जब महिला के यूट्रस की आकृति हार्ट शेप की हो जाती है तो उस स्थिति में गर्भाशय को बाइकॉर्नुएट यूट्रस (Bronchitis uterus) या फिर हार्ट शेप वॉम्ब कहा जाता है। किसी भी महिला में गर्भाशय वह स्थान है जहां फर्टिलाइज्ड एग ग्रो करता है और फिर बेबी के रूप में डेवलप होता है। महिला के गर्भाशय का आकार कंसीव करते समय बहुत मायने रखता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यूट्रस का शेप बच्चे को प्रभावित कर सकता है। बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी की वजह से बच्चे की पुजिशन में अंतर आ सकता है, साथ ही वो इससे प्रभावित भी हो सकता है।
जब हैलो स्वास्थ्य ने कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना सिन्हा से बात की तो उन्होंने कहा कि,’ बाइकॉर्नुएट यूट्रस की स्थिति में डिलिवरी के दौरान थोड़ी समस्या हो सकती है। हमारे पास ऐसे केस आते हैं, लेकिन उन्हें हैंडल कर लिया जाता है। युट्रस के शेप में अनियमितता की वजह से नॉर्मल डिलिवरी के समय अगर समस्या होती है तो ऑपरेशन की हेल्प लेनी पड़ती है।’
और पढ़ें : आईवीएफ (IVF) के साइड इफेक्ट्स: जान लें इनके बारे में भी
बाइकॉर्नुएट यूट्रस के लक्षण क्या हैं?
अध्ययन में ये बात सामने आई है कि 3 प्रतिशत महिलाओं के गर्भाशय में अनियमितता पाई जाती है। स्ट्रक्चर और शेप में विभिन्नता के चलते यूट्रस की आकृति बदल जाती है। बाइकॉर्नुएट यूट्रस उन्हीं अनियमितताओं में से एक है। बाइकार्नेट यूट्रस की जानकारी महिलाओं को पहले से नहीं होती है। जब उनकी जांच की जाती है तो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में ये बात सामने आती है।
बाइकॉर्नुएट यूट्रस वाली महिलाएं कुछ लक्षण महसूस कर सकती हैं जैसे-
- इंटरकोर्स के दौरान दर्द महसूस होना।
- पेट में तकलीफ महसूस होना।
- वजायनल ब्लीडिंग का होना।
- पीरियड्स के दौरान तेज दर्द।
- बार-बार गर्भपात या मिसकैरेज हो जाना।
और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान हो सकती हैं ये 10 समस्याएं, जान लें इनके बारे में
बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी की वजह से मिसकैरेज की संभावना बढ़ती है?
इस बात की पुष्टि एक रिपोर्ट के दौरान की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में मिसकैरिज की संभावना बढ़ जाती है। यूट्राइन में होने वाली समस्याओं से 1.8 से 37.6 प्रतिशत तक मिसकैरिज होता है। सामान्य आकार के गर्भाशय वाली महिलाओं की तुलना में बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी में कॉम्पिलकेशन की संभावना रहती है। अध्ययन में बात भी सामने आई है कि इस प्रकार की प्रेग्नेंसी में बर्थ एबनॉर्मलटीज चार गुना ज्यादा बढ़ जाती है।
बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी है तो क्या हो सकता है?
अगर आपको बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी है तो डॉक्टर इसे हाई रिस्क मान कर चलते हैं। इस दौरान डॉक्टर आपकी अधिक बार जांच कर सकता है और साथ ही शिशु के प्रति बढ़ती समस्याओं की भी देखरेख की जाएगी। अगर किसी भी प्रकार का जोखिम है तो डॉक्टर उसे कम करने का प्रयास करेगा। अगर होने वाला बच्चा जन्म से पहले ही ब्रीच पुजिशन ( breech position) में आ जाता है तो डॉक्टर्स को सी-सेक्शन की मदद लेनी पड़ती है।
और पढ़ेंः प्रेग्नेंसी में इन 7 तरीकों को अपनाएं, मिलेगी स्ट्रेस से राहत
रिस्क और कॉम्पिलकेशन
- बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के दौरान डिलिवरी जल्दी होने का खतरा रहता है। कई बार मिसकैरिज भी हो जाता है। गर्भाशय का आकार बदला होने के कारण बच्चे के पैदा होते समय खतरा बढ़ सकता है। कई मामलों में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है।
- जैसा कि आपको बताया गया कि बाइकॉर्नुएट यूट्रस में गर्भाशय की आकृति दिल के आकार की हो जाती है, इसे दो सींगों के आकार के समान भी कहा जा सकता है। दो सींगों के बीच कई बार फीटस डेवलप नहीं हो पाता है या फिर किसी एक सींग में विकसित होता है। जगह की कमी के कारण समस्या उत्पन्न हो सकती है जो कई बार मिसकैरिज का कारण बनती है।
- बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के दौरान अगर भ्रूण ब्रीच पुजिशन में रहता है। लेटर प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की नॉर्मल डिलिवरी पॉसिबल नहीं हो पाती है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय की पतली दीवार टूटने की संभावना बढ़ जाती है। डॉक्टर गर्भाशय की दीवार को मोटा करने के लिए प्रोजेस्ट्रान का हाई डोज दे सकता है।
- बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण के विकास में भी बाधा पहुंचती है। होने वाले बच्चे का वजन कम हो सकता है।
और पढ़ें : गर्भावस्था में पेरेंटल बॉन्डिंग कैसे बनाएं?
बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी की सर्जरी और इलाज
एक महिला को कभी भी बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के लिए उपचार की जरूरत नहीं होती है। अगर बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के लिए इलाज की जरूरत पड़ी है तो उस सर्जरी को स्ट्रैसमैन मेट्रोप्लास्टी के रूप में जाना जाता है। बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के लिए सर्जरी की सलाह तब दी जा सकती है अगर एक महिला का बार-बार गर्भपात हो और बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी इसका कारण हो। इस प्रक्रिया को करना बांझपन के समाधान के रूप में विवाद का कारण भी रहा है क्योंकि किए गए अधिकांश शोधों से पता चलता है कि बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी होने से महिला के गर्भवती होने की संभावना पर कोई असर नहीं पड़ता है।
कुछ शोध बताते हैं कि गर्भपात और शुरुआती जन्म जैसी समस्याएं बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं में अधिक होती हैं हालांकि इसकी वजह से सफल गर्भावस्था और प्राकृतिक प्रसव के लिए मना नहीं किया जा सकता। बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं को जोखिम को कम करने और जल्दी किसी भी समस्या की पहचान करने के लिए गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त निगरानी और चेकअप कराना चाहिए।
और पढ़ेंः प्रेग्नेंसी में उल्टी के उपचार के लिए अपनाएं ये 8 उपाय
क्या इस समस्या को कोई इलाज है?
बाइकॉर्नुएट यूट्रस वाली महिला को अगर इस समस्या की वजह से मिसकैरिज का सामना करना पड़ा है तो डॉक्टर उसे स्ट्रैसमैन मेट्रोप्लास्टी सर्जरी की सलाह दे सकता है। बाइकॉर्नुएट यूट्रस की वजह से महिलाओं को कंसीव करने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान पहली तिमाही में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की सलाह देता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए डॉक्टर समस्या का पता लगा लेते हैं। अगर आपको भी गर्भाशय के आकार को लेकर कोई समस्या है तो डॉक्टर आपको सलाह देगा। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी इलाज न करें। बाइकॉर्नुएट यूट्रस प्रेग्नेंसी के लिए समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना और महिला की जांच कराना जरूरी है।
[embed-health-tool-pregnancy-weight-gain]