कई लोग आईबीडी और आईबीएस (IBD and IBS) में अंतर नहीं जानते। वे इनके मिलते जुलते नाम के चलते इन्हें एक ही टाइप की बीमारी मान लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory bowel disease) यानी आईबीएस कंडिशन का एक ग्रुप है। जिसमें डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) में सूजन और जलन होती है। जिसमें क्रोहन डिजीज और अल्सेटिव कोलाइटिस शामिल है। जबकि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) यानी आईबीएस लक्षणों का एक प्रकार है जब आंत में मौजूद कॉन्टेंट बहुत तेजी से बहुत धीमी गति से मूव करता है।
आईबीडी को डॉक्टर संरचनात्मक रोग (Structural disease) कहते हैं। इसका मतलब है कि शारीरिक क्षति आपके लक्षणों का कारण बनती है। जब डॉक्टर एक्स-रे, एंडोस्कोपी, सर्जरी या बायोप्सी से आंत को देखते हैं तो उन्हें पुरानी सूजन या अल्सर दिखाई दे सकते हैं। आईबीएस एक कार्यात्मक बीमारी (Functional disease) है। टेस्ट मरीज के लक्षणों के लिए कोई शारीरिक कारण नहीं दिखाएंगे। इस आर्टिकल में आईबीडी और आईबीएस (IBD and IBS)में अंतर बताया जा रहा है।
आईबीडी और आईबीएस के लक्षण (Symptoms of IBD and IBS)
आईबीडी और आईबीएस (IBD and IBS) ये दोनों लंबे समय तक चलने वाली कंडिशन्स हैं जो गट को प्रभावित करती हैं। इनके कुछ लक्षण एक जैसे हैं। जो निम्न प्रकार हैं।
- एब्डोमिनल पेन
- ब्लोटिंग
- डायरिया
- कब्ज
- बार-बार स्टूल पास करने की इच्छा
आईबीडी और आईबीएस (IBD and IBS) दोनों ही समस्याएं व्यस्कों में होती हैं।
आईबीडी और आईबीएस के लक्षणों में अंतर (Different Symptoms of IBD and IBS)
आईबीडी के कारण होने वाली इंफ्लामेशन जो लक्षणों का कारण बन सकती हैं और ये लक्षण समय के साथ बुरे हो सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं:
- स्टूल में ब्लड आना
- काले रंग का स्टूल
- बुखार
- त्वचा, जोड़ों और आखों में सूजन
आईबीएस जी मिचलाना और सामान्य से अधिक गैस का कारण भी बन सकता है। बॉवेल मूवमेंट के बाद भी आपको फिर से टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होती है।
आईबीडी और आईबीएस की वजह से दर्द कहां होता है? (Where Is the Pain in IBD vs. IBS?)
क्रोहन डिजीज आईबीडी (IBD) का मुख्य रूप है जिसकी वजह से बेली के लोअर साइड में दर्द होता है। दूसरा रूप अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) है जिसकी वजह से बेली के लेफ्ट साइड में दर्द होता है। आईबीएस (IBS) होने पर बेली के लोअर हाफ में दर्द या ऐंठन होती है।
आईबीडी और आईबीएस के कारण (Causes of IBD and IBS)
फिजिकल साइन डॉक्टर की आईबीडी (IBD) का कारण समझने में मदद करते हैं। आईबीडी का शिकार लोगों के डायजेस्टिव ट्रैक्ट में लंबे समय तक रहने वाली इंफ्लामेशन ब्लीडिंग और अल्सर का कारण बनती है। यह दर्द का करण भी बनती है। जो इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करता है और बुखार और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आईबीएस (IBS) के कारण स्पष्ट नहीं है। साइंटिस्ट ने इम्यून सिस्टम और मसल्स फूड को गट में कैसे मूव कराती हैं इसके बीच में लिंक पाया जाता है। कई लोगों में ऐसे ट्रिगर्स होते हैं जो स्थिति को और भी बुरा बना देते हैं जिसमें कुछ फूड्स, स्ट्रेस, इंफेक्शन और हॉर्मोनल चेंजेंस शामिल हैं।
आईबीडी और आईबीएस का निदान (IBD vs. IBS Diagnosis)
आईबीडी और आईबीएस का निदान निम्न प्रकार से किया जाता है। पहले हम आईबीडी के डायग्नोसिस के बारे में जानेंगे।
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आईबीडी का डायग्नोसिस (Diagnosing IBD)
डॉक्टर इंटेस्टाइन में होने वाले फिजिकल डैमेज के बारे में पता करेंगे। मरीज को निम्न टेस्ट करने के लिए डॉक्टर कह सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट
- पूप टेस्ट
- कोलनोस्कोपी (Colonoscopy) – जिसमें बॉडी के अंदर देखा जाता है। इसके जरिए स्माल टिशू सैम्पल भी लिया जा सकता है। जिसे बायोप्सी कहा जाता है।
अगर इंफ्लामेशन और अल्सर की परेशानी है तो डॉक्टर इन परीक्षणों का उपयोग करके यह पता लगा सकता है कि आपको किस प्रकार का आईबीडी है।
आईबीएस डायग्नोसिस (Diagnosing IBS)
अगर मरीज को आईबीएस है तो उसे तीन महीनें में हफ्ते में एक बार बेली पेन होता है। पेन के साथ ही बॉवेल मूवमेंट, दर्द के साथ ही बॉवेल मूवमेंट का अधिक या कम होना, दर्द के साथ स्टूल के कलर में अंतर आना इन तीनों में से दो लक्षण होने चाहिए।
कुछ मामलों में, डॉक्टर केवल इन मानकों का उपयोग करके आईबीएस (IBS) का निदान करेंगे। लेकिन कभी-कभी, खासकर यदि आपके पास अन्य लक्षण भी हैं जो आईबीडी पर संकेत देते हैं, तो यह पता लगाने के लिए परीक्षण किया जाएगा कि आपके पाचन तंत्र में कोई रक्तस्राव या सूजन है या नहीं। अगर ऐसा होता है, तो आईबीएस IBS नहीं है।
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आईबीडी और आईबीएस के कॉम्प्लिकेशन (Complications of IBD and IBS)
अगर समय पर इलाज नहीं लिया जाता तो आईबीडी कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- डीहायड्रेशन
- पोषक तत्वों की कमी
- एनीमिया
- बोन लॉस
- इंफेक्शन
- ब्लड क्लॉट
- अल्सर
- बॉवेल का ब्लॉक रोकना
- कोलोन में छेद होना
- कोलोन का चौड़ा होना
- कोलोन कैंसर का रिस्क
जबकि आईबीएस कम खतरनाक है। इसका मुख्य कॉम्प्लिकेशन यही है कि इसके लक्षण क्वालिटी ऑफ लाइफ को अफेक्ट करते हैं। यह डिप्रेशन और एंजायटी का कारण भी बन सकता है।
आईबीडी और आईबीएस का इलाज (Treatment of IBD and IBS)
इन दोनों कंडिशन में अंतर के साथ ही इनके इलाज में अंतर है। पहले जान लेते हैं आईबीडी के इलाज के बारे में।
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आईबीडी का इलाज (IBD treatment)
आईबीडी का निदान जटिल है और इसमें महीनों लग सकते हैं। मरीज के चिकित्सा और पारिवारिक इतिहास को एकत्र करने के बाद, उन्हें एक शारीरिक परीक्षा, प्रयोगशाला परीक्षण और कई तरह की एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं की जा सकती हैं। ब्लड टेस्ट के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि आईबीडी के चलते इंटेस्टाइन कितनी प्रभावित हुई है।
चूंकि आईबीडी एक क्रोनिक कंडिशन है इसलिए उपचार के एक महत्वपूर्ण हिस्से में बीमारी का सावधानीपूर्वक प्रबंधन शामिल है ताकि रोगियों को अपने लक्षणों को नियंत्रित करने का उचित मौका मिल सके।
मरीजों को एंटीबायोटिक्स, डायरिया रोधी दवाओं, जीवनशैली में बदलाव और रोग की गंभीरता के आधार पर कभी-कभी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
आईबीएस का इलाज (IBS treatment)
आईबीएस के एक तिहाई मरीजों को इलाज एंटीबायोटिक्स के जरिए किया जाता है, लेकिन एक बार अच्छा होने क बाद भी इस बीमारी का इलाज बार-बार करना पड़ सकता है क्योंकि इसके लक्षण बार-बार वापस आ जाते हैं। इसके इलाज में एंटीबायोटिक्स, डायट में बदलाव और कभी-कभी कब्ज और डायरिया को कम करने वाली दवाएं शामिल हो सकती हैं।
कई रोगी आईबीएस के इलाज के बिना भी परेशान रह चुके हैं क्योंकि उनको कहा गया था कि यह कंडिशन उनके दिमाग हैं। यानी ऐसी कोई कंडिशन नहीं है, लेकिन अब आईबीएस का निदान आसान है।
अन्य टिप्स
जिन लोगों को आईबीडी या आईबीएस है वे अक्सर अपने खाने में बदलाव करके इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं। कोई विशिष्ट आहार नहीं है जो सभी के लिए काम करता हो। अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या निम्न से मदद मिलेगी:
- अधिक फायबर प्राप्त करें (भोजन या पूरक आहार से)।
- लैक्टोज से बचें, जो डेयरी उत्पादों में होता है।
- उन खाद्य पदार्थों में कटौती करें जो आपको गैस या पेट फूलने का कारण बनते हैं।
- अधिक पानी पिएं। (आप इसे पी सकते हैं या पानी से भरपूर खाद्य पदार्थ खा सकते हैं।)
- कैफीन और फलियां (बीन्स) से बचें।
- FODMAPs को सीमित करें या उससे बचें। यह कुछ फलों, सब्जियों, ब्रेड और डेयरी उत्पादों में पाई जाने वाली एक प्रकार की चीनी।
उम्मीद करते हैं कि आईबीडी और आईबीएस (IBD and IBS) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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