लोगों में हर्निया की दिक्कत तब आती है जब शरीर का अंदरूनी अंग या कोई हिस्सा या टिशू किसी और जगह पर चले जाएं या बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में हर्निया पेट या पेट के निचले हिस्सों/ में होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान भी हर्निया होना संभव है। हालांकि, ये तबतक चिंता का विषय नहीं है जबतक इसमें किसी प्रकार का दर्द न हो। लेकिन अगर आपको लगता है कि बात बिगड़ रही है तो बिना देर किए डॉक्टर की मदद ली जानी चाहिए क्योंकि कई मामलों में हर्निया खतरनाक साबित हो सकता है। प्रेग्नेंसी के पहले और बाद में हर्निया की जांच जरूरी है जिससे डॉक्टर्स संभावित खतरे और उनसे निपटने के तरीके बता सकते हैं।
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किस वजह से होता है हर्निया?
हर्निया कमजोर मसल्स की दीवार के टूटने या पूर्ण रूप से विकसित नहीं होने की वजह से होते हैं। दरअसल हमारे शरीर में अंदरूनी कैवेटी चमड़ी की झिल्ली से ढकी होती है। जब इन कैवेटी की झिल्लियां कभी-कभी फट जाती हैं, तो किसी अंग का कुछ भाग बाहर निकल जाता है और उस जगह पर पहुंच जाता है, जहां उसे नहीं होना चाहिए। यही विकृति हर्निया है। कई लोगों में यह विकृति जन्म से कमजोर सेल्स की वजह से आ जाती है, तो कई बार भारी वजन होने से, पेट में तरल भरने या अत्यधिक दबाव पड़ने, मलमूत्र के वेग रोकने से, अत्यधिक खांसने या छींकने से और अत्यधिक मोटापे की वजह से भी होती है। वहीं प्रेग्नेंट महिलाओं में यह विकृति इसलिए आती है क्योंकि इस समय उनकी मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, मांसपेशियां पतली और कमजोर हो जाती हैं।
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हर्निया के प्रकार
आमतौर पर हर्निया चार प्रकार का होता है:
इंग्वाइनल हर्निया
इस प्रकार का हर्निया ज्यादातर थाई (जांघ) पर होता है। इंग्वाइनल हर्निया के कारण अंडकोष में भी बदलाव देखने को मिलता है। यह हाइड्रोसिल की समस्या का कारण भी बन सकता है।
अम्बिलिकल हर्निया
वजन बढ़ने और मशल्स के कमजोर होने के कारण अम्बिलाइकल हर्निया होने की आशंका बढ़ जाती है।
फीमोरल हर्निया
महिलाओं में फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। फीमोरल हर्निया की स्थिति में पैरों में खून की कमी हो जाती है।
एपीगैस्ट्रिक हर्निया
एपीगैस्ट्रिक हर्निया सर्जरी वाले हिस्सों पर ज्यादा होता है। सर्जरी वाली स्किन ठीक होने के बाद भी हर्निया की समस्या हो सकती है।
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क्या हैं हर्निया के लक्षण?
कई महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया के लक्षण किसी भी तरह से नजर नहीं आते तो वहीं कई में लक्षण साफ दिखाई देते हैं। लेटने पर या छूने पर एक गांठ या उभारी महसूस होता है। ये चमड़ी के नीचे से उठा हुआ नजर आता है। वहीं किसी फिजिकल एक्टिविटी के दौरान, झुकने, खांसने और जोर से हंसने पर दर्द महसूस होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने से गर्भवती महिलाओं को हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती हैं
कैसे होता है हर्निया का इलाज?
हर्निया को ठीक करने का एकमात्र तरीका सर्जरी है। लेकिन इस तरीके से बच्चे और उसकी मां खतरे में पड़ सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स बच्चा हो जाने के बाद जब मां पूरी तरह स्वस्थ हो जाती है, तब ऑपरेशन करते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने पर डायट का रखें ख्याल
हर्निया होने पर डायट का भी खास ख्याल रखने की जरूरत हो सकती है। ऐसे ही फूड आयटम्स हैं:
- हरी सब्जियां – यूं तो हरी सब्जियां खाना स्वस्थ इंसान के लिए भी बहुत जरूरी होता है। लेकिन, प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने की स्थिति में डायट में हरी सब्जियां शामिल करने से शरीर को जरूरी पौष्टिक तत्व मिलते हैं। ऐसे में जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया से पीड़ित लोग अपनी डायट में खूब सारी हरी सब्जियों को शामिल करें।
- मटर और बीन्स – प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया से जूझ रही महिलाओं को अपनी डायट में मटर और बीन्स को शामिल करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान मटर और बीन्स के खाने से गर्भवती महिला के शरीर में प्रोटीन, फाइबर और पोटैशियम की कमी पूरी होती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान रेगुलर इनका सेवन करना चाहिए।
- होल ग्रेन – प्रेग्नेंसी के दौरान रोजाना साबुत अनाज खाने से गर्भवती महिलाओं का शरीर फिट रहता है। साथ ही अगर किसी शख्स को हर्निया की बीमारी नहीं है, तो भी इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।
- टोफू और मछली– टोफू और मछली में मौजूद ओमेगा 3 की मात्रा प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने पर शरीर के लिए लाभदायक साबित होती है।
- जूस और फल- प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने पर गर्भवती महिलाएं अपनी डायट में ऐसे फलों को शामिल करें जिनमें नेचुरल शुगर कम हो और साथ ही ऐसे ही फलों के जूस को डायट में शामिल करें।
- अदरक– अदरक में कई सारे पौष्टिक तत्व होते हैं। साथ ही यह सूजन और मितली को कम करने में मदद करती है। कई शोधों में सामने आया है कि अदरक में मौजूद विटामिन और मिनिरल्स पेट और आंतो को फायदा पहुंचाते हैं। इसके अलावा ये केमिकल्स दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी असर डालते हैं जिसकी वजह से सूजन और मितली को नियंत्रित होती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने पर अदरक का सेवन करना फायदेमंद साबित होता है।
- धनिया- प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया होने पर धनिया भी लाभकारी साबित हो सकता है। इसमें एंटी-लिपिड और एंटी-डायबिटिक जैसे तत्व मौजूद होते हैं। कुछ स्थानों पर धनिया का तेल भी इस्तेमाल किया जाता है।
- विनेगर– विनेगर वजन कम करने के लिए भी मदद कर सकता है। यह भी एक कारण है कि आज विनेगर लोगों की डायट का हिस्सा बनता जा रहा है। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान हर्निया में विनेगर के फायदों को बताया गया है। साथ ही बढ़ता वजन किसी को भी पसंद नहीं आता और हर कोई खुद को स्लिम ट्रिम और मेंटेन रखना चाहता है। ऐसे में हर्निया न होने पर वजन कम करने के लिए लोग इसका सेवन करते हैं।
- चाय– अगर आप हर्निया के पेशेंट हैं, तो चाय का सेवन किया जा सकता है लेकिन, एक दिन में दो कप से ज्यादा चाय न पीएं।
इन ऊपर बताये गये खाद्य पदार्थों को अपने डायट प्लान में अवश्य शामिल करें।
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कैसे बचें हर्निया से?
हर्निया को रोक पाना संभव नहीं है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि प्रेग्नेंसी से हर्निया बढ़ता है बल्कि सिर्फ इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि आप अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों से बचे रहें।
नए संशोधन की समीक्षा डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा की गई है।
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