स्तनपान के दौरान शिशु का रोना कई बार एक बड़ी समस्या बन सकती है। स्तनपान के दौरान शिशु का रोना एक नई मां को परेशान कर सकता है, जिससे वो बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से भी डर सकती है। दरअसल, स्तनपान के दौरान शिशु का रोना कई कारणों से हो सकता है, लेकिन एक नई मां को लग सकता है कि उसके ब्रेस्टफीडिंग के तरीके में ही कोई गलती हो रही है, जिसके कारण स्तनपान के दौरान शिशु का रोना जारी रहता है। बता दें कि, कुछ बच्चे किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या न होने पर भी अन्य बच्चों से अधिक रोते हैं इन्हें कोलिक बेबी कहा जाता है। ऐसे में बच्चे अक्सर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोने लगते हैं और मां समझ नहीं पाती कि बच्चा रो क्यों रहा है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चा यदि रो रहा है तो इसके कुछ कारण हो सकते हैं।
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जानिए स्तनपान के दौरान शिशु का रोना
स्तनपान के दौरान शिशु का रोना कोलिक बेबी के लक्षण हो सकते हैं।
किसे कहते हैं कोलिक बेबी?
कोलिक का मतलब है हेल्दी बच्चे का बिना किसी कारण बहुत अधिक रोना। जो बच्चे दिन में 3 घंटे से अधिक, हफ्ते में 3 दिन से ज्यादा और तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक रोते हैं वह कोलिक होते हैं। आमतौर पर 2-3 हफ्ते से लेकर 4 महीने तक बच्चों में यह समस्या रहती है, लेकिन कई बार 4 माह के बाद भी बच्चे का रोना कम नहीं होता। ऐसे बच्चे अचानक से रोना शुरू कर देते हैं और लगातार कई घंटों तक रोते रहते हैं, लेकिन आमतौर पर ऐसा शाम और रात के समय अधिक होता है। यदि बच्चा बहुत रोता है तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है, कई बार बच्चे कान में इंफेक्शन या किसी बीमारी के वजह से भी रोते हैं, लेकिन डॉक्टरी जांच में कुछ नहीं निकलता यानी बच्चा हेल्दी होने के बावजूद रोता है तो उसे कोलिक माना जाएगा।
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इन कारणों से हो सकता है स्तनपान के दौरान शिशु का रोना
स्तनपान के दौरान शिशु का रोना जारी होने के कारणों का तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसी कुछ स्थितियां हो सकती है, जिनकी मदद से स्तनपान के दौरान शिशु का रोना हम शांत करा सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
ओवरएक्टिव लेट डाउन
इसका मतलब है कि आपके स्तनों से दूध बहुत तेजी से आता है जिससे बच्चे का मुंह भर जाता है और इक्ट्ठा ज्यादा दूध निकलते समय दूध के साथ ही हवा भी उसके पेट में जाती है जिससे बच्चे को गैस और पेटदर्द हो सकता, इस वजह से भी वह रोने लगते हैं।
ब्रेस्ट में दूध की अधिक आपूर्ति
स्तनों में दूध की अधिक आपूर्ति से बच्चे को फोरमिल्क ज्यादा मिलता है। फोरमिल्क ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत में आने वाला पतला दूध होता है, इसमें लैक्टोज और मिल्क शुगर ज्यादा होता है। आमतौर पर बच्चा जैसे-जैसे स्तनपान करता है दूध गाढ़ा और क्रीमी होता जाता है जिसे हाइंडमिल्क कहते हैं, लेकिन जब ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति अधिक होती है तो बच्चे का पेट हाइंडमिल्क बनने के पहले ही भर जाता है। इस स्थिति को फोरमिल्क और हाइंडमिल्क का असंतुलन कहा जाता है। बहुत अधिक फोरमिल्क की वजह से बच्चे को गैस, हरे रंग मल होने के साथ ही वह बहुत ज्यादा रोता भी है।
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मां की डायट
मां जो भी चीज खाती है वह ब्रेस्ट मिल्क के जरिए बच्चे के पेट में जाता है। कुछ बच्चों को किसी खास तरह के खाद्य पदार्थ से एलर्जी और रिएक्शन हो सकता है। गाय के दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स एलर्जी का सबसे बड़ा कारण होते हैं और इससे पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती है जो बच्चे के रोने का कारण हो सकता है।
अगर स्तनपान के दौरान शिशु का रोना अधिक हो तो क्या करें?
यदि आपका बच्चा कोलिक है तो आपको ब्रेस्टफीडिंग बंद नहीं करवानी है, क्योंकि उसके रोने का कारण ब्रेस्टफीडिंग नहीं है। फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चे भी कोलिक हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में शिशु की इस हरकत को आप समझ भी नहीं पाते हैं। इसले लिए आप तरीके अपना सकते हैं।
क्या करें?
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का रोना कम करने के लिए अपनाएं ये तरीके।
ज्यादा स्तनपान करवाएं
यदि बच्चा रो रहा है तो उसका पेट भरा होने के बावजूद ब्रेस्टफीड करवाएं। स्तनपान से बच्चे थोड़ा सहज हो जाते हैं और मां के शरीर का स्पर्श उन्हें गर्माहट और सुरक्षा प्रदान करता है। स्तनपान के दौरान स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट भी बच्चे को आराम दिलाती है।
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डाकर दिलाएं
स्तनपान करने वाले बच्चों के पेट में बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में कम हवा जाती है, इसलिए उन्हें हर बार फीड के बाद डकार दिलाने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि स्तनों से दूध तेजी से आता है यानी फोर्सफुल लेट डाउन या स्तनों में अधिक दूध बनता है तो ऐसे में बच्चे के पेट में हवा अधिक जाती है और रोने से भी हवा पेट में जाती है। कोलिक बच्चे बहुत ज्यादा रोते हैं ऐसे में उन्हें गैस अधिक होता है, इसलिए हर बार स्तनपान के बाद उन्हें डकार दिलाना जरूरी है इससे उनके पेट को कुछ आराम मिलता है।
स्लो हाइपरएक्टिव लेट डाइन
यदि स्तनों से दूध का प्रवाह तेजी से होता है तो बच्चे को दूध पिलाने से पहले पंप या हाथ से थोड़ा ब्रेस्ट मिल्क निकाल दें, जब फ्लो थोड़ा कम हो जाए तब बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाएं। इसके अलावा आप ब्रेस्टफीड के दौरान पुजिशन बदलकर भी मिल्क फ्लो कम कर सकती हैं। पीठ के बल सो जाएं और बच्चे को अपने ऊपर रखकर स्तनपान करवाएं, लेकिन इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि वह ठीक से सांस ले रहा हो।
ब्रेस्ट में अधिक मिल्क सप्लाई से डील करें
यदि ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति अधिक होती है तो ऐसे में एक ही ब्रेस्ट से बच्चे को दूध पिलाने से उसे फोरमिल्क और हाइंडमिल्क दोनों मिल जाएगा। यदि आपके स्तनों में दूध की आपूर्ति अधिक होते है तो एक बार में दोनों तरफ से फीड कराने से बच्चे को सिर्फ फोरमिल्क ही मिलेगा। लेकिन एक ही ब्रेस्ट से दूध पिलाने उसे हाइंडमिल्क भी मिलेगा जो गाढ़ा और क्रीमी होता है।
डायट का ध्यान रखें
डायट से डेयरी प्रोडक्ट को हटाकर देखें कि क्या इससे बच्चे के रोने की समस्या कम होती है। इसके अलावा संभावित एलर्जी वाले खाद्य पदार्थ जैसे नट्स, सोया, अंडे, कैफीन, सेल्फिश आदि को भी डायट से हटा दें।स्तनपान के दौरान शिशु का रोना या इससे जुड़ा अगर आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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