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ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट से ठीक करें दांतों का शेप, इतना आएगा इलाज में खर्च

ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट से ठीक करें दांतों का शेप, इतना आएगा इलाज में खर्च

दांत (Teeth) हमारे शरीर का अहम हिस्सा है। दांतों की बदौलत ही हम खाने योग्य चीजों को आसानी से चबाकर खा पाते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह दांतों की हेल्थ का ख्याल रखना भी बहुत जरूरी होता है। क्या आपके दांतों की बनावट ठीक नहीं है? क्या जबड़े की सही शेप न होने के कारण आपको चबाने में दिक्कत होती है? अगर हां, तो आपके लिए यह आर्टिकल अहम हो सकता है। बता दें कि कुछ लोगों के दांत बहुत सुंदर-सफेद और जबड़ा एक लय में होता हैं, जो उनके चेहरे का आकर्षण बनते हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिनके दांतों की बनावट सही दिशा में नहीं होती है। ऐसे दांतों को क्रूक्ड टीथ (Crooked Teeth) कहते हैं। इस कंडीशन में चबाने के दौरान बहुत दिक्कत होती हैं और उनका स्माइल इंप्रेशन (Smile Impression) भी खराब हो जाता है। क्रुक्ड टीथ को ठीक करने के लिए डेंटल साइंस में ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) एक बड़ी कामयाबी है।  ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट में दांतों की इस बड़ी समस्या का हल है। आर्टिकल में जानेंगे आखिर क्या है ऑर्थोडोंटिक्स और उससे जुड़ी सभी बातों के बारे में।

क्या है ऑर्थोडोंटिक्स? (What is Orthodontics)

ऑर्थोडोंटिक्स (Orthodontics) डेंटल साइंस की एक शाखा है। इसमें क्रूक्ड टीथ और जबड़े के लिए ब्रेसेस (Braces) का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे सही से चबा न पाने की समस्या दूर होने लगती है। साथ ही दांतों में होने वाली अनियमितताओं का भी इलाज किया जाता है। क्रूक्ड टीथ के कारण मुंह की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिस कारण सिर, कंधे और गर्दन में दर्द की शिकायत होने लगती है। इतना ही नहीं, इन मुड़े हुए दांतों के कारण बोलने में भी समस्या होती है। इसलिए, ऑर्थोडॉन्टिस्ट क्रूक्ड टीथ वाले लोगों को ब्रेसेस लगाने की सलाह देते हैं।  

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ऑर्थोडोंटिक्स के फायदे (Benefits of Orthodontics)

ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) दांतों के लिए बहुत फायदेमंद है। खासकर, उन बच्चों और लोगों के लिए जिनके दांत सही दिशा में नहीं हैं। या फिर, बच्चों के जबड़े को एक सही शेप देने के लिए ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है। इसमें 12 साल के बाद बच्चों के बाहर निकले हुए दांतों को कंट्रोल किया जाता है।  

  • डेंटल क्राउडिंग (dental crowding) की समस्या को ठीक करने और दांतों को सीधा करने के लिए ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट एक फायदे का सौदा है।
  • बाइट या चबाने के दौरान आगे और पीछे के दांत एक साथ चलते हैं। क्योंकि, इस केस में गाल और जीभ कटने का जोखिम बना रहता है। इसलिए, ब्रेसेस को लगाने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।  
  • क्रूक्ड टीथ (crooked teeth) बाकी के अच्छे दांतों का भी संतुलन बिगाड़ देते हैं। इसलिए इन दांतों को शेप में लाने के लिए ब्रेसेस लगवाना बेहतर है।

क्राउडेड और क्रूक्ड टीथ के नुकसान (crowded and crooked teeth)

ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट - Orthodontic Treatment

  • क्राउडेड और क्रूक्ड टीथ वाले लोगों को खाने के दौरान एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल, उनको चीजों को ठीक तरह से चबाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। 
  • क्रूक्ड और क्राउडेड टीथ का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि यह आसानी से साफ भी नहीं हो पाते हैं।
  • इनमें कीड़े लगने से यह जल्दी खराब होने लगते हैं। कुछ मामलों में ऐसे दांतों की श्रृंखला लोगों के चेहरे की बनावट को भी बेकार कर देती है और इससे उनके लुक पर सबसे नेगेटिव असर पड़ता है।

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कब और कौन ले सकता है ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment)?

ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट आमतौर पर तब शुरू किया जाता है कि जब बच्चे के अधिकांश दांत आना शुरू हो जाते हैं। 

  • ऑर्थोडॉन्टिस्ट के मुताबिक, 12 साल की उम्र के बाद ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट करवाना बेहतर होता है। लेकिन, ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट उन बच्चों के लिए नहीं है, जिनके दांत और जबड़े की बनावट पहले से ही ठीक है। 
  • बड़ों के लिए ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट की कोई उम्र नहीं है, लेकिन इसके इलाज के ऑप्शन सीमित हैं।  
  • ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) उन बच्चों और बड़ों के लिए भी लाभदायक नहीं है जिनके दांत हाइजनिक नहीं हैं क्योंकि, इस ट्रीटमेंट में दांतों में कीड़े और उनके सड़ने की समस्या और भी बढ़ जाती है। इस कारण दांतों में दर्द होना शुरू हो जाता है। 

ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट के प्रकार 

ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट कई प्रकार के होते हैं। सबसे पहले इसमें दांत और जबड़े की कंडीशन को देखा जाता है। दरअसल, ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट दांतों की कंडीशन के हिसाब से किया जाता है। ट्रीटमेंट में ब्रेसेस के जरिए दांतों की शेप को ठीक किया जाता है। कुछ मामलों में ऐसे दांतों की कंडीशन में हेडगियर (Headgear) और पिन्स (Pins) के जरिए जबड़े को शेप में लाया जाता है। अगर किसी के दांत आपस में बहुत ही नजदीकी जुड़े हुए हैं और दांत के ऊपर दांत चढ़ा हुआ होता है तो ट्रीटमेंट के दौरान पहले एक्स्ट्रा दांतों को निकाल ब्रेसेस फिट किया जाता है। दांतों की कंडीशन पर निर्भर करता है कि ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट कितने समय तक चलेगा। 

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ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) के बेस्ट ऑपशन 

  1. फिक्स्ड एप्लायंस- क्रूक्ड टीथ के लिए सबसे ज्यादा फिक्स्ड एप्लाएंस ट्रीटमेंट किया जाता है। इसमें मेटल, सिरेमिक (दांतों के रंग का) ब्रेसेस दांतों के पीछे लगाए जाते हैं। 
  2. रिटेनर -इसको मुंह के लोअर और अपर जॉ के लिए तैयार किया जाता है। आमतौर पर रिटेनर का इस्तेमाल ब्रेसेस या क्लीयर अलाइनर्स के ट्रीटमेंट के बाद दांतों की पोजीशन को मेंटेन के लिए होता है। लेकिन, कभी-कभी रिटेनर्स को सभी उम्र के लोगों के हल्के से मिस अलाइनमेंट्स को सुधारने के लिए भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • मजबूती के लिए फिक्स्ड रिटेनर्स को दांतों के पीछे फिट किया जाता है।
  • इनकी कीमत 4 हजार से 20 हजार के बीच होती है। यह ट्रीटमेंट की कॉम्प्लेक्सिटी और लेंथ पर भी निर्भर करता है। 
  • ओरल हाइजीन के हिसाब से रिमूवल रिटेनर्स बेस्ट ऑप्शन हैं।
  1. क्लियर अलाइनर– यह एक टाइट फिटिंग, कस्टम मेड रिटेनर्स की एक सीरीज है, जो कि दांतों के ऊपर स्लिप होकर उन्हें एक लाइन में ला देती है। यह टीनेज और एडल्ट्स के लिहाज से बेहतर हैं क्योंकि, उनके मुंह में भविष्य में प्राकृतिक बदलाव की कोई संभावना नहीं है।
  • क्लीयर अलाइनर्स को बाहर निकाल उन्हें साफ किया जा सकता है। इससे समय-समय पर ओरल हाइजीन में आसानी होती है। 
  • यह ट्रेडिशनल ब्रेसेस से अलग हैं, क्योंकि, यह दांत में लगने के बाद कम नजर आते हैं। 
  • इसे पूरी तरह से पहने रहने में दिक्कत होती है। इसलिए यह ट्रीटमेंट वही करवा सकता है जो इस दर्द को झेल सकता है।
  1. लिंगुअल ब्रेसेस- यह ट्रेडिशनल ब्रेसेस में आते हैं। इसे दांतों के पीछे फिट किया जाता है। इसमें दांतों को सीधा और टाइट करने के लिए तार फिट किया जाता है। इसको तकरीबन दो साल के लिए पहना जा सकता है। यह ट्रीटमेंट 10 साल से ज्यादा की उम्र वालों के लिए बेस्ट है।
  • यह ट्रीटमेंट काफी महंगा होता है। इसमें ट्रीटमेंट की कॉम्पलेक्सिटी और लेंथ के हिसाब से 45 हजार से 1 लाख रुपये का खर्च आता है। 
  • इस ट्रीटमेंट के महंगे होने का कारण, इसमें सोने (Gold) मटेरियल का भी इस्तेमाल किया जाता है। 
  • शुरुआत में यह थोड़ा अनकंफर्टेबल होगा। इसमें ब्रैकेट्स और जीभ के कांटेक्ट से परेशानी भी हो सकती है।
  • इसमें बात करने में दिक्कत होगी। हो सकता है कि तुतला भी सकते हैं। 
  1. पेलेटल एक्सपाइंडर- पेलेटल एक्सापाइंडर को ऑर्थोडोंटिक्स एक्सपाइंडर भी कहा जाता है। इसके जरिए अपर जॉ को चौड़ा किया जाता है, ताकि लोअर टीथ और अपर जॉ में एक संतुलन बना रहे। इस बैंड में एक स्क्रू फिट होता है जिसे एक चाबी की मदद से घुमाया जा सकता है। इससे ही अपर जॉ चौड़ी होने लगती है। यह बच्चे और 15 साल से कम उम्र वालों के लिए है क्योंकि, इस उम्र तक जबड़े में लचीलापन बना रहता है।
  • एक्पाइंशन के बाद भी इसे तकरीबन 3 महीने तक मुंह में रखना होता है, ताकि पैलेट और टीथ स्थिर बने रहे।
  • इस ट्रीटमेंट बार-बार डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।
  • इसमें कभी-कभी बहुत दर्द भी होता है। इससे बोलने में दिक्कत और मुंह में इरिटेशन भी होने लगती है। 
  1. डेंटल वेनियर्स- इन्हें ल्यूमिनियर्स (Lumineers) और पोर्सिलेन वेनियर्स (Porcelain Veneers) भी कहा जाता है। यह एक तरह की कैप्स होती हैं, जिन्हें दांतों के ऊपर रखा जाता है। यह उनके लिए बेस्ट है, जिनके दांतों में ज्यादा गैप, डिस्कलरेशन और क्राउड होते हैं। इसमें वेनियर्स को दांतों में जोड़ा जाता है। यह एक बार का प्रोसीजर होता है, जिसका रिजल्ट भी फौरन आता है।
  • मुंह के आकार से ही इनका साइज तय किया जाता है। यह ट्रीटमेंट एडल्ट्स के लिए बेहतर होता है। 
  • वेनियर्स में अधिक खर्च आता है। क्योंकि, इसमें एक दांत में लगभग 4 हजार से 10 हजार रुपये देने होते हैं।
  • डेंटल कॉन्टूरिंग – इसे टूथ रेशेपिंग भी कहा जाता है। इसमें टूथ एनामेल के एरिया को अलग कर और या फिर दांत को फिक्स करने के लिए टूथ कलर्ड रेजिन की मदद ली जाती है। इसमें दांतों की परमानेंट कॉन्टूरिंग की जाती है। इसे फाइन फाइलिंग भी कहते हैं, जो कि एडल्ट्स के लिए बेस्ट है।
  • यह एक वन टाइम प्रोसीजर ट्रीटमेंट है। इस ट्रीटमेंट भी अधिक खर्च आता है। इसमें एक दांत के लिए 4 हजार से 40 हजार रुपये खर्च करने होते हैं। 
  • कंपोजिट रेजिन से की हुई कंटूरिंग कामयाब नहीं है और इसके लिए दोबारा कॉन्टूरिंग करवानी पड़ती है।
  1. हर्बस्ट एप्लायंस– इस ट्रीटमेंट में जॉ के संतुलन को ठीक कर दांतों को सीधा किया जाता है। इसमें एक मेटल एक्सटेंशन का इस्तेमाल किया जाता है। यह अपर और लोअर जॉ को मिलाने का काम करता है।
  • इसका ट्रीटमेंट लगभग एक साल तक चलता है, जिससे कि, लोअर जॉ सही पोजीशन में आ सके।
  •  इस ट्रीटमेंट में रिजल्ट आने में थोड़ा समय लगता है। 
  1. हेडगियर- इसमें क्रूक्ड टीथ को सीधा करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इसमें ऊपरी दांत और जॉ पर एक प्रेशर बनाया जाता है, ताकि दांत और जॉ अपनी सही पोजीशन में आ जाए।
  • बेहतर रिजल्ट के लिए बताए गए समय तक के लिए रोजन हेडगियर को लगाए रखना होता है।
  1. कंपोजिट बॉन्डिंग- इस ट्रीटमेंट में टूथ-कलर्ड रेजिन मटेरियल का इस्तेमाल होता है, जिसे दांत के ऊपर शेप देकर चिपकाया जाता है। इसे दांत सीधे करने के लिए लगाया जाता है। 
  • यह एक मामूली या फिर कहे काम चलाऊ ट्रीटमेंट हैं। 
  • इसमें दांतों में अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती हैं। जैसे, मुंह में इरिटेशन और दांतों में चिपचिपाहट।
  1. गम लिफ्टिंग- दांतों के लिए गम लिफ्टिंग ट्रीटमेंट मुस्कान में चार चांद लगाने का काम करता है। इसे दांतों को सुंदर बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। यह गम लाइन को बढ़ाकर उसे स्केल करता है। जिनके दांतों में हल्के गम हैं तो, वे गम लिफ्टिंग ट्रीटमेंट ले सकते हैं। 
  • यह ट्रीटमेंट सभी के लिए नहीं है।
  • यह ट्रीटमेंट बहुत महंगा है। इसमें एक दांत के लिए 25 हजार से 50 हजार रुपये तक खर्च करने होते हैं।

और पढ़ें: टीथ ब्रेसेस (दांतों में तार) लगवाने के बाद क्या करें और क्या ना करें?

ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट कितने समय तक चलता है?

सामान्यत ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट 18 से 24 महीने का होता है। यह ट्रीटमेंट खत्म होने के बाद दांतों में रिटेनिंग ब्रेसेस लगाया जाता है। यह एक रिमूवल ब्रेस होता है और इसे रात को सोते समय जरूर पहनना होता है। ताकि क्रूक्ड टीथ में सुधार हो सके। रिमूवल ब्रेस का कोर्स तकरीबन एक साल का होता है, लेकिन यह भी दांतों की कंडीशन पर निर्भर करता है। कई मामलों में दांतों को परमानेंटली शेप देने के लिए बहुत पतला तार फिट किया जाता है। 

ऑर्थोडोंटिक्स ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) में कितना खर्च होता है? 

भारत में ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट (Orthodontic Treatment) का खर्च ब्रेसेस की क्वालिटी पर निर्भर करता है। अगर कोई मेटल ब्रेस लगवाना चाहता है तो उसके लिए 18 से 35 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। दांतों में सिरेमिक ब्रेस लगवाने का खर्च तकरीबन 30 से 55 हजार रुपये का होगा। वहीं, लिंगुअल और इन्कॉग्निटो ब्रेस लगवाने के लिए 72 हजार से 1 लाख 90 हजार रुपये का खर्च आएगा। आखिर में इन्विसअलाइन में 60 हजार रुपये से शुरुआत होती है। 

ना करें ये काम

  • होममेड और डीआईवाई ट्रीटमेंट्स दांतों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं, क्योंकि बहुत अनसेफ हैं।
  • चबाने में कड़क फूड्स न खाएं। 
  • दांतों से कोई मजबूत चीज को दबाने या मोड़ने की गलती न करें। 
  • बिना डॉक्टर की सलाह से दांतों को चमकाने के लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल न करें। 
  • दांतों में किसी भी तरह की समस्या आने पर उसे नजरअंदाज न करें, सीधे डॉक्टर के पास जाएं।

निष्कर्ष

दांतों की ऐसी समस्या के लिए सर्टिफाइड ऑर्थोडॉन्टिस्ट से ही सलाह लेकर इलाज करवाएं। ऑर्थोडॉन्टिस्ट के बताए समय तक इलाज को पूरा करें। ट्रीटमेंट बीच में न छोड़ें। रिटेनर को बताए गए समय तक ही लगाए रखें। दांतों को सीधा करने के लिए किसी भी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल न करें जो आपके लिए परेशानी बन जाए। 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

https://www.aaoinfo.org/orthodontic-treatment-options/ accessed on 11 feb, 2021

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6340199/ accessed on 11 feb, 2021

https://kidshealth.org/en/parents/braces.html accessed on 11 feb, 2021

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3770235/ accessed on 11 feb, 2021

Current Version

22/02/2021

Toshini Rathod द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Toshini Rathod


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/02/2021

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