क्या आपको पता है कि बच्चे के लिए आर्ट थेरिपी (Art therapy for child) क्या है? आज के समय तनाव के समस्या के शिकार केवल बड़ें ही नहीं बल्कि बच्चे भी अधिक हो रहे हैं। जोकि बच्चे के लिए विकास के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है। जबसे यह कोरोना महामारी आई है, तब से बच्चाें के ऑनलाइन क्लासेज के कारण स्कूल जाना भी बंद हो गया है। इसी के साथ ही वो तमाम एक्टिविटीज भी बंद हो गई, जो उनके दैनिक जीवन का हिस्सा हुआ करती थी। लगातार घर पर रहने के कारण बच्चों का मानसिक विकास सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। तो ऐसे में बच्चे के तनाव को दूर करने के लिए आर्ट थेरिपी काफी प्रभावकारी है। यह एक प्रकार की ऐसी थेरिपी है, जो तनाव को कम करने का काम करती है। आइए जानते हैं बच्चे के लिए आर्ट थेरिपी (Art therapy for child) क्या है?
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बच्चे के लिए आर्ट थेरिपी (Art therapy for child) क्या है?
आजकल जिसे पूछिए, हर कोई स्ट्रेस से परेशान है। अब तो केवल बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चों पर भी इसका स्ट्रेस बढ़ता जा रहा है। जिन्दगी इतनी काम्पलैक्स हो चुके हैं कि हर कोई स्ट्रेस से बाहर तो निकलना तो चाहता है, पर निकल नहीं पाता है। बच्चे तो खासतौर पर। तनाव के शिकार बच्चों के लिए काउंसलिंग बहुत जरूरी होती है, ताकि वो अवसाद और डिप्रेशन से बाहर निकल सकें। लेकिन कई बच्चे काउंसलिंग से भी जल्दी डिप्रेशन से बाहार नहीं आ पाते हैं, तो उन बच्चों के लिए आर्ट थेरिपी एक अच्छा विकल्प है। जब इंसान कोई बच्चा बोलने की अवस्था में नहीं होता और अपने तनाव के कारण को व्यक्त नहीं कर पाता है, तो कला के जरिये उसकी भावनाओं की अभिव्यक्ति करने के लिए आर्ट थेरिपी काफी प्रभावकारी होती है। बच्चे के लिए आर्ट थेरिपी में ड्राइंग, पेंटिंग, कोलाज मेकिंग और कलरिंग आदि शामिल है । इसे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
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किन बच्चाें के लिए जरूरी है आर्ट थेरिपी (Art therapy needs for child)
जो बच्चे लंबे समय से तनाव में रह रहे हैं और वो इससे नहीं निलकल पा रहे हैं। इसके अलावा, वो पूछने के बाद भी चुप है और कुछ बोलने को तैयार नहीं है। तो उन बच्चों के लिए आर्ट थेरिपी काफी प्रभावकारी होती है। यह थेरिपि उन बच्चों के लिए ज्यादा प्रभावकारी है, जिन बच्चों में इस तरह के लक्षण नजर आते हैं:
- बच्चे जो भावनाओं और भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
- जिन बच्चों ने गंभीर तनाव का अनुभव किया है और वो पहले जैसे व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं।
- जो बच्चे सारा समय उदास रहते हैं।
- भावनात्मक रूप से अस्थिर बच्चे को इस थेरिपी की जरूरत पड़ती है।
- गोद लिए गए बच्चे जो अपनी खुद की “गैर होने” की भावना का अनुभव करते हैं।
- बच्चे,जो अपने माता-पिता और साथियों के साथ संघर्ष का अनुभव कर रहे हों।
- जिन पेरेंट़स का तालाक हो चुक हो।
- फोबिया से पीड़ित बच्चों के लिए इसके जरूरी पड़ सकती है।
- जिन बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है।
यूं तो कला के माध्यम से खुद को व्यक्त करना सदियों से चला रहा है लेकिन मानसिक रोगों में पेंटिंग आदि की मदद से खुद को अभिव्यक्त करने को यह तरीका ट्रीटमेंट के लिए काफी प्रभावशाली माना जाता है।
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बच्चे के लिए कैसे फायदेमंद है आर्ट थेरिपी (Benefits of Art therapy)
यह एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जिसमें मनोचिकित्सक कलर की तकनीकों को मिलाकर बच्चे के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक हेल्थ को समझने की कोशिश करते हैं। इसमें ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला और कोलाज आदि शामिल होता है। यह जरूरी नहीं है कि इस थेरिपी लेने वाले बच्चे में कोई आर्टिस्टिक क्वालिटी होना जरूरी है। इसे बच्चे के अलावा बड़ें लोग भी इस थेरिपी को ले सकते हैं।कला उन लोगों के लिए संचार का एक गैर-मौखिक तरीका है, जो बच्चे अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। तो ऐसे में बच्चे दर्दनाक अनुभवों के बारे में बात करते हुए रंगों और चित्रों के साथ काम करने से बच्चों में चिंता, क्रोध और भय की भावनाओं को कम करने में मदद मिलती है।
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जानिए कौन से रंग आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताते हैं (What colors reveal about your child’s mental health)
तनाव के शिकार कई बच्चे रंगों के साथ कुछ इनोवेशन करने और खेलने से खुश रहते हैं। मुख्य रूप से बच्चे पीले, नीले, हरे और लाल रंग का उपयोग करते हैं। बच्चे अपनी सोच कैनवास पर उतारने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें काफी आराम मिलता है। रंगों के चुनाव को बच्चे की मानसिक स्थिति से जाेड़ा जा सकता है। हालांकि किसी बच्चे को उसके कार्यों के माध्यम से समझना बहुत आसान नहीं है। एक बच्चे की मानसिक स्थिति का आकलन करने के सबसे सामान्य तरीकों में से एक हाउस-ट्री-पर्सन मैथेड है। एक प्रक्षेपी टेस्ट, इसे किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के पहलुओं को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बच्चे को एक घर, एक पेड़ बनाने के लिए कहा जाता है और एक व्यक्ति और टेस्ट देने वाला प्रत्येक चित्र के बारे में प्रश्न पूछता है। इस पद्धति में, बच्चे वाटर कलर का उपयोग करते हैं, जो गीले कागज पर आसानी से फैल जाता है और अन्य रंगों के साथ मिल जाता है। केवल प्राथमिक रंगों (लाल, नीला और पीला) का उपयोग किया जाता है क्योंकि वे हरे, नारंगी, भूरे, भूरे और बैंगनी रंग के कई रंगों को बनाने के लिए एक दूसरे के साथ मिश्रित होते हैं। यह बच्चों को इमैजिनेशन का कैनवास प्रदान होता है।
आर्ट क्लास (Art Class) से ना हों कंफ्यूज
जो बच्चे अंदर ही अंदर परेशान हैं और खुद को एक्सप्रेस नहीं कर पा रहे हैं, वे बच्चे आर्ट थेरिपी की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे को व्यवहार संबंधी दिक्कत है या फिर लर्निंग डिसेबिलिटी है, तो इस थेरिपी की मदद ले सकते हैं। आर्ट थेरेपी को एक नार्मल आर्ट क्लास की तरह ना समझें। जहां आर्ट क्लास में पेंटिंग और कलर्स थेरिपी पर विशेष ध्यान दिया जाता है, आर्ट थेरेपी के सेशन के दौरान बच्चे को उसकी फीलिंग्स, उसकी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दिया जाता है। इस थेरिपी के माध्यम से बच्चे की मानसिक स्थिति को समझा और सुधारने का प्रयास किया जाता है। नॉर्मल आर्ट से यह थोड़ा अलग होता है। इसमें कलर थेरिपी के अलावा, फिंगर पेंटिंग, क्ले का इस्तेमाल, स्क्रिबलिंग और कार्ड मेकिंग की मदद से इस थेरिपी को की जाती है। जो लोग अपना दर्द या फीलिंग्स बयां नहीं कर पाते उन्हें इस थेरेपी से काफी मदद मिल सकती है।
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कई और रिसर्च भी कहती हैं कि आर्ट थेरेपी लेने के बाद तनाव के शिकार बच्चे काफी बेहतर महसूस करने लगते हैं। जो बच्चे इमोशनल हर्ट हैं, उनके उपचार के लिए भी यह थेरिपी काफी फायदेमंद है। बच्चे के लिए आर्ट थेरिपी उन्हें अवसाद से निकालने के साथ नॉर्मल लाइफ जीने में मदद मिलती है। इस थेरिपी के बाद भी बच्चे में कोई सुधार नहीं आ रहा है, तो यह चिंता का विषय है। आप डॉक्टर या काउंसलर से संपर्क करें।
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