परिचय
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) क्या है?
रेट सिंड्रोम न्यूरोलॉजिकल आनुवांशिक समस्या है। जिसमें व्यक्ति का मस्तिष्क शरीर के अंगों, मांसपेशियों (Muscles), बोलने और आंखों (Eye) आदि के मूवमेंट को नहीं करता है। आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि मस्तिष्क यानी कि ब्रेन (Brain) शारीरिक कार्यों को करने में असमर्थ होता है।
रेट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चा सामान्य बच्चों की तरह ही पैदा होता है और उसका विकास होता है। लेकिन, छह माह की उम्र आते-आते वह कई काम करने में असमर्थ होने लगता है। जैसे- बोलना, चलना, हाथों का इस्तेमाल करना आदि नहीं करता है। समय बीतने के साथ ही रेट सिंड्रोम के कारण समस्याओं में इजाफा होता जाता है। जो आगे चल कर बौद्धिक दिव्यांगता (Intellectual disability) में बदल जाता है।
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रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) को चार स्टेज में बांटा गया है:
- स्टेज 1- सबसे पहले ही चरण में रेट सिंड्रोम के कुछ लक्षण सामने आने लगते हैं। जब बच्चा 6 से 18 महीने के बीच की उम्र में होता है तो वह आई कॉन्टेक्ट और खिलौने (Toya) आदि खेलने में रूचि कम दिखाता है। साथ ही बैठने और चलने में भी सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा समय लगाता है।
- स्टेज 2- जब बच्चे की उम्र 1 से 4 साल के बीच होती है तो बच्चे में बौद्धिक अक्षमता साफ-साफ दिखाई देने लगती है। वह ज्यादा स्पष्ट तरीके से बोल नहीं पाता है। इसके अलावा बिना किसी कारण के बच्चा रोने लगता है। बच्चा समाज से समन्वय नहीं कर पाता है।
- स्टेज 3- ये स्टेज चार से दस साल के बीच में देखी जाती है। बच्चा थोड़ा-थोड़ा बोलने लगता है। लेकिन, उसके मूवमेंट में कोई विशेष विकास नजर नहीं आता है।
- स्टेड 4- चौथी स्टेज 10 साल के उम्र के बाद देखने को मिलती है। जिसमें बच्चे की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इसके अलावा चलने-फिरने में कमी और हड्डियों में मजबूती न होने जैसी समस्या भी होती है। लेकिन, बच्चे में संवाद और हाथों द्वारा काम पहले जैसा ही बना रहता है।
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कितना सामान्य है रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) होना?
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) एक दुर्लभ समस्या है। ये न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological disorder) लड़कियों को ज्यादा प्रभावित करता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षण
रेट सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Rett Syndrome)
रेट सिंड्रोम के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
- धीमा विकास होना : बच्चे के जन्म के बाद उसका बौद्धिक विकास (Mental devlopment) बहुत धीमी गति से होता है। रेट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे के सिर का आकार सामान्य बच्चों की तुलना में छोटा होता है। वहीं, शारीरिक विकास (Physical growth) भी बहुत धीमा होता है।
- समन्वयता और नॉर्मल मूवमेंट की कमी होना : बच्चे में सामान्य मूवमेंट की कमी होती है, जैसे- चलना, बोलना आदि। न तो बच्चा स्पष्ट बोल पाता है और न ही सही तरीके से बैठ पाता है।
- स्पष्ट न बोल पाना : रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) से ग्रसित बच्चे में संवाद को लेकर समस्या आती है। न तो वह सही से बोल पाता है और न ही देख पाता है। वह खिलौनों और आसपास के लोगों में बिल्कुल भी रूचि नहीं दिखाता है। कुछ बच्चे अचानक से मूक (Loss of speech) हो जाता है। वहीं, कुछ बच्चों में वक्त के साथ-साथ सुधार होने लगता है।
- हाथों का असामान्य मूवमेंट करना : रेट सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में अजीब तरीके से हाथों का मूवमेंट करते हैं। जैसे- बिना वजह के ताली बजाना, रगड़ना, थपकी देना, हाथों को मसलना आदि।
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- आंखों का असामान्य मूवमेंट : इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे आंखों को बार-बार झपकाते हैं या अपलक किसी चीज के देखते रहते हैं या एक आंख को हमेशा बंद किए रहते हैं।
- सांस संबंधी समस्याएं : ऐसे बच्चे तेजी से सांस लेते हैं या सांस रोक के रखते हैं। इसके अलावा मुंह से हवा लेने की कोशिश करते हैं।
- असामान्य व्यवहार : इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे अपने उत्तेजित व्यवहार के भी हो सकते हैं। इसके अलावा वह बिना वजह के रोने भी लगते हैं। बिना वजह के हंसने लगते हैं। बालों या कपड़ों को चबाने लगते हैं। हाथों को चाटने लगते है। ये व्यवहार देखकर ऐसा लगेगा कि बच्चे में बौद्धिक क्षमता नहीं है।
- स्कोलियोसिस : रेट सिंड्रोम के साथ बच्चे को अक्सर स्कोलियोसिस (Scoliosis) हो जाता है। आमतौर पर यह स्थिति 8 से 11 साल के बीच में देखी जाती है। स्कोलियोसिस में स्पाइन टेढ़ी होने लगती है।
- अनियमित हार्टबीट : रेट सिंड्रोम में बच्चे में अनियमित हार्टबीट (Heart beat) हो जाती है। जिससे बच्चे की अचानक से मौत भी हो सकती है।
- इतनी सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बच्चे को दर्द भी होता है।
- इसके अलावा हाथों और पैरों का आकार सामान्य से छोटा होता है। चबाने और निगलने में समस्या होती है। हड्डियां कमजोरी के कारण फ्रैक्चर हो जाती हैं।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा अन्य समस्याओं को देखने के बाद तुरंत आपको बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। जैसे :
- शरीर के अंगों का धीमी गति से विकास
- चलने-फिरने या समन्वय सही से न करना
- हाथों द्वारा असामान्य गतिविधियां करना
- आंखों की रोशनी का कमजोर होना
- व्यवहारिक समस्या और मूड स्विंग (Mood swing) होना
- देरी से बोलना शुरू करना और स्पष्ट न बोल पाना
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कारण
रेट सिंड्रोम होने के कारण क्या हैं? (Cause of Rett Syndrome)
एक्स X क्रोमोसोम (X Chromosome) में उत्परिवर्तन के कारण रेट सिंड्रोम होता है। इस सिंड्रोम (Syndrome) को उत्पन्न करने वाले जीन के बारे में अभी तक अधिक जानकारी नहीं है। रिसर्चर्स का मानना है कि सिंगल जीन अन्य कई जीन्स को रेट सिंड्रोम उत्पन्न करने के लिए सम्मिलित करता है।
हालांकि, रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) आंनुवंशिक (Genetic) बीमारी है। जो बच्चे में उसके मात-पिता से आती है। अगर किसी लड़के में रेट सिंड्रोम होता है तो वह शायद ही जन्म के बाद जिंदा रह पाए। ऐसा इसलिए होता है कि लड़कों में X क्रोमोसेम (X Chromosome) की संख्या सिर्फ एक होती है और लड़कियों में दो होती है। इसलिए लड़कों के लिए रेट सिंड्रोम का जीन जानलेवा साबित होता है।
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जोखिम
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
रेट सिंड्रोम एक रेयर सिंड्रोम (Rare Syndrome) है। जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic mutation) से पैदा होने वाली इस बीमारी के रिस्क फैक्टर के बारे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। कुछ मामलों में आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है, जिसमें परिवार के अन्य सदस्यों से रेट सिंड्रोम बच्चे (Child) में आ सकता है।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
रेट सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Rett Syndrome)
रेट सिंड्रोम ज्यादातर लड़कियों में होता है। इसलिए डॉक्टर गर्ल्स पैटर्न को अपना कर इस सिंड्रोम के बारे में पता करते हैं। क्योंकि ये सिंड्रोम बहुत ही रेयर है तो इसलिए डॉक्टर पहले ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder), सेरिब्रल पैल्सी (Cerebral Palsy), मेटाबॉलिक डिसऑर्डर ((Metabolic disorder) और प्रीनैटल ब्रेन डिसऑर्डर (Prenatal brain syndrome) का पता लगाते हैं। इसके बाद भी स्पष्ट न होने पर जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing) कराते हैं। इसके आधार पर रेट सिंड्रोम का निदान किया जाता है।
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रेट सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? (Treatment for Rett Syndrome)
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) का कोई सटीक इलाज नहीं है। ट्रीटमेंट के द्वारा बच्चे का जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। जिसे पूरी जिंदगी लगातार करते रहना पड़ेगा।
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) को ट्रीट करने के लिए आपके पास कई विकल्प मौजूद हैं :
- मेडिकल केयर
- फिजिकल थेरिपी (Physical therapy)
- स्पीच थेरिपी (Speech Therapy)
- ऑक्यूपेशनल थेरिपी
- गुड न्यूट्रीशन (Healthy Nutrition)
- व्यावहारिक थेरिपी
- सपोर्टिव सर्विस
रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) की थेरिपी को करने के लिए थेरिपी एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है। कुछ लड़कियां स्कूल में सामाजिक व्यवहार के बारे में सिखती हैं। रेट सिंड्रोम के कारण होने वाली कुछ समस्याओं का इलाज दवाओं से भी किया जाता है। वहीं, रेट सिंड्रोम से ग्रसित लड़कियां अधिकतम 20 साल की उम्र तक ही जी पाती हैं।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे रेट सिंड्रोम (Rett Syndrome) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
रेट सिंड्रोम के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव कर के सामान्य जीवन व्यतीत किया जा सकता है :
- सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति को बातचीत कर के अपना तनाव दूर करना चाहिए। सोशल इंटरेक्शन से भी चिंता और तनाव (Tension) कम होगा।
- अगर आप अपने बच्चे की देखभाल घर पर खुद ही करते हैं तो आप किसी की मदद लें। ताकि बीच-बीच में आप थोड़ा आराम कर सके। क्योंकि जब बच्चा रेट सिंड्रोम (Child’s Rett Syndrome) के साथ बड़ा होता है तो उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ती है।
- बच्चे को परिवार के अन्य सदस्यों से बात करने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा इंटनेशनल रेट सिंड्रोम फाउंडेशन (Rett Syndrome Foundation) से आप ऑनलाइन मदद ले सकते हैं।
इसके अलावा इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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