backup og meta

Teething: टीथिंग क्या है? इस दौरान किन बातों का रखा जाए ख्याल?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/10/2021

Teething: टीथिंग क्या है? इस दौरान किन बातों का रखा जाए ख्याल?

परिचय

दांत निकलना या टीथिंग (Teething) क्या है?

टीथिंग एक प्रक्रिया है, जब शिशु का पहला दांत (दूध के दांत अक्सर इन्हें गिरने वाले दांत या मिल्क टीथ कहा जाता है) मसूड़ों से बाहर निकलता है। हालांकि, यह टीथिंग में जोड़ों के रूप में दांत निकलते हैं। आमतौर पर छह और आठ महीने के बीच शिशु के दांत निकलना (टीथिंग) शुरू हो जाते हैं। टीथिंग प्रक्रिया में पूरे 20 दांत निकलने में कई वर्षों का समय लगता है। अक्सर टीथिंग या दांत निकलने को ‘कंटिंग टीथ’ के नाम से जाना जाता है, जब मसूड़ों से दांत निकलते हैं तो वह मांस से नहीं कटते हैं। टीथिंग के दौरान शिशु की बॉडी में कुछ हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे मसूड़ों में कुछ कोशिकाएं मृत होकर अलग हो जाती हैं। इससे दांतों को बाहर आने के लिए जगह मिलती है। शिशु के विकास में टीथिंग एक प्राकृतिक हिस्सा है। टीथिंग में दर्द और असहजता के कारण माता पिता कई बार दांत निकलने की प्रक्रिया से परेशान हो जाते हैं।

टीथिंग के लक्षण खत्म होने पर एक दिन बच्चे के सभी दांत आ जाते हैं। टीथिंग या दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान लंबे वक्त तक किसी भी प्रकार की परेशानी रहने पर बाल विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

टीथिंग कितनी सामान्य है?

दो महीने और आठ महीने के बीच या बाद में बच्चों की टीथिंग या दांत निकलने शुरू होते हैं। बच्चों के दांत निकलना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा होती है। आप इसकी विस्तृत जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

और पढ़ें : सेल्युलाइटिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

लक्षण

टीथिंग के क्या लक्षण हैं?

हर बच्चे में टीथिंग के विशेष और अलग लक्षण नजर आ सकते हैं। टीथिंग के सबसे सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपका शिशु निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करता है तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए:

बच्चे का ज्यादा चिड़चिड़ा या रोना। यदि बच्चा बार-बार रोता है। इसके अलावा, उपरोक्त लक्षणों या संकेतों के नजर आने या आपका कोई प्रश्न है तो इस संबंध में अपने डॉक्टर से परामर्श लें। हालांकि, टीथिंग में हर शिशु की बॉडी अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। स्थिति का बेहतर जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेना उचित रहेगा।

[mc4wp_form id=’183492″]

कारण

टीथिंग का क्या कारण है?

बच्चों का जन्म दांतों के पूरे सेट के साथ होता है, जो उनके मसूड़ों के नीचे होते हैं। अपने जीवन के पहले वर्ष के दौरान यह दांत मसूड़ों को काटकर बाहर निकलना शुरू हो जाते हैं। यह दांत चरणों में मसूड़ों को काटकर बाहर निकलते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, नीचे के दांत अक्सर इन्हें पेग्स के नाम से बुलाया जाता है। यह दांत पहले आते हैं। इसके बाद ऊपर के बीच के दांत आत हैं। इस बिंदु से बाकी बचे हुए दांत तीन वर्ष की अवधि में मसूड़ों से बाहर आना शुरू हो जाते हैं। वहीं, कुछ बच्चों की टीथिंग दो वर्ष के बाद पूरी हो जाती है, जिसमें उनके सभी दांत निकल जाते हैं।

निम्नलिखित चरणों में आमतौर पर दांत बाहर निकलते हैं:

  • बीच के दांत: 6-12 महीने की उम्र
  • साइड के दांत: 9-16 महीने की उम्र
  • भेदक या छीलने वाले दांत: 16-23 महीने की उम्र
  • चबाने के दांत: 13-19 महीने की उम्र
  • चबाने के दूसरे दांत: 22-24 महीने की उम्र

छह और 12 वर्ष की आयु के बीच इन बीस दांतों की जड़ें दोबारा बनती हैं। इन दूध के दांतों की जगह स्थाई 32 दांत आते हैं। चबाने के तीसरे दांत (अकल के दांत) आमतौर पर किशोरावस्था के बाद आते हैं। क्राउड और अभिव्यस्त स्थिति की वजह से अक्सर इन दातों को निकाल दिया जाता है।

और पढ़ें : Campylobacter : कैम्पिलोबैक्टर इंफेक्शन क्या है?

जोखिम

किन कारकों से टीथिंग का खतरा बढ़ता है?

टीथिंग या दांत निकलना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसकी वजह से इसके कोई भी जोखिम कारक नही हैं।

और पढ़ें : Pellagra : पेलाग्रा रोग क्या है?

उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

टीथिंग का निदान कैसे किया जाता है?

टीथिंग का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके बच्चे को एक टेबल पर लिटाकर उसे अपनी गोद में लेकर जांच कर सकता है। डॉक्टर या डेंटिस्ट आपके बच्चे की ओरल हाइजीन और हेल्थ का आंकलन करेगा।

वह क्लीनिंग तकनीक भी अपना सकता है।

जुबान और गालों के भीतर डॉक्टर छालों और बंप्स की जांच कर सकता है। वह मुंह के ऊपर के हिस्से की जांच भी कर सकता है।

डॉक्टर बच्चे की आदतों जैसे अंगूठा चूसने के प्रभाव का आंकलन कर सकता है।

टीथिंग का इलाज कैसे किया जाता है?

कई बच्चों में टीथिंग के बेहद ही कम या एक भी लक्षण नजर नहीं आते हैं, ऐसे में उन्हें इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है।

हालांकि, टीथिंग के लक्षण नजर आने पर निम्नलिखित इलाज के तरीकों को अपनाया जा सकता है:

  • सामान्य सलाह: टीथिंग के दौरान दर्द को कम किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर अपनी साफ उंगली से प्रभावित मसूड़ों की ठीक से रबिंग कर सकता है। इससे दर्द में राहत मिलती है। कई बच्चों में साफ और ठंडी चीज को चबाने पर उन्हें दर्द से राहत मिलती है। साथ ही ठंडे फल या सब्जियों को चबाने से भी मदद मिलती है। हालांकि, दांत निकलने के दौरान टीथिंग बिस्किट्स नहीं दिए जाने चाहिए, क्योंकि इनमें शुगर होती है।
  • दर्द कम करने के लिए दवाइयां: यदि बच्चे को टीथिंग के दौरान दर्द होता है तो उसे पैरासिटामोल या आइबुप्रोफेन दी जा सकती है। हालांकि, बिना डॉक्टर के सुझाए गए डोज और सलाह के इस दवा के इस्तेमाल से बचना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर किसी भी प्रकार की दवा का इस्तेमाल करें।
  • कॉम्प्लिमेंटरी इलाज का कोई भी सुबूत नहीं है, जो टीथिंग में कारगर साबित होता है, जैसे हर्बल टीथिंग पाउडर।
  • टीथिंग जेल: मार्केट में टीथिंग जेल उपलब्ध होते हैं। इनमें लोकल एनेस्थेटिक या हल्का एंटीसेप्टिक होता है। लोकल एनेस्थेटिक में आमतौर पर लिडोकेन (lidocaine) होता है। जानकर टीथिंग में होने वाले दर्द के दौरान इनके इस्तेमाल की सलाह देते हैं।
  • चूंकि, लंबे वक्त तक राहत देने के लिए यह कितना प्रभावी है, इसके सुबूत मौजूद नही हैं। ऐसे कुछ साक्ष्य भी हैं, जो इनके नुकसानदायक होने का प्रमाण देते हैं।
  • ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें शिशुओं ने अधिक मात्रा में एनेस्थेटिक निगल लिया और मृत्यु को मिलाकर उसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आए हैं। यदि आप भी टीथिंग जेल का इस्तेमाल करने जा रही हैं तो सुरक्षा के लिहाज से मैन्युफैक्चर्र के दिशा निर्देशों का पालन करें।

और पढ़ें : Aortic stenosis: एओर्टिक स्टेनोसिस क्या है?

घरेलू उपचार

जीवन शैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे टीथिंग को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

यदि आपके बच्चे में टीथिंग असहजता उत्पन्न करती है तो निम्नलिखित आसान उपायों को अपनाया जा सकता है:

  • शिशु के मसूड़ों को रब करें: साफ उंगली या एक मॉइस्टेंड गेउजे पेड (moistened gauze pad) से शिशु के मसूड़ों को रब करें। इससे बनने वाला प्रेशर शिशु की असहजता को कम कर सकता है।
  • ठंडा बनाए रखें: एक ठंडा धुला हुआ कपड़ा, चम्मच या ठंडी टीथिंग रिंग से बच्चे के मसूड़ों को सहलाएं। बच्चे को फ्रोजेन टीथिंग रिंग न दें। हालांकि, शिशु के लिए अत्यधिक ठंडापन नुकसान देह हो सकता है।
  • सॉलिड फूड: यदि आपका बच्चा सॉलिड फूड खा रहा है तो आप उसे कुछ एडिबल जैसे ठंडा खीरा या गाजर दे सकती हैं। इस दौरान बच्चे पर निगरानी रखें। हालांकि, टूटा हुआ टुकड़ा बच्चे के गले में दम घुटने का खतरा पैदा कर सकता है।
  • ड्रूल को ड्राई रखें: अत्यधिक मात्रा में शिशु की लार टपकना टीथिंग प्रक्रिया का हिस्सा होती है। ऐसे में त्वचा की जलन को रोकने के लिए बच्चे की थोड़ी या चिन को एक साफ कपड़े से पोछ दें। ऐसे में आप एक मॉश्चराइजर जैसे वॉटर बेस्ड क्रीम या लोशन अपना सकते हैं।
  • ओवर-दि-काउंटर उपचार को अपनाएं: यदि आपका बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा होता है तो आप इसे एसिटामिनोफेन (acetaminophen) या आइबूप्रोफेन दे सकते हैं। इनका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. पूजा दाफळ

· Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/10/2021

advertisement iconadvertisement

Was this article helpful?

advertisement iconadvertisement
advertisement iconadvertisement