प्रेग्नेंसी एक ऐसा दौर है जब एक महिला खुद की और गर्भ में पल रहे भ्रूण दोनों की देखभाल करती हैं। गर्भावस्था के दौरान जिस तरह गर्भ में पल रहा बच्चा पूरी तरह से अपनी मां पर आहार और पोषक तत्वों के लिए निर्भर होता है, ठीक वैसे ही गर्भवती महिला को भी अपने पार्टनर और परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूरा-पूरा सहयोग मिलना जरुरी होता है। जिसका असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ता है। सकारात्मक असर दोनों के लिए ही लाभकारी है लेकिन, नकारात्मक दृष्टिकोण से इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार गर्भवती महिला को गर्भावस्था के साथ-साथ बच्चे के जन्म के बाद भी परिवार का सकारात्मक सहयोग बेहद जरुरी होता। रिसर्च में ये बात भी सामने आई है प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने के लिए उनके पतियों का सपोर्ट धीरे-धीरे बढ़ता है जब कि, माता-पिता का सहयोग बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद मिलता है। हालांकि इस दौरान प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने के लिए सबसे ज्यादा अपने पार्टनर का सहयोग मिलना जरुरी है।
कैसे करें गर्भवती महिला का सहयोग?
गर्भावस्था के शुरुआत से ही गर्भवती महिला में कई तरह के बदलाव आते हैं। ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहारे (emotional support) की बेहद जरुरत होती है क्यूंकि, शुरुआत के तीन महीने किसी भी गर्भवती महिला के लिए थोड़ा कठिन होता है।
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प्रेग्नेंट महिला का मानसिक स्वास्थ्य: कैसे और क्यों जरुरी है प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखना-
- गर्भवती महिला अगर तनाव महसूस करती है तो इसका असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ता है।
- गर्भवती महिला के पार्टनर को अपने बिजी शिड्यूल से रोजाना अपनी लाइफ पार्टनर को समय देना चाहिए। गर्भवती महिला को क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है इसका भी ख्याल रखना चाहिए। ऐसा करने से गर्भवती महिला का खुश रहेंगी और इसका सकारात्मक असर बच्चे पर भी पड़ेगा।
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेल्स के अनुसार प्रेग्नेंसी, के दौरान अपने परिवार से सकारात्मक सहायता मिलने वाली महिलाओं को एक विशेष ‘तनाव हार्मोन’ से बचाया जाता है, जिससे बच्चे के जन्म के बाद डिप्रेशन में जाने की संभावना कम हो जाती है।
- गर्भवती महिला की गलतियों पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें समझाएं।
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- गर्भवती महिला और उनके पार्टनर एक साथ पेरेंटल क्लास ज्वाइन कर सकते हैं, जहां उन्हें नए माता-पिता बनने के लिए जरुरी जानकारी दी जाती है।
- यह बहुत जरुरी है की परिवार का कम से कम एक सदस्य गर्भवती महिला की बात सुने और समझें। जिससे किसी भी परिस्थिति में गर्भवती महिला उन से खुलकर बात कर सके।
- प्रेग्नेंसी के शुरुआत से ही गर्भवती महिला का कोई भी करीबी (पति का साथ अवश्य मिलना चाहिए। इनके अलावा सास-ससुर, माता-पिता या अन्य जो गर्भवती महिला की बहुत खास है) उनके पास होना चाहिए।
- डॉक्टर्स से मिलने के समय भी परिवार के किसी एक सदस्य या खास तौर से पति को साथ होना जरुरी है।
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निम्न स्थितियों के नकारात्मक प्रभाव से बचाए रखने के लिए प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता हैः
गर्भावस्था के दौरान हर महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर अलग-अलग अनुभव कर सकती है। जहां कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय से लेकर प्रसव के बाद तक भी पूरी तरह से स्वस्थ और खुशनुमा माहौल में रहती हैं, तो वहीं कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजर सकती हैं और कुछ प्रसव के बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्या का भी अनुभव कर सकती हैं। प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने के लिए आपको सबसे पहले निम्न स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जान लेना चाहिए, जिनमें शामिल हैंः
प्रेग्नेंट महिला का मानसिक स्वास्थ्य: मॉर्निंग सिकनेस
गर्भवती महिलाओं के लिए मॉर्निंग सिकनेस सबसे आम स्वास्थ्य समस्या मानी जाती है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के चौथे सप्ताह के आसपास शुरू होता है और 12वें स्पताह से 14वें सप्ताह तक दिखाई देता है। कुछ महिलाओं को उनके दूसरे तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण का अनुभव होता है और उनकी गर्भावस्था की पूरी अवधि के दौरान उल्टी या चक्कर आने की भी समस्या हो सकती हैं। इसके अलावा मॉर्निंग सिकनेस के कारण बॉडी पेन, खड़े होने पर चक्कर आने की समस्या, हल्का या तेज सिर दर्द होना या माइग्रेन जैसी समस्या का भी अनुभव हो सकता है।
ऐसी हालातों में परिवार के अन्य सदस्य या पति प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
- भोजन तैयार करनाः ऐसी अवस्था में महिला का खाना पकाना उचित नहीं होता है। खाने की खूशबू प्रेग्रेंट महिला के लक्षणों को और भी ज्यादा खराब कर सकता है।
- सुबह का नाश्ता कराएंः सुबह उठते ही प्रेग्नेंट महिला को डॉक्टर द्वारा निर्देश उचित और हेल्दी नाश्ता कराएं। ताकि दिन भर उनका शरीर फुर्तीला बना रहे और उनका मूड भी खुशनुमा रहे। इससे तनाव जैसी समस्या को भी आसानी से दूर किया जा सकता है।
- पानी पीने का समय फिक्स करेंः सामान्य स्वास्थ्य और शरीर को तरोताजा बनाए रखने के लिए पानी की उचित मात्रा बहुत जरूरी है। इसलिए प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने के लिए उनके दिन भर में पानी पीने का समय फिक्स कर सकते हैं। हर एक से दो घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उन्हें पानी पीने के लिए दें। कुछ भी खाने से पहले या खाने के बाद हमेशा आधे घंटे पहले और आधे घंटे के बाद ही पानी पीने दें। एक बात का ध्यान रखें कि पूरा दिन सिर्फ पानी ही न दें, शरीर में तरल पदार्थों की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए उन्हें ताजे फलो का जूस, अदरक की चाय, सूप भी पिलाते रहें।
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प्रेग्नेंट महिला का मानसिक स्वास्थ्य
प्रेग्नेंसी में होने वाले हॉर्मोन के लेवल में उतार-चढ़ाव के कारण महिलाओं की मानसिक स्थिति भी बदलती रहती है। कभी उनका मूड अच्छा तो कभी उदास हो सकता है। ऐसे में हफ्ते में एक से दो बार आप उन्हें घर से बाहर लंच, डिनर या घूमाने के लिए भी लेकर जा सकते हैं।
नई मां होने के कारन महिलाएं कुछ गलतियां अगर कर भी दें तो उन्हें समझाए न की उन्हें डांटें। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक कॉर्पोरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट (NIPCCD) के अनुसार पति और सास द्वारा देखरेख एवं समर्थन से बच्चे का सही विकास होता है और नई मां का आत्मविश्वास बढ़ता है। अगर आप न्यूक्लियर फैमिली में रहते हैं तो कोशिश करें कि महिला को ऐसा माहौल देने की कोशिशि करें, जहां रहने से उन्हें खुशी मिले। खुश रहने से मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको प्रेग्नेंट महिला का ख्याल रखने में किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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