शिशु के जन्म के बाद महिला का शरीर शिशु के हिसाब से बदलता है। बच्चे की जरूरत को पूरा करने के लिए महिला के शरीर में अलग-अलग बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से महिला ब्रेस्टफीड करवा सकती है। यह सभी बदलाव शरीर में बन रहे हॉर्मोन की वजह से होती है। इनमें से एक हॉर्मोन महिला के शरीर के लिए बेहद जरूरी माना जाता है, जिसका नाम है मेलाटोनिन। ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin) बेहद जरूरी माना जाता है, क्योंकि यह महिला के शरीर को दुरुस्त रखने का काम करता है। ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के दौरान महिला के शरीर में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती है, जिससे सामान्य बनाए रखने के लिए शरीर में ठीक ढंग से हॉर्मोन का स्त्राव होना जरूरी माना जाता है। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन एक जरूरी हॉर्मोन के तौर पर देखा जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं के शरीर में ठीक ढंग से मेलाटोनिन का निर्माण नहीं हो पाता, ऐसी स्थिति में ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मेलाटोनिन के रूप में महिलाओं को सप्लिमेंट लेना पड़ता है। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) सप्लिमेंट लेना सही है या नहीं, इसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। इसके बारे में अधिक जानकारी हासिल करने से पहले आइए जान लेते हैं मेलाटोनिन से जुड़ी यह जरूरी बातें।
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क्या है मेलाटोनिन (Melatonin)?
मेलाटोनिन (Melatonin) एक तरह का हॉर्मोन माना जाता है, जो शरीर में नैचरली सिक्रिट होता है। यह हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक को दुरुस्त रखता है और हमारे स्लीपिंग सायकल को मेंटेन करता है। खास तौर पर जिन महिलाओं को नींद की समस्या होती है, उन्हें ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) सप्लिमेंट लेने की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह दवा डॉक्टर के परामर्श के बाद ही किसी महिला को लेनी चाहिए। यदि इसका ठीक ढंग से इस्तेमाल ना किया जाए, तो यह आपके बायोलॉजिकल सायकल को प्रभावित कर सकती है और इसका सीधा प्रभाव आपके शरीर पर दिखाई दे सकता है। मेलाटोनिन आपके स्लीप सायकिल को मेंटेन रखता है। रात के दौरान हमारे शरीर में मेलाटोनिन का सिक्रिशन होता है, जो शरीर को सोने का सिग्नल देता है। वही दिन की रोशनी में मेलाटोनिन होने का खतरा कम हो जाता है, इसलिए व्यक्ति को दिन में कम नींद आती है।
लेकिन जब ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के दौरान महिला के शरीर में मेलाटोनिन का स्त्राव ठीक ढंग से नहीं हो पाता, तो उन्हें समस्याएं होने लगती है। जिसकी वजह से ब्रेस्ट फीडिंग में मेलाटोनिन सप्लिमेंट लेने की सलाह डॉक्टर देते हैं। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin) का इस्तेमाल सही है अथवा नहीं, यह जानना भी जरूरी है। इसलिए आपको ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन के इस्तेमाल से पहले कुछ बातों की जानकारी होनी चाहिए।
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क्या मेलाटोनिन (Melatonin) शिशु को प्रभावित कर सकता है?
ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के दौरान मां को अपने खान-पान और शरीर का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है मां के शरीर में हो रहे बदलाव का सीधा असर ब्रेस्टफीड करने वाले शिशु पर पड़ सकता है। इसलिए शिशु के पूरे विकास को ध्यान में रखते हुए हर मां के लिए रात की नींद बेहद जरूरी मानी जाती है। आमतौर पर ब्रेस्टफड करने वाले बच्चों को ज्यादा देर तक सोते हुए देखा गया है। यह बच्चे ब्रेस्टमिल्क के द्वारा मिल रहे मेलाटोनिन (Melatonin) की वजह से लंबी नींद सोते हैं। जाहिर है मां के शरीर में बन रहे मेलाटोनिन का सीधा प्रभाव बच्चे की नींद पर पड़ता है। लेकिन यह मेलाटोनिन प्राकृतिक तौर पर बनता है, इसलिए यदि आपका शरीर ठीक ढंग से मेलाटोनिन का निर्माण कर रहा है, तो ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) सप्लिमेंट लेने की आपको जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन यदि आपको नींद ना आने की समस्या है और डॉक्टर द्वारा जांच के बाद मेलाटोनिन के स्त्राव मे कमी देखी जाती है, तो ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन सप्लिमेंट का सेवन किया जा सकता है।
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क्या ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन का इस्तेमाल सेफ नहीं है? (Melatonin While Breastfeeding)
आमतौर पर कुछ समय के लिए ब्रेस्ट फीडिंग में मेलाटोनिन सप्लिमेंट का इस्तेमाल सेफ़ माना जाता है। लेकिन इसके शरीर पर हो रहे प्रभाव को जानने के लिए और रिसर्च की जरूरत है। यदि आप ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) लेने के बारे में सोच रही हैं, तो आपको डॉक्टर से अपनी पूरी जांच करवानी चाहिए और इससे जुड़ी जरूरी जानकारी भी हासिल करनी चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन आपके लिए सेफ़ है या नहीं, इस बारे में डॉक्टर आपको सही सलाह दे सकते हैं।
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कुछ महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन सप्लिमेंट का इस्तेमाल सेफली कर पाती हैं, लेकिन इसके लॉन्ग टर्म इस्तेमाल पर अब तक कुछ खास जानकारी हासिल नहीं हुई है। इसके बाद भी ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin) सप्लिमेंट के इस्तेमाल की सलाह डॉक्टर द्वारा ना के बराबर दी जाती है। कुछ खास केसेस में ही जब महिला की स्थिति गंभीर हो, तो ही ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन के इस्तेमाल की सलाह डॉक्टर देते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin) के इस्तेमाल के अलावा कुछ महिलाएं अल्टरनेटिव अप्रोच में भी विश्वास रखती हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद आप इन उपायों से भी मेलाटोनिन के स्त्राव को बूस्ट कर सकते हैं। ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) बेहद जरूरी माना जाता है, इसलिए इसका सही ढंग से स्त्राव होना जरूरी होता है। लेकिन यदि किसी कारणवश आपके शरीर में ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन का स्त्राव नहीं हो रहा, तो आप अपने लाइफ स्टाइल को बदल कर स्थिति को बेहतर कर सकते हैं। लाइफस्टाइल के अंतर्गत आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जिससे ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) में मेलाटोनिन के स्राव पर सीधा असर पड़ता है। लाइफस्टाइल में बदलाव के अंतर्गत आपको यह काम करने चाहिए –
- रोजाना एक्सरसाइज करें
- बेड टाइम रूटीन बनाएं
- कैफीन का इस्तेमाल ना करें
- सोने से 1 से 2 घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल ना करें
- सोते वक्त कमरे में अंधेरा रखें और इसे ठंडा रखें
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इन सभी उपायों से आप ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin) के स्त्राव को बढ़ा सकती हैं। ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन (Melatonin While Breastfeeding) एक जरूरी हॉर्मोन माना जाता है, जो आमतौर पर प्राकृतिक रूप से हमारा शरीर बनाता है। लेकिन यदि आपको ब्रेस्टफीडिंग में मेलाटोनिन सप्लिमेंट लेने की जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे आपके शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के दौरान आपके शरीर में होने वाले बदलाव का सीधा असर आपके शिशु पर पड़ सकता है, इसलिए डॉक्टर के अनुसार ही आपको किसी भी तरह के सप्लिमेंट का सेवन करना चाहिए।
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