नए तरीके मिलेंगे। फिर क्या जिंदगी का एक नया पहलु खुल जायेगा।   इनके अलावा वॉकिंग मेडिटेशन से और भी फायदे मिलते है। कहने का मतलब है कि स्ट्रेस के अलावा यह दूसरे बीमारियों से भी राहत दिलाने में सहायता करता है-

1-वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट के अलावा ब्लड शुगर लेवल में आता है सुधार

एक रिसर्च में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के ग्लाइसेमिक और वस्कुलर फंक्शन पर अध्ययन किया गया। स्टडी के दौरान यह पाया गया कि 12 हफ्तों तक हफ्ते में तीन बार कम से कम 30 मिनट तक वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) करने पर स्थिति में सुधार आया। ऑक्सिजन लेने की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ खाली पेट ब्लड ग्लूकोज का लेवल भी कम हुआ। ब्लड कॉर्टिसोल के लेवल में भी गिरावट आई। ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित अवस्था में आई। कहने का मतलब यह है कि टाइप-2 डायबिटीज के हालत में सुधार देखा गया।

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2-वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस के अलावा पाचन संबंधी समस्या से मिलती है राहत 

अगर आप असंतुलित जीवनशैली में अभ्यस्त हैं तो आपको डाइजेशन संबंधी समस्या होगी ही। आपका वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट के साथ ही  मेटाबॉलिज्म बढ़ेगा साथ ही खाना हजम करने की प्रक्रिया भी बेहतर होगी। सिस्टेम क्लियर तो जिंदगी वंडरफूल।

3-वॉकिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस मैनेजमेंट 

क्या आप स्ट्रेस के कारण इन्सोमनिया या अनिद्रा की बीमारी से परेशान रहते हैं। वॉकिंग मेडिटेशन से मैनेजमेंट (Walking meditation) आपके लिए इस बीमारी से राहत पाने का सबसे आसान तरीका है। इसके लिए न आपको नींद की गोलियां लेनी पड़ेगी और न ही नींद न आने का कष्ट सहना पड़ेगा। इस मेडिटेशन से आपका नर्वस सिस्टेम स्ट्रेस फ्री रहता है साथ ही मन शांत होने के कारण शरीर की बेचैनी भी कम होती है। चलने से मसल्स रिलैक्स और लचीले हो जाते हैं और शरीर भी थक जाता है जिससे बिस्तर पर सर रखते ही आपको शुकून भरी नींद मिलती है। 

4-वॉकिंग मेडिटेशन से शरीर और मन के बीच बढ़ता है संतुलन

चलना ध्यान से मन सचेत और उत्फुल्ल रहता है। प्रकृति से अलग ही ऊर्जा का संचार पूरे शरीर को एनर्जी से भर देती है। बच्चे से बूढ़े सबको इस मेडिटेशन से बहुत लाभ मिलता है।

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स्ट्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) करते वक्त एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि एक दिन में ज्यादा वॉक न करें। वॉकिंग और सीटिंग दोनों मेडिटेशन करें। इससे आपको जल्दी अपने शरीर और मन में आए बदलाव महसूस होंगे। लाइफ जीने का स्टाइल बदल जायेगा और आप लाइफ को नए तरीके से एन्जॉय करेंगे। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

27/04/2021

Mousumi dutta द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Mousumi dutta द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/04/2021

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