के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
टीथिंग एक प्रक्रिया है, जब शिशु का पहला दांत (दूध के दांत अक्सर इन्हें गिरने वाले दांत या मिल्क टीथ कहा जाता है) मसूड़ों से बाहर निकलता है। हालांकि, यह टीथिंग में जोड़ों के रूप में दांत निकलते हैं। आमतौर पर छह और आठ महीने के बीच शिशु के दांत निकलना (टीथिंग) शुरू हो जाते हैं। टीथिंग प्रक्रिया में पूरे 20 दांत निकलने में कई वर्षों का समय लगता है। अक्सर टीथिंग या दांत निकलने को ‘कंटिंग टीथ’ के नाम से जाना जाता है, जब मसूड़ों से दांत निकलते हैं तो वह मांस से नहीं कटते हैं। टीथिंग के दौरान शिशु की बॉडी में कुछ हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे मसूड़ों में कुछ कोशिकाएं मृत होकर अलग हो जाती हैं। इससे दांतों को बाहर आने के लिए जगह मिलती है। शिशु के विकास में टीथिंग एक प्राकृतिक हिस्सा है। टीथिंग में दर्द और असहजता के कारण माता पिता कई बार दांत निकलने की प्रक्रिया से परेशान हो जाते हैं।
टीथिंग के लक्षण खत्म होने पर एक दिन बच्चे के सभी दांत आ जाते हैं। टीथिंग या दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान लंबे वक्त तक किसी भी प्रकार की परेशानी रहने पर बाल विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
दो महीने और आठ महीने के बीच या बाद में बच्चों की टीथिंग या दांत निकलने शुरू होते हैं। बच्चों के दांत निकलना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा होती है। आप इसकी विस्तृत जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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हर बच्चे में टीथिंग के विशेष और अलग लक्षण नजर आ सकते हैं। टीथिंग के सबसे सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
यदि आपका शिशु निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करता है तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए:
बच्चे का ज्यादा चिड़चिड़ा या रोना। यदि बच्चा बार-बार रोता है। इसके अलावा, उपरोक्त लक्षणों या संकेतों के नजर आने या आपका कोई प्रश्न है तो इस संबंध में अपने डॉक्टर से परामर्श लें। हालांकि, टीथिंग में हर शिशु की बॉडी अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। स्थिति का बेहतर जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेना उचित रहेगा।
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बच्चों का जन्म दांतों के पूरे सेट के साथ होता है, जो उनके मसूड़ों के नीचे होते हैं। अपने जीवन के पहले वर्ष के दौरान यह दांत मसूड़ों को काटकर बाहर निकलना शुरू हो जाते हैं। यह दांत चरणों में मसूड़ों को काटकर बाहर निकलते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, नीचे के दांत अक्सर इन्हें पेग्स के नाम से बुलाया जाता है। यह दांत पहले आते हैं। इसके बाद ऊपर के बीच के दांत आत हैं। इस बिंदु से बाकी बचे हुए दांत तीन वर्ष की अवधि में मसूड़ों से बाहर आना शुरू हो जाते हैं। वहीं, कुछ बच्चों की टीथिंग दो वर्ष के बाद पूरी हो जाती है, जिसमें उनके सभी दांत निकल जाते हैं।
निम्नलिखित चरणों में आमतौर पर दांत बाहर निकलते हैं:
छह और 12 वर्ष की आयु के बीच इन बीस दांतों की जड़ें दोबारा बनती हैं। इन दूध के दांतों की जगह स्थाई 32 दांत आते हैं। चबाने के तीसरे दांत (अकल के दांत) आमतौर पर किशोरावस्था के बाद आते हैं। क्राउड और अभिव्यस्त स्थिति की वजह से अक्सर इन दातों को निकाल दिया जाता है।
टीथिंग या दांत निकलना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसकी वजह से इसके कोई भी जोखिम कारक नही हैं।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
टीथिंग का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके बच्चे को एक टेबल पर लिटाकर उसे अपनी गोद में लेकर जांच कर सकता है। डॉक्टर या डेंटिस्ट आपके बच्चे की ओरल हाइजीन और हेल्थ का आंकलन करेगा।
वह क्लीनिंग तकनीक भी अपना सकता है।
जुबान और गालों के भीतर डॉक्टर छालों और बंप्स की जांच कर सकता है। वह मुंह के ऊपर के हिस्से की जांच भी कर सकता है।
डॉक्टर बच्चे की आदतों जैसे अंगूठा चूसने के प्रभाव का आंकलन कर सकता है।
कई बच्चों में टीथिंग के बेहद ही कम या एक भी लक्षण नजर नहीं आते हैं, ऐसे में उन्हें इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है।
हालांकि, टीथिंग के लक्षण नजर आने पर निम्नलिखित इलाज के तरीकों को अपनाया जा सकता है:
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यदि आपके बच्चे में टीथिंग असहजता उत्पन्न करती है तो निम्नलिखित आसान उपायों को अपनाया जा सकता है:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें
डिस्क्लेमर
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