स्तनपान और ब्रेस्ट साइज (Breast size) को लेकर कई महिलाओं को भ्रम होता है। जिसके कारण कभी-कभी कुछ मां बच्चे को सही से स्तनपान कराने में घबराती हैं और बच्चे को सही पोषण नहीं मिल पाता है। ज्यादातर महिलाएं सिर्फ इस डर से स्तनपान (Breastfeeding) नहीं कराना चाहती है कि स्तनों के आकार बड़े हो जाएंगे। जो कि सरासर गलित है। स्तनपान कराना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और मां को बच्चे के स्वास्थ्य के मद्देनजर इसे जरूर कराना चाहिए। वाराणसी स्थित काशी मेडिकेयर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा धर ने इस तरह के भ्रमों की सच्चाई के बारे में बताया है। डॉ. शिप्रा ने कहा कि किसी भी हाल में मां को स्तनपान बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं बंद करना चाहिए। इस आर्टिकल में जानिए स्तनपान से जुड़े भ्रम (Breastfeeding myths) के बारे में।
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स्तनपान से जु
स्तनपान से जुड़े भ्रम
ड़े भ्रम और सच्चाई (Breastfeeding myths and facts)
1. मिथ्य- ब्रेस्ट फीडिंग का स्तनों के आकार (Breast size) पर पड़ने वाला असर
तथ्य- कुछ महिलाओं का मानना है कि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान स्तनों के आकार (Breast size) में काफी इजाफा होता है। इस संबंध में डॉ. शिप्रा धर का कहना है कि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान स्तनों में दूध भरता है जिससे स्तनों के आकार में हल्की बढ़ोत्तरी होती है। ऐसा इसलिए भी है कि बच्चा जब स्तनों को चूसता है तो उसकी सकिंग पावर (Sucking Power) से बनने वाले दबाव स्तनों के ऊतकों में खिंचाव पैदा करते हैं। जिससे स्तनों का आकार स्तनपान के बाद जरा सा बढ़ जाता है।
2. स्तनपान से जुड़े भ्रम: सिजेरियन डिलीवरी के तुरंत बाद स्तनपान कराना सुरक्षित नहीं है
तथ्य- डॉ. शिप्रा ने इसे गलत बताया है। उन्होंने कहा कि डिलीवरी के तुरंत बाद मां का पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए वरदान है। सिजेरियन डिलीवरी (C- Section) के बाद मां होश में नहीं होती है इसलिए स्तनपान नहीं करा पाती है। लेकिन, यहां पर सबसे बड़ी भूमिका डॉक्टर और नर्स की होती है, जो बच्चे को मां के द्वारा स्तनपान कराती है। मां के स्तनों को साफ करके बच्चे को पेट के बल मां की छाती से लगा कर स्तनपान कराती है। इसलिए डिलीवरी चाहे कैसी भी हो स्तनपान जरूरी है।
3. मिथ्य-छोटे स्तनों वाली मां नहीं करा सकतीं ब्रेस्ट फीडिंग
तथ्य- मां के स्तनों के आकार (Breast size) का ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) पर कोई असर नहीं पड़ता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक दूध बनाना स्तन ग्रंथियों का काम है ना कि स्तनों के आकार का। महिला के स्तनों के आकार फैटी टिशू के कारण बड़े या छोटे होते हैं। इसलिए मां के स्तनों का आकार चाहे जैसा भी हो वह बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) करा सकती है।
4. मिथ्य- दवाइयां लेते समय मां को स्तनपान नहीं कराना चाहिए
तथ्य- डॉ. शिप्रा धर के मुताबिक यह बात निर्भर करती है कि मां किस तरह की दवाएं ले रही है। अगर मां एचआईवी (HIV) या टीबी (TB) की दवाएं ले रही है तो वह बच्चे को सीधे स्तनपान नहीं करा सकती है। ऐसे में दूध को स्तनों से बाहर निकाल कर चम्मच के जरिए बच्चे को देना चाहिए। कभी-कभी मां को वायरल बुखार (Viral fever) होता है तो ऐसे में भी मां को बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। अगर बुखार किन्हीं अन्य कारणों से आ रहा है तो मां बच्चे को दूध पिला सकती है। अगर मां को थायरॉयड या घेंघा की दिक्कत है तो भी बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। थायरॉयड (Thyroid) और हाइपोथायरॉयड (Hypothyroid) में अक्सर महिलाएं भ्रमित हो जाती है। हाइपोथायरॉयड से ग्रसित मां दवाएं लेते हुए बच्चे को स्तनपान करा सकती है।
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5. मिथ्य- स्तनपान के बाद शिशु को पानी पिलाना चाहिए
तथ्य- कोई भी डॉक्टर इस बात को सिरे से खारिज कर देगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, जन्म से छह माह तक बच्चे को मां के दूध (Breastfeeding) के अलावा ऊपर से कुछ भी नहीं देना चाहिए। मां के दूध में ही सभी तरह के पोषक तत्व और जल की मात्रा होती है, जो बच्चे के शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित रखती है। इसलिए बच्चे को कभी भी स्तनपान के बाद पानी ना दें।
6. स्तनपान से जुड़े भ्रम: स्तनपान के दौरान गर्भधारण नहीं होता है
सच्चाई- डॉ. शिप्रा धर के अनुसार डिलीवरी के तुरंत बाद लगभग एक माह तक मां को योनि से रक्तस्राव (Bleeding) होता रहता है। जिसके बाद आगे के माह में अंडाणु नियमित रुप से नहीं बनते है। जिससे गर्भधारण (Conceive) होने का जोखिम कम हो जाता है। लेकिन सभी महिलाओं में यह बात एक जैसी नहीं होती है। इसलिए इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जाता है। अगर मां को बच्चों में अंतर करना है तो उसे गर्भ निरोधक गोलियां (Contraceptive pills) , कॉपर टी आदि का इस्तेमाल डिलीवरी के तीन माह के बाद से शुरू करना चाहिए।
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7. स्तनपान से जुड़े भ्रम: पहली बार स्तनपान कराने से पहले बच्चे को शहद (Honey) चटाना चाहिए
तथ्य- ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। बच्चे को जन्म के तुरंत बाद मां का पीला गाढ़ा दूध देना चाहिए। इसके अलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए। अक्सर देखा गया है कि मां के स्तनों में उतरने वाला पहला दूध बाहर निकाल कर रूई की मदद से बच्चे को देते है। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। बच्चे के लिए यह तरीका सुरक्षित नहीं है। हमेशा मां को प्राकृतिक रूप से ही बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) कराना चाहिए।
8. स्तनपान से जुड़े भ्रम स्तनपान के दौरान मां को मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए
तथ्य- विशेषज्ञों के अनुसार, मां जो भी खाती है वह दूध के जरिए उसके बच्चे में जाता है। इसलिए मां को लगभग 40 दिनों तक मसालेदार भोजन (Spicy food) को ना के बराबर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए भी है कि बच्चे का पाचन तंत्र (Digestive system) सही तरह से विकसित नहीं होता है। 40 दिन के बाद मां मसालेदार भोजन खा सकती है।
9. स्तनपान से जुड़े भ्रम: दोबारा प्रेग्नेंट होने पर स्तनपान नहीं कराना चाहिए
तथ्य- दोबारा गर्भधारण (Conceive) करने के बाद अगर आप स्तनपान नहीं कराएंगी तो आपको तकलीफ हो सकती है। मेडिकल साइंस के मुताबिक अगर मां स्तनपान कराते हुए प्रेग्नेंट (Pregnant) हो जाती है तो उसकी दुग्ध ग्रंथियां और तेजी से दूध का निर्माण करने लगती हैं। ऐसे में अगर मां ने बच्चे को स्तनपान कराना बंद कर दिया तो उसके स्तन कड़े हो जाएंगे और उसे स्तनों में दर्द (Pain) संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अगर गर्भावस्था में स्तनपान कराने में परेशानी हो रही है तो आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं।
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10. स्तनपान से जुड़े भ्रम- बॉटल का दूध देने से बच्चा स्तनपान छोड़ देता है
तथ्य- यह एक मिथ है। स्तनपान छुड़ाने के लिए बॉटल का सहारा लेना ठीक है पर सुरक्षित नहीं है। बच्चा बॉटल से ऊपरी दूध पीएगा तो भी उसे मां का दूध (Milk) चाहिए ही होगा। डॉक्टर्स मां को छह माह तक बच्चे को बॉटल का दूध ना देने की सलाह देते है। अगर मां को अपने एक या डेढ़ साल के बच्चे को स्तनपान छुड़ाना है तो मां को अपने दूध के साथ ही ऊपरी आहार (Diet) भी देना चाहिए। जिसमें दाल का पानी, चावल का पानी, फलों (Fruits) के जूस शामिल हैं।
ये सभी भ्रम मां द्वारा बच्चे के पोषण में बाधा बन जाते हैं। मां और बच्चे के बीच प्यार और स्नेह की मिठास डालनी चाहिए भ्रम की नहीं। क्योंकि स्तनपान कराना पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित है। जिससे मां और बच्चे दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।
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