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आपके भी दांत नुकीले हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसर!

आपके भी दांत नुकीले हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसर!

हमारे शरीर में दांत सिर्फ खाना खाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं होते, बल्कि यदि इनकी सही तरीके से देखभाल न की जाए तो इनके कारण कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। उनमें से एक है नुकीले दांत। इस आर्टिकल में जानते हैं नुकीले दांत और इसके कारण होने वाली परेशानियों और गंभीर बीमारियों के बारे में, ताकि समय रहते इनसे बचा जा सके। सही समय पर यदि इसका इलाज न किया गया तो इससे मुंह का कैंसर तक हो सकता है।

गाल और जीभ के पास होते हैं नुकीले दांत

जमशेदपुर में सविता डेंटल क्लीनिक के सीनियर डेंटल सर्जन डॉक्टर सिकंदर प्रसाद बताते हैं कि, ‘नुकीले दांत को शार्प कस्प (sharp cusp) भी कहा जाता है। यह दांत गाल और जीभ के पास हो सकते हैं। इसके अलावा बक्कल (buccal) और (lingual teeth) लिंगुअल टीथ के पास नुकीले दांत हो सकते हैं।’

डॉ सिकंदर प्रसाद
Dr. Sikandar Prasad

कई कारणों से हो सकते हैं नुकीले दांत

नुकीले दांतों के कारणों के बारे में बताते हुए जमशेदपुर में सविता डेंटल क्लीनिक के सीनियर डेंटल सर्जन डॉक्टर सिकंदर प्रसाद कहते हैं कि, ‘जो लोग खट्‌टे खाद्य पदार्थ जैसे कच्ची इमली सहित अन्य चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं, सामान्य टूथपेस्ट पेस्ट का इस्तेमाल करने की बजाय खुदरे टूथपेस्ट का सेवन करते हैं और अच्छी ब्रशिंग टेक्निक का इस्तेमाल नहीं करते उनके सामने और पीछे के हिस्से का दांत घिसता है। वहीं ऐसे लोग, जिन्हें एसिडिटी व गेस्ट्रोइनट्राएटिस संबंधी बीमारी हो उन लोगों के मुंह में गैस एसिड के रूप में आती है।

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इस कारण यह एसिड दांत को प्रभावित करते हैं और इससे नुकीले दांत की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें कुछ चबाने की आदत हो, जैसे गुटका, खैनी, तंबाकू आदि उनके दांत भी नुकीले हो सकते हैं। किसी ट्रामा, एक्सीडेंट की वजह से भी नुकीले दांत हो सकते हैं। यह मुंह में गाल व जीभ, अधिकतर केस में जीभ को नुकसान पहुंचाते हैं।

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नुकीले दांत से कैसे पहुंचता है नुकसान

नुकीले दांत हमारे जीभ, जबड़े या फिर गाल सहित मुंह में बार- बार चोट मारते हैं। इस कारण वो हिस्सा छाले में बदल जाता है। जिसे अल्सर कहा जाता है। वहीं यदि इसका उपचार न किया गया तो यही छाला बड़ा होने लगता है और ट्रॉमिक नॉन हीलिंग अल्सर में तब्दील हो जाता है। यही आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है। इसलिए जरूरी है कि यदि आपके मुंह में नुकीले दांत के कारण गाल, जीभ या अन्य हिस्सों में छाला हो तो मुंह का कैंसर हो सकता है। यह कैंसर के लक्षण में से एक हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डाॅक्टरी सलाह लेना चाहिए। मुंह के अंदर गाल-जीभ सॉफ्ट टिशू में आते हैं, चोट लगने से यह आसानी से चोटिल हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इनका सावधानी से ध्यान रखा जाए।

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30 से 40 की उम्र में देखने को ज्यादा मिलते हैं नुकीले दांत

डॉक्टर सिकंदर प्रसाद के अनुसार 30 से 40 साल की उम्र में नुकीले दांत की समस्या देखने को मिलती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि नुकीले दांत की समस्या बच्चों को नहीं हो सकती, लेकिन उनमें यह काफी रेयर है। क्योंकि व्यस्कों में ही एसिडिटी की समस्या देखने को मिलती है, साथ वे ही ज्यादा खट्‌टे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, या फिर गलत ब्रशिंग टेक्निग के कारण या फिर पेस्ट के कारण उनको यह समस्या होने की संभावना ज्यादा रहती है।

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मुंह में अल्सर दिखे तो लें डॉक्टरी सलाह

डॉक्टर बताते है कि मुंह में यदि किसी भी प्रकार का अल्सर दिखे तो डाॅक्टरी सलाह लेना जरूरी है। यदि समस्या नुकीले दांत के कारण होती है तो उस स्थिति में हम नुकीले दांत को घिस देते हैं, जिसके बाद वो सामान्य हो जाता है। वहीं उससे मुंह के कैंसर का खतरा भी नहीं रहता है। सही समय में यदि इसका इलाज न किया गया तो मुंह का कैंसर हो सकता है।

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गुटका-तंबाकू के सेवन करने वालों को नुकीले दांत से कैंसर होने की संभावना ज्यादा

नुकीले दांत होने की वजह से मुंह का कैंसर आसानी से हो सकता है। ऐसे लोग जिन्हें नुकीले दांत की समस्या है और वे तंबाकू, गुटका जैसे हानिकारक पदार्थों का सेवन करते हैं तो उस स्थिति में उन्हें कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अल्सर या छाले से तंबाकू के कण शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। नुकीले दांत की स्थिति में तंबाकू का सेवन भी छोड़ना होगा। वहीं यदि इसे जितना ज्यादा नजरअंदाज किया जाए तो मुंह का कैंसर होने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होती है। इसका हमारी खूबसूरती से कोई लेना देना नहीं होता है। क्योंकि नुकीले दांत मुंह के अंदर की ओर होते हैं, लेकिन इसका इलाज कराना बेहद ही जरूरी है।

मुंह के कैंसर की पहचान है जरूरी

जमशेदपुर में ओमवारा नंदा डेंटल केयर के एंडोडोंटिस्ट डाॅक्टर सौरव बनर्जी बताते हैं कि, ‘कैंसर की पहचान के लिए जरूरी है कि मुंह के कैंसर के प्रकार की जानकारी रखी जाए ताकि मुंह में होने वाले किसी भी प्रकार के बदलाव को लेकर डाॅक्टरी सलाह ली जाए। दांतों में कैविटी या फिर दांत टूट जाने के कारण या फिर प्राकृतिक तौर पर यदि किसी का दांत नुकीला हो जाता है और उससे जीभ या फिर मुंह के अंदर किसी जगह कटता या छिलता है तो इस कारण भी कैंसर की बीमारी हो सकती है। क्योंकि नुकीले दांत के कारण लंबे समय तक यदि कटेगा तो इस कारण मुंह में घाव बनेगा, वहीं इसी घाव का यदि सही इलाज न किया गया तो आगे चलकर यह कैंसर का रूप लेता है। इसलिए यदि किसी के नुकीले दांत हैं तो उसे डाॅक्टरी सलाह लेनी चाहिए। वहीं हर किसी को ओरल हाइजीन मेंटेन रखना चाहिए।’

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दांत और दांत के प्रकार पर एक नजर

दांत कई प्रकार के होते हैं। इममें इनसीसोर्स (Incisors), कैनीन्स (canines), प्रीमोलर्स (premolars) और मोलर्स (Molars)। बता दें कि दांतों में कुल 20 प्राइमरी दांत होते हैं, चार विजडम टीथ होते हैं। मनुष्य के मुंह कुल 32 परमामेंट दांत होते हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि इस लेख से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Dr sikandar Prasad, Senior Dental surgeon at savita dental clinic in Jamshedpur & ex dentist,CMC vallore hospital, Ex medical officer in bihar,

Dr sourav banarjee, dentist & endodontist in Omwarananda dental care and research Jamshedpur, ex Resident Medical Officer of government of gujrat, vadodara, Ex lecturer of sumandeep vidyapith vadodara, Post Graduate From united States Of America, Ex Specialist dental surgeon of MAX hospital delhi.

The Role of Chronic Mucosal Trauma in Oral Cancer: A Review of Literature/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5398106/Accessed 15th April 2020

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When toothache turns out to be a tumor: https://utswmed.org/medblog/jaw-tumor/ Accessed 22nd July 2020

Current Version

24/11/2020

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/11/2020

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