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बच्चों को नैतिक शिक्षा और सीख देने के क्या हैं फायदे? कम उम्र में सीखाएं यह बातें

बच्चों को नैतिक शिक्षा और सीख देने के क्या हैं फायदे? कम उम्र में सीखाएं यह बातें

मौजूदा समय में बच्चों में नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) का होना बेहद ही जरूरी है। तभी वह अच्छे संस्कार सीखते हैं, जो जीवन भर उनके काम आता है। पैरेंट्स द्वारा बचपन में सिखाई गई नैतिक शिक्षा और सीख के बदौलत ही वो आगे चलकर नेक इंसान बनते हैं, वहीं कामयाबी हासिल करते हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) दें। सच्चाई यह है कि मौजूदा समय में कई पैरेंट्स बच्चों को नैतिक शिक्षा नहीं देते, इस कारण उनका बच्चा नकारात्मक शक्तियों की ओर खींचा चला जाता है। वहीं गलत चीजें सीखता है। लेकिन जागरूक पैरेंट्स अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ उनके साथ खुलकर बातें करते हैं।

मौजूदा दौर में तेजी से बदलते इस युग में बच्चों को जीवन में अच्छी सीख देना बेहद ही जरूरी हो गया है। बच्चों को दी गई नैतिक शिक्षा और सीख उन्हें आगे चलकर एक अच्छा इंसान बनाती है। इसलिए जरूरी है कि शुरुआती समय से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) दी जानी चाहिए। कुछ मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि बच्चों को नैतिक शिक्षा देना बेहद ही कठिन कार्य है, इसलिए जरूरी है कि सही उम्र में ही उन्हें यह शिक्षा (Education) दी जानी चाहिए ताकि वो बिगड़े नहीं, सही और गलत का फैसला कर सकें। आइए इस आर्टिकल में हम जानते हैं कि बच्चों को कम उम्र में कौन-कौन सी बातें सीखानी चाहिए, जो उन्हें जीवन में काम आए।

बच्चों को नैतिक शिक्षा या नैतिकता (Moral education to kids) की सीख देना क्यों जरूरी है? कौन है इसके लिए जिम्मेदार

बच्चों के पैरेंट्स वो पहले इंसान है जिन्हें बच्चों को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को अच्छे संस्कार दें, ताकि वो जीवन में अच्छा काम कर सके। स्कूल से भी पहले बच्चों को नैतिक शिक्षा उनके पैरेंट्स को देनी चाहिए। लेकिन बच्चे ज्यादातर अपना समय स्कूल के वातावरण में ही बिताते हैं, ऐसे में कई पैरेंट्स यह मानते हैं कि यह स्कूल की जिम्मेदारी है कि उनके बच्चों में नैतिक शिक्षा का बीज बोया जाए।

हालिया दिनों में किए शोध से पता चला है कि स्कूलों की कक्षाओं में बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) देनी चाहिए। भारत के कई शहरों में स्कूल यह दावा करते हैं कि वो बच्चों को शिक्षा देने के साथ अच्छे संस्कार भी सिखाएंगे। वहीं अन्य स्कूल यह मानते हैं बच्चों में नैतिक शिक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से पैरेंट्स के जिम्मे है।

बात चाहे पैरेंट्स या टीचर्स की हो, यह जरूरी नहीं कि बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) देने की जिम्मेदारी किसकी है, बल्कि जरूरी तो यह है कि बच्चों को शुरुआती समय में ही नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए।

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बच्चों को इन बातों की देनी चाहिए शिक्षा

ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है (Honesty is the Best Policy) :  हम सभी यही सुनते हुए बड़े हुए हैं। तो ऐसे में जरूरी है कि उसी सच्चाई के साथ इस बात को अपने बच्चों को भी सिखाना चाहिए। यह बेहद ही जरूरी है कि हमारे बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) देते हुए इमानदारी का पाठ पढ़ाया जाए वहीं उसे झूठ बोलने के परिणाम भी बताना चाहिए। वहीं बच्चों को नैतिक सीख देते हुए उन्हें यह बताना चाहिए कि कैसे सही कहें। भारत के कई स्कूलों में बच्चों को स्कूल के शुरुआती दिनों में ही सही कहना सिखाया जाता है। स्कूलों में बच्चों को ईमानदार रहने की शिक्षा दी जाती है, चाहे बच्चे से कोई गलती भी क्यों न की हो, पूरी सच्चाई के साथ उसे स्वीकरने की बात बताई जाती है।

सम्मान ही पवित्र है (Respect is Divine) :  दूसरों को सम्मान देने का गुण भी बेहद ही महत्तवपूर्ण है, जिसे बच्चों को सीखना चाहिए, ताकि वो जीवन भर सुखद जीवन जी सकें। इसका यह कतई अर्थ नहीं कि सिर्फ बड़ों को सम्मान दें, बल्कि इसका अर्थ और भी व्यापक है। इसके तहत बच्चों को यह शिक्षा भी दी जानी बेहद ही जरूरी है कि बड़ों का सम्मान करने के साथ साथ जब दो बड़े बात कर रहे हों तो उसके बीच में नहीं बोलना चाहिए। बच्चों को अच्छे संस्कारों को बताने के साथ जो व्यक्ति चाहे जो भी काम करें उसे सम्मान देना चाहिए, यही सीख भी बच्चों को नैतिक शिक्षा के तहत दी जानी चाहिए। मौजूदा समय में भारत में कई स्कूल ऐसे हैं, जो बच्चों को डेवलप्मेंट टूल के जरिए बच्चों को नैतिक शिक्षा देते हैं। बच्चों को कई एक्टिविटी के जरिए उनको नैतिक सीख दी जाती है।

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सभी को प्यार से जीतें : बच्चों में शुरुआत से ही दूसरों से प्यार करने की प्रवृत्ति होती है। लेकिन यह सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उसे बच्चों के जीवन में शामिल किया जाए। सही उम्र में ही बच्चों को प्यार के महत्व को समझाया जाए। बच्चों को नैतिक सीख देते हुए यह बताना बेहद ही जरूरी है कि सिर्फ अपने परिवार से ही प्यार नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने क्लासमेट्स, टीचर्स, जानवर, हर कोई, चाहे वो कोई भी काम क्यों न करता हो उसे सम्मान देना चाहिए और प्यार करना चाहिए। शुरुआती दिनों में ही बच्चों को यह शिक्षा की जाए तो वो काफी आत्मविश्वास के साथ बड़े होते हैं, उनमें दया की भावना होती है।

दूसरों की मदद करना : बच्चों को शुरुआती दिनों में ही दूसरों की मदद करने की सीख दी जानी चाहिए। बच्चों को दी जाने वाली नैतिक शिक्षा में से यह भी एक है। ताकि वो दूसरों की मदद और देखभाल करें। स्कूल के वातावरण में ही रहकर कई एक्टिविटी के द्वारा बच्चों को दूसरों को मदद करने की सीख दी जाती है। स्कूल में ही कई एक्टिविटी के जरिए बच्चों को लर्निंग और शेयरिंग की सीख दी जाती है।

बोलने का साहस : भारत के ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को यह सीख दी जाती है ताकि वो खुद के लिए खड़े होकर बोल सकें, चाहे उनकी गलती हो या फिर गलती न हो, बच्चों में इतना साहस होना चाहिए कि वो अपने हक व अधिकार के लिए बोल सकें। चाइल्ड साइकोलॉजी कभी भी यह नहीं कहते कि बच्चा सॉरी कहे, बल्कि अपने मैसेज को सही तरीके से कहें यह जरूरी है। बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) दी जानी चाहिए ताकि उन्होंने जो भी गलत किया है उसके बारे में खुलकर बोल सकें। वहीं भविष्य में उस प्रकार की गलतियों को न दोहराएं।

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अच्छे संस्कार दें : शिशु के जन्म के समय से ही उसे अच्छे संस्कार दें। इससे वो किसी से भी मिलेगा तो उन्हें सम्मान देगा। संस्कार में बच्चों को सामान्य चीजें सीखाएं, जैसे प्लीज और धन्यवाद कहने की प्रवृत्ति उसमें डालें।

सीखने की ललक :  बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति विकसित करें, ताकि जीवन भर उसमें यह गुण बना रहे। सिर्फ किताबों व टीचर्स व पैरेंट्स की बताई गई बातों से ही नहीं बल्कि जो भी अच्छा हो उसे सीखने की ललक बच्चों में विकसित करें। बच्चों को यह सीख दें कि किताबों से सीखने के साथ जीवन में कई ऐसी घटनाएं है जिससे सीखा जा सकता है।

पैसों की बचत करने की सीख : बच्चों को दी जाने वाली नैतिक शिक्षा के तहत उनको पैसों की बचत करने की सीख भी देनी चाहिए। इसे मनी मैनेजमेंट कहा जाता है। इसके तहत बच्चों को सेविंग्स की बात सिखानी चाहिए। बच्चों को शुरुआती दिनों में ही यह पता होना चाहिए कि ज्यादा खर्च करने के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं। बच्चों को यह शुरुआती दिनों में ही पता होना चाहिए कि अपनी लिमिट से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने बजट में ही खर्च कर उसमें से पैसों की बचत करनी चाहिए, ताकि भविष्य में वो पैसे काम आ सके।

हेल्दी फूड का सेवन करने की सीख :  नैतिक शिक्षा के अंदर बच्चों का खानपान भी आता है। बच्चों को यह नैतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए कि उनके स्वास्थ्य के लिए क्या सही है और क्या गलत। खराब लाइफस्टाइल के अनुसार ही बच्चे कई प्रकार की गलत चीजें खाने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि घर में हेल्दी पकवान बनाए जाए, इससे बच्चों का विकास भी होता है। बच्चों का खाना ऐसा होना चाहिए जो पौष्टिक होने के साथ विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हो। ताकि उन्हें पोषक तत्व मिलता रहे। बच्चों को चॉकलेट और कूकीज देने की बजाय उन्हें खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ देना चाहिए।

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असहमति को शांति से हल करना सीखाएं : बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के क्रम में उन्हें यह सीख देनी चाहिए कि वो असहमति को भी शांति से हल करें। जीवन में कई ऐसे मौके आएंगे जब उनकी सोच दूसरों से नहीं मिलेगी, इसे लड़कर सुलझाने की बजाय शांति से सुलझाने की सीख बच्चों में विकसित करें।

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हमेशा दूसरों की मदद करें :  बच्चों को नैतिक शिक्षा देते हुए उन्हें इस बात की सीख दें कि हमेशा उन्हें अपने से कमजोर लोगों की मदद करनी चाहिए। जितना संभव हो आर्थिक तौर पर या शारिरिक तौर पर जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। कहा जाता है कि दूसरों की मदद करने वालों की मदद भगवान करते हैं। इसलिए जीवन में ऐसे मौकों की तलाश में हमेशा रहना चाहिए जिससे किसी की मदद की जा सके। वहीं जीवन में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीना चाहिए। अपने जीवन में कभी भी नकारात्मक सोच नहीं लानी चाहिए।

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नैतिक शिक्षा देने की कोई उम्र नहीं, जब जागो तभी सवेरा

बच्चों को नैतिक शिक्षा देने की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन यह जरूरी है कि शुरुआती दिनों में ही बच्चों को नैतिक शिक्षा (Moral education to kids) का पाठ पढ़ाया जाए। मौजूदा समय में कई ऐसे स्कूल हैं जो बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के वायदे करने के साथ उन्हें यह सीख देते हैं। ताकि बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण होने के साथ वो अच्छा भविष्य पा सके। वहीं यह पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों को इमानदारी, विनम्रता, दया की सीख दें। वहीं इस बात पर ध्यान दें कि आप जो कुछ भी करते हैं उसका आपके बच्चे पर काफी ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए आप अपने बच्चे को जो शिक्षा दें उसपर खुद भी अमल करें।

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डिस्क्लेमर

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Current Version

08/07/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2021

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