पेट में दर्द, एंठन, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण अक्सर पेट की समस्याओं का संकेत है। वैसे तो, इन लक्षणों के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर केसज में इसकी वजह फूड पॉइजनिंग या पेंट का इंफेक्शन हो सकता है। अगर हम इन दोनों हेल्थ कंडिशन की बात करें, तो अधिकतर लोग फूड पॉइजनिंग और स्टमक इंफेक्शन को एक ही समझते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, भले ही दोनों के कुछ-कुछ लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन दोनों के होने के कारण और उपचार में काफी विभिन्नताएं हैं। इन दाेनों को समझने के लिए सबसे पहले जानें की इन दोनों में फर्क क्या है-
पेट में इंफेक्शन(Stomach Flu) वर्सेस फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning)
फूड पॉइजनिंग और स्टमक इंफेक्शन, ये दोनों ही अलग-अलग हैं। अक्सर इसे लोग एक समझने की गलती कर देते हैं। फूड पॉइजनिंग, बैक्टीरिया युक्त खानपान के कारण होता है। जब हमारे शरीर में खाने के माध्यम ये वायरस, बैक्टीरिया, विषाक्त पदार्थों और रसायनों का प्रवेश होता है। तो उसे फूड प्वाइंजनिंग कहते हैं। तो वहीं, पेट में इंफेक्शन गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis) का सबसे आम कारण होने वाल वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह एक परजीवी संक्रमण (Parasitic infection) है। पेट के इंफेक्शन को हम स्टमक फ्ल भी कह सकते हैं, जो कि वॉयरस के कारण होता हैं और कुछ दिनों तक बना रह सकता है। यह वॉयरस इंफेक्शन एक-दूसरे से आसानी में फैल सकता है। फूड पॉइजनिंग बैक्टीरिया के कारण होने वाला इंफेक्शन है। उल्टी होना और डायरिया पेट के इंफेक्शन का लक्षण है। इन दोनों में लक्षण भले ही मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन दोनों के होने का कारण अलग-अलग है। इन दोनों में फर्क समझने के लिए सबसे पहले उन कारणों काे समझें।
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फूड पॉइजनिंग और स्टमक फ्लू (food poisoning or stomach infection) में क्या अंतर है?
पेट में इंफेक्शन का कारण
कई अलग-अलग वायरस, पेट में और भी कई तरह के बैक्टीरिया को पैदा कर सकते हैं। वायरस, जो अक्सर इसका कारण बनते हैं उनमें नोरोवायरस, रोटावायरस और एडेनोवायरस शामिल हैं। इनमें भीअकेले नॉरोवायरस 21 मिलियन मामलों का कारण बनता है। रोटावायरस या नोरोवायरस संक्रमण के कारण पेट के वायरस और भी जटिल संक्रामक हो जाते हैं। संयुक्त राज्य में, संक्रमण आमतौर पर अक्टूबर और अप्रैल के बीच होता है। वायरस को अनुबंधित करने का सबसे आम तरीका किसी बीमार व्यक्ति के सीधे संपर्क से है।
पेट में संक्रमण के कारण बनने वाले बैक्टीरिया
- येर्सिनिया पेस्टिस (Yersinia pestis)
- स्टैफीलोकोक्क्स (Staphylococcus)
- शिगेला (Shigella)
- साल्मोनेला एंटेरिका (Salmonella enterica)
- कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter)
- कोलाई (Coli)
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फूड पॉइजनिंग का कारण क्या है?
फूड पाॅइजनिंग एक तरह का वायरस है, जो कि स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। फूड पॉइजनिंग तब हाेती है, जब स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया खाने को खराब कर देती है। यह वायरस और भी कई पेट की समस्याओं का कारण हाे सकता है, जैसे डायरिया की समस्या, दस्त और उल्टी आदि।जब यह बैक्टीरिया, खाद्य पदार्थों को दूषित करते हैं, तो फूड पॉइजनिंग विकसित होने लगता है। स्टैफिलोकोकस ऑरियस और साल्मोनेला ऐसे बैक्टीरिया हैं, भोजन को बैक्टीरिया युक्त करने का कारण बनते हैं।
फूड पॉइजनिंग का कारण बनने वाले 4 बैक्टीरिया
- सबसे प्रमुख बैक्टीरिया स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus)
- साल्मोनेला (Salmonella)
- कैम्पिलोबैक्टर एंटरटाइटिस (Campylobacter enteritis)
- शिगेला (Shigella)
- कॉलरा (Cholera)
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इसके अलावा, फूड पॉइजनिंग के अन्य कारणों में शामिल हैं:
- प्रोसेसिंग मीट या कच्चे मीट का सेवन फूड पॉइजनिंग का सबसे बड़ा कारण हाेता है।
- बिना हाथ धोए खाना खाना
- सी फूड्स के सेवन से भी फूड पॉइजनिंग का अधिक खतरा होता है।
- डेयरी उत्पादों से भी पॉइजनिंग रिक्स होता है। इसलिए उसे अधिक देर तक बाहर नहीं रखना चाहिए। फ्रिज में ही स्टोरेज करें।
- सलाद में इस्तेमाल की जाने वाली कच्ची सब्जियों को अच्छे से धाेने के बाद ही खाएं।
- बासी खाने का सेवन
- एक दिन पहले का बना हुआ नॉनवेज फूड का सेवन
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कुछ जटिलताएं
फूड पॉइजनिंग और पेट इंफेक्शन होने पर बच्चों में कुछ जटिलताएं दिख सकती हैं, जैसे कि:
- यूरिन का कम पास होना
- डार्क यूरिन होना
- आपके मुंह या गले में ड्रायनेस
- रक्त का दबाव कम हाेना
- प्यास अत्यधिक लगना
- चक्कर महूसस होना
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फूड पॉइजनिंग और स्टमक इंफेक्शन के लक्षणों (Stomach infection Symptoms) में अंतर क्या हैं?
पेट में इंफेक्शन के लक्षण
यदि आपके पेट में इंफेक्शन है, जिसे वायरल गैस्ट्रोएंटेरिटिस के रूप में भी जाना जाता है, तो आपमें निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं, जैस कि:
- दस्त
- पेट या आंतों में ऐंठन
- जी मिचलाना
- उल्टी
- बुखार
- वजन घटना
- जोड़ों का दर्द
- मांसपेशियों के दर्द
- सिरदर्द
- सामान्य बीमारी
पेट में इंफेक्शन होने पर और आपके वॉयरस के संपर्क में आने के 24 से 72 घंटों के भीतर स्टमक इंफेक्शन के लक्षण दिखने लगते हैं। जो कि कई दिनों तक बना रह सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पेट को इंफेक्शन ने कितना प्रभावित किया है। यह लक्ष्ण आपमें 10 दिनों तक भी नजर आ सकते हैं। ऐसे मं आपको जल्दी ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फूड पॉइजनिंग के विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं:
- पेट या आंतों में ऐंठन
- थकान
- दस्त
- बुखार
- ठंड लगना
- मांसपेशियों के दर्द
- सिर दर्द
- पसीना आना
गंभीर मामलों में, दिखने वाले लक्षण
- खूनी मल या उल्टी होना
- गंभीर पेट में ऐंठन
- झटका महसूस होना
- बेहोशी आना
- वयस्कों को 101 डिग्री और बच्चों को 100.4 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर
फूड पॉइजनिंग के लक्षण कभी-कभी कुछ घंटों में और कभी-कदार 2 से 4 दिनों में दिखाई दे सकते हैं। जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितना गंभीर फूड पॉइजनिंग हुआ है। फूड पॉइजनिंग की बाहर के दूषित खाने के कारण होता है। जो कि छोट बच्चे के लेकर बुजुर्गों तक, किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। फूड पॉइजनिंग का बोटुलिज्म नामक एक गंभीर रूप भी हो सकता है। क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु बोटुलिज्म का कारण बनता है, जो कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं।
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पेट में इंफेक्शन और फूड पॉइजनिंग का उपचार
पेट में इंफेक्शन का इलाज
भले ही पेट के बग को कभी-कभी पेट फ्लू कहा जाता है। इससे कोई भी, कभी भी प्रभावित हो सकता है। इस फ्लू वैक्सीन इसे रोक नहीं पाएगा। विभिन्न प्रकार के वायरस पेट में कीड़े पैदा करते हैं। एंटीबायोटिक्स पेट की बग का इलाज करने में मदद नहीं करेंगे क्योंकि एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करने के लिए काम करते हैं, वायरस से नहीं।
- पेट में इंफेक्शन वाले लोगों को हायड्रेशन का ध्यान रखना चाहिए। उनमें पानी की कमी नहीं होना चाहिए, नहीं तो रिक्स हो सकता है। इसलिए कुछ-कुछ देर में पानी लेते रहें। डिहायड्रेशन से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति को दिन में 2-4 बार ओआरएस (ORS) का सेवन करना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि लिक्विड ड्रिंक अधिक से अधिक लें, जैसे कि नारियल पानी या जूस आदि। वयस्क इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ गेटोरेड जैसे तरल पदार्थ पी सकते हैं,और बच्चे भी तरल प्रतिस्थापन समाधान जैसे कि पेडियालेट पी सकते हैं।
- अपने खानपान में सोडियम की कमी न होने दें। ज्याद मोशन होने पर नमक और चीनी का घोल भी लेते रहें।
- पेट के इंफेक्शन में गर्म पानी और तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें।
- दही और छाछ के सेवन से पेट को काफी आराम मिलता है।
- नमक, चीनी वाले नींबू पानी का सेवन में 3-4 बार करें।
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इसके अलावा, पेट इंफेक्शन के दाैरान इन चीजों का सेवन करें:
- अनाज
- साबुत अनाज
- ब्रेड
- आलू
- केले
- सब्जियां
- ताजा सेब
- सादा दही
- केले
- ड्राय फ्रूट्स
- रिफाइन शुगर
- डेयरी, शराब, कैफीन और मसालेदार भोजन से बचें जो आपके पेट को परेशान कर सकते हैं।
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फूड पॉइजनिंग का इलाज
फूड पाॅइजनिंग के गंभीर मामलों में हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है। लेकिन गंभीर मामला न हाेने पर डॉक्टर घर पर ठीक हाेने को बोलते हैं, साथ ही जरूरी दवाइंयों की भी सलाह देते हैं। कुछ में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नही होती और यह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है। फूड पाइजनिंग का इलाज करने के लिए सबसे पहले शरीर से डिहायड्रेशन नहीं होने देना चाहिए। इसके अलावा कुछ और भी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि-
- खाना हमेशा हाथ धाेकर के ही खाएं। बाहर से आने बाद हाथों को तुरंत धोएं।
- जबतक आपको फूड पाॅइजनिंग हो रखी है, तब तक हल्का ही भोजन करें। नॉनवेज या अंडा बिल्कुल न खाएं।
- थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें, ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
- कैफीन और शराब का सेवन न करें।
इनका सेवन न करें
- चावल
- कच्ची सब्जियां और सलाद
- ऑयली फूड न खाएं
- गेहूं के सेवन से बचें
- ब्रेड न खाएं
- आलू न खाएं
- कम शुगर वाले फूड लें
- कम वसा वाला मीट
- चिकन के सेवन से बचें
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फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- भोजन की तैयारी की सतहों, बर्तनों और अपने हाथों को साफ रखें।
- कुक, स्टोक्स, और चॉप्स 145 ° F (62 ° C) पर।
- चिकन को 165 ° F (73 ° C) में पकाएं।
- सुनिश्चित करें कि सी फूड्स को पूरी तरह से पका होने के बाद खाएं।
- सुनिश्चित करें कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन न करें।
- एक घंटे के भीतर किसी भी खराब होने वाले खाद्य पदार्थ को फ्रिज में रखें।
- कच्चे मीट को छूने या साफ करने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।
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