परिचय
इंटसेप्शन आंतों से जुड़ी एक समस्या है जिसमें आंत का एक हिस्सा दूसरे में चला जाता है जिसकी वजह से गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है। आमतौर पर यह विकार बच्चों में अधिक होता है। इंटसेप्शन से कौन अधिक प्रभावित हो सकता है और इसका उपचार किस तरह से किया जाता है जानिए इस आर्टिकल में।
इंटसेप्शन क्या है?
आपका इंटेस्टाइन (आंत) लंबी ट्यूब के आकार की होती है। जब आंत का एक हिस्सा दूसरे हिस्से के अंदर स्लाइड करके चला जाता है तो यह एक दर्दनाक स्थिति पैदा करता है जिसे इंटसेप्शन (Intussusception) कहते हैं। कुछ मामलों में इंटसेप्शन (Intussusception) जानलेवा भी साबित हो सकता है। जब आंत का एक हिस्सा दूसरे में स्लाइड करके चला जाता है तो इस स्थिति में वहां से भोजन पास नहीं होता और न ही रक्त उस हिस्से में पहुंच पाता है, जिसकी वजह से आंत में संक्रमण या इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है।
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किसे हो सकता है इंटसेप्शन?
2 साल से बड़े बच्चों में इंटसेप्शन (Intussusception) होना आम है। यह थोड़े बड़े बच्चों और टीनेजर्स में भी हो सकता है। दुर्लभ मामलों में यह व्यस्कों को भी प्रभावित करता है, हालांकि यह किसी दूसरी मेडिकल कंडिशन जैसे ट्यूमर का नतीजा होता है।
इससे निम्न लोग अधिक प्रभावित होते हैं-
- इंटसेप्शन लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक होता है।
- कुछ बच्चों में जन्म से ही आंत खराब होती है। इसका मतलब है कि आंतें विकसित नहीं होती या सही तरीके से नहीं होती।
- जिन्हें पहले इंटसेप्शन हुआ हो, उन्हें दोबारा यह होने की संभावना रहती है
- जिनके परिवार में बहन और भाई को इंटसेप्शन है उसमें बाकी को भी इसके होने की संभावना रहती है।
व्यस्कों को इंटसेप्शन हो सकता है यदि:
- पॉलीप या ट्यूमर हो।
- आंतों में अधेशन या स्कार टिशू हो।
- क्रोहन रोग या अन्य स्थितियां जिसके कारण सूजन हो जाए।
- इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पर सर्जरी जैसे गैस्ट्रिक बाइपास (वजन घटाने के लिए की गई सर्जरी)
लक्षण
इंटसेप्शन के लक्षण क्या हैं?
इंटसेप्शन के प्राथमिक लक्षणों में शामिल है-
- पेट में तेज दर्द
- उल्टी
- मिलती
- सुस्ती
- मल में रक्त या बलगम
- एब्डॉमिनल मास
- कब्ज
इंटसेप्शन के लक्षण लगातार बने नहीं रहतें, यह आते जाते रहते हैं, इसलिए अक्सर लोग इसे कॉलिक या पाचन संबंधी अन्य समस्याएं समझने की भूल कर बैठते हैं। बच्चों के चिड़चिड़ेपन, रोने, घुटनों के बल बैठने आदि पर ध्यान रखें। यदि आपके बच्चे को पेट दर्द के साथ उल्टी और मल में खून आ रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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इंटसेप्शन को कैसे डायग्नोस किया जाता है?
डॉक्टर आपसे बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछेगा। आपके बच्चे की स्थिति सामान्य करने के लिए IV लाइन के जरिए तरल पदार्थ दिया जाता है और नासोगैस्ट्रिक (Nasogastric) ट्यूब लगाई जाती है। यह ट्यूब नाक के माध्यम से पेट में डाली जाती है। जिससे आंतों को दबाव से राहत मिलती है।
स्थिति का सही पता लगाने के लिए फिजिकल टेस्ट के साथ ही डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट भी करता है जिससे स्थिति का सहीं आकलन किया जा सके। इमेजिंग टेस्ट में शामिल है-
पेट का एक्स रे
यह पूरी तरह से सुरक्षित और दर्दरहित होता है। इसमें रेडिएशन की मदद से यह पता लगाया जाता है कि अवरोध बच्चे के इंटेस्टाइन में है या बाउल में।
अल्ट्रासाउंड
इसमें साउंड वेव्स (ध्वनी तरंगों) की मदद से पेट की तस्वीर बनाई जाती है।
एयर या कॉन्ट्रास्ट एनीमा
एक मुलायम ट्यूब को रेक्टम और हवा या कॉन्ट्रास्ट फ्लूइड में रखा जाता है, जैसे कि बेरियम ट्यूब के जरिए इंटेस्टाइन और बाउल में पास किया जाता है। यह एक्स रे में अवरुद्ध हिस्से को दिखाता है। कुछ मामलों में एनीमा इंटेस्टाइन को सीधा करने में मदद करता है और इंटसेप्शन को ठीक करता है।
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उपचार
इंटसेप्शन का उपचार क्या है?
कुछ इंटसेप्शन थोड़ी देर के लिए होते हैं और इन्हें उपचार की आवश्यकता नहीं होती। यदि एक एनीमा इंटसेप्शन को ठीक नहीं कर पाता है, तो सर्जरी ही एकमात्र रास्ता बचती है।
इस प्रक्रिया में सर्जन पेट में एक चीरा लगाता है, जिसे ओपन प्रोसिजर कहा जाता है। वह इसे लेप्रोस्कोपिक रूप से भी कर सकता है जिसमें, छोटे कट के साथ ही कैमरे का भी उपयोग होता है।
किसी भी तरह से डॉक्टर इंटसेप्शन को ठीक करके उसे वापस सामान्य अवस्था में लाने की कोशिश करता है, लेकिन यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उस हिस्से को सर्जरी से निकालकर आंतों को फिर से जोड़ दिया जाता है और ऐसा करने के लिए आंतों को घुल जाने वाले टांकों से स्टिच किया जाता है।
इसके बाद क्या होता है?
इंटसेप्शन के इलाज के बाद 10 में से एक को 72 घंटों के भीतर यह दोबारा हो सकता है। उपचार चाहे एनीमा से किया गया हो या सर्जरी से इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, इसलिए उपचार केबाद बच्चे को रातभर अस्पताल में रखा जाता है।
यदि एनीमा के कारण दोबारा इंटसेप्शन हुआ है तोः
- एनीमा के बाद के घंटों में हवा लगातार बच्चे के शरीर से बाहर निकलती रहेगी।
- बुखार के लिए एसिटामिनोफेन दिया जा सकता है।
- 12 घंटों तक कोई भी भोजन या तरल पदार्थ नहीं दिया जाता है, उसके बाद पहले पतला लिक्विड दिया जाता है फिर ठोस आहार।
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यदि आपके बच्चे की सर्जरी हुई है, तो अस्पताल के सामान्य कमरे में शिफ्ट होने से पहले कुछ घंटे उसे रिकवरी रूम में ही रखा जाता है। IV लाइन के जरिए उसे दर्दनिवारक दवा और बुखार के लिए एसिटामिनोफेन दिया जा सकता है।
यदि सर्जरी के कट या चीरा के ऊपर बैंडेज लगाया गया है तो उसे कुछ दिनों बाद निकाला जा सकता है।
बच्चे को पहले लिक्विड दिया जाता है यदि वह पच जाता है तो उसके बाद सॉलिड फूड दिया जाएगा। जब बच्चा ठीक तरह से खाने-पीने लगे और बेहतर महसूस करने लगता है तब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।
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