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12 महीने (12 months)
9 से 12 महीनों की उम्र में शिशु खड़ा होना शुरू कर देते हैं। एक साल की उम्र में बच्चे धीरे-धीरे चलना भी शुरू कर देते हैं। इस बिग माइलस्टोन तक पहुंचने तक बच्चों में टेम्पररी स्लीप प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इस उम्र के बच्चे बहुत अधिक एक्टिव होते हैं। नया-नया चलना और बोलना उनके लिए एक नयी दुनिया में कदम रखने जैसा होता है। वो इस उम्र में अधिक उत्सुक रहते हैं। इस नयी दुनिया को एक्सप्लोर करने और अपनी अंडरस्टैंडिंग को बढ़ाने के कारण भी उन्हें कई समस्याएं हो सकती हैं। इन डेवलपमेंट्स को एडजस्ट करने से भी उन्हें स्लीप रिग्रेशन हो सकती है
18-महीने में बेबी स्लीप रिग्रेशन (18-Month)
जब बच्चा 18-महीने का हो जाता है, तो उसे दांत आना शुरू हो जाते हैं। यह सहज प्रक्रिया अक्सर स्लीप रिग्रेशन का कारण बनती है। इसमें बच्चे बहुत अधिक रेस्टलेस, एक्टिव और बेडटाइम और नैपटाइम को मना करने वाले हो जाते हैं। 18-24 महीने के बच्चे में बुरे सपने, अंधेरे का भय, सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) आदि भी बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) का कारण बन सकते हैं।
2-साल (2 years)
इस उम्र में भी बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) होना सामान्य है। इस उम्र में भी बच्चा मेजर डेवलपमेंट माइलस्टोन से गुजरता है। जिसका बच्चों की स्लीप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही नहीं, इस उम्र के बच्चों में सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) भी पीक पर होती है। ऐसे में बच्चों को सोने में समस्या आदि है और वो नैप लेने से भी मना कर देते हैं। हालांकि, इस फेज में यह समस्या परेशानी भरी हो सकती है। लेकिन, इसके पास होने के बाद बच्चे का का स्लीप शेड्यूल स्ट्रांग हो जाता है। अब जानिए कुछ तरीके इस परेशानी को मैनेज करने के बारे में।
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बेबी स्लीप रिग्रेशन को कैसे मैनेज करें? (Management of Baby Sleep Regression)
बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) एक टेम्पररी कंडिशन है। इसे मैनेज करने का सबसे बेहतरीन तरीका है इस दौरान अपने बच्चे को कंफर्टेबल महसूस कराना। ऐसा बच्चे को रेगुलर स्लीप रूटीन से भटकने से रोकने के लिए भी जरूरी हैं। अपने बच्चे की स्लीप रूटीन को तब तक बनाए रखें , जब तक कि वह अपने सामान्य पैटर्न में वापस न आ जाए। याद रखें कि बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) केवल बच्चे की रेगुलर स्लीपिंग पैटर्न (Regular sleeping pattern) में बदलाव को कहा जाता है और इसे लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन, इस समस्या से डील करना माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
कई बार यह समस्या तीन हफ्तों या इससे अधिक समय तक भी रह सकती है। अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है। इस समस्या को मैनेज करने के कुछ आसान तरीके इस प्रकार हैं:
जरूरत के अनुसार बदलाव करें (Make changes as needed)
अपने बच्चों की स्लीप रूटीन में उसकी स्लीप पैटर्न्स के अनुसार एडजस्ट करें। इसका अर्थ है कि आप उनकी नैप्स को छोटा कर दें। हालांकि, यह थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन आपके बच्चे को रात भर बिना जगाए अच्छी नींद लेने में मदद कर सकता है।
एक स्ट्रिक्ट स्लीप रूटीन को अपनाएं (Stick to strict routine)
एक स्ट्रिक्ट स्लीप रूटीन को अपनाने से आपको अपने बच्चे के नए स्लीप पैटर्न को एडजस्ट करने में मदद मिलेगी। लेकिन, इसमें अधिक बदलाव न करें जैसे उसकी नैप्स को स्किप करना। इसके साथ ही अपने बच्चे को तब बेड में सुलाएं जब वह पूरी तरह नींद में हो। इससे आपके बच्चे को यह सीखने में मदद मिलेगी कि कैसे अपने बिस्तर पर अकेले सोना है।
स्क्रीन टाइम को लिमिटेड कर दें (Limit screen time)
स्टडीज से यह बात साबित हुई है कि बच्चों का अधिक देर तक टीवी, मोबाइल या कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल करने से मेलाटोनिन (Melatonin) स्प्रेस हो सकते हैं। मेलाटोनिन (Melatonin) ब्रेन के वो हॉर्मोन हैं, जो स्लीप को रेगुलेट करते हैं। जिससे बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) की समस्या बढ़ सकती है।
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यह तो थी बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) के बारे में जानकारी। हालांकि, यह समस्या आपके और आपके बच्चे के लिए परेशानी भरी हो सकती है। लेकिन, यह बात ध्यान रखें कि शिशु की ग्रोथ के दौरान यह समस्या कई बार होती हैं। यह एक सामान्य समस्या है। अगर आप अपने बच्चे की नींद या उनकी स्लीपलेस नाइट्स को कैसे हैंडल करें, इस बात को लेकर चिंतित हैं तो डॉक्टर से इसके बारे में बात करें। इसके अलावा अगर आपके बच्चे में यह समस्या कुछ दिनों तक सामान्य नहीं होती या उसे कोई और हेल्थ प्रॉब्लम भी है तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।