बच्चों का मन बहुत कोमल होता है, इसलिए कई बार अपने दिल पर बात बहुत जल्दी ले लेते हैं। लेकिन कुछ बच्चें ऐसे होते हैं, जो छोटी-छोटी को बहुत जल्दी अपने दिल पर ले लेते हैं। जिन्हें हम सेंसिटिव बच्चे कहते हैं। बच्चों का खेलना-कूदना और शरारत करना, सामान्य है। लेकिन, सेंसिटव बच्चे खेलना-कूदना कम पसंद करते हैं और अकेले रहना ज्यादा पसंद आता है। ऐसे बच्चे अपनी गुमसुम दुनिया में व्यस्त रहना ज्यादा पसंद करते हैं। सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips for Sensitive Kids) में पेरेंट्स को थोड़ी सतर्कता की जरूरत होती है। तो जानिए यहां, सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips for Sensitive Kids) और उन्हें कैसे संभालने में मदद मिल सकती है।
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सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips for Sensitive Kids) :समझें अपने बच्चे को
कई बच्चे में इतने ज्यादा सेंसिटिव (Sensitive) होते हैं कि मां कुछ मिनट के लिए भी दूर जाएं, ताे रोने लगते हैं। ऐसा ही एक केस पिछले दिनों मेरे पास आया था, जिसमें एक 6 साल की बच्ची इतनी ज्यादा सेंसिटिव थी कि यदि उसकी मां, उसे कुछ कह भर दें, तो उसका आंसू बहना शुरू हो जाता है। उसे न तो दूसरी बच्चियों के साथ खेलना पसंद है और न ही वह अपना सामान किसी को हाथ लगाने देती है। पेरेंट्स (Parents) के लाख समझाने के बाद भी उसकी बेटी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इस तरह भी कई बच्चों की आदतें होती है। इनके जैसे और भी कई बच्चे होते हैं, जो इस तरह की हरकते करते हैं। लेकिन ऐसी स्थितियों में पेरेंट्स को बच्चों को समझाने की ज्यादा जरूरत होती है। उनके साथ किसी प्रकार की कोई भी जोर-जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। जैसा कि बच्चे बहुत ज्यादा सेंसिटिव होते हैं, इसलिए उन्हें प्यार से समझाना जरूरी है, कठिनाई वाला व्यवहार नहीं करना चाहिए। अगर बच्चा संवेदनशील हैं, तो पेरेंट्स को अपने व्यवहार में नम्रता रखनी चाहिए।
सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : बच्चे को बदलने की कोशिश न करें (Don’t try to change Child )
कई बच्चे अपने व्यवहार (Child behavior) से ही शांत होते हैं, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वो सेंसिटिव हैं, बस वो सवभाव से ही शांत हैं। यदि बच्चा अचानक से ही शांत रहना शुरू कर दें, तो दिक्कत वहां शुरू होती है। यदि बच्चा सिर्फ शांत रहता है, ज्यादा किसी से मिलता और बात नहीं करता है। ऐसे में पेरेंट्स कई बार बच्चे को सबसे बात करने के लिए डाटते हैं, जोकि गलत है। उस पर सामाजिकता का जोर डालना बंद कर दीजिए। उसके व्यवहार को बदलने की जगह, आप उसकी रुचि को बढ़ावा दें। अपने बच्चे को अन्य बच्चों की तरह एक्टिव और स्मार्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें समझाएं और उनसे बात कर के उनके मन की बात जानने की कोशिश करें। अगर बच्चा घर में ज्यादा रहना पसंद करता है, तो उसे कुछ एक्टिविटी में व्यस्त रखें, जैसे कि बुक्स रीडिंग (Books Reading), पेंटिंग, कहानी लेखन जैसी एक्टिविटीज (Activities) में। इस तरह से बच्चे भविष्य काफी अच्छा हो सकता है।
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सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : इमोशनल सहयोग दें उन्हें(Emotional)
जैसा कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है, इसलिए वो भावुक भी उतने ही होते हैं। बच्चाें को इमोशनल सहयोग भी बहुत जरूरी है। कई बार पेरेंट्स बच्चे को बहुत छोटी-छोटी बातों में भी डाटने लगते हैं, जोकि सही नहीं है। संवेदनशील बच्चे पेरेंट्स की बातों को दिल से लगा बैठते हैं। इस कारण बच्चे का सोचने का तरीका धीरे-धीरे नकारात्मक होने लगता है। इस कारण बच्चा और भी ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों को इमोशनल रूप से स्पोर्ट करें। उन्हें भवानात्मक चोट न पहुंचने दें। यदि बच्चा को गलती कर रहा है, तो उसे सबके बीच डाटने के बजाए, अकेले में ले जाकर समझाएं। इसके अलावा, बच्चे को बार-बार टोकना पसंद भी नहीं आता है। इसलिए सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग में पेरेंट्स इन बातों का ध्यान रखें। बच्चों के लिए इमोशनल सहयोग बहुत जरूरी है।
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सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : हर चीज में नियम न लगाएं (Rules)
यह सही है कि बच्चों को नियम सिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन हर बात में उनके लिए नियम हो, यह जरूरी नहीं है। बच्चे की संवेदनशीलता का ध्यान रखते समय इस बात का भी पेरेंट्स को ख्याल रखना जरूरी है कि बच्चों को पर उतने ही नियम लगाएं, जितना अनुशासन के लिए जरूरी है। इससे बच्चे को एक अच्छा माहौल मिलेगा। बात-बात में नियम लगाने से बच्चों का मानसिक विकास (Mental Health) भी प्रभावित होता है। हां, लेकिन जो नियम बच्चे के अनुशासन के लिए है, उन नियमों का पालन जरूर करवाइए। बच्चे के लिए कुछ नियमों का होना भी जरूरी है, नहीं तो बच्चा जिद्दगी हो जाएगा। संवेदनशील बच्चे बदलावों को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते। सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स में पेरेंट्स को इन बातों का ध्यान रखना होगा।
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सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : बच्चे का हौसला मजबूत करें
अगर बच्चे की शिकायतें दूसरे बच्चे और रिश्तेदारों से कर रहे हैं, तो आप गलत कर रहे हैं, जो कि अच्छी पेरेंटिंग में सबसे बड़ी गलती मानी जाती है। अपने लिए बार-बार शिकायतों को सुनना, इससे दूसरों के सामने बच्चे खुद को हीनभावना से ग्रसित महसूस करने लगते हैं। ऐसी बातें उनके हौसलों को तोड़कर रख देती हैं। जितना हो सके अपनी उम्मीदों को उस पर न थोपें। हां, अच्छी बातों पर उसका हौसला जरूर बढ़ाएं।
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संवेदनशील बच्चे भावनाओं से ओतप्रोत होते हैं। इनको समझने और समझाने के लिए आपको सबसे पहले खुद में सब्र लाना जरूरी है। आपका धैर्य खोना उनकी भावनाओं को चोट पहुंचा देता है। बच्चे को समय दें , उससे बातें करें और अगर कोई काम उससे करवाना चाहती हैं तो उसको उस काम को करने के लिए राजी होने का मौका दें।
सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग के दौरान पेरेंट्स को कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। उन्हें, उन छोटी-छोटी बातों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए, जोकि बच्चे के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है।
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