2 से 3 साल के बच्चे (2 to 3 year olds) अन्य बच्चों के साथ बातचीत करना शुरू कर देते हैं और साथ ही उनके साथ खेलते भी हैं। लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) बंद कर दें। समय मिलने पर बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) का भी आनंद लेते हैं। अगर 2 से 3 साल की उम्र होने पर भी आपका बच्चा अकेले ही खेल रहा है या फिर इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) को एंजॉय कर रहा है, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। इस उम्र में बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के साथ ही अन्य बच्चों के साथ भी खेलना पसंद करते हैं। दूसरे बच्चों से बात न करना या फिर अन्य बच्चों के कतराना मानसिक समस्याओं की ओर भी इशारा करता है।
और पढ़ें: अच्छी ग्रोथ के लिए छह साल के बच्चे की डायट में शामिल करें ये चीजें!
कैसे होते हैं इंडिपेंडेंट प्ले या सॉलिटरी प्ले (Independent or solitary play)?
- ब्लॉक के साथ खेलना
- अपने खिलौनों के साथ बातें करना
- किसी बाउल या बैग में अपने सारे खिलौने भरना
- किताबों में रंगीन चित्रों को देखना
बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) या सॉलिटरी प्ले (Solitary play) में भी कुछ बदलाव हो सकता है। दो से तीन साल की उम्र में इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के दौरान वह अन्य बच्चों के साथ ना खेल कर अकेले ही खेलना पसंद करते हैं। इन खेलों में निम्नलिखित खेल शामिल हो सकते हैं।
- अपने आप किताबों के पन्नों को पलटना
- पजल को एक साथ रखने की कोशिश करना
- कलर बुक में रंगों को भरना
- ट्रेन की सेट या फिर चाबी वाले खिलौनों के साथ खेलना
- किचन सेट के साथ खेलना
और पढ़ें: बच्चों में हायपोकैल्सिमीया: कैल्शियम की कमी बच्चे को बना सकती है बीमारी!
सॉलिटरी प्ले के फायदे (Independent or solitary play advantage)
इंडिपेंडेंट प्ले बच्चों को कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। इस खेल के चरण में बच्चों को एक नहीं बल्कि कई चीजों के बारे में जानकारी मिलती है। वह अपने आसपास की चीजों को अधिक समझने लगते हैं और साथ ही कई चीजें तक उनकी पहुंच हो जाती हैं। ऐसे में जहां एक और माता-पिता को अधिक सावधान रहने की जरूरत पड़ती है। जानिए इसके फायदों के बारे में।
इंडिपेंडेंट हो जाते हैं बच्चे
अभी तक आप बच्चों को खेलने के लिए खिलौने देते थे लेकिन अब बच्चे अपने आप खिलौनों को लेकर खेलना शुरू कर चुके हैं। यह वाकई में बच्चों को स्वतंत्र बनाने में मदद करता है। बच्चे अपनी पसंद के अनुसार खिलौनों का भी चयन कर सकते हैं और खुद के खेल भी तैयार कर लेते हैं।
इंडिपेंडेंट प्ले: खुद के इंटरेस्ट को हैं समझते
बच्चों को इंडिपेंडेंट प्ले के माध्यम से खुद की रूचि के बारे में भी पता चलता है। बच्चों को यह पता चल जाता है कि उन्हें किस प्रकार के खेल पसंद आएंगे और कौन-से खेल बिल्कुल पसंद नहीं है। साथ ही उन्हें रंगों की रुचि के बारे में भी जानकारी होने लगती है जैसे कि उन्हें पता है कि उन्हें लाल रंग की बॉल लेनी है या फिर हरे रंग की।
इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी होती है डेवेलप
अगर आप बच्चों के सामने खिलौने रख देंगे और आप सोचेंगे कि बच्चा वैसे ही खेले जैसा कि आप चाहते हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। जी हां! बच्चे अपनी पसंद के अनुसार ही खेल खेलते हैं। उन्हें जैसा अच्छा लगता है वैसे ही वह अपने खिलौनों को रखना पसंद करते हैं। अगर आप उन्हें कोई सही तरीका भी बताएंगे, तो वह उन्हें शायद पसंद ना आए। ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।
इस आर्टिकल में हमने आपको इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के बारे में बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।