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जानें स्ट्रोक के लक्षण, कारण और इलाज

जानें स्ट्रोक के लक्षण, कारण और इलाज

इलाज, परीक्षण और रोकथाम में सुधार के बावजूद मृत्यु दर सू​ची में स्ट्रोक का स्थान दूसरे नंबर पर है। इस अध्ययन के अनुसार, वयस्कों को स्ट्रोक की समस्या सबसे ज्यादा होती है। 10-15 फीसदी युवाओं को स्ट्रोक की समस्या बनी रहती है। यह पूरे परिवार के लिए परेशानी बन सकती है। इसका प्रभाव जीवन भर बना रहता है। उम्र बढ़ने के साथ इसके लक्षण भी बढ़ते जाते हैं।

वयस्कों में स्ट्रोक की समस्या

यह समझना बेहद जरूरी है कि वयस्कों में स्ट्रोक का मतलब क्या होता है। जिन लोगों की उम्र 45 वर्ष से कम होती है उसे वयस्क कहा जाता है। युवाओं में स्ट्रोक का खतरा कम होता है। ​इसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का इस्केमिक अटैक होता है। यह तब होता है जब दिमाग में खून का संचार होना बंद हो जाता है। इस स्थिति में रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन और ग्लूकोज की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है। जब इस बारे में जानकारी नहीं होती है या आप लापरवाही करते हैं तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इस्केमिक स्ट्रोक के अलावा मस्तिष्क में उस वक्त खून का प्रवाह बंद हो जाता है जब रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं।

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स्ट्रोक का सबसे आम लक्षण यह होता है कि शरीर का कोई भी हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इससे बोलने में परेशानी, दिखाई ना देना, संतुलन खोना और भयानक सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।

बच्चों में स्ट्रोक के लक्षण और इलाज अलग तरह के होते हैं। जरूरी नहीं है कि स्ट्रोक किसी निश्चित उम्र के लोगों को हो। 45 वर्ष से कम आयु वाले लोगों के मस्तिष्क और गर्दन की रक्त वाहिकाएं फटने से स्ट्रोक की समस्या पैदा होती है। एक छोटा सा कट भी खून का थक्का बना देता है जिससे वाहिकाएं ब्लॉक हो जाती हैं और खून मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाता है। युवाओं के स्ट्रोक के अन्य कारण हैं- धूम्रपान करना, जन्म नियंत्रण की गोलियां खाना और माइग्रेन की समस्या। युवाओं में स्ट्रोक आने के कुछ ह्रदय संबंधी कारण भी हैं। इनमें हार्ट के  वाल्व असमान होना, दिल में छेद होना या ह्यूमेटिक हृदय रोग शामिल हैं।

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इतनी कम उम्र में स्ट्रोक होने का एक कारण ‘मोटापा’ भी हो सकता है। मोटापा शरीर के लिए हर तरह से नुकसानदायक हो सकता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह का खतरा भी बना रहता है। स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां

  • मधुमेह, हाई ब्लडप्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच कर उस पर नियंत्रण करें।
  • संतुलित आहार लें जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज और फल शामिल हों।
  • शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम करें।
  • समय-समय पर अपने डॉक्टर से परामर्श ले​ते रहें।
  • शराब और धूम्रपान का सेवन बिल्कुल ना करें।

वृद्ध लोगों की अपेक्षा वयस्कों में इलाज की प्रक्रिया ​तेजी से शुरू हो सकती है और यह कम दर्दनाक होती है। स्ट्रोक से पीड़ित लगभग 20% -30% लोगों को लंबे समय तक रहने वाली परे​शानियां होती हैं। स्ट्रोक के चलते दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। 45 साल वाले पीड़ितों की अपेक्षा 30 साल वाले लोग जल्दी रिकवर करने लगते हैं क्योंकि उनके दिमाग की सीखने-समझने की क्षमता ज्यादा होती है। हालांकि स्ट्रोक के लक्षणों को पूरी तरह से ठीक नहीं जा सकता है। युवा अवस्था में स्ट्रोक से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसकी जानकारी हो और तुरंत उपचार करवाएं।

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स्ट्रोक के लक्षण

स्ट्रोक से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है। जिससे शरीर के कुछ अंग काम करना बंद कर देते हैं। यानी शरीर के उन अंगों पर मस्तिष्क का नियंयत्रण नहीं रहता है।

जितनी जल्दी किसी व्यक्ति के स्ट्रोक का इलाज होगा, उसकी ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। इसलिए इसके लक्षण जानना बेहद जरूरी है।  स्ट्रोक के लक्षणों इस प्रकार हैं—

  • पैरालिसिस या लकवा
  • हाथ, चेहरे और पैर सुन्न होना।
  • शरीर के किसी एक हिस्से में कमजोरी महसूस होना।
  • बोलने या समझने में परेशानी।
  • उलझन होना।
  • बोलने में हकलाना
  • देखने में समस्या।
  • चलने में परेशानी।
  • शरीर से संतुलन खोना।
  • चक्कर आना।
  • अचानक सिरदर्द
  • अगर मरीज को तुरंत उपचार मिलेगा तो उसे इन समस्याओं से रोका जा सकता है—
  • ब्रेन डैमेज
  • लंबे समय के लिए शरीर अक्षम हो जाना
  • मौत

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स्ट्रोक का इलाज

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, “समय गंवाना मस्तिष्क को डैमेज करना है।’ इसलिए जितनी जल्दी स्ट्रोक का पता चलता है, उतनी जल्दी उसका इलाज करवाएं। स्ट्रोक के लिए ये इलाज उपलब्ध हैं:

इस्केमिक स्ट्रोक और टीआईए

ये स्ट्रोक के प्रकार हैं। ऐसे स्ट्रोक में मस्तिष्क में खून का थक्का जम जाता है जिससे खून का प्रवाह बंद हो जाता है। इसके लिए एंटीप्लेटलेट और एंटीकोआगुलंट्स दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ता है। इन दवाओं को स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 24 से 48 घंटों के अंदर लेना चाहिए।

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क्लॉट-ब्रेकिंग ड्रग्स

थ्रोम्बोलाइटिक ड्रग्स आपके मस्तिष्क की धमनियों में रक्त के थक्के को खत्म कर देती हैं। जो स्ट्रोक के खतरे से बचाता है। इससे मस्तिष्क को कम नुकसान होता है।

इसके अलावा एल्टेप्लेस IV आर-टीपीए नाम के ड्रग को स्ट्रोक के लिए सबसे प्रभावी दवाई माना जाता है। यह रक्त के थक्कों को बहुत तेजी से खत्म करती है। स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 3 से 4.5 घंटों के अंदर इसे शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाना चाहिए। इससे स्ट्रोक होने पर स्थायी रूप से शरीर में कोई विकलांगता नहीं पनप पाती है।

स्टेंट्स

यदि डॉक्टर को पता चलता है कि स्ट्रोक से धमनी की दीवारें कमजोर हो गई हैं, तो वे संकुचित हुई धमनी को ठीक करने के लिए स्टेंट का प्रयोग कर सकते हैं। समय रहता इसका इलाज हो जाए तो सही रहता है।

 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Stroke – https://www.cdc.gov/stroke/

Stroke – https://www.nhlbi.nih.gov/health-topics/stroke

Stroke Information Page – https://www.ninds.nih.gov/Disorders/All-Disorders/Stroke-Information-Page

Stroke – https://medlineplus.gov/stroke.html

Reduce Your Risk of Stroke – https://health.gov/myhealthfinder/topics/health-conditions/heart-health/reduce-your-risk-stroke

Current Version

09/11/2021

Written by डॉ. पवन ओझा

Updated by: Toshini Rathod


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Written by

डॉ. पवन ओझा

न्यूरोलॉजी · Hiranandani Hospital, Vashi


अपडेटेड 09/11/2021

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