लिगामेंट हड्डियों यानी बोंस को आपस में जोड़कर रखने का काम करते हैं। लिगामेंट टीयर के दौरान इन्हीं लिगामेंट में चोट पहुंच जाने के कारण घुटने सही से काम नहीं कर पाते हैं। खेल के मैदान में अक्सर खिलाड़ियों को लिगामेंट इंजरी का सामना करना पड़ता है। एक समय ऐसा भी था जब खिलाड़ियों को लिगामेंट टीयर के बाद बेकार समझा जाता था। लोग मानते थे कि जिस भी खिलाड़ी को लिगामेंट टीयर की समस्या हो गई है उसका करियर खत्म हो चुका है। लेकिन आज मेडिकल क्षेत्र में नई तकनीकों के आ जाने के बाद लिगामेंट इंजरी या लिगामेंट टीयर को ठीक किया जा सकता है। लिगामेंट टीयर का ट्रीटमेंट होने के बाद लोग पहले जैसी लाइफ जी सकते हैं। अगर आपको लिगामेंट टीयर के बारे में जानकारी नहीं है तो इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि क्या होता है लिगामेंट टीयर।
लिगामेंट को टफ टिशू भी कह सकते हैं। लिगामेंट हड्डी को हड्डी या हड्डी से कार्टिलेज को जोड़ने का काम करता है। लिगामेंट बेहद मजबूत भी होते हैं क्योंकि इन्हें फैलाया भी जा सकता है। किसी प्रकार का झटका लगने पर लिगामेंट टियर का खतरा रहता है। ऊंचाई से गिर जाने पर या फिर किसी घटना के कारण लिगामेंट इंजरी हो सकती है। लिगामेंट टियर या लिगामेंट इंजरी एंकल, नी (घुटने), अंगूठा, गर्दन या फिर पीठ के पीछे हो सकता है।
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लिगामेंट टीयर के लक्षण क्या हैं ?
लिगामेंट टीयर की समस्या हो जाने के बाद प्रभावित स्थान को छूने में बहुत दर्द होता है। साथ ही सूजन और चोट भी लग जाती है। लिगामेंट टीयर की समस्या हो जाने पर उस स्थान को छूने या फिर ज्वाइंट्स का मूवमेंट करने में भी बहुत दिक्कत महसूस होती है। लिगामेंट टीयर की समस्या होने पर आवाज का आभास भी होता है, साथ ही मांसपेशियों में ऐंठन भी महसूस हो सकती है। लिगामेंट ज्वाइंट्स को सपोर्ट करने के साथ ही स्ट्रेंथ भी प्रदान करते हैं। लिगामेंट टीयर होने पर लूजनेस का एहसास हो सकता है और साथ ही हाथ या पैर को मोड़ने में भी दिक्कत महसूस हो सकती है।
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क्या कारण होते हैं लिगामेंट इंजरी के ?
लिगामेंट टीयर या लिगामेंट इंजरी गिरने की वजह से, अचानक से मुड़ने की वजह से या फिर शरीर में अचानक से झटका लग जाने की वजह से हो सकती है। वैसे तो लिगामेंट इंजरी ज्यादातर एथलीट्स में कॉमन होती है, लेकिन लिगामेंट टीयर या लिगामेंट इंजरी किसी को भी हो सकती है।
एंकल में लिगामेंट टीयर
लेटरल लिगामेंट कॉम्प्लेक्स के लिए लिगामेंट टीयर बहुत आम है जिसमे एंटीरियर टेलोफिबुलर (anterior talofibular, ATFL), कैल्केनोफिबुलर (calcaneofibular,CFL) और पोस्टीरियर टेलोफिबुलर लिगामेंट। हाई एंकल स्प्रेन एथलीट्स में कॉमन होता है। इसमें डिस्टल टिबोफिबुलर सिंडेसमोटिक लिगामेंट्स (distal tibiofibular syndesmotic ligaments) शामिल हैं।
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घुटने में लिगामेंट टीयर
घुटने में मुख्य रूप से चार लिगामेंट में असर हो सकता है, पहला है एंटीरीयर क्रूसीएट लिगामेंट (anterior cruciate ligament), पोस्टीरियर क्रूसीएट लिगामेंट, मेडिकल कोलेटरल लिगामेंट (medial collateral ligament) और लेटरल कोलेटरल लिगामेंट (lateral collateral ligament,LCL)। एंटीरीयर क्रूसीएट लिगामेंट में इंजरी की सबसे ज्यादा संभावना होती है।
कलाई में लिगामेंट टीयर
कलाई में 20 लिगामेंट होते हैं जो गिर जाने पर अक्सर चोटिल हो जाते हैं। स्केफोलिनियस लिगामेंट और ट्राईएंगुलर फाइब्रोकार्टिलेज कॉम्प्लेक्स (TFCC) गिर जाने पर मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं।
अंगूठे में लिगामेंट टीयर
जब अंगूठा किसी कारणवश चोटिल हो जाता है तो लिगामेंट में बुरा इफेक्ट पड़ता है। स्कीइंग करते समय उलनार कोलेटरल लिगामेंट में चोटिल हो जाता है।
गर्दन में लिगामेंट टीयर
गर्दन में लिगामेंट टीयर चोट के कारण हो सकता है या फिर किसी झटके की वजह से भी समस्या हो सकती है। लिगामेंट टीयर की वजह से मांसपेशियों, हड्डियों और नर्व को भी डैमेज होता है। ठीक इसी तरह पीठ के हिस्से में भी भारी सामान उठाने की वजह से समस्या पैदा हो सकती है।
लिगामेंट टीयर का डायग्नोज
लिगामेंट टीयर का डायग्नोज फिजिकल एक्जामिनेशन और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर किया जाता है। डॉक्टर पेशेंट से चोट के बारे में जानकारी ले सकता है। साथ ही दर्द वाली जगह में डॉक्टर छू कर जांच कर सकता है। साथ ही डॉक्टर हड्डी की जांच एक्स-रे के माध्यम से करता है कि कहीं बोन टूट तो नहीं गई है। लिगामेंट टीयर की जांच करने के लिए डॉक्टर मैग्नेटिक रीजोनेंस इमेजिंग की भी मदद ले सकता है।
लिगामेंट टीयर को निम्न ग्रेड में विभाजित किया जा सकता है।
ग्रेड 1 – हल्की मोच को ग्रेड 1 में रखा जाता है। मोच के कारण लिगामेंट में हल्की चोट तो पहुंचती है लेकिन लिगामेंट टीयर नहीं होता है।
ग्रेड 2 – इसे लिगामेंट का पार्सियल टीयर भी कह सकते हैं। ज्वाइंट्स में एब्नॉर्मल लूजनेस आ सकती है।
ग्रेड 3- लिगामेंट का कम्प्लीट टीयर इस ग्रेड में आता है। ग्रेड 3 लिगामेंट टीयर अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
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लिगामेंट टीयर का ट्रीटमेंट
लिगामेंट टीयर या लिगामेंट इंजरी को कुछ उपाय के माध्यम से सही किया जा सकता है। अगर लिगामेंट में हल्की इंजरी है तो उसे सही करने के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हैं।
आराम करें
जब तक इंजर्ड एरिया पूरी तरह से सही नहीं हो जाता है, तब तक आराम करें। ऐसे स्थान का मूवमेंट करने से बचें, जहां इंजरी हुई है।
बर्फ लगाएं
जिस स्थान में इंजरी हुई है, उस स्थान में बर्फ लगाएं। बर्फ लगाने से इंजरी की जगह में राहत महसूस होगी।
कंप्रेशन का लें सहारा
जिस भी स्थान में लिगामेंट इंजरी हुई है, वहां कंप्रेशन यानी इलास्टिक बैंडेज का सहारा लें। उस स्थान को इलास्टिक बैंडेज से रैप कर दें। ऐसा करने से सूजन में कमी आएगी। साथ ही दर्द भी कम हो जाएगा।
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ऊंचाई का लें सहारा
जिस भी स्थान में इंजरी हुई है, उस जगह को थोड़ा सा ऊपर की ओर रखें। ऐसा करने से ब्लड फ्लो प्रॉपर होगा और साथ ही सूजन भी कम हो जाएगी।
नी लिगामेंट रिपेयर के रिस्क क्या हैं ?
लिगामेंट इंजरी जब ज्यादा हो जाती है तो सर्जरी की हेल्प लेनी पड़ती है। सर्जरी में कुछ कॉम्प्लीकेशन भी होते हैं। जैसे कि ब्लीडिंग होना, इंफेक्शन की समस्या और ब्लड क्लॉट की समस्या हो सकती है। कुछ लोगों को सर्जरी के बाद पेन, सूजन की समस्या या खिंचाव की समस्या महसूस हो सकती है। अगर आपको भी नी लिगामेंट सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार की समस्या महसूस हो रही हो, तो बेहतर होगा कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको किसी भी प्रकार की चोट लगी है तो बेहतर होगा कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार हल्की दिखने वाली चोट गंभीर समस्या भी खड़ी कर सकती है।
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