परिचय
स्जोग्रेन सिंड्रोम इम्यून सिस्टम से जुडी हुई बीमारी है। यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है, इसका अर्थ यह है कि आपका इम्यून सिस्टम गलती से अपने शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करता है। ऐसा तब होता है जब वाइट ब्लड सेल स्लाइवा ग्लैंड्स, आंसू ग्रंथियों और अन्य एक्सोक्राइन ऊतकों में जा कर उन पर असर डालते हैं, जिससे हमारे शरीर में आंसू और स्लाइवा के उत्पादन में कमी आती है। यह रोग होने से मुंह, आंख, त्वचा, नाक, योनि या ऊपरी श्वांस नलिका में रूखापन आ जाता है। यही नहीं, शरीर के अन्य भागों जैसे जोड़ों, फेफड़ों, किडनी आदि को भी इससे नुकसान होता है।
स्जोग्रेन सिंड्रोम की समस्या अधिकतर महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है और यह रोग 40 साल की उम्र के बाद ही शुरू होता है। यह रोग कभी-कभी अन्य बीमारियों जैसे गठिया और ल्यूपस से जुड़ा होता है।
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लक्षण
स्जोग्रेन सिंड्रोम के दो मुख्य लक्षण हैं:
- रूखी आंखे : इसमें आंखे में जलन, खुजली हो सकती है और ऐसा लग सकता है जैसे आंखो में मिट्टी चली गयी हो।
- रुखा मुंह : इसमें ऐसा महसूस हो सकता है जैसे आपके मुंह में रुई भरी हो। इसके साथ ही कुछ भी निगलने यहां तक की बोलने में भी समस्या होती है।
स्जोग्रेन सिंड्रोम में कुछ लोग निम्नलिखत लक्षण भी महसूस कर सकते हैं:
- जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न
- सूजी हुई लार ग्रंथियां (salivary glands) – विशेष रूप से जबड़े के पीछे और कानों के सामने
- त्वचा पर रैशेस और रूखी त्वचा
- योनि का सुखना
- लगातार सुखी खांसी
- लंबे समय तक थकान होना
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कारण
स्जोग्रेन सिंड्रोम के कारणों के बारे में सही से कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, अध्य्यनों के अनुसार वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन इस रोग का कारण हो सकते हैं। हालांकि इसके मुख्य कारण आनुवंशिक और पर्यावरणीय है। तंत्रिका तंत्र, एंडोक्राइन या हार्मोन-उत्पादक प्रणाली को भी स्जोग्रेन सिंड्रोम का कारण माना जा सकता है।
कोई पर्यावरणीय कारक (Environmental factor) भी इम्यून सिस्टम को बदल सकता है और बाद में इम्यून समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि हेपेटाइटिस सी या एपस्टीन-बार वायरस से संक्रमण होना।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा महिलाओं के हार्मोन्स की वजह से होता है। हालांकि इस बारे में सही से बताया नहीं जा सकता।
रजोनिवृत्ति भी इसका एक कारण हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि एस्ट्रोजेन स्जोग्रेन की सुरक्षा करता है और हार्मोन का गिरता हुआ स्तर इम्यून फंक्शन को बदल सकता है और स्थिति बदतर बना सकता है।
स्जोग्रेन सिंड्रोम का कोई उपचार नहीं है। लेकिन, प्रभावित अंगों के रूखेपन को दूर कर के इस रोग में होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। वर्तमान में कई क्लिनिकल ट्रायल प्रोग्राम हैं जो स्जोग्रेन के लिए नई थेरेपी को विकसित करने पर केंद्रित हैं।
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जोखिम
स्जोग्रेन सिंड्रोम की समस्या निम्नलिखित स्थितियों में जोखिम भरा हो सकती है:
- उम्र : स्जोग्रेन सिंड्रोम होने का जोखिम 40 साल की उम्र के बाद अधिक होता है।
- लिंग : पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है।
- रूमेटिक रोग (गठिया संबंधी रोग): जिन लोगों को रूमेटिक रोग यानि गठिया जैसा रोग है। उनमें भी यह रोग होने का जोखिम अधिक होता है।
- पारिवारिक इतिहास : ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपके परिवार में यह रोग किसी को है, तो आपको यह रोग होने की संभावना अधिक होती है।
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उपचार
स्जोग्रेन सिंड्रोम का निदान थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि इस रोग के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं। इसका निदान करने के लिए डॉक्टर रोगी की शारीरिक जांच कर सकते हैं और कुछ सवाल पूछ सकते हैं जैसे
- क्या आपकी आंखों में खुजली या जलन होती है?
- आपके दांतों में बहुत अधिक कीड़ा लगता है?
- आपका मुंह रुखा रहता है?
- आपके जोड़ों में दर्द या अकड़न रहती है?
ब्लड टेस्ट
डॉक्टर आपका ब्लड टेस्ट करा सकते हैं। इससे वो यह जान पाएंगे कि क्या आपमें जर्म-फाइटिंग प्रोटीन्स (एंटीबाडीज ) हैं, जो आमतौर पर इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में होती हैं। इससे आपके शरीर में प्रोटीन (इम्युनोग्लोबुलिन) की मात्रा का भी पता चल सकता है।
दवाइयां
स्जोग्रेन सिंड्रोम का कोई खास उपचार नहीं है। लेकिन , इसके लक्षणों को कम करके रोगी को राहत मिल सकती है। दवाइयां भी इन लक्षणों में राहत पाने में मददगार होती हैं। जैसे:
- अगर आंखे रूखी होती हैं तो ड्रॉप्स जिन्हे “आर्टिफीसियल टीयर्स’ कहा जाता है. उनका भी प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए आपको नियमित रूप से इन ड्रॉप्स का प्रयोग करना पड़ेगा। इन्हे रात को आंखों पर रखना होता है।
- अगर यह ड्रॉप्स मददगार साबित नहीं होती तो डॉक्टर आपको अपनी रूखी आंखों के लिए कुछ दवाइयों की सलाह दे सकते हैं। जैसे:
1) Cequa
2)लेकरेसर्ट (Lacrisert)
3) रेस्टासिस (Restasis)
लेकरेसर्ट एक छोटी सी दवाई होती है जिसे खास ऐप्लिकेटर की मदद से दिन में दो बार आंखों में रखना होता है जबकि अन्य दो दवाइयां ड्रॉप्स के रूप में आती हैं।
- रूखे मुंह की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर कुछ ऐसी दवाइयां दे सकते हैं, जो आपके मुंह में सलाइवा की मात्रा को बढ़ा सकती हैं। जैसे :
1) केविमलाइन (Evoxac)
2)सुपरसैचुरेटेड कैल्शियम फॉस्फेट रिंस (NeutraSal)
3)पाइलोकार्पिन (Salagen)
- अगर आपके मुंह में यीस्ट इंफेक्शन की समस्या है तो डॉक्टर आपको एंटी-फंगल दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं।
- अगर आपको हार्टबर्न की समस्या है, तो डॉक्टर आपको ऐसी दवाई दे सकते हैं जिनसे आपके पेट में कम मात्रा में एसिड बने।
- घुटनों के दर्द से राहत पाने में लिए डॉक्टर आपको हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Plaquenil) की सलाह दे सकते हैं। यह एक ऐसी दवा है, जिसका उपयोग मलेरिया, लुपस और संधिशोथ के इलाज के लिए भी किया जाता है।
- ऐसा बहुत कम होता है लेकिन कुछ लोग स्जोग्रेन सिंड्रोम लक्षणों को पूरे शरीर पर महसूस करें जैसे बुखार ,रैशेस या फेफड़ों या किडनी में समस्याआदि। ऐसी स्थिति में डॉक्टर प्रेडनिसोन (एक स्टेरॉयड) या मेथोट्रेक्सेट (रुमैट्रेक्स, ट्रेक्साल) नामक एंटी-इनफ्लमेशन दवाई दे सकते हैं।
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घरेलू उपचार
स्जोग्रेन सिंड्रोम की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ आसान घरेलू उपाय अपनाये जा सकते हैं, जैसे:
- अगर आपका मुंह बार-बार सूखता है तो आप किसी शुगरफ्री कैंडी या च्विंगम का प्रयोग कर सकते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे पानी पीने से भी राहत मिलती है।
- दांतों में कीड़े न लगे, इसके लिए नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस करें। इसके साथ ही डेंटिस्ट से चेकअप कराते रहें।
- रूखी आंखों के लिए रात को ह्युमिडिफायर या वेपोराइजर का प्रयोग किया जा सकता है। रूखे मुंह और नाक की समस्या को दूर करने में भी इससे मदद मिलेगी।
- रूखी त्वचा की समस्या से बचने के लिए नहाने के लिए गर्म पानी की जगह गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
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