गर्भावस्था में दवाएं क्यों नुकसानदायक है मां और शिशु के लिए
गर्भावस्था की शुरुआत के साथ-साथ शुरू हो जाती हैं लोगों की हिदायतें भी। जैसे वजन वाला सामान मत उठाओ, काम कम करो जैसी अन्य बातें। हालांकि कुछ महिलाएं इन सभी बातों को मानती हैं, तो कुछ नहीं लेकिन, गर्भावस्था में दवाएं बिना डॉक्टर के सलाह की नहीं लेनी चाहिए ये जरूर समझना चाहिए और गर्भावस्था में दवाएं अपनी मर्जी से नहीं लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में दवाएं उपयोग करना सुरक्षित है और कौन सी दवाओं का लेना नुकसानदायक है यह खुद से निर्णय करना सही फैसला है। गर्भावस्था में दवाएं जो जरूरी हैं वो डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर लिख देते हैं लेकिन, इस दौरान गर्भवती महिलाएं एक साथ कई तरह की शारीरिक परेशानियों जैसे उल्टी आना, चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना। ऐसी परेशानियों को दूर करने के लिए दवाएं खा लेती हैं। दरअसल इस दौरान किसी भी तरह की दवाएं नहीं लेनी चाहिए।
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दवाएं दवाएं जो गर्भावस्था में लेने से हो सकती है परेशानी। इन दवाओं में शामिल हैं-
1. लीवोथाइरॉक्सिन (levothyroxine)
पहली तिमाही में इन दवाओं का सेवन किया जाता है और रिसर्च के अनुसार इन दवाओं का गर्भावस्था के दौरान या डिलिवरी के बाद भी शरीर पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
2. गेबापेन्टिन (gabapentin) और ट्रेजोडोन (trazodone)
गर्भावस्था में दवाएं अगर ले रहीं हैं, तो गेबापेन्टिन, एम्लोडाइपिन और ट्रेजोडोन का गर्भ में पल रहे भ्रूण पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3. एम्लोडाइपिन (amlodipine)
थाइरॉइड से जुड़ी परेशानियों के लिए एम्लोडाइपिन लेने की सलाह डॉक्टर देते हैं लेकिन, गर्भावस्था में दवाएं का सेवन से भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर इसका सेवन कोई भी महिला कर रहीं हैं, तो प्रेग्नेंसी शुरू होने पर डॉक्टर से दवा के बारे में जरूर बताएं।
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4. लोसर्टन (losartan)
लोसर्टन खासकर हाई ब्लड प्रेशर, किडनी, लिवर या हार्ट से जुड़ी परेशानियों के लिए डॉक्टर पेशेंट को देते हैं लेकिन, अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बातएं और इसे न खाएं क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो सकती है।
5. एटोरवेस्टिन (atorvastatin)
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए डॉक्टर एटोरवेस्टिन प्रिस्क्राइब करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान इस ड्रग्स के लेने से गर्भ में पल रहे शिशु को हाइपरकॉलेस्ट्रोलेमा (hypercholesterolemia) होने का खतरा बढ़ जाता है।
6. सिंवेस्टीन (simvastatin)
हार्ट अटैक, स्ट्रॉक या दिल से जुड़ी परेशानी परेशानियों के लिए सिंवेस्टीन दवा दी जाती है। इस दवा के सेवन से सिने में जलन, सिरदर्द, चक्कर आना या पेट दर्द जैसी परेशानी हो सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में इसका सेवन गर्भवती महिला को और ज्यादा परेशानी में डाल सकता है।
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7. मिथोट्रेक्सेट (methotrexate)
कैंसर सेल्स या बोन मेरो के इलाज में मिथोट्रेक्सेट डॉक्टर पेशेंट को लेने के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं। उल्टी, वजन कम होना या रात को सोने के दौरान अत्यधिक पसीना आ सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान इन दवाओं के सेवन से स्पॉटिंग, उल्टी और पेट दर्द की परेशानी हो सकती है। गर्भावस्था में स्पॉटिंग होना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग की वजह से मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है।
इन दवाओं के अलावा कोई भी दवा जैसे पैरासिटामोल, ब्रोफेन या कोई भी सिरदर्द की दवा जो बिना प्रिस्क्रिप्शन के आसानी से उपलब्ध होती है, उसका भी सेवन न करें। अपने शारीरिक परेशानी के बारे में डॉक्टर से न छुपाएं और गर्भावस्था में दवाएं वही खाएं जिसकी सलाह डॉक्टर द्वारा दी गई हो।
गर्भावस्था में दवाएं लें अपनी मर्जी से नहीं और सेवन से पहले उस दवा के बारे में जरूर समझें। वैसे कई बार गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हर्बल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में जिस तरह से एलोपैथ दवाओं के सेवन से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ठीक वैसे ही हर्बल सप्लीमेंटस का सेवन किया जा सकता है या नहीं यह भी सोचना आवश्यक है। वैसे जबतक आपके हेल्थ एक्सपर्ट या हर्बल एक्सपर्ट हर्बल सप्लीमेंट लेने की सलाह न दें तबतक इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
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हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार वैसे महिलाएं जो प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रहीं हैं या गर्भवती हैं, तो उन्हें फॉलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। दरअसल फोलिक एसिड विटामिन-बी से भरपूर होता है, जिसे मेडिकल टर्म में फॉलेट (folate) कहते हैं। फोलेट और फोलिक एसिड पानी में आसानी से घुल जाना वाला विटामिन (विटामिन-बी) होता है। वैसे फोलेट अधिकतर खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है और फोलिक एसिड-बी विटामिन का सिंथेटिक रूप है। फोलेट रेड ब्लड सेल्स बनाने और गर्भ में पल रहे शिशु के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में न्यूरल ट्यूब के डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) के अनुसार भारत समेत अन्य देशों में जन्म लेने वाले 1000 नवजात में 1 से 2 % बच्चे न्यूरल ट्यूब डिफिसिएट्स (Neural tube defects) के साथ जन्म लेते हैं। न्यूरल ट्यूब डिफिसिएट्स (NTDs) उन बच्चों में ज्यादा होता है जिनकी मां प्रेग्नेंसी के दौरान को फोलिक एसिड का सेवन नहीं कर पाती हैं।
गर्भावस्था में फोलिक एसिड के सेवन से मां और शिशु दोनों को शारीरिक लाभ मिलता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार फोलिक एसिड के सही मात्रा में सेवन से प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली परेशानी कम हो सकती है। दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है, स्ट्रोक जैसे परेशानी नहीं होती है। यही नहीं कुछ रिसर्च के अनुसार फोलिक एसिड के सेवन से कैंसर और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी बचना संभव हो सकता है। वहीं फोलिक एसिड की कमी के वजह से शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफिसिएट्स (NTDs) होने पर नवजात का ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड या वर्टिब्र (spinal cord or the vertebrae) ठीक तरह से डेवलप नहीं हो पाता है। बच्चे में क्लेफ्ट लिप (Cleft lip), क्लेफ्ट पेलेट (Cleft palate), शिशु का जन्म समय से पहले होना, फोलिक एसिड की कमी शिशु के वजन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और शिशु का वजन कम हो सकता है। कुछ ऐसे भी केस देखे गए हैं की अगर गर्भवती महिला में फोलिक एसिड की कमी की वजह से मिसकैरिज का खतरा भी बना रहता है।
हम उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आप गर्भावस्था में दवाएं कैसे सेवन की जा सकती है या कौन-कौन से दवाएं ली जा सकती है, तो इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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