सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : बच्चे को बदलने की कोशिश न करें (Don’t try to change Child )
कई बच्चे अपने व्यवहार (Child behavior) से ही शांत होते हैं, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वो सेंसिटिव हैं, बस वो सवभाव से ही शांत हैं। यदि बच्चा अचानक से ही शांत रहना शुरू कर दें, तो दिक्कत वहां शुरू होती है। यदि बच्चा सिर्फ शांत रहता है, ज्यादा किसी से मिलता और बात नहीं करता है। ऐसे में पेरेंट्स कई बार बच्चे को सबसे बात करने के लिए डाटते हैं, जोकि गलत है। उस पर सामाजिकता का जोर डालना बंद कर दीजिए। उसके व्यवहार को बदलने की जगह, आप उसकी रुचि को बढ़ावा दें। अपने बच्चे को अन्य बच्चों की तरह एक्टिव और स्मार्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें समझाएं और उनसे बात कर के उनके मन की बात जानने की कोशिश करें। अगर बच्चा घर में ज्यादा रहना पसंद करता है, तो उसे कुछ एक्टिविटी में व्यस्त रखें, जैसे कि बुक्स रीडिंग (Books Reading), पेंटिंग, कहानी लेखन जैसी एक्टिविटीज (Activities) में। इस तरह से बच्चे भविष्य काफी अच्छा हो सकता है।
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सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स : इमोशनल सहयोग दें उन्हें(Emotional)
जैसा कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है, इसलिए वो भावुक भी उतने ही होते हैं। बच्चाें को इमोशनल सहयोग भी बहुत जरूरी है। कई बार पेरेंट्स बच्चे को बहुत छोटी-छोटी बातों में भी डाटने लगते हैं, जोकि सही नहीं है। संवेदनशील बच्चे पेरेंट्स की बातों को दिल से लगा बैठते हैं। इस कारण बच्चे का सोचने का तरीका धीरे-धीरे नकारात्मक होने लगता है। इस कारण बच्चा और भी ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों को इमोशनल रूप से स्पोर्ट करें। उन्हें भवानात्मक चोट न पहुंचने दें। यदि बच्चा को गलती कर रहा है, तो उसे सबके बीच डाटने के बजाए, अकेले में ले जाकर समझाएं। इसके अलावा, बच्चे को बार-बार टोकना पसंद भी नहीं आता है। इसलिए सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग में पेरेंट्स इन बातों का ध्यान रखें। बच्चों के लिए इमोशनल सहयोग बहुत जरूरी है।