6 महीने की उम्र के बच्चे भी कई अन्य ग्रोथ सपर्ट्स से गुजरते हैं। इस उम्र में बच्चे रात को अधिक सोते हैं और दिन में नैप लेते हैं। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि इस उम्र के बच्चों को आमतौर पर स्लीप रिग्रेशन नहीं होता है। लेकिन, 6 महीने के कुछ बच्चों को स्लीप प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
8 से 10 महीने (8 to 10 months)
8 से 10 महीने के अधिकतर बच्चे क्रॉल करना शुरू कर देते हैं। यही नहीं, कुछ बच्चे दस महीने की उम्र में खड़ा होना भी शुरू कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस उम्र में सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) होना भी सामान्य है। ऐसे में, इस उम्र के शिशु रात में आपकी उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए बार-बार जाग सकता है। इस दौरान बच्चे में कॉग्निटिव और फिजिकल एबिलिटीज दोनों में बढ़ोतरी होती है। इस उम्र में भी स्लीप रिग्रेशन का कारण बच्चे की ग्रोथ को माना जाता है। लेकिन, परेशानी की कोई बात नहीं है क्योंकि यह समस्या अधिकतर कुछ ही हफ़्तों तक ही बच्चों में रहती है।
और पढ़ें: यह फॉर्टीफायड बेबी सीरियल्स बच्चे के विकास और ग्रोथ के लिए हो सकते हैं मददगार!
12 महीने (12 months)
9 से 12 महीनों की उम्र में शिशु खड़ा होना शुरू कर देते हैं। एक साल की उम्र में बच्चे धीरे-धीरे चलना भी शुरू कर देते हैं। इस बिग माइलस्टोन तक पहुंचने तक बच्चों में टेम्पररी स्लीप प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इस उम्र के बच्चे बहुत अधिक एक्टिव होते हैं। नया-नया चलना और बोलना उनके लिए एक नयी दुनिया में कदम रखने जैसा होता है। वो इस उम्र में अधिक उत्सुक रहते हैं। इस नयी दुनिया को एक्सप्लोर करने और अपनी अंडरस्टैंडिंग को बढ़ाने के कारण भी उन्हें कई समस्याएं हो सकती हैं। इन डेवलपमेंट्स को एडजस्ट करने से भी उन्हें स्लीप रिग्रेशन हो सकती है
18-महीने में बेबी स्लीप रिग्रेशन (18-Month)
जब बच्चा 18-महीने का हो जाता है, तो उसे दांत आना शुरू हो जाते हैं। यह सहज प्रक्रिया अक्सर स्लीप रिग्रेशन का कारण बनती है। इसमें बच्चे बहुत अधिक रेस्टलेस, एक्टिव और बेडटाइम और नैपटाइम को मना करने वाले हो जाते हैं। 18-24 महीने के बच्चे में बुरे सपने, अंधेरे का भय, सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) आदि भी बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) का कारण बन सकते हैं।
2-साल (2 years)
इस उम्र में भी बेबी स्लीप रिग्रेशन (Baby Sleep Regression) होना सामान्य है। इस उम्र में भी बच्चा मेजर डेवलपमेंट माइलस्टोन से गुजरता है। जिसका बच्चों की स्लीप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही नहीं, इस उम्र के बच्चों में सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) भी पीक पर होती है। ऐसे में बच्चों को सोने में समस्या आदि है और वो नैप लेने से भी मना कर देते हैं। हालांकि, इस फेज में यह समस्या परेशानी भरी हो सकती है। लेकिन, इसके पास होने के बाद बच्चे का का स्लीप शेड्यूल स्ट्रांग हो जाता है। अब जानिए कुछ तरीके इस परेशानी को मैनेज करने के बारे में।
और पढ़ें: प्री-प्रेग्नेंसी में आयरन सप्लिमेंट्स: बेबी और मां दोनों के लिए हो सकते हैं फायदेमंद